HDFC Securities को है इस केमिकल स्टॉक पर भरोसा, 3 महीने में देखने को मिल सकता है 20% तक का अपसाइड, जानिए कहां होना चाहिए स्टॉपलॉस

पिछले 1 साल की अवधि में इस स्टॉक ने 69 फीसदीका रिटर्न दिया है जबकि पिछले 5 साल में यह मल्टीबैगर साबित हुआ है और इसने इस अवधि में 401 फीसदी का रिटर्न दिया है.

HDFC Securities ने अपने हाल में जारी नोट में कहा है कि J B Chemicals & Pharmaceuticals के स्टॉक हाल में डेली चार्ट स्टॉप लॉस कहां होना चाहिए पर भारी वॉल्यूम के साथ डाउनवड स्लोपिंग ट्रेन्डलाइन से बाहर निकलते दिखे है। इस स्टॉक का शॉर्ट टर्म ट्रेन्ड पॉजिटीव नजर आ रहा है क्योंकि यह अपने 5 और 20 DMA से ऊपर कारोबार कर रहा है।

HDFC Securities ने इस स्टॉक को स्टॉप लॉस कहां होना चाहिए अपने टॉप e-margin पोजिशनल पिक के तौर पर चुना है। ब्रोकरेजज हाउस ने JB Chemicals को Buy रेटिंग देते हुए 1985-2100 रुपये का लक्ष्य दिया है। यह लक्ष्य 3 महीने में हासिल होता नजर आ सकता है। HDFC Securities ने इस खरीद के लिए 1600 रुपये के स्टॉपलॉस की सिफारिश की है।

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गौरतलब है कि JB Chemicals की स्थापना 1976 में हुई थी। कंपनी का पूरा नाम J B Chemicals & Pharmaceuticals Ltd. (JBCPL) है। यह एक इंटिग्रेडेड रिसर्च आधारित और पब्लिक लिस्टेंड कंपनी है। जो भारत के साथ-साथ तमाम विदेशी बाजारों में भी कारोबार करती है। कंपनी दुनिया भर के 30 से ज्यादा देशों में अपने प्रोडक्ट एक्सपोर्ट करती है। इसकी आय में आधे से ज्यादा योगदान एक्सपोर्ट से होने वाले कारोबार का है।

JBCPL तमाम स्पेशल प्रोडक्ट बनाती है जिसमें कई तरह के इंजेक्शन, टेबलेट , क्रीम, मरहम, हरबल लिक्विड और कैपसुल शामिल है । पिछले 1 साल की अवधि में इस स्टॉक ने 69 फीसदीका रिटर्न दिया है जबकि पिछले 5 साल में यह मल्टीबैगर साबित हुआ है और इसने इस अवधि में 401 फीसदी का रिटर्न दिया है। 5 साल पहले यह शेयर 348 रुपये पर था । वहीं वर्तमान में यह शेयर 1,746 रुपये के आसपास नजर आ रहा है।

स्टॉप लॉस कहां होना चाहिए

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Stop Loss क्या होता है – स्टॉप लोस क्या है – Share पर स्टॉप लोस कि पूरी जानकारी

शेयर मार्किट में जब हम ट्रेडिंग करते है तो Stop Loss हमारे लिए सबसे ज्यादा कीमती चीज़ होती है . स्टॉप लोस का उपयोग सबसे ज्यादा ट्रेडर्स करते है .

वो लोग जो Intraday Trading करते है या अन्य प्रकार कि ट्रेडिंग करते है उनके लिए स्टॉप लोस बहुत जरुरी है .

स्टॉप लोस को समझने के लिए आपको ट्रेडिंग के बारे में पूरी जानकारी होना चाहिए. बिना ट्रेडिंग कि जानकारी के आप stop loss को ठीक से नहीं समझ पाएँगे .

तो अगर आप ट्रेडिंग के बारे में जानना चाहते है कि ट्रेडिंग क्या है या ट्रेडिंग कैसे करते है एवं इंट्राडे या डे ट्रेडिंग कैसे करे तो हमारी नीचे दी गई पोस्ट को पढ़े .

अगर आप ट्रेडिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में जान गए है तो चलिए अब जानते है Stop Loss शब्द के बारे में कि stop loss का मतलब क्या है.

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Stop Loss Meaning in Hindi

Stop Loss का Meaning हिंदी में = “रुका नुक्सान” होता है , आसान भाषा में समझे तो एक ऐसी इस्थिती जहाँ पर नुकसान रुक जाये .

चलिए अब जानते है stop loss के बारे में कि स्टॉप लोस क्या होता है .

Stop Loss Kya Hota Hai

ट्रेडिंग में stop loss एक ऐसा विकल्प होता है जिसकी मदद से आप एक कीमत को तय करते है जहाँ पर जाकर आपका नुकसान रुक जाये .

उदाहरण के लिए मान लेते है कि आपने 125 रूपए प्रति शेयर कि कीमत से शेयर ख़रीदे और आपको लगता है कि जिस कंपनी के शेयर अपने ख़रीदे है उनकी कीमत बढ़ेगी .

कीमत बढ़ कर 140 रूपए प्रति शेयर तक जाएगी. लेकिन तभी Share कि Price घटना शुरू हो गई और गिरते-गिरते शेयर कि कीमत 100 रूपए प्रति शेयर हो गई .

अब आपको पता चला कि इस कंपनी के शेयर कि कीमत आज बढ़ने कि जगह और घटेगी, ऐसी इस्थिती में अपने सोचा कि चलो अब शेयर को 100 रूपए प्रति शेयर कि कीमत पर बैच देते है ताकि ज्यादा नुकसान न हो .

लेकिन जब तक आप शेयर को बेचने के लिए तैयार हुए तब तक शेयर कि कीमत और घट गई और अब शेयर कि कीमत घट कर 90 रूपए प्रति शेयर हो गई .

अब ऐसी इस्थिती में आपको 35 रूपए प्रति शेयर का नुकसान हो गया.

लेकिन अगर अपने यहाँ stop loss लगाया होता तो आपको इतना नुकसान नहीं होता , क्योंकि आपके stop loss कि कीमत तक पहुच कर आपके ट्रेडिंग अकाउंट से शेयर अपने आप बाजार में बिक जाते .

Stop Loss लगाने से क्या होगा

उदाहरण के लिए अपने जो शेयर 125 रूपए प्रति शेयर कि कीमत पर ख़रीदे है उनपर आप ने 100 रूपए प्रति शेयर कि कीमत पर Stop Loss लगा दिया.

अब मान लेते है कि उस शेयर कि कीमत गिरना शुरू हो गई और गिरते-गिरते 100 रूपए प्रति शेयर पर पहुच गई . तो आपके ट्रेडिंग अकाउंट से शेयर तुरंत 100 रूपए प्रति शेयर कि कीमत पर बिक जायेंगे . इस तरह आपको केवल 25 रूपए प्रति शेयर का नुकसान होगा.

अब आप जान गए है कि स्टॉप लोस क्या होता है एवं स्टॉप लोस क्या है. अगर आप ट्रेडिंग करने के लिए जानना चाहते है कि ट्रेडिंग करते समय stop loss कैसे लगते है तो उसके लिए हमारी नीचे दी गई पोस्ट पढ़े .

अगर आप के मान में Stop Loss Kya Hota Hai से जुड़े कोई सवाल है जो आप पूछना चाहते है तो comment करके पूछ सकता है हम आपको तुरंत जबाब देंगे .

Stop Loss Meaning In Hindi

stop loss meaning in hindi

Stop – Loss यह सुन कर आपके मन में एक सवाल जरुर आया होंगा की क्या सच में स्टॉक मार्केट में ऐसा हो सकता हैं तो मे आपको बता दू की यह टोपिक (stop loss meaning in hindi) शेयर बाज़ार के किसी टिप्स या सुचन पर बेस्ड नहीं है बल्कि यह आर्टिकल स्टॉक मार्केट की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजि Stop – Loss के बारेंमे है जिसे SL के शोर्ट नाम से भी जाना जाता हैं, वैसे आपने इसके बारेंमे जरुर सुना होंगा मगर आज हम इसे पूर्ण विस्तार से समजेंगे तो चलिए शुरू करते हैं

स्टॉपलॉस क्या होता हैं :-

तो दोस्तों ‘स्टॉपलॉस’ यह ट्रेडिंग की एक विशेष प्रकार की सुविधा है जो केवल हमें इस ‘इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म’ के माध्यम से देखने को मिली हैं, इसके नाम से ही पता चलता है की यह हमारे ट्रेडिंग लोस को रोकता है जिनसे हम हमारी नुकसानी को कम कर सकते हैं

इसको आगे हम इनके कुछ उदाहरणों के साथ भी समजेंगे फिलहाल, हमें यह समजना होंगा की यह होता क्या है और स्टॉक मार्केट में इसको कैसे प्रयोग करें

‘स्टॉपलॉस’ का इस्तेमाल ज्यादातर Intraday Trading में किया जाता हैं, यह शेयरों की खरीदी और बिकवाली दोनों पर अप्लाई किया जा सकता हैं, इसमें एक बात का अवश्य ध्यान रखे की हम इस टोपिक में केवल BSE/NSE के Cash Market की बात कर रहे है नाकी Future & Option Trading की तो चलिए इसीके साथ आगे बढ़ते हैं

पहले तो इसका इस्तेमाल हमारें ब्रोकर्स के द्वारा या खुद मोबाइल ट्रेडिंग के जरिये भी कर सकते हैं, तो स्टॉपलॉस का इस्तेमाल खरीदी और बिकवाली दोनों पोजीशन पर किया जा सकता हैं

स्टॉपलॉस ऑर्डर का एक विशेष महत्व है और वो ये की स्टॉपलॉस ऑर्डर पहले तो हमारें पुराने ऑर्डर की नुकसानी को बढ़ने से रोकता हैं और दूसरा प्रोफिट को बढ़ने स्टॉप लॉस कहां होना चाहिए के लिए मार्केट क्लोज़ होने तक सीमीत रखता हैं

Stop – Loss की प्रेक्टिकल समज :-

‘स्टॉपलॉस’ को थोडा प्रेक्टिकली समजते है मानलीजिये किसी स्टॉक को हमने इंट्राडे पर ख़रीदा है जिनसे मार्केट खत्म होने से पहले उसे बेचना जरुरी होना मगर हम उस स्टॉक पर मार्केट क्लोजिंग तक रुकना चाहते है

साथ ही हमने यह भी नक्की किया है की इस स्टॉक पर यदि लोस होंगा तो वो केवल इतनाही होंगा तो इसके लिए हमें स्टॉक खरीदने के तुरंत बाद उसको बेचने का स्टॉपलॉस लगा देना चाहिए

अब एक बात का अवश्य ध्यान रखे की Pending Order (Limit) और Stop – Loss Order (Limit) दोनों एक सिक्के के दो पहलु हैं, अब मार्केट सौदे के अलावा यह दोनों ऑर्डर Limit कहे जायेंगे

अब उस स्टॉक पर स्टॉपलॉस की प्राइस कैसे नक्की की जाती हैं तो उस स्टॉक के Current Market Price (CMP) के हिसाबसे स्टॉपलॉस प्राइस चुनी जाती है अब इसके लिए हमें लिमिट ऑर्डर को समजना होंगा

यदि किसी स्टॉक को बेचने की लिमिट CMP या उनसें आगे (ज्यादा) की होंगी वैसे ही किसी स्टॉक को खरीदने की लिमिट CMP या उनसे पीछें (कम) की होंगी तो यह एक फंडा तो क्लीयर हैं

तो अब आते है स्टॉपलॉस प्राइस पर तो यह बिल्कुल सिम्पल है इसमें मिलित प्राइस से बिल्कुल विपरीत की प्राइस डाली जाती हैं, इसे भी विस्तार से समजते है

स्टॉपलॉस ऑर्डर कभी भी मार्केट ऑर्डर नहीं कहलाता है क्योंकि स्टॉपलॉस ऑर्डर की लिमिट सबमिट की जाती है न की मार्केट प्राइस पर सौदा किया जाता हैं

अब किसी स्टॉक को बेचने के स्टॉपलॉस ऑर्डर में CMP से कम की दो कीमतों को डाला जाता हैं इसे आगे उदाहरण के माध्यम से विस्तार से समजेंगे, अब स्टॉप लॉस कहां होना चाहिए वैसे ही किसी स्टॉक को खरीदने के स्टॉपलॉस ऑर्डर में CMP से ज्यादा की दो कीमतों को डाला जाता हैं

Stop – Loss का उदाहरण :-

चलिए अब ‘स्टॉपलॉस’ को उदाहरण के माध्यम से विस्तारपूर्वक समजते हैं, इसमें हम दो उदाहरणों का स्टॉप लॉस कहां होना चाहिए इस्तेमाल करेंगे और दोनों ही इंट्राडे ट्रेडिंग पर बेस होंगे जिसमे एक तो होंगा खरीदी के समय बिकवाली का स्टॉपलॉस कैसे लगाए और दूसरा बिकवाली के समय खरीदी का स्टॉपलॉस कैसे लगाए तो चलिए इन दोनों उदाहरणों को वन बाय वन समजते हैं

उदाहरण नंबर 1

मानलीजिये Tata Steel के 100 शेयर Rs.1200 में ख़रीदे हैं जिसे केवल इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए यानि मार्केट क्लोस होने से पहले स्क्वेरअप (Sell) कर लिया जायेंगा

इस स्टॉक में नुकसानी करने की मेरी क्षमता केवल Rs.20 है जिनसे इस स्टॉक की स्टॉपलॉस प्राइस होंगी Rs.1180 और Rs.1181 इन दोनों प्राइस के बिच की दूरी को इसके CMP स्टैंड के मुताबिक नक्की कर सकते हैं और इसमें जो बड़ी प्राइस होती है उसे Trigger Price कहा जाता हैं

अब इसमें दो बातें होती है –

  • पहलीं यदि हमारा यह स्टॉपलॉस का ऑर्डर पास हो जाता है तो हमारे शेयर्स के मुताबिक Rs.2000 का तकरीबन लोस होंगा
  • दूसरी बात यदि यह स्टॉपलॉस का ऑर्डर पास नहीं होता है जिसका मतलब स्टॉक की प्राइस Rs.1180 के ऊपर ही है और Rs.1200 के ऊपर हुए फिर तो प्रोफिट ही हैं जिसे मार्केट क्लोजिंग से पहले स्क्वेरअप कर लिया जाता हैं और उस स्टॉपलॉस के ऑर्डर को रद्द कर दिया जाता हैं

उदाहरण स्टॉप लॉस कहां होना चाहिए नंबर 2

मानलीजिये TCS के 50 शेयर Rs.3700 में बेचे हैं अब जबकि हम इंट्राडे ट्रेडिंग की बात कर रहे हैं तो इस सौदे को Short Selling कहा जायेंगा जिनसे मार्केट क्लोस होने से पहले इस सौदे को स्क्वेरअप (Buy) करना जरुरी हो जाता हैं

अब इस स्टॉक में नुकसानी करने की मेरी क्षमता केवल Rs.50 है जिनसे इस स्टॉक की स्टॉपलॉस प्राइस होंगी Rs.3750 और Rs.3755 इसमें जो बड़ी प्राइस होती है उसे Trigger Price कहा जाता हैं

अब इसमें भी दो बातें होती है –

  • पहलीं तो यदि हमारा यह स्टॉपलॉस का ऑर्डर पास हो जाता है तो हमारे शेयर्स के मुताबिक लगभग Rs.2500 की नुकसानी होंगी
  • दूसरी बात यदि यह स्टॉपलॉस का ऑर्डर नहीं भी पास होता है तब इसका यह मतलब होंगा की प्राइस Rs.3750 के नीचें ही है और यदि Rs.3700 के नीचें है फिर तो प्रॉफिट ही हैं जिसे मार्केट क्लोजिंग से पहले अनिवार्य रूप से स्क्वेरअप कर लिया जाता हैं और उस स्टॉपलॉस के ऑर्डर को रद्द कर दिया जाता हैं

निष्कर्ष :-

तो दोस्तों हमने इस आर्टिकल (stop loss meaning in hindi) में स्टॉपलॉस क्या होता हैं और इसे स्टॉक मार्केट में कैसे इस्तेमाल किया जाता है इसकी संपूर्ण इन्फोर्मेशन प्राप्त की साथ ही इसे स्टॉप लॉस कहां होना चाहिए प्रेक्टिकल रूप से भी जाना और इसके दो उदाहरणों को देखा जिसमे हमने समजा की शेयर्स की खरीदी करने के बाद उसका Selling का Stop – Loss कैसे रखा जाता है और साथ ही किसी स्टॉक में बिकवाली यानि शोर्ट सेल्लिंग करने के बाद उसका Buying का Stop – Loss कैसे सबमिट किया जाता हैं यही हमारा यह टोपिक समाप्त होता हैं, आप का धन्यवाद

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