देश की प्रमुख क्रिप्टाे एक्सचेंज कॉइनडीसीएक्स क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है के को-फाउंडर सुमित गुप्ता से सीधी बात

क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है

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क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है

Photo used for representation purpose only. File | Photo Credit: Reuters

‘‘ये महत्वपूर्ण है कि सभी लोकतांत्रिक देश साथ काम करें और यह सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में ना जाए, जो हमारे युवाओं को बर्बाद कर सकता है।’’

क्रिप्टोकरेंसी और बिटकॉइन का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते गुरुवार, 18 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया की ओर से आयोजित ‘‘सिडनी संवाद’’ में ये बातें कहीं थी। पीएम मोदी क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है ने सभी लोकतांत्रिक देशों से साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया था कि वे क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों में ना जाने दें, अन्यथा युवाओं का भविष्य बर्बाद हो सकता है। उन्होंने डिजिटल क्रांति से उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए समान सोच वाले देशों के एकजुट होने की आवश्यकता पर भी बल दिया था। पीएम मोदी के इस भाषण के बाद देश में क्रिप्टोकरंसी के भविष्य को लेकर बहस एक बार फिर तेज़ हो गई थी।

What is Cryptocurrency Bill: क्रिप्टोकरेंसी बिल आखिर क्या है, सरकार इसकी मदद से क्रिप्टो पर कैसे पाएगी काबू? जानें क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है सबकुछ

क्रिप्टोकरेंसी

क्रिप्टोकरेंसी के अनियमित उतार-चढ़ाव से निवेशकों को बचाने के लिए मोदी सरकार ने सख्त कदम उठाने का फैसला कर लिया है। इसके तहत भारत सरकार ने मंगलवार (23 नवंबर) को क्रिप्टोकरेंसी बिल लाने का एलान किया, जिसके तहत देश में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया जाएगा। इस खबर के सामने आते ही क्रिप्टो क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है मार्केट बुरी तरह धराशायी हो गया। वहीं, सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी में 25 से 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। क्रिप्टो मार्केट में आए इस भूचाल को देखते हुए समझते हैं कि क्या है क्रिप्टोकरेंसी बिल और इसकी मदद से केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर कैसे काबू पाएगी?

विस्तार

क्रिप्टोकरेंसी के अनियमित उतार-चढ़ाव से निवेशकों को बचाने के लिए मोदी सरकार ने सख्त कदम उठाने का फैसला कर लिया है। इसके क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है तहत भारत सरकार ने मंगलवार (23 नवंबर) को क्रिप्टोकरेंसी बिल लाने का एलान किया, जिसके तहत देश में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया जाएगा। इस खबर के सामने आते ही क्रिप्टो मार्केट बुरी तरह धराशायी हो गया। वहीं, सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी में 25 से 30 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। क्रिप्टो मार्केट में आए इस भूचाल को देखते हुए समझते हैं कि क्या है क्रिप्टोकरेंसी बिल और इसकी मदद से केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर कैसे काबू पाएगी?

क्या है क्रिप्टोकरेंसी बिल?
जानकारी के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के लिए केंद्र सरकार की ओर से संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 पेश किया जाएगा। इस बिल के माध्यम से सरकार रिजर्व बैंक इंडिया के तहत एक आधिकारिक क्रिप्टोकरेंसी जारी करने के लिए आसान फ्रेमवर्क तैयार करने की योजना बना रही है। क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है इसकी तकनीक और इस्तेमाल को लेकर भी तैयारी की जा रही है। साथ ही, इस बिल के तहत ऐसा प्रावधान लाया जाएगा, जिससे सारी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लग जाएगा। गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र में पेश करने के लिए 26 बिल सूचीबद्ध किए गए हैं। इनमें क्रिप्टोकरेंसी बिल भी शामिल है।

तीन साल से सरकारी असमंजस: क्रिप्टो में भारतीयों के 6 लाख करोड़ क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है से ज्यादा लग चुके, फ्रॉड हुआ तो धेला क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है भी नहीं मिलेगा

क्रिप्टो करेंसी में अब तक भारतीयों के 6 लाख करोड़ रु. से ज्यादा निवेश क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है हो चुके हैं। देश में कुल 4 क्रिप्टो एक्सचेंज काम कर रही हैं। लेकिन, ज्यादातर निवेशकों को शायद ही इस बात का अंदाजा हो कि यदि कोई हेराफेरी होती है तो वे कानूनी तौर पर कुछ भी नहीं कर पाएंगे। साइबर कानूनों के विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विराग गुप्ता कहते हैं- ‘अनरेगुलेटेड क्रिप्टोमार्केट को विनियमित करने की आवश्यकता क्यों है एक्सचेंज या क्रिप्टो के कारोबारी यदि फ्रॉड करके गायब हो जाएं तो निवेशकों की जमापूंजी डूबनी तय है।

ऐसे में पीड़ित लोगों के पास सिर्फ दो विकल्प हाेंगे। पहला- पुलिस में आपराधिक शिकायत दर्ज कराना। दूसरा- कोर्ट में सिविल मुकदमा दायर करके एक्सचेंज या क्रिप्टो कारोबारी से हर्जाने की मांग करना। लेकिन जिस मामले पर संसद अभी तक कोई कानून नहीं बना पाई है, उस पर एक पुलिस अफसर क्या ही कर लेगा, यह समझा जा सकता है।’ एक वित्तीय कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बैंक, म्यूचुअल फंड या जीरोधा जैसे स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफार्म खोलने के लिए कंपनियों को कई प्रकार के लाइसेंस, जांच और प्रतीक्षा अवधि से गुजरना पड़ता है।

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