मुक्त व्यापार क्षेत्र के नुकसान (Free Trade Zone disadvantages)
विदेशी व्यापार किसे कहते हैं इसका क्या महत्व है ?
मनुष्य की आवश्यकताएँ अनन्त हैं। कुछ आवश्यकता की वस्तुए तो देश में ही प्राप्त हो जाती है तथा कुछ वस्तुओं को विदेशों से मंगवाना पड़ता है। भोगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रत्येक देश सभी प्रकार की वस्तुए स्वयं पैदा नहीं कर सकता आयत का व्यापार करें है। किसी देश में एक वस्तु की कमी है तो दूसरे देश में किसी दूसरी वस्तु की। इस कमी को दूर करने के लिए विदेशी व्यापार का जन्म हुआ है।
दो देशों के मध्य होने वाले वस्तुओं के परस्पर विनिमय या आदान’-प्रदान को विदेशी व्यापार कहते हैं। जो देश माल भजेता है उसे निर्यातक एवं जो देश माल मंगाता है उसे आयातक कहते हैं एवं उन दोनों के बीच होने वाल े आयत का व्यापार करें आयात-निर्यात को विदेशी व्यापार कहते हैं।
भारत में मुक्त व्यापार क्षेत्र व इसके फायदे व नुकसान क्या है आयत का व्यापार करें | Free Trade Zone Advantages disadvantages in India in आयत का व्यापार करें hindi
Free Trade Zone advantages and disadvantages in India in hindi भारत में कई जगहों में मुक्त व्यापार क्षेत्र हैं, इसका मूल उद्देश्य व्यापार आधारित संरचनाओं का निर्माण, उत्पाद का आयत और निर्यात, और व्यपार के लिए ‘फ्री करेंसी’ के इस्तेमाल को बढ़ावा देना था. इसके बारे में पूरी जानकरी यहाँ प्रस्तुत की गई है.
मुक्त व्यापार क्षेत्र क्या है? (What is Free Trade Zone)
कोई भी व्यापार अब वैश्विक स्तर का हो चला है. मुक्त व्यापार क्षेत्र को एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग जोन या फोरेन ट्रेड जोन भी कहा जाता है. मुक्त व्यापार क्षेत्र वो जगह है जहाँ पर आयत का व्यापार करें कोई भी उत्पाद को उतारा, संभाला, निर्माण और उत्पाद को पुनः नये रूप में बनाया जा सकता है. इस जोन में इस दौरान किसी भी कस्टम अधिकारी का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है. एक बार उत्पाद अपने देश के उपभोक्ताओं तक पहुँचने लगे, उसके बाद इस पर कस्टम ड्यूटी लगनी शुरू होती है. मुक्त व्यापार क्षेत्र मुख्यतः बड़े बंदरगाहों, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों या उन जगहों पर होता है जहाँ आयत निर्यात की सुविधा आसानी से मयस्सर हो सके.
भारत में मुक्त व्यापार क्षेत्र क्या है? (What is Free Trade Zone in India in hindi)
भारत सरकार द्वारा आयत का व्यापार करें ‘फॉरेन ट्रेड पालिसी’ के अंतर्गत सन 2004- 2009 की अवधि में मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित करने की घोषणा की गयी. इसका उद्देश्य व्यापार के निर्माण को बढ़ावा आयत का व्यापार करें देना था. 23 जून सन 2005 में भारत के संसद में स्पेशल इकनोमिक जोन एक्ट सरकार द्वारा पारित की गयी. इसके अलगे साल सन 2006 के फरवरी के महीने में भारत सरकार ने ‘स्पेशल इकनोमिक जोन’ के लिए कानूनों की घोषणा की. मुक्त व्यापार क्षेत्र इसी अधिनियम के अंतर्गत एक वर्ग के रूप में निहित है. इसके अंतर्गत व्यापार की सभी सुविधाएँ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुहैया की जाती है. उत्पाद के लिए अनुकूल संग्रहशाला, वातावरण के अनुकूल उपकरण, रेल स्लाइडिंग, कार्यालयों के लिए व्यापारिक जगह, स्वतंत्र रूप से इन्तेमाल होने वाले व्यपारिक स्टेशन, बैंक इन्सुरांस आदि की सुविधा इस अधिनियम के तहत दी जाती है.
आयत का व्यापार करें
कोचिन पोर्ट लाइफ लाइन
1800 425 9966
हमारा अनुसरण इस पर कीजिये
कार्गो सेवाएँ
1.कार्गो की आयात/निर्यात प्रक्रिया
आयातक/निर्यातक कोचिन पोर्ट के माध्यम से विभिन्न प्रकार के कार्गो का आयात/निर्यात कर सकते हैं। कोचिन पोर्ट के माध्यम से आयात/निर्यात किए जा सकने वाले कार्गो का विवरण विदेश व्यापार प्रक्रिया 2008-09 में विदेश व्यापार महानिदेशक द्वारा प्रकाशित किया गया है। अधिक जानकारी के लिए कृपया http://dgft.delhi.nic.in and www.cbec.gov.in का अवलोकन करें।
(ए) आयात दस्तावेज़
(1) सीमा शुल्क द्वारा अनुमोदित सामान्य घोषणापत्र आयात करें।
(2) कार्गो हाउस एजेंट्स के माध्यम से दाखिल किए जाने वाले कार्गो शुल्क के साथ बिल की प्रविष्टि।
(3) प्रभार प्रमाणपत्र से परे सीमा शुल्क।
(आयत का व्यापार करें 4) कार्गो के स्वामित्व के लिए स्टीमर एजेंट डिलीवरी ऑर्डर/बिल ऑफ लेडिंग।
(बी) निर्यात दस्तावेज
भारत में निर्यात संवर्धन नीतियां
निर्यातोन्मुख इकाईयों के लिए भारत सरकार ने योजनाओं को उदार बनाया है। सरकार ने इसमें निर्यात प्रसंस्करण जोन, कृषि, बागवानी, कुक्कुट पालन, मछलीपालन और डेयरी को भी आयत का व्यापार करें शामिल कर लिया है। निर्यातोन्मुख पूंजीगत वस्तु योजना (Export promotion capital goods schemes (EPCGS)) को रिय़ायती आयात शुल्क आयत का व्यापार करें पर पूंजीगत वस्तुओं के आयात के लिए शुरु किया आयत का व्यापार करें गया है।
निर्यातोन्मुख इकाईयों के लिए भारत सरकार ने योजनाओं को उदार बनाया है। सरकार ने इसमें निर्यात प्रसंस्करण जोन, कृषि, बागवानी, कुक्कुट पालन, मछलीपालन और डेयरी को भी शामिल कर लिया है। निर्यातोन्मुख पूंजीगत वस्तु योजना (Export promotion capital goods schemes (EPCGS)) को रिय़ायती आयात शुल्क पर पूंजीगत वस्तुओं के आयात के लिए शुरु किया गया है। ईपीसीजीएस योजना के तहत, पूंजीगत वस्तुओं के ऐसे निर्यातकों को आगामी पांच वर्षों में आयात के चार गुना मूल्य की वस्तुओं का निर्यात करना होगा। एग्जिम बैंक और सेज की स्थापना ने देश से निर्यात को बढ़ावा दिया है।
कार्गो सेवाएँ
1.कार्गो की आयात/निर्यात प्रक्रिया
आयातक/निर्यातक कोचिन पोर्ट के माध्यम से विभिन्न प्रकार के कार्गो का आयात/निर्यात कर सकते हैं। कोचिन पोर्ट के माध्यम से आयात/निर्यात किए जा सकने वाले कार्गो का विवरण विदेश व्यापार प्रक्रिया 2008-09 में विदेश व्यापार महानिदेशक द्वारा प्रकाशित किया गया है। अधिक जानकारी के लिए कृपया http://dgft.delhi.nic.in and www.cbec.gov.in का अवलोकन करें।
(ए) आयात दस्तावेज़
(1) सीमा शुल्क द्वारा अनुमोदित सामान्य आयत का व्यापार करें घोषणापत्र आयात करें।
(2) कार्गो हाउस एजेंट्स के माध्यम से दाखिल किए जाने वाले कार्गो शुल्क के साथ बिल की प्रविष्टि।
(3) प्रभार प्रमाणपत्र से परे सीमा शुल्क।
(4) कार्गो के स्वामित्व के लिए स्टीमर एजेंट डिलीवरी ऑर्डर/बिल ऑफ लेडिंग।
(बी) निर्यात दस्तावेज
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