कोरोना काल में बढ़ा विदेशी निवेश (Image: Pixabay)

SAR/INR - सऊदी रियाल भारतीय रुपया

SAR INR (सऊदी रियाल बनाम भारतीय रुपया) के विदेशी मुद्रा किस समय खुलती है बारे में जानकारी यहां उपलब्ध है। आपको ऐतिहासिक डेटा, चार्ट्स, कनवर्टर, तकनीकी विश्लेषण, समाचार आदि सहित इस पृष्ठ के अनुभागों में से किसी एक पर जाकर अधिक जानकारी मिल जाएगी।

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विदेशी निवेशकों की बिकवाली और गोल्ड में आई गिरावट से विदेशी मुद्रा भंडार घटा, जानिए RBI के खजाने में अब कितना है

रिजर्व बैंक के होल्डिंग में गोल्ड रिजर्व भी होता है. सोने की कीमत में आई गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा किस समय खुलती है रिजर्व बैंक का गोल्ड रिजर्व 1.7 बिलियन डॉलर घटकर 42 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया.

विदेशी निवेशकों की बिकवाली और गोल्ड में आई गिरावट से विदेशी मुद्रा भंडार घटा, जानिए RBI के खजाने में अब कितना है

इस सप्ताह भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में भारी गिरावट आई है. रुपए को सपोर्ट करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) ने डॉलर को बेचा जिसके कारण इस सप्ताह देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.6 बिलियन डॉलर की गिरावट के साथ 619.विदेशी मुद्रा किस समय खुलती है 6 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. पिछले सप्ताह इसमें 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई थी. रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia-Ukraine Crisis) के कारण करेंसी मार्केट में वोलाटिलिटी काफी ज्यादा है. ऐसे में आरबीआई ने गिरते रुपए को संभालने के लिए डॉलर रिजर्व को बेचा है.

रिजर्व बैंक के होल्डिंग में गोल्ड रिजर्व भी होता है. सोने की कीमत में आई गिरावट के कारण रिजर्व बैंक का गोल्ड रिजर्व 1.7 बिलियन डॉलर घटकर 42 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया. फॉरन करेंसी असेट यानी FCA में 703 मिलियन डॉलर की गिरावट दर्ज की गई और यह घटकर 553 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया.

गोल्ड में लगातार आ रही है गिरावट

इस सप्ताह MCX पर अप्रैल डिलिवरी वाला सोना 51888 रुपए के स्तर पर बंद हुआ. जून डिलिवरी वाला सोना 52381 रुपए प्रति दस ग्राम के स्तर पर बंद हुआ. यूक्रेन क्राइसिस के बीच 8 मार्च को अप्रैल डिलिवरी वाला सोना 55558 रुपए प्रति दस ग्राम के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया. हालांकि, उसके बाद से लगातार इसमें गिरावट देखी जा रही है. जून डिलिवरी वाला सोना 56163 रुपए के स्तर तक पहुंचा था. उसके बाद से इसमें भी लगातार गिरावट आ रही है.

FII की बिकवाली विदेशी मुद्रा किस समय खुलती है से रुपए पर दबाव बढ़ा

रिजर्व बैंक समय-समय पर डॉलर रिजर्व को बेचकर करेंसी की वैल्यु को बरकरार रखता है. शेयर बाजार से फॉरन इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FII) लगातार बिकवाली कर रहे हैं जिसके कारण डॉलर आउटफ्लो था. यही वजह है कि रिजर्व बैंक को डॉलर रिजर्व बेचना पड़ा. हालांकि, पिछले कुछ कारोबारी सत्रों से विदेशी निवेशक खरीदारी कर रहे हैं. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि विदेशी निवेशक जैसे-जैसे खरीदारी करेंगे, वैसे-वैसे रुपए में मजबूती आएगी. रिलायंस सिक्यॉरिटीज के सीनियर रिसर्च ऐनालिस्ट श्रीराम अय्यर ने कहा कि अगले कुछ सप्ताह में रुपया 76 के स्तर तक पहुंच सकता है.

इस सप्ताह डॉलर के मुकाबले 76.22 के स्तर पर बंद हुआ रुपया

विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा के कमजोर होने के बीच अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को रुपया कारोबार के विदेशी मुद्रा किस समय खुलती है विदेशी मुद्रा किस समय खुलती है अंत में 11 पैसे की तेजी के साथ 76.22 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया विदेशी मुद्रा किस समय खुलती है अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 76.15 पर खुला. कारोबार के दौरान रुपए ने 76.12 रुपए के दिन के उच्चस्तर और 76.29 के निचले स्तर को छुआ. गुरुवार को रुपया छह पैसे के सुधार के साथ 76.33 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.

रुपये के कमजोर या मजबूत होने का मतलब क्या है?

अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का प्रयोग करते हैं

रुपये के कमजोर या मजबूत होने का मतलब क्या है?

विदेशी मुद्रा भंडार के घटने और बढ़ने से ही उस देश की मुद्रा पर असर पड़ता है. अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी का रुतबा हासिल है. इसका मतलब है कि निर्यात की जाने वाली ज्यादातर चीजों का मूल्य डॉलर में चुकाया जाता है. यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत से पता चलता है कि भारतीय मुद्रा मजबूत है या कमजोर.

अमेरिकी डॉलर को वैश्विक करेंसी इसलिए माना जाता है, क्योंकि दुनिया के अधिकतर देश अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में इसी का विदेशी मुद्रा किस समय खुलती है प्रयोग करते हैं. यह अधिकतर जगह पर आसानी से स्वीकार्य है.

इसे एक उदाहरण से समझें
अंतर्राष्ट्रीय कारोबार में भारत के ज्यादातर बिजनेस डॉलर में होते हैं. आप अपनी जरूरत का कच्चा तेल (क्रूड), खाद्य पदार्थ (दाल, खाद्य तेल ) और इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम अधिक मात्रा में आयात करेंगे तो आपको ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ेंगे. आपको सामान तो खरीदने में मदद मिलेगी, लेकिन आपका मुद्राभंडार घट जाएगा.

मान लें कि हम अमेरिका से कुछ कारोबार कर रहे हैं. अमेरिका के पास 68,000 रुपए हैं और हमारे पास 1000 डॉलर. अगर आज डॉलर का भाव 68 रुपये है तो दोनों के पास फिलहाल बराबर रकम है. अब अगर हमें अमेरिका से भारत में कोई ऐसी चीज मंगानी है, जिसका भाव हमारी करेंसी के हिसाब से 6,800 रुपये है तो हमें इसके लिए 100 डॉलर चुकाने होंगे.

अब हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में सिर्फ 900 डॉलर बचे हैं. अमेरिका के पास 74,800 रुपये. इस हिसाब से अमेरिका के विदेशी मुद्रा किस समय खुलती है विदेशी मुद्रा भंडार में भारत के जो 68,000 रुपए थे, वो तो हैं ही, लेकिन भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में पड़े 100 डॉलर भी उसके पास पहुंच गए.

अगर भारत इतनी ही राशि यानी 100 डॉलर का सामान अमेरिका को दे देगा तो उसकी स्थिति ठीक हो जाएगी. यह स्थिति जब बड़े पैमाने पर होती है तो हमारे विदेशी मुद्रा भंडार में मौजूद करेंसी में कमजोरी आती है. इस समय अगर हम अंतर्राष्ट्रीय बाजार से डॉलर खरीदना चाहते हैं, तो हमें उसके लिए अधिक रुपये खर्च करने पड़ते हैं.

कौन करता है मदद?
इस तरह की स्थितियों में देश का केंद्रीय बैंक RBI अपने भंडार और विदेश से खरीदकर बाजार में डॉलर की आपूर्ति सुनिश्चित करता है.

आप पर क्या असर?
भारत अपनी जरूरत का करीब 80% पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है. रुपये में गिरावट से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात महंगा हो जाएगा. इस वजह से तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़ा सकती हैं.

डीजल के दाम बढ़ने से माल ढुलाई बढ़ जाएगी, जिसके चलते महंगाई बढ़ सकती है. इसके अलावा, भारत बड़े पैमाने पर खाद्य तेलों और दालों का भी आयात करता है. रुपये की कमजोरी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों और दालों की कीमतें बढ़ सकती हैं.

यह है सीधा असर
एक अनुमान के मुताबिक डॉलर के भाव में एक रुपये की वृद्धि से तेल कंपनियों पर 8,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ता है. इससे उन्हें पेट्रोल और डीजल के भाव बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ता है. पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतों में 10 फीसदी वृद्धि से महंगाई करीब 0.8 फीसदी बढ़ जाती है. इसका सीधा असर खाने-पीने और परिवहन लागत पर पड़ता है.

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600 अरब डॉलर से ज्‍यादा विदेशी मुद्रा रखने वाला दुनिया का 5 वां देश बना भारत, रूस से है बस इतना पीछे

बीते एक साल में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 100 अरब डॉलर का इजाफा हुआ है। पिछले साल 5 जून को भारत ने विदेशी मुद्रा में में 500 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जिसके बाद से लगातार भारत की विदेशी पूंजी में इजाफा देखने को मिल रहा है।

600 अरब डॉलर से ज्‍यादा विदेशी मुद्रा रखने वाला दुनिया का 5 वां देश बना भारत, रूस से है बस इतना पीछे

कोरोना काल में बढ़ा विदेशी निवेश (Image: Pixabay)

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर को पार करने के साथ रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है। भारत अब उन देशों के क्‍लब में शामिल हो गया है जिनके पास 600 अरब डॉलर से ज्‍यादा फॉरेक्‍स रिजर्व है। वैसे भारत के मुकाबले चीन के पास 5 गुना और जापान के पास दो गुना विदेशी मुद्रा भंडार है। वहीं रूस से भारत काफी कम अंतर से पीछे है , जिसे देश काफी जल्‍दी पीछे छोड़ सकता है। वहीं टॉप थ्री में पहुंचने के लिए भारत को थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है। तीसरे पायदान पर स्विट्जरलैंड है , जिसके पास एक हजार अरब डॉलर से ज्‍यादा का विदेशी मुद्रा भंडार है। जानकारों की मानें तो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने का कारण विदेशी निवेशकों का लगातार भारतीय बाजार में निवेश है।

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 4 जून को खत्‍म हुए सप्‍ताह में 6.842 अरब डॉलर का इजाफा हुआ। जिसके बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 605.008 अरब डॉलर प‍हुंच गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 7.362 अरब डॉलर बढ़कर 560.890 अरब डॉलर हो गईं। आपको बता दें क‍ि 28 मई को हुए समाप्‍त सप्‍ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 5.271 अरब डॉलर का इजाफा लेकर 598.165 अरब डॉलर हो गया था।

गोल्‍ड रिजर्व में गिरावट : अगर गोल्‍ड रिजर्व की करें तो इस दौरान इसमें गिरावट देखने को मिली है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार स्वर्ण भंडार 50.2 करोड़ डॉलर घटकर 37.604 अरब डॉलर पर आ गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ में विशेष आहरण अधिकार 10 लाख डॉलर घटकर 1.513 अरब डॉलर रह गए हैं। वहीं , आईएमएफ के पास आरक्षित देश का भंडार भी 1.6 करोड़ डॉलर घटकर पांच अरब डॉलर रह गया।

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दुनिया के टॉप 5 देशों में शामिल : भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर होने के साथ ही दुनिया के टॉप देशों में शामिल हो गया है। जिनका विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर या उससे ज्‍यादा है। भारत से आगे रूस , स्विट्जरलैंड , जापान और चीन हैं। जबकि दुनिया के तमाम अमीर देश जैसे सिंगापुर , जर्मनी , यूके , फ्रांस , इटली जैसे देशों को काफी पीछे छोड़ दिया है। अमरीका इस मामले में 21 वें पायदान पर है।

अभी लंबा है टॉप 3 का सफर : भले ही दुनियाभर विदेशी निवेश भारत में पूंजी लगा रहे हों और भारत की विदेशी पूंजी में इजाफा करने में मदद कर रहे हों , लेकिन टॉप थ्री की पोजिशन हासिल करने में भारत को अभी थोड़ा लंबा सफर तय करना पड़ सकता है। आंकड़ों को देखें तो तीसरे पायदान पर स्विट्जरलैंड है जिसके पास विदेशी मुद्रा भंडार 1070.369 अरब डॉलर विदेशी भंडार है। इसी रफ्तार के साथ भारत आगे बढ़ता है तो यहां तक पहुंचने में भारत को पांच साल तक का इंतजार करना पड़ सकता है।

चीन 5 गुना तो जापान दोगुना आगे : दुनिया मतें सबसे ज्‍यादा विदेशी मुद्रा भंडार रखने वाला चीन भारत के मुकाबले इस में मामले पांच गुना आगे हैं। चीन के पास मौजूदा समय में 3330.405 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार है। जबकि एशिया का दूसरा सबसे सबसे संपन्‍न देश जापान के पास विदेशी विदेशी मुद्रा भारत से दोगुना से भी ज्‍यादा है। जापान के पास मौजूदा समय में 1378.467 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार है। ऐसे में भारत को पहुंचने में ज्‍यादा समय लग सकता है।

रूस को जल्‍द छोड़ सकता है पीछे : वहीं बात रूस की करें तो भारत जल्‍द पीछे छोड़ सकता है। दोनों के बीच 192 मिलियन डॉलर का अंतर है। मौजूदा समय में रूस का विदेशी मुद्रा भंडार 605.200 अरब डॉलर है। अगर भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में यही तेजी जारी रहती है तो अगले सप्‍ताह के आंकड़ों में भारत रूस को पीछे छोड़ता दिखाई दे सकता है।

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