आइए, पहले समझते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज क्या है. क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, एक कारोबार या कंपनी है जो ग्राहकों को क्रिप्टो एसेट खरीदने और उनका कारोबार करने की अनुमति देता है. एक्सचेंज अनिवार्य रूप से ग्राहक को पारंपरिक बैंक खातों या अन्य भुगतान विधियों जैसे यूपीआई (UPI) आदि से पारंपरिक मुद्रा जैसे भारतीय रुपया स्वीकार करके क्रिप्टो एसेट खरीदने की सुविधा देता है.

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India At 2047: भारत कैसे क्रिप्टो सेक्टर पर रख रहा है सतर्क रुख, अन्य देशों को लेनी चाहिए सीख

By: प्रशांत कुमार | Updated at : 10 Aug 2022 05:00 PM (IST)

Edited By: Meenakshi

Crypto Regulation: क्रिप्टोकरेंसी सुर्खियों में हैं जब से सुप्रीम कोर्ट ने 2020 की शुरुआत में उन पर पूर्ण प्रतिबंध हटा दिया है. 2021 में एक्सचेंजों और तेजी से बढ़ते बाजारों के प्रसार के साथ, क्रिप्टोकरेंसी के नाम से कोई अनजान नहीं है. भारत में देर से प्रवेश करने के बावजूद क्रिप्टो दुनिया को खुले हाथों से अपनाया और आज लगभग 27 मिलियन भारतीय हैं जो क्रिप्टो संपत्ति रखते हैं, मुख्यतः टियर II और टियर III शहरों में. बता दें कि देश में एक्टिव डीमैट खातों की संख्या भी इससे थोड़ी ही ज्यादा है जो देश में दशकों से मौजूद हैं.

क्रिप्टो के क्षेत्र में केंद्र ने अभी तक क्या कदम उठाए हैं
क्रिप्टोकरेंसी ऐसेट करेंसी और टेक्नोलॉजी का एक बहुत ही दिलचस्प संकेत है. वित्त मंत्रालय द्वारा अब तक उठाए गए कदमों को करीब से देखने से पता चलता है कि हमारे करेंसी रेगुलेटर तीन पहलुओं को अलग तरह से देखते हैं. ऐसा लगता है कि यह मूल कारण है कि भारत ने अब तक क्रिप्टो करेंसी के नियामक के लिए मिलेजुले संकेतों की पेशकश की है और समय लिया है ताकि यह उद्योग के साथ-साथ निवेशकों के हितों की रक्षा भी कर सके.

Jagran Trending: जानें किन देशों में क्रिप्टोकरेंसी है वैध और किन देशों ने लगाई है पाबंदी

अगर आप बिटकॉइन (क्रिप्टोकरेंसी) में निवेश कर मुनाफा कमाने के बारे में सोच रहे हैं तो आपको सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि बिटकॉइन आपके देश में लीगल भी या नहीं? इसीलिए आज हम आपको यहां बताएंगे कि बिटकॉइन कहां लीगल है और कहां अवैध।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। क्या आप क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) खरीदने-बेचने या उसमें निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं? अगर आपका जवाब हां है, तो सबसे पहले आपको यह जान लेना चाहिए कि क्रिप्टोकरेंसी आखिर आपके देश क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्या हैं में लीगल है भी या नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सभी देशों में अलग-अलग नियम हैं। उनमें से कुछ देशों में क्रिप्टोकरेंसी को वर्चुअल रुपये की जगह पर इस्तेमाल किया जा सकता है। मतलब क्रिप्टोकरेंसी से हर वो काम किए जा सकते हैं, जो कि नॉर्मल करेंसी से होते हैं। हालांकि कुछ अन्य देशों में क्रिप्टोकरेंसी खरीदने पर आपको जेल हो सकती है। वहीं, कुछ देशों ने तो इसे विनियमित करने की जहमत तक नहीं उठाई है, क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी अधर में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्या हैं छोड़ दिया है। आइए इस आर्टिकल के जरिए जानते हैं कि आखिर बिटकॉइन (क्रिप्टोकरेंसी) क्या है और कहां प्रतिबंधित है? कहां कानूनी हैं और कहां न तो कानूनी और न ही अवैध है?

तो क्या क्रिप्टो करेंसी लीगल हो गई?

बजट में हुए इस ऐलान के बाद ज्यादातर लोगों के मन में ये सवाल है कि क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्या हैं पर टैक्स लगा कर इसे लीगल कर दिया है? जवाब है- नहीं. इसे ऐसे समझिए, सरकार सिर्फ उस डिजिटल करेंसी (क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्या हैं Digital Currency) को लीगल यानी वैध मानती है, जिसे Reserve Bank of India-RBI जारी करता है या करेगा. मतलब अभी जो Bitcoin जैसी Crypto Currency हैं, वो वैध नहीं है. बजट भाषण के बाद पत्रकारों से सवाल-जवाब में वित्तमंत्री ने साफ किया कि क्रिप्टो की वैधता को लेकर सरकार में चर्चा जारी है लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्या हैं कहा कि सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क के बाहर जो भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, वे करेंसी नहीं हैं. अगर कोई आपसे कहे कि ये लीगल हो गई हैं तो जब तक सरकार नहीं कहती, मानिएगा नहीं. यहां पर गौर करने की बात ये भी है कि सरकार अप्रैल से शुरू होने वाले कारोबारी साल में अपनी डिजिटल करेंसी लाने की भी तैयारी में है जिसका जिक्र वित्तमंत्री ने अपने भाषण में किया. जाहिर है ये करेंसी पूरी तरह लीगल होगी.

वर्चुअल एसेट से वित्तमंत्री का मतलब क्या है?

आसान तरीके से समझें तो आप जो सोना खरीदते हैं या जो घर खरीदते हैं, वो आपकी Assets होती है. मतलब आपकी सम्पत्ति, ना कि ये करेंसी है. ठीक इसी तरह Crypto Currency भारत सरकार के लिए एक Asset होगी और इस पर लोगों से टैक्स वसूला जाएगा. अगर आप ये सोच रहे हैं कि Bitcoin, Ethereum, Tether, Ripple जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो तकनीकी तौर पर बिल्कुल सही नहीं है. हालांकि, लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.

सरकार के प्रतिनिधियों ने ये भी बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन साल 2017 से ही सरकार क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्या हैं के राडार पर है. इस पर टैक्स लगाने से सरकारी खजाने में मोटी रकम पहुंचनी तय है. अभी अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, Netherlands और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में वर्चुअल करेंसी (Virtual Currency) पर वहां की सरकारें टैक्स लगाती हैं. सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि, हमारे देश में जितने लोगों ने CryptoCurrency में निवेश किया है, वो देश की आबादी का लगभग 8% हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, इन लोगों ने अपने 70 हजार करोड़ रुपए इस समय ऐसी Virtual Currency में लगाए हुए हैं. पूरी दुनिया में CryptoCurrency में ट्रेड करने के मामले में भारतीय सबसे आगे हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये 30 प्रतिशत टैक्स, सीधे तौर पर 70 हजार करोड़ रुपए के निवेश को एक गारंटी देगा और हो सकता है कि भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ जाए.

गिफ्ट पर भी लगेगा टैक्स, ऐसे होगा कैलकुलेट

बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने वर्चुअल एसेट्स (Virtual Assets) के ट्रांजैक्शन से हुई कमाई पर 30% टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया. क्रिप्टोकरेंसी गिफ्ट करने को भी ट्रांजेक्शन माना जाएगा. मतलब अगर आप क्रिप्टोकरेंसी किसी को गिफ्ट में देते हैं तब भी 30 फीसदी टैक्स की देनदारी बनेगी. गिफ्ट किए जाने के मामले में उस समय की वैल्यू पर टैक्स लगेगा. इस वैल्यू को Recipient का इनकम माना जाएगा और उसे वैल्यू पर टैक्स देना होगा.

एक और बात जो नोटिस करने वाली है कि ये नया टैक्स आने वाले कारोबारी साल यानी 1 अप्रैल से लागू होगा. यानी क्रिप्टो में कारोबार करने वालों के पास फिलहाल 31 मार्च तक की मोहलत है. वित्त मंत्री ने यह भी प्रस्ताव किया कि डिजिटल एसेट्स के दायरे में क्रिप्टोकरेंसी के अलावा NFT समेत सारे टोकन आते हैं, जो सेंट्रल बैंक के फ्रेमवर्क में नहीं हैं. वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी आने आने वाली क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्या हैं है. ये सारे बदलाव बजट पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद 1 अप्रैल 2022 से लागू हो जाएंगे.

क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्या हैं

क्रिप्टोकरेंसी, हाल के दिनों में सबसे नवीनतम और रोमांचक असैट वर्गों में से एक के रूप में उभरी है। भारत में भी, शुरुआती आशंकाओं ने क्रिप्टोकरेंसी की असीमित संभावनाओं में विश्वास पैदा किया है। अपने काम को और अधिक दिलचस्प बनाने और निवेशकों को उनकी क्रिप्टोकरेंसी यात्रा की शुरूआत करवाने के लिए, ZebPay और News18 Network मिल के, डिजिटल करेंसी से संबंधित सभी प्रश्नों का उत्तर देने और उनमें निवेश करने का तरीका समझाने के लिए, वन-स्टॉप मीडिया हब 'क्रिप्टो की समझ' पेश कर रहे हैं। वित्त संबंधी भविष्य जानने के लिए तैयार हो जाइए!

Gold vs Crypto: अगर आप भी गोल्ड और क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने को लेकर कंफ्यूज हैं तो हम आपको बता रहे हैं बिटक्वाइन या गोल्ड में निवेश के लिए कौन बेहतर?

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क्रिप्टोकरेंसी अनियमित डिजिटल एसेट हैं, यह वैध मुद्रा नहीं हैं. इनका पिछला प्रदर्शन क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्या हैं भविष्य के रिटर्न की गांरटी नहीं है. क्रिप्टोकरेंसी में निवेश या ट्रेड करना बाजार जोखिमों और कानूनी जोखिमों के अधीन है.

भारत में फिलहाल कितना बड़ा है किप्‍टो मार्केट?

क्रिप्‍टो एक्‍सचेंजों (Crypto Exchange) के एक अनुमान के मुताबिक, भारत में तकरीबन 1.5 करोड़ लोगों ने क्रिप्‍टोकरेंसी में निवेश किया है. वर्तमान में भारतीय लोगों के पास करीब 15,000 करोड़ रुपये की होल्डिंग है. 350 ऐसे स्‍टार्टअप्‍स हैं, जो ब्‍लॉकचेन (Blockchain) और क्रिप्‍टो मार्केट (Crypto Market in India) से जुड़े हैं. WazirX और कॉइनस्विच कुबेर समेत कई एक्‍सचेंजों पर यूजर्स की मांग लगातार बढ़ रही है. खुद क्रिप्टो एक्‍सचेंज अपने विज्ञापनों के लिए जमकर पैसा बहा रहे हैं.

दूसरी ओर आरबीआई ने किप्‍टोकरेंसी को लेकर चिंता ज़ाहीर कर दी है. इसी साल मार्च महीने में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने एक इवेंट के दौरान कहा कि केंद्रीय बैंक को क्रिप्‍टोकरेंसी को लेकर कई तरह की चिंता है. दास ने कहा, ‘आरबीआई और सरकार, दोनों वित्‍तीय स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमने सरकार को क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कुछ बड़ी चिंताओं के बारे में बताया है. सरकार इसपर जल्‍द ही कोई फैसला करेगी.’

RBI ने अब तक क्‍या किया है?

आरबीआई ने 2018 में सभी बैंकों पर क्रिप्‍टोकरेंसी से जुड़े कारोबार में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IMAI) द्वारा दायर की गई याचिका की सुनवाई के दौरान इसे पलट दिया. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि जब इसे लेकर कोई नियमन क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य क्या हैं तैयार नहीं होता है, तब तक आरबीआई वर्चुअल करेंसी को रेगुलेट कर सकता है लेकिन इस तरह की करेंसी में कारोबार करना किसी भी पेशे में काम करने के मूल अधिकार के दायरे में आता है. कोर्ट का यह फैसला संविधान के आर्टिकल 19 (1)(g) के तहत लिया था, जोकि ट्रेड या बिज़नेस से संबंधित है.

आरबीआई तो स्‍पष्‍ट रूप से क्रिप्‍टोकरेंसी को लेनदेन के माध्‍यम के तौर पर वैधता देने के पक्ष में नहीं है. सरकार ने अभी तक अपना पक्ष साफ नहीं किया है. क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने के लिए सरकार ने ‘क्रिप्‍टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ के नाम से एक बिल पेश करने का प्रस्‍ताव दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के माने तो इस बिल में क्रिप्‍टोकरेंसी (Cryptocurrency Bill) से जुड़े किसी भी काम को गैर-कानूनी बनाने का प्रावधान है. लेकिन अभी तक यह साफ नहीं है कि आखिर कब तक इसे संसद में पेश किया जाएगा.

क्रिप्‍टोकरेंसी क्‍यों खरीद रहे लोग?

अर्थव्‍यवस्‍था के मौजूदा माहौल को देखें तो लोगों के पास क्रिप्‍टोकरेंसी में निवेश को लेकर कोई आकर्षक निवेश विकल्‍प नहीं दिखाई दे रहे हैं. ब्‍याज दरों में लगातार कटौती होने से बैंक डिपॉजिट (Bank deposits) में कोई रुचि नहीं दिखा रही. इसी प्रकार अर्थव्‍यवस्‍था में अन‍िश्चितता और उठापटक की वजह से रियल एस्‍टेट, इक्विटी म्‍यूचुअल फंड में कुछ खास रुचि नहीं देखने को मिल रही है.

कोविड-19 संकट, बैंकिंग निवेश में खराब रिटर्न के बीच क्रिप्‍टोकरेंसी तेजी से पॉपुलर हो रहा है. साथ ही हाल के दिनों में क्रिप्‍टोकरेंसी मार्केट से आ रही खबरों ने भी निवेशकों के सेंटीमेंट को बहुत हद तक प्रभावित किया है.

क्रिप्‍टोकरेंसी को क्‍यों अर्थव्‍यवस्‍था और बैंकिंग सिस्‍टम के लिए जोख़‍िम माना जाता है?

दरअसल, केंद्रीय बैंक का मानना है कि देश की अर्थव्‍यवस्‍था और बैंकिंग सिस्‍टम का केंद्रीकरण ही सबसे बेहतर तरीका होता है यानी सरकार के पास ही अर्थव्‍यवस्‍था और बैंकिंग सिस्‍टम की बागडोर होनी चाहिए. लेकिन बिटकॉइन (Bitcoin) समेत दूसरी क्रिप्‍टोकरेंसी इसके ठीक उलट तरीके से काम करती हैं. उन्‍हें न तो किसी देश का रेगुलेटर और न ही कोई सरकार कंट्रोल करती है. यही कारण है कि केंद्रीय बैंक क्रिप्‍टोरेंसी को संदेह की नज़र से देखते हैं और इसकी ट्रेडिंग पर बैन या कड़े नियमन की वकालत करते हैं. अब कॉमर्शियल बैंक भी क्रिप्‍टोकरेंसी से दूरी बना रहे हैं.

क्रिप्‍टोकरेंसी पर कानूनी प्रावधान नहीं होने का मतलब है कि अगर भविष्‍य में सरकार इस पर बैन लगाने का फैसला करती है तो मौजूदा निवेशकों को भारी नुकसान हो सकता है. यही कारण है कि भारत में क्रिप्‍टोकरेंसी में निवेश को लेकर बड़ा जोख़‍िम है. हाल के दिनों में क्रिप्‍टोकरेंसी मार्केट में उठापटक के बाद अधिकतर लोगों का मानना है कि केवल फायदे की उम्‍मीद में ही इसमें निवेश किया जा रहा है.

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