यद्यपि विश्व बाजार में भारत का अंशदान लगभग एक प्रतिशत ही है फिर भी देश से बागवानी उपज की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है। देश में अद्यतन कोल्ड चेन आधारभूत सुविधाओं तथा गुणवत्ता आश्वस्तता तरीकों में समवर्ती विकास से यह संभव हो वृहद है। निजी क्षेत्र द्वारा वृहद निवेश किए जाने के अलावा सार्वजनिक मुख्य व्यापारिक शर्तें क्षेत्र ने भी पहलकदमियां की हैं और एपीडा की सहायता से देश में विभिन्न बिक्री कार्गों केन्द्रों तथा समेकित कटार्इ उपरांत सुविधाओं का सृजन किया गया है। इस प्रयास से किसानों, संसाधकों और निर्यातकों के स्तर पर क्षमता विकास पहलकदमियां से भी काफी सहायता मिली है।
नियम व शर्तें
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देश का लगभग 88% कार्यबल असंगठित क्षेत्र में लिप्त है और उन्हें पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं मिल रहे हैं। असंगठित कामगारों जैसे बीडी कामगार, सिने कामगार, भवन एवं अन्य सन्निर्माण कामगार आदि के विशिष्ट समूह/ उप समूह के लिए केंद्र सरकार द्वारा कुछ कल्याणकारी योजनाएं कार्यान्वित की जा रही है। सरकार असंगठित क्षेत्र कामगारों के कुछ वर्गों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रमों कार्यान्वित कर रही है तथा गैर सरकारी संगठन भी कामगारों के कुछ वर्गों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं। असंगठित क्षेत्र कामगारों के सभी समूहों को विशेष कल्याणकारी योजनाएं प्रदान करने के लिए, केंद्र सरकार ने असंगठित कामगार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 को अधिनियमित किया। इस अधिनियम को अब सामाजिक सुरक्षा पर संहिता में उप समन्वययित कर दिया गया है जो कि एक सामान्य कल्याणकारी दृष्टिकोण है।
अनुबंधितश्रमिक का संदर्भ उस व्यक्ति से है,जिसे एक विशिष्ट कार्य और अवधि के लिए एक ठेकेदार के माध्यम से एक कंपनी में कार्य करने के लिए नियोजित किया गया है। कंपनियां ठेकेदारों को कार्य पर रखती हैं, जो बदले में इन कामगारों को विभिन्न नौकरियों के लिए भर्ती करते हैं। किसी भी प्रतिष्ठान में कामागारों के साथ दुर्व्यवहार को रोकने के लिए और उनके लिए एक स्वस्थ कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए, अनुबंध श्रम विनियमन और उन्मूलन अधिनियम 1970 में आरंभ किया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य अनुबंध श्रमको समाप्त करना है और जहां आवश्यक हो,स्थापनाओं और ठेकेदारों के पंजीकरण और कानून के संचालन में केंद्र और राज्य सरकार को परामर्श देने के लिए सलाहकार बोर्डों की स्थापना के माध्यम से उनकी सेवा शर्तों का विनियमन करना है। इस अधिनियम को कार्य दशाएंसंबंधी व्यावसायिक सुरक्षा स्वास्थ्य में उप-समन्वयित किया गया है।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम
यह केन्द्र प्रवर्तित योजना है। योजनांतर्गत सभी वर्ग के हितग्राहियों को बैंक से सुगमता पूर्वक ऋण प्राप्त हो सके इस उद्देश्य से योजना दिनांक 01.08.2008 से प्रारंभ की गई। योजना का उद्देश्य समाज के सभी वर्गो के लिए स्वयं का उद्योग/ सेवा हेतु उद्यम स्थापित करने हेतु बैंकों के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराना। इस योजना के मुख्य व्यापारिक शर्तें तहत हितग्राहियों को नियमानुसार मार्जिन मनी अनुदान देने का प्रावधान है।
योजना का लाभ प्राप्त करने की प्रक्रिया / विधि
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मुख्य व्यापारिक शर्तें
- योजनांतर्गत सभी वर्ग के हितग्राहियों को निर्धारित प्राप्त में जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र में आवेदन करना होगा।
- सभी आवेदन पंजीबध्द किये जायेंगे।
- कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला मुख्य व्यापारिक शर्तें स्तरीय टास्क फोर्स समिति की बैठक आयोजित की जाती है।
योजना का लाभ प्राप्त करने के शर्तें
मुख्य व्यापारिक शर्तें
भारत की विविध जलवायु ताज़ा फल और सब्जियों के सभी किस्मों की उपलब्धता को सुनिश्चित करती है। यह चीन के बाद विश्व में फलों और सब्जियों के उत्पादन में दूसरे स्थान मुख्य व्यापारिक शर्तें पर है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय बागवानी डेटाबेस (दूसरे अग्रिम अनुमान) के अनुसार वर्ष 2019-20 के दौरान भारत में फलों का उत्पादन 99.07 मिलियन मीट्रिक टन व सब्जियों का उत्पादन 191.77 मिलियन मीट्रिक टन हुआ। फलों की खेती 6.66 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र पर की गई जबकि सब्जियों की खेती के 10.35 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र पर की गई।
एफएओ के अनुसार (2019) भारत सब्जियों में अदरक और भिंडी का सबसे अधिक उत्पादन करता है और आलू, प्याज़, फूलगोभी, बैंगन, पत्तागोभी आदि उत्पादन में दूसरे स्थान पर हैं। फलों में केला (26.08%), पपीता (44.05%), आम (मंगुष्ठ और अमरूद सहित (45.89%) देश में प्रथम स्थान पर है।
विदेश व्यापार नीति 2015-2020 जारी की गई
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार की पांच साल (2015 से 2020) की पहली विदेश व्यापार नीति-2015-20 नई दिल्ली में 1 अप्रैल 2015 को जारी किया.
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री मुख्य व्यापारिक शर्तें निर्मला सीतारमण ने भारत सरकार की पांच साल (2015 से 2020) की पहली विदेश व्यापार नीति-2015-20 नई दिल्ली में 1 अप्रैल 2015 को जारी किया.
इस पंचवर्षीय विदेश व्यापार नीति में वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार सृजन करने और प्रधानमंत्री के 'मेक इन इंडिया' विजन को ध्यान में रखते हुए देश में मूल्य संवर्द्धन को नई गति प्रदान करने की रूपरेखा का जिक्र किया गया है. इस नीति में विनिर्माण एवं सेवा दोनों ही क्षेत्रों को समर्थन देने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है. वहीं, विदेश व्यापार नीति-2015-20 में 'कारोबार करने को और आसान बनाने' पर विशेष जोर दिया गया है.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 560