Cryptocurrency News: क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में क्यों आ रही लगातार गिरावट, जानें क्या है इसका अमेरिका से कनेक्शन
Cryptocurrency US Connection: क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में हालिया दिनों में लगातार गिरावट देखने को मिली है। इसका बड़ा अमेरिकी कनेक्शन भी है। क्रिप्टो विशेषज्ञों का कहना है कि यह गिरावट अमेरिका में डिजिटल करेंसी को लेकर नई टैक्स नीति के कारण हुई है
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दुनियाभर में रुझान बढ़ रहा है, भारत में भी क्रिप्टो के निवेशकों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है। हालांकि कोई नियामक न होने के चलते देश में खुलकर कारोबार अभी नहीं हो रहा है, लेकिन क्रिप्टोक्यूरेंसी का मूल्य क्यों है? जो संकेत मिल रहे हैं उसके मुताबिक सरकार इसे रेगुलेट करने को लेकर नए साल की शुरुआत में निर्णय लिया जा सकता है। बहरहाल, इस बाजार में सबसे ज्यादा चर्चा होती है बड़े उतार-चढ़ाव की। पल में क्रिप्टो का दाम फर्श से अर्श पर पहुंच जाता है और एक झटके में जमीन पर भी आ जाता है। क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में हालिया दिनों में लगातार गिरावट देखने को मिली है। इस गिरावट का बड़ा अमेरिकी कनेक्शन भी है।
यूएस की नई टैक्स नीति का असर
एक रिपोर्ट के मुताबिक, क्रिप्टो विशेषज्ञों का कहना है कि क्रिप्टो बाजार में यह गिरावट अमेरिका में डिजिटल करेंसी को लेकर नई टैक्स नीति के कारण हुई है, जो 55,000 करोड़ डॉलर के इंफ्रास्ट्रक्चर बिल का हिस्सा है। इस कानून पर राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हस्ताक्षर किए थे। रिपोर्ट में क्रिप्टोक्यूरेंसी का मूल्य क्यों है? विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि हमने देखा है कि यूएस इंफ्रास्ट्रक्चर बिल पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसकी वजह से उन ट्रेडर्स ने बिकवाली शुरू कर दी है, जो रेगुलेशन और टैक्सेशन को लेकर चिंतित हैं।
सबसे लोकप्रिय करेंसी बिटक्वाइन निचले स्तर पर
दुनिया की सबसे लोकप्रिय डिजिटल करेंसी बिटक्वाइन के दाम इस महीने अपने ऑल टाइम हाई पर पहुंचने के बाद से लगातार गिर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस महीने इसका कारोबार लगातार नीचे की ओर जा रहा है। आंकड़ों को देखें तो जहां बिटक्वाइन आज 45,000 डॉलर के स्तर तक नीचे आ गया है। क्रिप्टोक्यूरेंसी का मूल्य क्यों है? शुक्रवार क्रिप्टोक्यूरेंसी का मूल्य क्यों है? को बिटक्वाइन का दाम इस महीने के निचले स्तर तक पहुंच गया। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, बीते 50 दिनों के उतार-चढ़ाव पर अगर नजर डालें तो बिटक्वाइन में 14 फीसदी की गिरावट देखी गई है।
दूसरी क्रिप्टोकरेंसी के दाम भी हो रहे कम
बाजार पूंजीकरण के हिसाब से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम भी शुक्रवार को तीन हफ्ते में अपने सबसे निचले स्तर पर 4,014 डॉलर को छू गई। इसके साथ ही आल्टक्वाइन, बियान्से क्वाइन, पोल्काडॉट, डॉजक्वाइन और शीबा इनु में भी इस महीने गिरावट का जो दौर शुरू हुआ, वो अभी भी जारी है। रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा कि जब ट्रेड वॉल्यूम कम होता है, तो कुछ बड़े प्लेयर बाजार को अपनी पसंद के हिसाब से दिशा दे सकते हैं। वहीं जब बियर हावी होता है, तो रिटेल प्लेयर बाजार को और नीचे लाते हुए कवर के लिए दौड़ पड़ते हैं।
डिजिटल करेंसी में आगे भी गिरावट रहने की उम्मीद
क्रिप्टोकरेंसी में आ रही लगातार गिरावट पर एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि बिक्री का दबाव काफी स्थिर रहा है। ऐसे में संभावना है कि इसमें गिरावट जारी रहेगी, जब तक टोकन को 53,000 डॉलर के करीब सपोर्ट नहीं मिल जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, चूंकि ग्लोबल मार्केट हाल के दिनों में सावधान रहा है, जिसकी वजह आर्थिक ग्रोथ, ब्याज दरों और मुद्रास्फीति को लेकर चिंताएं हैं।
विस्तार
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दुनियाभर में रुझान बढ़ रहा है, भारत में भी क्रिप्टो के निवेशकों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है। हालांकि कोई नियामक न होने के चलते देश में खुलकर कारोबार अभी नहीं हो रहा है, लेकिन जो संकेत मिल रहे हैं उसके मुताबिक सरकार इसे रेगुलेट करने को लेकर नए साल की शुरुआत में निर्णय लिया जा सकता है। बहरहाल, इस बाजार में सबसे ज्यादा चर्चा होती है बड़े उतार-चढ़ाव की। पल में क्रिप्टो का दाम फर्श से अर्श पर पहुंच जाता है और एक झटके में जमीन पर भी आ जाता है। क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में हालिया दिनों में लगातार गिरावट देखने को मिली है। इस गिरावट का बड़ा अमेरिकी कनेक्शन भी है।
यूएस की नई टैक्स नीति का असर
एक रिपोर्ट के मुताबिक, क्रिप्टो विशेषज्ञों का कहना है कि क्रिप्टो बाजार में यह गिरावट अमेरिका में डिजिटल करेंसी को लेकर नई टैक्स नीति के कारण हुई है, जो 55,000 करोड़ डॉलर के इंफ्रास्ट्रक्चर बिल का हिस्सा है। इस कानून पर राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हस्ताक्षर किए थे। रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से कहा गया है कि हमने देखा है कि यूएस इंफ्रास्ट्रक्चर बिल पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसकी वजह से उन ट्रेडर्स ने बिकवाली शुरू कर दी है, जो रेगुलेशन और टैक्सेशन को लेकर चिंतित हैं।
सबसे लोकप्रिय करेंसी बिटक्वाइन निचले स्तर पर
दुनिया की सबसे लोकप्रिय डिजिटल करेंसी बिटक्वाइन के दाम इस महीने अपने ऑल टाइम हाई पर पहुंचने के बाद से लगातार गिर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस महीने इसका कारोबार लगातार नीचे की ओर जा रहा है। आंकड़ों को देखें तो जहां बिटक्वाइन आज 45,000 डॉलर के स्तर तक नीचे आ गया है। शुक्रवार को बिटक्वाइन का दाम इस महीने के निचले स्तर तक पहुंच गया। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, बीते 50 दिनों के उतार-चढ़ाव पर अगर नजर डालें तो बिटक्वाइन में 14 फीसदी की गिरावट देखी गई है।
दूसरी क्रिप्टोकरेंसी के दाम भी हो रहे कम
बाजार पूंजीकरण के हिसाब से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम भी शुक्रवार को तीन हफ्ते में अपने सबसे निचले स्तर पर 4,014 डॉलर को छू गई। इसके साथ ही आल्टक्वाइन, बियान्से क्वाइन, पोल्काडॉट, डॉजक्वाइन और शीबा इनु में भी इस महीने गिरावट का जो दौर शुरू हुआ, वो अभी भी जारी है। रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने कहा कि जब ट्रेड वॉल्यूम कम होता है, तो कुछ बड़े प्लेयर बाजार को अपनी पसंद के हिसाब से दिशा दे सकते हैं। वहीं जब बियर हावी होता है, तो रिटेल प्लेयर बाजार को और नीचे लाते हुए कवर के लिए दौड़ पड़ते हैं।
डिजिटल करेंसी में आगे भी गिरावट रहने की उम्मीद
क्रिप्टोकरेंसी में आ रही लगातार गिरावट पर एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि बिक्री का दबाव काफी स्थिर रहा है। ऐसे में संभावना है कि इसमें गिरावट जारी रहेगी, जब तक टोकन को 53,000 डॉलर के करीब सपोर्ट नहीं मिल जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, चूंकि ग्लोबल मार्केट हाल के दिनों में सावधान रहा है, जिसकी वजह आर्थिक ग्रोथ, ब्याज दरों और मुद्रास्फीति को लेकर चिंताएं हैं।
Explained: क्रिप्टोकरंसी तो कई हैं, लेकिन Bitcoin ही इतना महंगा क्यों है, आसान भाषा में समझें
Bitcoin: कोई निवेशक किसी फंड, स्टॉक या शेयर में पैसा लगाता है, तो उसकी पूंजी, मार्केट वैल्यू, टर्मिनल वैल्यू की जानकारी होती है. बिटकॉइन के साथ ऐसी बात नहीं है. यह नई वैल्यू के साथ बाजार में उतरा है, लेकिन इसकी टर्मिनल वैल्यू के बारे में कोई जानकारी नहीं.
दुनिया में क्रिप्टोकरंसी इतनी हैं कि उंगलियों पर गिनने बैठें, तो उंगलियां कम पड़ जाएंगी. लेकिन इन सबमें बिटकॉइन Bitcoin का क्रिप्टोक्यूरेंसी का मूल्य क्यों है? नाम सबसे ऊपर है. जब से क्रिप्टोकरंसी का बाजार चलन में आया है, तब से क्रिप्टो का मतलब बिटकॉइन. बाकी क्रिप्टो का भी नाम है, लेकिन उनका स्थान बिटकॉइन से नीचले पायदान पर ही देखा जाता है. अगर अभी की बात करें तो बिटकॉइन की कीमत 25 हजार पर चल रही है. यानी कि एक सिक्के का दाम है 25 हजार. यह भारत की रेट है. यह स्थिति तब है जब 30-35 परसेंट की गिरावट आई है. कभी बिटकॉइन 65,000 डॉलर पर चल रहा था. सवाल है कि बिटकॉइन इतना महंगा क्यों है?
इसका पहला जवाब है कि बिटकॉइन बहुत कम है. माइनिंग के बाद ग्राहकों को बड़ी मुश्किल से बिटकॉइन मिल पा रहा है. एक आंकड़े के मुताबिक, अभी सर्कुलेशन में 18.7 मिलियन बिटकॉइन हैं और इसकी संख्या अधिक से अधिक 21 मिलियन तक जा सकती है. उसके बाद लाख माइनिंग कर लें, बिटकॉइन की वास्तविक संख्या नहीं बढ़ाई जा सकती. एक तरह से इसका प्रोडक्शन स्थिर हो चला है. लेकिन ग्राहकों में भारी मांग के चलते कीमतें चढ़ी हुई दिख रही हैं.
अब माइनर्स को ज्यादा फायदा
बिटकॉइन का उत्पादन नहीं बढ़ पा रहा है. इसलिए जो भी बिटकॉइन bitcoin बनता है, वह माइनर के रिवॉर्ड के तौर पर तैयार होता है. डीसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क पर माइनर अपने कंप्यूटर की क्षमता का इस्तेमाल कर बिटकॉइन बनाते हैं. हालांकि समय के साथ माइनर का यह रिवॉर्ड भी घटता जाएगा. ब्लॉकचेन पर अभी जितने बिटकॉइन तैयार हो रहे हैं, उसमें धीरे-धीरे कमी आ सकती है. इस स्थिति में बिटकॉइन की सप्लाई घटेगी. आम तौर पर बिजनेस में देखा जाता है कि डिमांड बढ़ने पर सप्लाई बढ़ती है और उसी हिसाब से मुनाफा कमाया जाता है. बिटकॉइन में मामला उलटा हो रहा है. यहां डिमांड है लेकिन सप्लाई नहीं है और मुनाफा भी धीरे-धीरे रुकता जा रहा है.
पहले ही रुक सकती थी गिरावट, लेकिन..
बिटकॉइन क्रिप्टोक्यूरेंसी का मूल्य क्यों है? की कीमतें अभी 65 हजार डॉलर से 30 हजार डॉलर पर आई हैं. इसके बावजूद अन्य क्रिप्टोकरंसी उसके आसपास दूर-दूर तक नहीं फटकती. इथर हो या डोजकॉइन, ग्राहकों में इनके प्रति उतना भरोसा नहीं बन पाया है. एक्सपर्ट बताते हैं कि बिटकॉइन की कीमतें हाल के दिनों में इतनी तेजी से नहीं गिरतीं, अगर यह किसी सेंट्रलाइज नेटवर्क का हिस्सा होता. यानी कि किसी सरकार या बैंक क्रिप्टोक्यूरेंसी का मूल्य क्यों है? के जिम्मे बिटकॉइन की माइनिंग-बिजनेस-ट्रांजेक्शन होता, तो ऐसी खतरनाक गिरावट नहीं देखी जाती. सेंट्रल बैंक जैसे शेयर मार्केट और स्टॉक आदि की निगरानी करते हैं, गिरावट से पहले आगाह करते हैं, कुछ वैसा ही बिटकॉइन के साथ भी होता. पहली बात तो बिटकॉइन पर कोई निगरानी नहीं है और दूसरी बात कि यह करंसी नया है, इसलिए बाजार में इसे कई परीक्षाओं से गुजरना होगा.
नया बिटकॉइन क्या करे
बिटकॉइन का इतिहास अभी महज 13 साल का है. 13 साल के इसके बिजनेस में लोगों के पास मुकम्मल ट्रेडिंग हिस्ट्री मौजूद नहीं है. आप कह सकते हैं कि अगर कोई कंपनी अपना क्रिप्टोक्यूरेंसी का मूल्य क्यों है? नया आईपीओ लाती है तो उसकी ट्रेडिंग हिस्ट्री के बारे में भी कम ही जानकारी होती है. फिर बिटकॉइन के साथ ऐसा क्या अलग है. जब कोई कंपनी नया आईपीओ लाती है या बाजार में नए ढंग से उतरती है, तो उसके बिजनेस की क्षमता, उससे हो सकने वाली कमाई और उसके कैश फ्लो के बारे में पता होता है. बिटकॉइन चूंकि सेंट्रलाइज नहीं है, इसलिए इसके बारे में पुख्ता जानकारी जुटाना आसान नहीं होता.
बाकी बिजनेस से क्यों अलग है Bitcoin
कोई निवेशक किसी फंड, स्टॉक या शेयर में पैसा लगाता है, तो उसकी पूंजी, मार्केट वैल्यू, टर्मिनल वैल्यू की जानकारी होती है. बिटकॉइन के साथ ऐसी बात नहीं है. यह नई वैल्यू के साथ बाजार में उतरा है, लेकिन इसकी टर्मिनल वैल्यू के बारे में कोई जानकारी नहीं. इस वजह से लोग तुक्के में पैसा लगाते हैं. लिहाजा कभी बिटकॉइन के दाम चढ़े दिखते हैं, तो कभी अचानक गिर जाते हैं.
इसे स्पॉट सेलिंग बोलते हैं जिसमें लोग भीड़ का हिस्सा बन धड़ाधड़ बिकवाली करते हैं. उन्हें किसी बड़े जोखिम के आसार दिखते हैं और वे बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरंसी बेचकर किसी सुरक्षित माध्यम में निवेश करते हैं. जानकारों के मुताबिक बिटकॉइन के साथ यह सिलसिला चलता रहेगा जबतक उसे किसी सेंट्रलाइज्ड सिस्टम में न लाया जाए. या ग्राहकों को लग जाए कि अभी बिटकॉइन की यही कीमत न्यू नॉर्मल है. भविष्य में भाव बड़ सकते हैं, लेकिन बिजली की गति से नहीं.
बिटकॉइन की सुधरेगी विश्वसनीयता
अभी बिटकॉइन की खरीद-बिक्री पर रिटेल खरीदारों का कब्जा है. अब धीरे-धीरे प्रोफेशनल मैनेजर और फंड मैनेजर की सक्रियता बढ़ रही है. जैसे-जैसे संस्थागत निवेश में बिटकॉइन की साझेदारी बढ़ेगी, इसकी वैधता में इजाफा होगा. इसी हिसाब से लोगों में इस करंसी को लेकर भरोसा बढ़ेगा. अभी बिटकॉइन की ऐसी छवि है जैसे कि कोई अवैध बिजनेस कर रहे हों. जिस दिन इसकी छवि सुधरनी शुरू होगी, इसमें उतनी क्रिप्टोक्यूरेंसी का मूल्य क्यों है? ही स्थिरता दिखने लगेगी. इससे बिटकॉइन के बाजार में भारी उतार-चढ़ाव कम देखने को मिलेगी.
कैसे तय होती है किसी Cryptocurrency की वैल्यू, कौन से फैक्टर्स तय करते हैं करेंसी की कीमत, जानें यहां
Cryptocurrency Value : हर बड़ी क्रिप्टोकरेंसी ने जबरदस्त चढ़ाव देखा है तो झटके में धड़ाम भी होती दिखी हैं, ऐसे में कोई भी निवेशक इसको लेकर फिक्र करेगा. लेकिन सवाल यह है कि आखिर कौन सै फैक्टर्स हैं, जो क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें तय करते हैं.
Cryptocurrency Price : कई फैक्टर्स हैं, जो क्रिप्टो कॉइन्स की वैल्यू तय करते हैं.
Cryptocurrency आज के वक्त में निवेशकों के बीच निवेश का पॉपुलर माध्यम बन चुकी हैं. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी बाजार की वॉलेटिलिटी यानी अस्थिरता एक फैक्टर है, जो निवेशकों के लिए चिंता खड़ी करती है. हर बड़ी क्रिप्टोकरेंसी ने जबरदस्त चढ़ाव देखा है तो झटके में धड़ाम क्रिप्टोक्यूरेंसी का मूल्य क्यों है? भी होती दिखी हैं, ऐसे में कोई भी निवेशक इसको लेकर फिक्र करेगा. लेकिन सवाल यह है कि आखिर कौन सै फैक्टर्स हैं, जो क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें तय करते हैं. किसी क्रिप्टोकरेंसी वैल्यू कम होगी या ज्यादा होगी, यह कैसे तय होता है. क्रिप्टो में निवेश करने से पहले यह जानना जरूरी है.
मांग और स्वीकार्यता
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किसी भी असेट या कमोडिटी की कीमत तय करने में सबसे बड़ी भूमिका उसकी मांग को लेकर होती है. किसी भी चीज की वैल्यू तब होती है, जब उसे लेकर उपभोक्ताओं और निवेशकों के बीच स्वीकार्यता होती है, उसका इस्तेमाल होता है. जैसे ही किसी क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल बढ़ता है, उसकी मांग बढ़ती है और इस तरह से उस कॉइन की वैल्यू भी बढ़ जाती है. फिएट करेंसी यानी ट्रेडिशनल करेंसी जो होती है, उसका नियमन होता है और उसे एक बड़ी मात्रा में छापा जाता है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी एक सीमित संख्या में जेनरेट होती हैं. पिछले कुछ सालों में क्रिप्टोकरेंसी की स्वीकार्यता बढ़ी है, जिसके चलते इनकी वैल्यू भी बढ़ी है.
नोड काउंट
नोड काउंट किसी क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े एक्टिव वॉलेट्स के नंबर को कहते हैं. यह इंटरनेट पर या उस करेंसी के होमपेज पर देखा जा सकता है. इससे यह भी पता चलता है कि कोई कॉइन मार्केट में आए किसी क्राइसिस से उबर सकता है या नहीं.
प्रोडक्शन की लागत
क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग में प्रोडक्शन लागत जाती है. किसी कॉइन की माइनिंग में डायरेक्ट कॉस्ट और कॉस्ट ऑफ रिसोर्स यानी स्रोतों पर लगने वाली लागत से उस कॉइन की वैल्यू तय होती है. प्रोडक्शन लागत जितनी ज्यादा होगी, कॉइन की वैल्यू उतनी ज्यादा होगी.
ब्लॉकचेन
किसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने से पहले कुछ निवेशक उसकी सिक्योरिटी और फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट यानी आगे की संभावनाओं को तौलते हैं, ये जानकारी ब्लॉकचेन पर मिलती है. नए निवेशकों को ऐसे कॉइन चुनने चाहिए, जो अपने कॉइन्स को सबसे ज्यादा सिक्योरिटी देते हैं. हालांकि. प्रोफेशनल निवेशक ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की भविष्य की संभावनाओं पर फोकस करते हैं.
बाजार का नियमन
प्रोफेशनल क्रिप्टो ट्रेडर्स कॉइन के वैल्यू ट्रेंड पर काफी असर डालते हैं. वो मार्केट की गति-दिशा तय करते हैं, जिससे बाजार का रेगुलेशन होता है. इन्हें 'व्हेल अकाउंट' कहा जाता है क्योंकि इनके पास बाजार का बड़ा शेयर होता है और ये किसी भी कॉइन को उठाने या गिराने की क्षमता रखते हैं.
Cryptocurrency Value: क्या आप जानते हैं कैसे तय होती है किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत? यहां समझें पूरा गणित
Cryptocurrency Value : क्रिप्टोकरेंसी की कीमत डिमांड और सप्लाई के सीधे सिद्धांत पर तय होती है, लेकिन इसके अलावा ऐसे बहुत से दूसरे फैक्टर भी हैं, जो इनकी कीमतें तय करने में भूमिका निभाते हैं.
Cryptocurrency Price : क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें कई फैक्टर्स को ध्यान में रखकर तय होती हैं.
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) की शुरुआत हुए लगभग एक दशक हो चुके हैं, लेकिन इसके मुकाबले इनकी पॉपुलैरिटी पिछले कुछ सालों में बढ़ी है. बहुत से लोगों ने क्रिप्टो कॉइन्स या टोकन्स में निवेश (Crypto investment) करना शुरू कर दिया है. क्रिप्टोकरेंसी को माइनिंग (Crypto Mining) के जरिए जेनरेट किया जाता है. ये काम उत्कृष्ट कंप्यूटरों पर जटिल गणितीय समीकरण हल करके किया जाता है. समीकरण हल करने पर माइनर्स को इनाम में कॉइन्स मिलते हैं. डिसेंट्रलाइज्ड ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए क्रिप्टोकरेंसी की सुरक्षा तय की जाती है.
क्रिप्टोकरेंसी कैसे काम करती है और इसकी वैल्यू कैसे तय होती है?
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यह समझने के लिए हमें ये समझना होगा कि क्रिप्टोकरेंसी फ्लैट करेंसी यानी कि हमारी ट्रेडिशनल करेंसी (रुपया, डॉलर, यूरो वगैरह) से अलग कैसे होती है. सबसे बड़ा फर्क यह होता है कि क्रिप्टो को सरकार की ओर से कानूनी वैधता मिली हुई होती है. फ्लैट करेंसी की कीमत इस तथ्य से तय होती है कि दो पक्ष किसी लेन-देन के लिए उस कीमत में अपना विश्वास रख रहे हैं. अधिकतर देश इसी सिस्टम में काम करते हैं, जिसमें एक केंद्रीय बैंक और मौद्रिक संस्थान उस करेंसी के सप्लाई और इसके जरिए मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखते हैं.
लेकिन क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार का नियंत्रण या नियमन नहीं होता है, ये डिसेंट्रलाइज्ड होते हैं, यानी किसी एक केंद्र के तहत काम नहीं करते हैं. अधिकतर देशों ने इसे कानूनी वैधता नहीं दी है. क्रिप्टो के साथ ऐसा भी है कि क्रिप्टोक्यूरेंसी का मूल्य क्यों है? इनकी क्रिप्टोक्यूरेंसी का मूल्य क्यों है? एक फिक्स्ड सप्लाई होती है, ऐसे में मुद्रास्फीति से कीमतें गिरने का डर नहीं रहता है.
इन तथ्यों के इतर दोनों में काफी कुछ एक जैसा है. दोनों को ही किसी वस्तु या सेवा को खरीदने के लिए लेने-देन में इस्तेमाल किया जाता है. और दोनों को ही उनके वैल्यू के लिए स्टोर करके रखा जाता है.
क्रिप्टोकरेंसी पब्लिक लेजर या सार्वजनिक बहीखाता (Cryptocurrency Public Ledger)
क्रिप्टोकरेंसी में हर ट्रेडिंग अपने आप एक डिसेंट्रलाइज्ड लेजर में दर्ज हो जाती है. इस लेजर पर किसी का अधिकार नहीं होता है, यानी इसका मेंटेनेंस या एक्सेस किसी एक व्यक्ति या संस्था के पास नहीं होता है. इसे कोई भी, कभी भी, कहीं से भी एक्सेस कर सकता है. सभी ट्रांजैक्शन क्रिप्टोग्राफी की मदद से सुरक्षित रहते हैं.
क्रिप्टोकरेंसी नोड काउंट (Cryptocurrency node count)
नोड काउंट यह बताता है कि किसी नेटवर्क पर कितने एक्टिव वॉलेट्स हैं. इससे समझ आता है कि किस क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू कम है, किसकी ज्यादा. अगर किसी निवेशक को यह पता लगाना है कि किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें सही हैं या नहीं या फिर ओवरबॉट के चलते बढ़ गई हैं (ओवरबॉट मतलब किसी करेंसी को ज्यादा खरीदे जाने के चलते इसकी कीमतें बहुत बढ़ जाना) तो निवेशक को उसका नोड काउंट और कुल मार्केट कैप देखना होगा. इसके बाद इन दोनों की दूसरे क्रिप्टोकरेंसी से तुलना करनी होगी, इससे आपको उस क्रिप्टोकरेंसी की सही कीमत पता चल जाएगी. नोड काउंट से यह भी पता चलता है कि कोई क्रिप्टो कम्युनिटी कितनी मजबूत है. जिस कम्युनिटी के जितने ज्यादा नोड काउंट होंगे वो उतनी ज्यादा मजबूत होगी.
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज
किसी क्रिप्टोकरेंसी की जानकारी लेने के लिए आप ऑनलाइन क्रिप्टो एक्सचेंज चेक कर सकते हैं. इसपर आपको किसी भी क्रिप्टो का मार्केट कैप, पिछले हफ्तों और महीनों में उसकी परफॉर्मेंस, सर्कुलेशन में उसकी कितनी करेंसी है, उसकी मौजूदा रेट क्या है और पहले रेट क्या था, वगैरह जैसी जानकारी एक्सचेंज पर मिलती है. इन एक्सचेंज पर बिटकॉइन, इथीरियम, टेदर और डॉजकॉइन जैसी कई दूसरी कॉइन्स को कुछ फीस चुकाकर ट्रेडिंग भी की जाती है.
किसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत तय करना
किसी भी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत तय करने का सबसे प्रभावी तरीका उसकी मांग को देखकर कीमत तय करना है. किसी क्रिप्टो में निवेशकों की ओर से बढ़ रही मांग के चलते उस कॉइन की कीमतें बढ़ जाती हैं. इसके उलट, अगर किसी कॉइन टोकन सप्लाई ज्यादा है, लेकिन उसकी डिमांड कम है, तो इसकी कीमतें गिर जाएंगी. इसके अलावा एक और चीज है, जिससे क्रिप्टोकरेंसी की कीमत तय होती है- वो है इसकी उपयोगिता. यानी कि वो करेंसी कितनी यूज़फुल यानी उपयोगी है. अगर किसी क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग प्रक्रिया ज्यादा कठिन है, तो इसका मतलब है कि उसकी सप्लाई बढ़ाना भी मुश्किल होगा, ऐसे में अगर डिमांड सप्लाई से ज्यादा हो गई तो उसकी कीमतें ज्यादा हो जाएंगी.
इसे अपनाए जाने को लेकर लोगों का रुख (Mass adoption)
अगर ज्यादा से ज्यादा लोग किसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करेंगे तो उसकी कीमतें बेतहाशा बढ़ जाएंगी. लेकिन फिर भी आम जनता के बीच में इन्हें अपनाया जाना अभी बहुत दूर की बात दिखाई देती है क्योंकि इसमें कई वास्तविक पेचीदगियां हैं जो हमारे मौजूदा सिस्टम के हिसाब से परेशानी पैदा करेंगी.फ्लैट करेंसी का इस्तेमाल लेन-देन में जिस स्तर पर होता है, क्रिप्टो का वैसा इस्तेमाल नहीं हो सकता, या नहीं हो रहा है. इन कॉइन्स को मेनस्ट्रीम में लाने के लिए इनकी उपयोगिता बढ़नी जरूरी है, वहीं यह फैक्टर भी काम करेगा कि वो डील खरीददार को कितनी फायदे वाली लगती है.
कीमतों में उतार-चढ़ाव
क्रिप्टोकरेंसी बाजार अभी बहुत नया है और अधिकतर लोग इस इंडस्ट्री से बहुत परिचित नहीं हैं. ऐसे नए बाजारों में ऐसा होता है कि इसमें बहुत उतार-चढ़ाव देखा जाता है. लेकिन क्रिप्टो बाजार में काफी उतार-चढ़ाव रहने का यह कारण भी होता है कि ऐसे बहुत से व्हेल अकाउंट होते हैं, जिनके पास बड़ी संख्या में क्रिप्टोकरेंसी कॉइन्स होती हैं, और वो प्रॉफिट बुकिंग के लिए बाजार को प्रभावित करते हैं.
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