धीमी चाल: भारत के आर्थिक विकास को लेकर विश्व बैंक का गंभीर पूर्वानुमान

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमानों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 की शुरुआत में भारतीय अर्थव्यवस्था के 7.2 फीसदी और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्वानुमान के अनुसार 8.2 फीसदी के बीच बढ़ने की उम्मीद है। जबकि, प्रमुख रेटिंग एजेंसियों एवं वित्तीय संस्थानों ने भारतीय अर्थव्यवस्था के वृद्धि दर के अपने अनुमानों को इन दोनों आकलनों के बीच में ही रखा है। कोविड की वजह से नीचे की ओर गोता लगाने और पिछले साल वापस 8.7 फीसदी की दर से उछाल के बाद, आर्थिक विकास का साधारण रहना कोई बड़ी बात नहीं है। खासकर, उस स्थिति में जब यूरोप में युद्ध के प्रभावों की तरंगित लहर महसूस होने लगी है और मुद्रास्फीति जनवरी से लगातार ऊपर चढ़ी हुई है। सितंबर की शुरुआत आते - आते, अधिकांश पूर्वानुमानों में भारतीय आर्थिक विकास दर के 6.7 फीसदी से लेकर 7.7 फीसदी के बीच रहने की बात कही जाने लगी थी। भारतीय रिजर्व बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक और फिच रेटिंग्स ने अपने अनुमानों को घटाकर सात फीसदी कर दिया है। एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपने पूर्वानुमान को 7.3 फीसदी पर बरकरार रखा है और मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने इसे 7.6 फीसदी पर रखा है। इन दोनों एजेंसियों का मानना है कि उभरती वैश्विक मंदी के बावजूद कोविड के बाद उबरती भारतीय अर्थव्यवस्था पटरी से नहीं उतरेगी। जबकि सितंबर के अंतिम सप्ताह के हालिया संकेतों के आधार पर विश्व बैंक ने सुझाया है कि वित्तीय पूर्वानुमान वित्तीय पूर्वानुमान हालात इतने सुहाने नहीं हैं। इस वर्ष आठ फीसदी की वृद्धि की अपनी शुरुआती उम्मीद, जिसे जून में घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया गया, को बदलकर विश्व बैंक ने बिगड़ते बाहरी वातावरण का हवाला देते वित्तीय पूर्वानुमान वित्तीय पूर्वानुमान हुए केवल 6.5 फीसदी के विकास दर का एक निराशाजनक अनुमान सामने रखा है।

अप्रैल-जून की तिमाही में 13.5 फीसदी की दर से बढ़ने के बाद, उच्च आवृत्ति वाले आर्थिक संकेतक अगस्त के दौरान एक स्वस्थ वृद्धि की ओर इशारा करते हैं। लेकिन ऐसा जाहिर होता है कि फरवरी 2021 के बाद पहली बार वस्तुओं के निर्यात में कमी आने के साथ सितंबर माह में विकास में थोड़ी गिरावट आई है और घरेलू मांग में कमी का संकेत देते हुए आयात भी तेजी से धीमा हो रहा है। विश्व बैंक का ताजा पूर्वानुमान अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में तुलनात्मक

रूप से मंदी शुरू होने का इशारा देता है। सख्त वैश्विक तरलता, उच्च मुद्रास्फीति (ओपेक की बैठक के बाद तेल की कीमतें फिर से बढ़ रही हैं) और वित्तीय पूर्वानुमान बढ़ती ब्याज दरों से घरेलू मांग में कमी आई है। साथ ही, निर्यात की मांग में और कमी आएगी तथा लगातार बढ़ती अनिश्चितता के इस दौर में निजी निवेशक संभावित रूप से बाहर ही बैठना पसंद करेंगे। विश्व बैंक ने यह माना है कि निजी उपभोग खासतौर पर इस वर्ष और अगले वर्ष भी प्रभावित रहेगा क्योंकि आय एवं रोजगार के मामले में ग्रामीण व कम आय वाले परिवारों पर महामारी के कहर के निशान अभी बरकरार हैं। विश्व बैंक का अनुमान है कि 2020 में कम से कम 56 मिलियन भारतीय गरीबी रेखा से नीचे खिसक गए हैं। सरकार “मजबूत विकास के युग में प्रवेश” का शोर मचा रही है, लेकिन महामारी के दौरान शुरू की गई मुफ्त अनाज योजना को जारी रखने के उसके निर्णय से यह पता चलता है कि अर्थव्यवस्था के सभी अंग अभी तक संकट से उबरने में कामयाब नहीं हुए हैं। सरकार को सावधानी के साथ आशावाद जगाते हुए इसी यथार्थवाद को अपने अन्य नीतिगत विकल्पों में भी प्रतिबिंबित करना चाहिए।

वित्तीय पूर्वानुमान

प्रश्न 34. वित्तीय प्रबन्ध के कार्य समझाइये।

उत्तर- (I) प्रशासकीय कार्य (Administrative Functions) -

1. वित्तीय नियोजन- यह वित्तीय प्रबन्धक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। व्यवसाय की प्रकृति के आधार पर वित्तीय प्रबन्धक वित्त का नियोजन करता है। इसके अन्तर्गत रोकड़ अन्तर्वाह (Inflow) एवं रोकड़ बहिर्वाह (Cash Outflow) में समन्वय, स्थापित किया जाता है।

2. वित्तीय पूर्वानुमान- वित्तीय प्रबन्ध व्यवसाय की आवश्यकता के अनुरुप वित्त का पूर्वानुमान लगाता है। वित्तीय पूर्वानुमान के द्वारा अति पूँजीकरण एवं अल्प पूँजीकरण की स्थिति को रोका जाता है। ताकि विनियोजित पूँजी पर उचित आय की प्राप्ति हो सके।

3. वित्तीय नियन्त्रण- वित्तीय प्रबन्धक बजटरी नियंत्रण एवं लागत नियन्त्रण के द्वारा उपक्रम में वित्तीय नियन्त्रण करता है। वित्तीय प्रबन्धक प्रत्येक विभाग के द्वारा किये जाने वाले व्यय पर नियन्त्रण रखता है।

(II) क्रियात्मक कार्य (Functional Functions)

1. परामर्श देना- वित्तीय प्रबन्धक के द्वारा शीर्ष प्रबन्धकों को वित्त संबंधी परामर्श देने का कार्य किया जाता है।

2. प्रपत्रों की सुरक्षा- वित्त से संबंधित समस्त प्रपत्रों को सुरक्षित रखने का कार्य वित्तीय प्रबन्धक के द्वारा ही किया जाता है।

3. वित्तीय प्रतिवेदन- वित्त संबंधी विभिन्न प्रतिवेदन शीर्ष प्रबन्धकों को वित्तीय प्रबन्धक के द्वारा ही भेजे जाते हैं।

राष्ट्रीय सरकारी सेवाएं पोर्टल सरकारी सेवाएं तेजी से खोजें

देश के विभिन्न जिलों में मौसम पूर्वानुमान की जांच करें। प्रयोक्ता इंटरेक्टिव मानचित्र द्वारा राज्य और जिला वार मौसम की जानकारी की खोज कर सकते हैं। वर्षा, तापमान, बादल कवर, आर्द्रता, हवा की गति, हवा की दिशा आदि जैसे इस तरह के विवरण उपलब्ध हैं।

Related Links

पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के विभिन्न जिलों के मौसम संबंधी सूचनाओं की जानकारी प्राप्त करें

आप पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों, जैसे - जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड इत्यादि राज्यों के विभिन्न जिलों के मौसम संबंधी सूचनाओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह जानकारी दिल्ली के क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के द्वारा प्रदान की जाती है। आप इन राज्यों की मौसम संबंधी सूचनाओं, जैसे – बर्फ़बारी, वर्षा एवं बादलों की स्थिति इत्यादि का विवरण यहाँ से प्राप्त कर सकते हैं।

उत्तराखंड के हेमकुंड साहिब एवं चार धाम में मौसम पूर्वानुमान

आप उत्तराखंड के हेमकुंड साहिब एवं चार धाम के मौसम पूर्वानुमान के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ, केदारनाथ एवं हेमकुंड साहिब के सात दिनों के मौसम की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। हेलीकाप्टर के प्रचालन के लिए निम्न-स्तरीय हवा एवं तापमान की सारणी भी यहाँ उपलब्ध है। उपग्रहों द्वारा खींचे गए चार धामों के चित्र एवं वहाँ जाने वाले मार्गों का मानचित्र भी यहाँ दिया गया है।

क्रिसिल ने वित्त वर्ष 23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद के पूर्वानुमान को 7.3% से घटाकर 7% कर दिया

क्रिसिल ने वित्त वर्ष 23 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद के पूर्वानुमान को 7.3% से घटाकर 7% कर दिया |_40.1

रेटिंग एजेंसियों वित्तीय पूर्वानुमान क्रिसिल (Crisil) और इक्रा (Icra) ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 और दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के लिए भारत की ग्रोथ रेट के अनुमान को संशोधति किया है। ग्लोबल ग्रोथ के बाधित होने और फसल उत्पादन प्रभावित होने के चलते दोनों रेटिंग एजेंसियों ने ग्रोथ का अनुमान कम किया है। क्रिसिल ने वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही के लिए ग्रोथ के अनुमान को 0.30% घटाकर 7 % कर दिया, जबकि इक्रा ने इसके 6.5% रहने की उम्मीद जताई।

क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने एक टिप्पणी में कहा, हमने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GPD) ग्रोथ के अपने अनुमान को 7.3% से घटाकर 7% कर दिया है। ऐसा मुख्य रूप से ग्लोबल ग्रोथ में मंदी के चलते किया गया, जिससे हमारा निर्यात और औद्योगिक गतिविधियां प्रभावित होने लगी हैं। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने अपनी रिपोर्ट वित्तीय पूर्वानुमान में कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.5% की दर से बढ़ेगी, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले लगभग आधी है।

इस वित्तीय वर्ष में सकल कर राजस्व के लिए सुखद पूर्वानुमान

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार अर्थव्यवस्था को देश के आकार के अनुपात में विस्तृत करने की कोशिश कर रही है, पर इसमें कई चुनौतियां हैं, जिनमें से एक जलवायु परिवर्तन भी है। वैश्विक तापमान को कम करने के लिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को विशिष्ट सीमा के भीतर रखने की जरूरत है, जिसे वैश्विक कार्बन बजट कहा जाता है। वैश्विक तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तर के 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने की 50 फीसदी संभावना और कार्बन डाई ऑक्साइड के 1,350 गीगाटन के शेष कार्बन बजट में वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि तक सीमित करने की 50 फीसदी संभावना के लिए 2020 से दुनिया के पास 500 गीगाटन कार्बन डाई ऑक्साइड के बराबर का शेष कार्बन बजट है।

निम्न कार्बन विकास की दिशा में प्रयास करते हुए हमारी दीर्घकालिक निम्न ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन विकास रणनीति (एलटी-एलईडीएस) सात प्रमुख बदलावों पर निर्भर है। पहला, ऊर्जा क्षेत्र में वृद्धि औद्योगिक विस्तार को सक्षम करने, रोजगार सृजन बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत के लिए महत्वपूर्ण है। भारत अक्षय ऊर्जा का विस्तार कर रहा है और ग्रिड को मजबूत कर रहा है। यह अन्य निम्न कार्बन प्रौद्योगिकियों की खोज और/या समर्थन कर रहा है।

यह जीवाश्म ईंधन संसाधनों के तर्कसंगत उपयोग की ओर बढ़ रहा है। दूसरा, जीडीपी में परिवहन का बड़ा योगदान है। भारत यात्री और माल की गतिशीलता के लिए परिवहन साधनों में आवश्यक विस्तार के संदर्भ में निम्न कार्बन विकल्पों की दिशा में काम कर रहा है। तीसरा, शहरी डिजाइनों में अनुकूलन के उपाय खोजना और उन्हें प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है। भारत पर्यावरण व शहरी प्रणालियों में अनुकूलन उपायों को मुख्यधारा में ला रहा है।

यह शहरी नियोजन दिशानिर्देशों, नीतियों व उपनियमों में संसाधन दक्षता को बढ़ावा दे रहा है, मौजूदा व भावी इमारतों और शहरी प्रणालियों में जलवायु उत्तरदायी और लचीले भवन डिजाइन, निर्माण व संचालन को बढ़ावा दे रहा है और संसाधन दक्षता, ठोस व तरल कचरा प्रबंधन से कम कार्बन उत्सर्जन वाली नगरपालिका सेवा को बढ़ावा दे रहा है। चौथा, जीडीपी में विनिर्माण की हिस्सेदारी बढ़ाने की नीतियों के साथ औद्योगिक विकास प्रमुख उद्देश्य है। इस संदर्भ में निम्न-कार्बन विकल्पों का पता लगाया जा रहा है।

भारत का ध्यान ऊर्जा एवं संसाधन दक्षता में सुधार पर है। पांचवां, कार्बन डाई ऑक्साइड कम करने के लिए नवाचार, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, जलवायु-विशिष्ट वित्त और क्षमता निर्माण के जरिये पर्याप्त वैश्विक समर्थन चाहिए। अभी भारत सामाजिक-आर्थिक, आजीविका और पारिस्थितिकी तंत्र में इसका असर कम करने के लिए प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण व योजना का कार्य कर रहा है। छठा, प्राकृतिक संसाधनों की वृद्धि, वित्तीय पूर्वानुमान संसाधन विरासत के संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा देने के लिए हमारी प्रतिबद्धता इस क्षेत्र की प्रमुख वित्तीय पूर्वानुमान रणनीति है।

इसके तहत वन और उसके पौधे, पशु और माइक्रोबियल आनुवंशिक संसाधनों की बहाली, संरक्षण और प्रबंधन, वनों के बाहर पेड़ों की बहाली, संरक्षण और प्रबंधन, नर्सरी के उन्नयन सहित राज्य के वन विभागों के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना शामिल है। सातवां, गरीबी उन्मूलन, रोजगार व आय में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन के प्रति बढ़ती सहनशीलता व समृद्धि के एक नए स्तर तक पहुंचने की प्राथमिकताओं को देखते हुए निम्न-कार्बन विकास के वित्तीय पूर्वानुमान उद्देश्यों को पाने के लिए किफायती अंतरराष्ट्रीय जलवायु वित्त आवश्यक है।

भारत वित्तीय जरूरतों का आकलन कर जलवायु विशिष्ट वित्त जुटाकर उसे वितरित कर रहा है। भारत ने पृथ्वी को बचाने की दिशा में अपनी जिम्मेदारी से अधिक दायित्व उठाया है और यह जलवायु कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है। वैश्विक सहयोग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व जलवायु व्यवस्था की जरूरतों को पूरा करने में भारत सक्रिय रहा है, जिसे हमने संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज के क्योटो प्रोटोकॉल और पेरिस समझौते के तहत सामूहिक रूप से स्वीकार किया है। भारत का एलटी-एलईडीएस बताता है कि हम समता और जलवायु न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के साथ खड़े हैं।

रेटिंग: 4.72
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 833