अंतर्राष्टीर्य बाजार में डॉलर के मुकाबले रूपया में गिरावट आ रही है| रूपया 72 के भी ऊपर पहुंच गया है| पहला मुख्य कारण अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर है| इसके चलते लोगों का विश्वास डॉलर पर ज़्यादा है।
वर्तमान 2018 में डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों गिर रहा है?
अमेरिकी डॉलर को अंतर्राष्ट्रीय भुगतान के साधन के रूप में विश्व स्तर पर स्वीकार किया जाता है। इसलिए, जब दोनों देश व्यापार में शामिल होते हैं, तो वे अमरीकी डालर में लेन देन बनाते हैं। इसका मतलब यह है कि आमतौर पर अन्य देशों की मांग में अमरीकी डालर अधिक है। हालांकि, इसकी आपूर्ति सीमित है।
अब, यदि आप सामान्य रूप से "मांग-आपूर्ति" कानून लागू करते हैं, तो यह स्पष्ट है कि अमरीकी डालर की कीमत भारत के रुपयों से अधिक होगी | यह एक बहुत ही बुनियादी व्याख्या है।
अब सवाल आता है कि क्यों नियमित रूप से अमरीकी डालर के डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है खिलाफ भारतीय रूपए में गिरावट आ रही है, तो यह एक बहुत सारे कारकों पर निर्भर करता है।
जैसा की भारत निर्यात(Export ) से अधिक आयात(Import) करता है। इससे बैलेंस शीट पर डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है घाटा प्रदर्शित होता है | जो भारतीय मुद्रा को कमजोर करता है।
रुपये के कमजोर होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को होने वाले फायदे और नुकसान
1 जनवरी 2018 को एक डॉलर का मूल्य 63.88 था. इसका मतलब है कि जनवरी 2018 से अक्टूबर 2018 तक डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपये में लगभग 15% की गिरावट आ गयी है. इस लेख में हम यह बताने जा रहे हैं कि रुपये की इस गिरावट का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.
भारत में इस समय सबसे अधिक चर्चा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारत के गिरते रुपये के मूल्य की हो रही है. अक्टूबर 12, 2018 को जब बाजार खुला तो भारत में एक डॉलर का मूल्य डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है 73.64 रुपये हो गया था. ज्ञातव्य है कि 1 जनवरी 2018 को एक डॉलर का मूल्य 63.88 था. इसका मतलब है कि जनवरी 2018 से अक्टूबर 2018 तक डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपये में लगभग 15% की गिरावट आ गयी है.
एक डॉलर की कीमत 80 रुपए के पार- 2014 से अब तक 25% गिरावट, जानें क्यों हुआ ऐसा हाल
बिजनेस डेस्कः रुपया 19 जुलाई को रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। 1 डॉलर के मुकाबले रुपया 80.01 रुपया हो गया है। रुपया आज 4 पैसे कमजोर होकर खुला है। इससे पहले सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 79.97 पर बंद हुआ था। पिछले एक महीने में रुपया 2% से भी ज्यादा टूट चुका है। जानकारी दें कि एक साल में रुपया डॉलर के सामने 7.4% नीचे गिर गया है।
कच्चे तेल की कीमत बढ़ी से हुआ ऐसा हाल
रुपया के निचले स्तर पर पहुंचने का कारण सरकार ने कच्चे तेल की कीमत को छहराया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में रुपए के टूटने के कारण बताए। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन जंग जैसे ग्लोबल फैक्टर, कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और ग्लोबल फाइनेंशियल कंडीशन्स का कड़ा होना रुपए के कमजोर होने का कारण है।
रुपये के कमजोर होने से भारतीय अर्थव्यवस्था को होने वाले फायदे और नुकसान
1 जनवरी 2018 को एक डॉलर डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है का मूल्य 63.88 था. इसका मतलब है कि जनवरी 2018 से अक्टूबर 2018 तक डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपये में लगभग 15% की गिरावट आ गयी है. इस लेख में हम यह बताने जा रहे हैं कि रुपये की इस गिरावट का भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है.
भारत में इस समय सबसे अधिक चर्चा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारत के गिरते रुपये के मूल्य की हो रही है. अक्टूबर 12, 2018 को जब बाजार खुला तो भारत में एक डॉलर का मूल्य 73.64 रुपये हो गया था. ज्ञातव्य है कि 1 जनवरी 2018 को एक डॉलर का मूल्य 63.88 था. इसका मतलब है कि जनवरी 2018 से अक्टूबर 2018 तक डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपये में लगभग 15% की गिरावट आ गयी है.
आखिर क्यों गिरता जा रहा रुपया (Rupee)?
Business today ने इसी ख़बर के संदर्भ में एक रिपोर्ट में रिलायंस सिक्योरिटीज (Reliance Securities) के वरिष्ठ शोध विशेषज्ञ श्रीराम अय्यर के हवाले से लिखा है कि अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपया की कीमतों में गिरावट के पीछे की वजह दुनिया भर के आर्थिक हालात और बॉन्ड यील्ड (Bond Yield) को लेकर संशय की वजह से ग्लोबल इक्विटी की कीमतों का कमजोर होना हो सकता है।
वहीं फॉरेक्स ट्रेडर्स का कहना है कि मुद्रास्फीति (Inflation) पर लगाम लगाने के लिए दुनिया भर के तमाम केंद्रीय बैंकों द्वारा आर्थिक नीतिगत दरों में इज़ाफ़ा करना है।
भारत मे भी पिछले हफ़्ते रिजर्व बैंक ने रेपो दर (Rapo) व कैश रिज़र्व रेश्यो (CRR) को बढ़ा दिया था। इसके बाद यह उम्मीद थी कि मुद्रास्फीति शायद नियंत्रण में आ जाये लेकिन सच तो यही है कि अगर ऐसा होता भी है तो इतनी जल्दी यह सब नियंत्रण में होना संभव नहीं था।
बढ़ सकता है चालू खाता घाटा (Current Account Deficit)….
रिज़र्व बैंक अभी तक भारत के चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) जो लगातार बढ़ता जा रहा था, उसे अपने फोरेक्स रिज़र्व का इस्तेमाल कर के कम कर रहा था। अब भारत का फोरेक्स रिज़र्व भी गिरकर इस साल 600 बिलियन डॉलर से नीचे आ गया है।
डॉलर के मुकाबले रुपया (Rupee) की कीमत के गिरने का अर्थ यह हुआ कि अगर हम अब कच्चा तेल का आयात करेंगे तो हमे ज्यादा पैसा खर्च करना होगा। फोरेक्स रिज़र्व का भी कम होते जाने से हम किसी देश को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा में ही पेमेंट करने से बचेंगे।
इसका सीधा अर्थ हुआ कि चालू खाता घाटा बढ़ने लगेगा साथ ही देश के भीतर महंगाई भी बढ़ेगी।
रुपया पर राजनीति… विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर
रुपया की कीमत को लेकर विपक्ष मोदी जी पर लगातार हमलावर है। सोशल मीडिया पर मोदीजी का वह पुराना भाषण वायरल हो रहा है जिसमें गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर रुपये डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है की क़ीमतों को लेकर हमलावर हैं।
अगस्त 2013 को अहमदाबाद में एक भाषण में मोदी जी ने कहा था, “आज देखिये, रुपये की डॉलर की कीमत रुपये के मुकाबले क्यों बढ़ रही है कीमत जिस तेजी से3 गिर रही है और कभी कभी तो लगता है कि दिल्ली सरकार और रुपये के बीच कंपीटिशन चल रहा है कि किसकी आबरू तेजी से गिरेगी।”
आज विपक्ष उनके इन्ही भाषणों को आधार बनाकर उनपर हमलावर है। कांग्रेस युवा मोर्चा के बी. श्रीनिवास ने भी मोदीजी का यही पुराना वीडियो ट्विटर पर शेयर कर के तंज कसा है।
हम आपको छोड़ जाते हैं बीजेपी के ही एक और कद्दावर नेता के शब्दों के साथ.. अगस्त 2013 में ही लोकसभा में बीजेपी के तब के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक स्व. सुषमा स्वराज ने बयान दिया था…
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