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हालाँकि विदेशी मुद्रा बाजार दुनिया में सबसे ज्यादा ट्रेड होने वाला बाजार है, खुदरा सेक्टर में इक्विटी और नियत आय बाजार की तुलना में इसकी पहुँच काफी फीकी है। इसका एक बड़ा कारण निवेश समुदाय में विदेशी मुद्रा विनिमय के बारे में जागरूकता की कमी, साथ ही साथ विदेशी मुद्रा में परिवर्तन के कारण और तरीके की समझ की कमी है। NYSE या CME जैसे वास्तविक सेंट्रल एक्सचेंच की कमी इस बाजार के रहस्य में इजाफ़ा करती है। संरचना की यही कमी विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार को 24 घंटे परिचालित होने में सक्षम बनाती है, जहाँ कारोबारी दिन न्यूजीलैंड से शुरू होता है और अलग-अलग टाइम ज़ोन में जारी रहता है।
पारंपरिक रूप से, विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार बैंक समुदाय तक सीमित थी, जो व्यावसायिक, हेजिंग या सट्टा प्रयोजनों से काफी मात्रा में मुद्राओं को ट्रेड करते थे। USG जैसी कंपनियों की स्थापना ने विदेशी मुद्रा के दरवाजे फ़ंड और मनी मैनेजर्स, साथ ही साथ व्यक्तिगत रिटेल कारोबारी के लिए खोल दिया है। बाजार का यह क्षेत्र पिछले कई सालों में बहुत तेजी से विकसित हुआ है।
विदेशी मुद्रा विनिमय कारोबार क्या है?
विदेशी मुद्रा विनिमय लेनदेन में, एक मुद्रा को किसी दूसरी मुद्रा के बदले बेचा जाता है। दर दो मुद्राओं के बीच तुलनात्मक मान का वर्णन करता है। मुद्राओं को सामान्यतः तीन अंकों वाला ‘स्विफ़्ट’ कोड द्वारा पहचाना जाता है। उदाहरण विदेशी मुद्रा खिलाड़ी के लिए, EUR = यूरो, USD = अमेरिकी डॉलर, CHF = स्विस फ़्रैंक इत्यादि। संपूर्ण कोड सूची यहाँ पाई जा सकती है। EUR/USD दर 1.5000 का अर्थ 1 EUR का मोल 1.5 USD है।
Sometimes, EUR/USD is referred to as a currency pair. The rate can be inverted. So a EUR/USD rate of 1.5000 is the same as a USD/EUR rate of 0.6666. In other words, USD 1 is worth EUR 0.6666. The market convention is that most currencies tend to be quoted against the विदेशी मुद्रा खिलाड़ी dollar, but there are notable exceptions, such as with the EUR/USD already mentioned, GBP/USD (UK Pound Sterling). This is not as confusing as it may sound.
विदेशी मुद्रा चिह्न
इक्विटी की तरह, मुद्राओं के भी अपने चिह्न होते हैं जो उन्हें एक दूसरे से अलग करते हैं। चूँकि मुद्राओं के भाव एक के मान के प्रति दूसरे के मान के अनुसार बताए जाते हैं, मुद्रा जोड़ी में दोनों मुद्राओं के 'नाम' फ़ॉरवर्ड स्लैश ('/') द्वारा विभाजित होते हैं। 'नाम' तीन अक्षरों वाला परिवर्णी शब्द है। अधिकतर मामलों में, पहले दो अक्षर देश की पहचान के लिए आरक्षित होते हैं। अंतिम अक्षर उस देश की मुद्रा का पहला अक्षर होता है।
उदाहरण के लिए,
USD = यूनाइटेड स्टेट्स डॉलर
GBP = ग्रेट ब्रिटेन पाउंड
JPY = जापानी येन
CAD = कैनेडियन डॉलर
CHF = कन्फ़ेडेरेशियो हेल्वेटिका (स्विस संघ के लिए लैटिन शब्द) फ़्रैंक
NZD = न्यूजीलैंड डॉलर
AUD = ऑस्ट्रेलियन डॉलर
NOK = नोर्वेजियन क्रोना
SEK = स्वीडिश क्रोना
चूँकि यूरोपीय यूरो किसी विशेष देश से नहीं जुड़ा है, इसलिए यह केवल परिवर्णी शब्द EUR है। किसी एक मुद्रा (EUR) को दूसरी मुद्रा (USD) से मिलाकर, आप एक मुद्रा जोड़ी बनाते हैं - EUR/USD।
बेस और काउंटर मुद्रा
किसी मुद्रा जोड़ी में एक मुद्रा हमेशा प्रमुख होती है। यह बेस मुद्रा कहलाती है। बेस मुद्रा की पहचान मुद्रा जोड़ी की पहली मुद्रा के रूप में होती है। यही वह मुद्रा है जो मुद्रा जोड़ी का मूल्य निर्धारित करते समय अटल रहती है।
यूरो अन्य सभी वैश्विक मुद्राओं के लिए प्रमुख बेस मुद्रा है। जिसके फलस्वरूप, EUR के प्रति मुद्रा जोड़ियों की पहचान EUR/USD, EUR/GBP, EUR/CHF, EUR/JPY, EUR/CAD इत्यादि के रूप में होगी। सभी में EUR परिवर्णी शब्द क्रम में पहले आता है।
मुद्रा नाम विदेशी मुद्रा खिलाड़ी प्रधानता अनुक्रम में ब्रिटिश पाउंड अगला है। प्रमुख मुद्रा जोड़ियाँ बनाम GBP की पहचान GBP/USD, GBP/CHF, GBP/JPY, GBP/CAD इत्यादि के रूप में होगी। EUR/GBP के अलावा, GBP को मुद्रा जोड़ी में पहली मुद्रा के रूप में देखने की अपेक्षा करें।
USD अगला सबसे अधिक प्रमुख बेस मुद्रा है। अधिकतर मुद्राओं के लिए USD/CAD, USD/JPY, USD/CHF सामान्य मुद्रा जोड़ी होगी। चूँकि बेस मुद्रा के संबंध में EUR और GBP अधिक प्रमुख हैं, डॉलर का भाव EUR/USD और GBP/USD के रूप में बताया जाता है। बेस मुद्रा को जानना महत्वपूर्ण है, क्योंकि विदेशी मुद्रा सौदा निष्पादित होते समय यह विनिमय की मुद्राओं के मान (अनुमानित या वास्तविक) निर्धारित करता है। काउंटर मुद्रा किसी मुद्रा जोड़ी की दूसरी मुद्रा होती है।
विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार हिस्सेदार
विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बहुत सारे विभिन्न प्रकार के हिस्सेदार हैं, और वे विदेशी मुद्रा खिलाड़ी अक्सर ट्रेड करते समय बहुत अलग-अलग परिणामों की अपेक्षा रखते हैं। इसलिए हालाँकि विदेशी मुद्रा विनिमय का वर्णन अक्सर ‘जीरो-सम’ गेम के रूप में होता है – एक निवेशक का लाभ, सैद्धांतिक रूप में, दूसरे के घाटे के समान होता है – पैसे बनाने के अनेक अवसर होते हैं। विदेशी मुद्रा विनिमय को एक पाई के रूप में देखा जा सकता है जिसमें से हर किसी को ठीक-ठाक भोजन मिल जाता है।
पारंपरिक रूप से, बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार के मुख्य हिस्सेदार हैं। वे मार्केट शेयर के अनुसार अभी भी सबसे बड़े प्लेयर बने हुए हैं, लेकिन पारदर्शिता ने विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार को और अधिक लोकतांत्रिक बना दिया है। अब, लगभग हर किसी की पहुँच, उन अत्यंत संकीर्ण मूल्यों तक होती है जो अंतर बैंक बाजार में उद्धरित होते हैं। इसलिए, बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में मुख्य खिलाड़ी बने हुए हैं, लेकिन मार्केट मेकर की एक नई नस्ल, जैसे कि हेज फ़ंड और कमोडिटी ट्रेडिंग सलाहकार, पिछले एक दशक में उभरी है।
केंद्रीय बैंक भी विदेशी मुद्रा बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जबकि अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों की विदेशी मुद्रा विनिमय जोख़िम के एक्सपोज़र के कारण ट्रेडिंग में सहज रुचि होती है।
पिछले एक दशक में रिटेल विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार बहुत तेज़ी से फैला है और यद्यपि सटीक आंकड़े पाना मुश्किल है, ऐसा माना जाता है कि यह क्षेत्र विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार के 20% तक का प्रतिनिधित्व करता है।
Forex Reserves: देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी, जानिए कितना है गोल्ड रिजर्व
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट मुख्य रूप से एफसीए में आई कमी की वजह से हुई.
India Forex Reserves: 15 जुलाई, 2022 को खत्म विदेशी मुद्रा खिलाड़ी हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 7.541 अरब डॉलर घटकर 572.712 अरब . अधिक पढ़ें
- पीटीआई
- Last Updated : July 22, 2022, 23:42 IST
हाइलाइट्स
विदेशी मुद्रा भंडार 7.541 अरब डॉलर घटकर 572.712 अरब डॉलर पर
गोल्ड रिजर्व में 83 करोड़ डॉलर की गिरावट
6.527 अरब डॉलर घटी फॉरेन करेंसी एसेट
नई दिल्ली. देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) में फिर गिरावट आई है. 15 जुलाई, 2022 को खत्म हुए सप्ताह में यह 7.541 अरब डॉलर घटकर 572.712 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (RBI) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है.
आरबीआई के आंकड़ों विदेशी मुद्रा खिलाड़ी विदेशी मुद्रा खिलाड़ी के मुताबिक, 8 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 अरब डॉलर घटकर 580.252 अरब डॉलर रह गया था. इससे पहले 1 जुलाई, 2022 को खत्म हुए सप्ताह में यह 5.008 अरब डॉलर घटकर 588.314 अरब डॉलर रह गया था.
6.527 अरब डॉलर घटी एफसीए
आरबीआई के शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 15 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट मुख्य रूप से फॉरेन करेंसी एसेट यानी एफसीए (Foreign Currency Assets) में आई कमी की वजह से हुई जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. रिजर्व बैंक ने कहा कि रिपोर्टिंग वीक में भारत की एफसीए (FCA) 6.527 अरब डॉलर घटकर 511.562 अरब डॉलर रह गई. डॉलर में बताई जाने वाली एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है.
गोल्ड रिजर्व भी घटा
इसके अलावा रिपोर्टिंग वीक में गोल्ड रिजर्व का मूल्य 83 करोड़ डॉलर घटकर 38.356 अरब डॉलर रह गया. रिपोर्टिंग वीक में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी एमआईएफ (IMF) में देश का एसडीआर यानी स्पेशल ड्राइंग राइट (Special Drawing Rights) 15.5 करोड़ डॉलर घटकर 17.857 अरब डॉलर रह गया. आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 2.9 करोड़ डॉलर घटकर 4.937 अरब डॉलर रह गया.
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बिजनेसःःविदेशी मुद्रा भंडार में लगातार पांचवें हफ्ते गिरावट
मुंबई एजेंसी। विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और अंतर्राष्ट्रीय.
विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास आरक्षित निधि में कमी आने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार 02 सितंबर को समाप्त सप्ताह में 7.9 अरब डॉलर गिरकर लगातार पांचवें सप्ताह गिरता हुआ 553.1 अरब डॉलर पर आ गया। इसके पिछले सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार तीन अरब डॉलर घटकर लगातार चौथे सप्ताह गिरता हुआ 561.05 अरब डॉलर पर रहा था।
रिजर्व बैंक की ओर से शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, 02 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 6.53 अरब डॉलर की गिरावट लेकर 492.12 अरब डॉलर रह गयी। इस अवधि में स्वर्ण भंडार भी 1.34 अरब डॉलर घटकर 38.3 अरब डॉलर पर आ गया।
इसी तरह आलोच्य सप्ताह एसडीआर पांच करोड़ डॉलर की कमी हुई और यह घटकर 17.8 अरब डॉलर पर रहा। इस अवधि में आईएमएफ के पास आरक्षित निधि 2.4 करोड़ डॉलर की गिरावट लेकर 4.9 अरब डॉलर पर आ गई।
2 साल के निचले स्तर पर पहुंचा देश का विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए कितनी आई गिरावट?
मुंबईः देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी है। लगातार सातवें हफ्ते विदेशी मुद्रा कोष में गिरावट आई है। आरबीआई द्वारा जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक 16 सितंबर 2022 को खत्म हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.22 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर तक जा गिरा है जबकि इसके पहले 9 सितंबर को खत्म हफ्ते में 550.87 अरब डॉलर था। दो अक्टूबर 2020 के बाद विदेशी मुद्रा भंडार अपने निचले लेवल पर है।
लगातार गिर रहा है विदेशी मुद्रा भंडार
विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट को थामने के लिए आरबीआई द्वारा डॉलर बेचे जाने के चलते विदेशी मुद्रा कोष में ये कमी आई है। शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के अपने ऐतिहासिक निचले स्तर 81.20 के लेवल तक जा लुढ़का था जो 80.99 के लेवल पर क्लोज हुआ है। सभी करेंसी के मुकाबले डॉलर में मजबूती आई है। वहीं इंपोर्टरों द्वारा डॉलर की मांग बढ़ने के चलते भी डॉलर की कमी देखी जा रही है।
बीते सात हफ्ते से लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखने को मिली है। फरवरी के आखिर में रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी है। मार्च के आखिर में विदेशी मुद्रा भंडार 607 अरब डॉलर था। करेंसी मार्केट के जानकारों का मानना है कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी रह सकता है। आने वाले दिनों में ये घटकर 510 अरब डॉलर तक गिर सकता है।
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करोड़ों की विदेशी मुद्रा के साथ राष्ट्रीय खिलाड़ी समेत 3 तस्कर गिरफ्तार
नई दिल्ली (ब्यूरो)। विदेशी मुद्रा और सोने की दूसरे देशों से तस्करी करने वाले एक गिरोह को दबोचा गया। आरोपियों में एक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी वीरेंद्र वमाज के साथ तीन अन्य तस्करों को गिरफ्तार किया गया है।
डायरेक्टर रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) ने आईजीआई एयरपोर्ट पर चेकिंग के दौरान इन्हें गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से 4.47 करोड़ कीमत के यूरो और यूएस डॉलर भी बरामद किए। रैकेट से जुड़े दो अन्य तस्करों को मुंबई में गिरफ्तार किया गया है।
डीआरआई ने राष्ट्रीय खिलाड़ी वीरेंद्र वमाज के अलावा उसके साथी रोहित विज एवं विदेशी मुद्रा खिलाड़ी अंकुश खुराना को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला कि मूलरूप से दिल्ली निवासी वीरेंद्र एक राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी है और वह एक संभ्रांत परिवार का है, लेकिन एक वर्ष पहले वह तस्करों के संपर्क में आया था, जिसके बाद उन्होंने बाकायदा गिरोह बनाकर गोरखधंधा चलाना शुरू कर दिया।
महिला ने ऐसी जगह छुपाया सोना, जांच करने वाले भी हो गए शर्म से पानी-पानी!
पूछताछ में वीरेंद्र ने बताया कि वे विदेशी मुद्रा की तस्करी नए तरीके से करते थे। एक व्यक्ति के बजाय तस्करी में कई लोग शामिल होते थे। एक के बाद एक कई तस्करों को हैंड ओवर करते थे। तस्कर एक दूसरे के समय पर ही फ्लाइट बुक करके एक एयरपोर्ट पर मिलते थे। कॉमन लॉज में वे एकत्रित होते थे।
फिर एयरपोर्ट से बाहर आकर वीरेंद्र को नकली नोटों से भरा बैग दे देते थे, जिसके कारण चेकिंग में पकड़ में नहीं आते। जांच में यह भी पता चला कि वीरेंद्र को इससे पहले 2015 में 9 किलो सोना और 80 लाख के विदेशी नकली नोट के साथ पकड़ा गया था, लेकिन वह जमानत पर बाहर आ गया था।
वीरेंद्र कई बार तस्करी के लिए विदेशों में भी जा चुका है। जांच अधिकारियों के अनुसार अगर वीरेंद्र और उसके साथी इस तस्करी में कामयाब हो जाते तो इसके बदले उन्हें सात लाख रुपए मिलते।
दिल्ली और मुंबई से गिरफ्तार किए गए पांचों तस्करों के खिलाफ कस्टम एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। मुंबई में पकड़े गए तस्करों को टीम ट्रांजिट रिमांड पर लेकर राजधानी आयी और सभी पांच तस्करों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल भेज दिया गया है।
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