रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने, इस पर कानून बनाने की सिफारिश की : सीतारमण
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि किसी देश की मौद्रिक और राजकोषीय स्थिरता पर क्रिप्टोकरेंसी के अस्थिर प्रभाव से जुड़ी चिंताओं के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस क्षेत्र पर कानून बनाने की सिफारिश की है। वित्त मंत्री के अनुसार आरबीआई का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को …
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा को बताया कि किसी देश की मौद्रिक और राजकोषीय स्थिरता पर क्रिप्टोकरेंसी के अस्थिर प्रभाव से जुड़ी चिंताओं के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस क्षेत्र पर कानून बनाने की सिफारिश की है। वित्त मंत्री के अनुसार आरबीआई का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। लोकसभा में थोल थिरूमावलवन के प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह बात कही ।
उनसे प्रश्न किया गया था कि क्या आरबीआई ने भारतीय अर्थव्यवस्था में क्रिप्टोकरेंसी के दुष्प्रभाव के संबंध में अपनी चिंता व्यक्त की है और क्या सरकार की भारत में क्रिप्टोकरेंसी आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? के उपभोग को परिसीमित करने वाला कोई कानून लाने की कोई योजना है। वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘जी, हां। भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्रिप्टोकरेंसी के प्रतिकूल प्रभाव पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी चिंता जाहिर की है। आरबीआई ने उल्लेख किया है कि क्रिप्टोकरेंसी कोई मुद्रा नहीं है क्योंकि प्रत्येक मुद्रा को केंद्रीय बैंक/सरकार द्वारा जारी किया जाना आवश्यक है।
’’ उन्होंने बताया कि फिएट मुद्राओं का मूल्य मौद्रिक नीति और वैध मुद्रा के रूप में उनकी स्थिति पर निर्भर होता है हालांकि क्रिपटोकरेंसी का मूल्य पूरी तरह से अटकलों एवं उच्च रिटर्न की उम्मीदों पर निर्भर करता है जो स्थिर है। उन्होंने कहा कि इसलिए किसी देश की मौद्रिक और राजकोषीय स्थिरता पर इसका एक अस्थिर प्रभाव होगा । गौरतलब है कि फिएट मनी सरकार द्वारा जारी एक मुद्रा है। इसका अपना कोई मूल्य नहीं है, लेकिन इसका मूल्य सरकारी नियमों से लिया गया है।
सीतारमण ने बताया कि किसी देश की मौद्रिक और आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? राजकोषीय स्थिरता पर क्रिप्टोकरेंसी के अस्थिर प्रभाव संबंधी चिंताओं के मद्देनजर आरबीआई ने इस क्षेत्र पर कानून बनाने की सिफारिश की है। उन्होंने कहा, ‘‘ आरबीआई का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए ।
’’ उन्होंने बताया कि आरबीआई ने 24 दिसंबर 2013, एक फरवरी 2017 और पांच दिसंबर 2017 को सार्वजनिक नोटिसों के माध्यम से डिजिटल करेंसी के उपयोगकर्ताओं, धारकों और व्यापारियों को आर्थिक, वित्तीय, कानूनी, ग्राहक सुरक्षा और सुरक्षा संबंधी जोखिमों से आगाह कर रहा है सीतारमण ने कहा कि आरबीआई ने 6 अप्रैल 2018 को एक परिपत्र भी जारी किया जिसमें अपनी विनियमित संस्थाओं को वर्चुअल करेंसी में व्यापार करने या निपटान में किसी भी व्यक्ति या संस्था को सुविधा प्रदान करने के लिये सेवाएं प्रदान करने पर रोक लगाई थी ।
उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त, आरबीआई ने 31 मई, 2021 के परिपत्र के माध्यम से अपनी विनियमित संस्थाओं को डिजिटल करेंसी में लेनदेन के लिए ग्राहक की यथोचित परिश्रम प्रक्रियाओं को जारी रखने के लिये विभिन्न मानकों के अनुरूप कार्य के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रासंगिक प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने की सलाह दी है।
Budget 2022 Cryptocurrency: क्रिप्टो करंसी से कमाई पर 30 फीसदी टैक्स, RBI लाएगा अपनी डिजिटल मुद्रा
Budget 2022 Cryptocurrency News: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टो करेंसी को लाने की बड़ी घोषणा करते हुए कहा अब वर्चुअल करेंसी पर बड़ा टैक्स लगेगा। क्रिप्टो करेंसी पर आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? देना होगा 30% टैक्स।
- वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा- RBI डिजिटल करेंसी लॉन्च करेगी
- वहीं क्रिप्टो करंसी से होने वाली कमाई भी टैक्स के दायरे में आ गई है।
- इसके अलावा वर्चुअल डिजिटल एसेट से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी का टैक्स लगेगा।
Budget 2022 Cryptocurrency News: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में एक अहम ऐलान किया। वित्त मंत्री ने बताया कि 2022-23 से आरबीआई द्वारा डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल मुद्रा जारी की जाएगी। इसके साथ ही भारत में में रेग्युलेटेड डिजिटल करेंसी लाने का रास्ता भी साफ हो गया है।
बिटकॉइन जैसी डिजिटल करेंसी में निवेश वालों के लिए अवसर
डिजिटल करेंसी लाने के ऐलान से बिटकॉइन जैसी डिजिटल करेंसी में जोखिम वाले निवेश की जगह नए सुरक्षित निवेश का विकल्प पेश हो गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में रिजर्व बैंक डिजिटल करंसी लॉन्च करेगा। वित्त मंत्री ने कहा, 'ब्लॉकचेन और अन्य तकनीकों का इस्तेमाल करके डिजिटल करंसी शुरू की जाएगी, आरबीआई 2022-23 से इसे जारी करेगा।' वित्त मंत्री ने बताया कि क्रिप्टो करंसी आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? में निवेश पर 30 प्रतिशत की दर से टैक्स लगेगा।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
BankBazaar.com के सीईओ आदिल शेट्टी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेशकश के वक़्त कहा की आरबीआई भारत की अपनी ब्लॉकचेन डिजिटल रुपया(डिजिटल करेंसी) जारी करेगा। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ा बढ़ावा मिलेगा और डिजिटल वित्तीय स्पेस में स्थिति भी मजबूत होगी। अभी तक संयुक्त राज्य अमेरिका ने भी अपना सीबीसी लॉन्च नहीं किया है। सीबीसी के लांच का अर्थ है भारत ब्लॉकचेन और कम ऑपरेशनल कॉस्ट का लाभ उठा कर सेटलमेंट में तेजी लाना चाहता है। इसको बेहतर समझने के लिए हमें इसके डिटेल्स की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता है।'
उठती रही है मांग
आपको बता दें कि फिलहाल देश में क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल पर किसी तरह का नियमन नहीं है और न ही किसी तरह की पाबंदी लगी हुई है। हालांकि, विभिन्न क्षेत्रों से इनके सख्त नियमन की मांग उठती आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? रही है। सरकार ने संसद के पिछले अधिवेशन में ही क्रिप्टोकरेंसी पर एक विधेयक लाने की मंशा जताई थी। रिजर्व बैंक की तरफ से एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के गठन का ढांचा तैयार होने की बात कही गई थी। लेकिन मंत्रिमंडल में इस विधेयक के प्रारूप पर सहमति नहीं बन पाने से उसे संसद में नहीं रखा जा सका था। इससे पहले प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने सोमवार को कहा था कि देश की वित्तीय स्थिरता पर क्रिप्टोकरेंसी के निहितार्थों को देखते हुए सरकार इसके नियमन के मुद्दे पर एक संतुलित नजरिया अपनाएगी।
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ब्याज दरों में कटौती से ग्रोथ पर कोई खास असर नहीं : प्रतीप चौधरी, पूर्व चेयरमैन SBI
एसबीआई के पूर्व चेयरमैन प्रतीप चौधरी का मानना है कि आरबीआई के इस कदम से देश की अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर नहीं होगा.
एसबीआई के पूर्व चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने कहा कि क्रेडिट पॉलिसी को लेकर जबतक ठोस फैसले नहीं होंगे, तब तक ग्रोथ की बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती.
भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को अपनी क्रेडिट पॉलिसी की घोषणा करते हुए ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की है. आरबीआई के इस कदम पर अर्थजगत में मिलीजुली प्रतिक्रियाओं का दौर चल रहा है. किसी ने इसे जीडीपी ग्रोथ के लिए अच्छी पहल बताया है तो किसी ने इसे महज खानापूर्ति बताया है.
एसबीआई के पूर्व चेयरमैन प्रतीप चौधरी का मानना है कि आरबीआई के इस कदम से देश की अर्थव्यवस्था पर कोई खास असर नहीं होगा.
ज़ी बिजनेस से खास बातचीत में उन्होंने कहा, 'आरबीआई ने अपनी पॉलिसी में कहा है कि आरबीआई ने अपना रुख न्यूट्रल से बदलकर अकोमोडेटिव कर दिया है. लेकिन अकोमोडेटिव किस तरह किया है, उसका तरीका क्या होगा, यह साफ नहीं है. अकोमोडेटिव किस तरह किया है, इस बात की पुष्टि होनी चाहिए. क्या बाजार में ज्यादा कैश छोड़ा गया है?'
'सिर्फ कह देने से कोई अकोमोडेटिव नहीं हो सकता. यह तो उस तरह से है जैसे उम्मीद करना की आरबीआई के इस फैसले से अर्थव्यवस्था में ग्रोथ आ जाएगी.'
एसबीआई के पूर्व चेयरमैन ने कहा कि क्रेडिट पॉलिसी के अंदर जबतक ठोस फैसले नहीं होंगे, तब तक बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती. हमने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती पिछली बार भी की थी, लेकिन इससे अर्थव्यवस्था के विकास में कोई सुधार नहीं देखा गया था. उल्टा, ऑटो सेक्टर की डिमांड लगातार गिर रही है और एनबीएफसी सेक्टर के बारे में शीर्ष बैंक ने कोई भी निर्णय नहीं लिया है. जबकि आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? यह सेक्टर पूरे फाइनेंस सेक्टर की मजबूती के लिए बहुत अहम है.
बता दें कि आज गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी क्रेडिट पॉलिसी की घोषणा की थी. शीर्ष बैंक ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती करने का फैसला किया है. इसके अलावा बैठक में कई आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? अन्य अहम फैसले भी लिए गए.
भारत में भी आया डिजिटल रुपया, जानें क्या है Digital करेंसी
नई दिल्ली, 3नवंबर। भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने 1 नवंबर को डिजिटल रुपया लॉन्च कर दिया। देश के केंद्रीय बैंक की तरफ से इस पायलट प्रोजेक्ट को पहले पहल होल सेल मार्केट के लिए लॉन्च किया गया। आरबीआई के इस डिजिटल रुपया को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी सीबीडीसी का नाम दिया गया है। पायलट प्रोजेक्ट में देश के 9 बैंक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेन देन के लिए इस डिजिटल करेंसी का उपयोग करेंगे। पैसा अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही वर्चुअल रूप में होगा लेकिन डिजिटल रुपया विकेंद्रीकृत नहीं होगा, इसे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा नियंत्रित किया जाएगा। डिजिटल रुपया पूरी तरह से कानूनी होगा और भारत सरकार को स्वीकार्य होगा। ऐसे में आज आपको इस विश्लेषण में बताते हैं कि क्या है भारत की पहली डिजिटल करेंसी, आप पर इसका क्या असर पड़ेगा।
क्या है डिजिटल रुपया?
डिजिटल रुपया, जिसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के रूप में भी जाना जाता है। ये एक केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए मुद्रा नोटों का एक डिजिटल रूप है। यह बैंक नोटों से काफी अलग नहीं है, लेकिन डिजिटल होने की वजह से इसके आसान, तेज और सस्ता होने की संभावना है। इसमें डिजिटल मनी के अन्य रूपों के सभी लेन-देन संबंधी लाभ भी हैं। ये करेंसी नोटों की तरह ही पूरी तरह से वैध और मान्य है। जिसका इस्तेमाल सभी तरह के लेन-देन के लिए किया जा सकेगा। आरबीआई ने करेंसी को दो भागों में सीबीडीसी डब्लयू और सीबीडीसी आर में बांटा है। सीबीडीसी डब्ल्यू मतलब होलसेल करेंसी और सीबीडीसी आर मतलब रिटेल करेंसी। डिजिटल इकोनॉमी विकसित करने की दिशा में इसको आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
कहां लागू होगा?
डिजिटल रुपये की खासियत यही है कि ये नोट या सिक्के की तरह आपको दिखाई नहीं देगा। ये आपके मोबाइल फोन, बैंक अकाउंट, डिजिटल वॉलेट में नगदी की तरह रहेगा और आप जब चाहे इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। डिजिटल रुपये का इस्तेमाल बड़े भुगतान और निपटान के लिए किया जाएगा। आरबीआई के मुताबिक इसका इस्तेमाल सरकारी प्रतिभूतियों यानी सरकारी बॉन्ड की खरीद-बिक्री पर सेटलमेंट राशि के तौर पर किया जाएगा। रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि इसका इस्तेमाल जल्द ही खुदरा लेनदेन के लिए भी किया जाएगा। डिजिटल करेंसी को भविष्य में विदेशों में भी लेन देन के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा। इसकी वैल्यू कागजी नोटों के बराबर ही होगी। ग्राहक इसको लेकर करेंसी नोट भी हासिल कर सकते हैं।
डिजिटल रुपया कैसे काम करता है?
बैंक बैलेंस चेक करने की तरह ही वॉलेट में बैलेंस चेक किया जा सकता है। सीबीडीसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित होगा। व्यक्ति इसे भुगतान करने में सक्षम होंगे जिसे वे भुगतान करना चाहते हैं और यह उनके खाते में पहुंच जाएगा। सीबीडीसी दो प्रकार के होते हैं- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी होलसेल, जिसका उपयोग बड़ी मात्रा में लेनदेन के लिए किया जाता है और दूसरे चरण में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी रिटेल का उपयोग रिटेल के लिए किया जाएगा। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी होलसेल का इस्तेमाल बैंकों, बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और अन्य बड़े लेनदेन संस्थानों सहित बड़े वित्तीय संस्थानों द्वारा किया जाएगा। सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी रिटेल का इस्तेमाल लोग रोजमर्रा के लेनदेन के आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? लिए आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर? कर सकते हैं। यह पहले चुनिंदा स्थानों और बैंकों में शुरू होगा। रिटेल प्रोजेक्ट में सभी आयु वर्ग के लोगों को शामिल किया जाएगा। फिर उनके अनुभवों के आधार पर जरूरत पड़ने पर सुविधाओं में बदलाव किया जाएगा।
आ गई दुनिया की पहली सरकारी क्रिप्टो करेंसी पेट्रो, जानिए कहां से हुई शुरुआत
वेनेजुएला ने गहराते आर्थिक संकट से बाहर आने की कोशिशों के बीच गैरपारंपरिक कदम उठाते हुए तेल आधारित क्रिप्टोकरेंसी 'पेट्रो की शुरुआत की है। यह सरकारी मान्यता प्राप्त विश्व की पहली क्रिप्टोकरंसी.
वेनेजुएला ने गहराते आर्थिक संकट से बाहर आने की कोशिशों के बीच गैरपारंपरिक कदम उठाते हुए तेल आधारित क्रिप्टोकरेंसी 'पेट्रो की शुरुआत की है। यह सरकारी मान्यता प्राप्त विश्व की पहली क्रिप्टोकरंसी है।
20 घंटे में पेट्रो को 73.5 करोड़ डॉलर के मिले खरीदार
वेनेजुएला की वामपंथी सरकार ने शुरुआती बिक्री के लिए पेट्रो की 3.84 करोड़ इकाइयां पेश की हैं। इसकी बिक्री 19 मार्च तक चलेगी। प्रधानमंत्री निकोलस मदुरो के अनुसार बिक्री के शुरुआती 20 घंटे में पेट्रो को 73.5 करोड़ डॉलर की पेशकश मिली हैं। उन्होंने कहा कि पेट्रो हमारी स्वतंत्रता एवं आर्थिक स्वायत्तता को मजबूत करता है। यह हमें उन विदेशी ताकतों के लालच से बचने में मदद करेगा जो हमारा तेल बाजार जब्त कर हमें घुटन में रखने की कोशिश कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि वेनेजुएला के पास विश्व का सबसे विशाल तेल भंडार है। हालांकि, देश भीषण आर्थिक एवं राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है।
क्या है क्रिप्टो करेंसी
यह आभाषी मुद्रा है। इसकी खरीद-बिक्री इंटरनेट के जरिये आईडी-पासवर्ड के जरिये की जाती है। इसे किसी भी करेंसी में नहीं बदला जा सकता है। आईडी-पासवर्ड भूल जाने या हैक होने पर पूंजी डूबने का भी खतरा है। बिक्वाइन भी एक क्रिप्टो करेंसी है जो दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चित है।
एसबीआई ने क्रिप्टो करेंसी पर चेताया
देश के सबसे बड़ी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की सहायक इकाई एसबीआई कार्ड ने बिटक्वाइन जैसी आभासी मुद्राओं से जुड़े जोखिमों के प्रति उपभोक्ताओं को मंगलवार को सतर्क किया। दरअसल क्रिप्टो करेंसी की खरीदारी नेट बैंकिंग के जरिये या डेबिट-क्रेडिट कार्ड के जरिये की जाती है। इसे देखते हुए एसबीआई कार्ड ने यह चेतावनी जारी की है।
रिजर्व बैंक दे चुका है चेतावनी
bitcoin और अन्य क्रिप्टो करेंसी को लेकर रिजर्व बैंक वर्ष 2013 से ही निवेशकों को अगाह करता रहा है। आरबीआई यह कह चुका है कि देश में इसको मान्यता नहीं है और ऐसे में इसमें कमाई डूबने पर निवेशक खुद जिम्मेदार होंगे। दिसंबर में देश में आयकर विभाग ने कई bitcoin एक्सचेंजो पर छापा भी मारा था। दरअसल क्रिप्टो करेंसी को दुनिया के किसी भी देश में मान्यता नहीं है। वेनेजुएला पहला ऐसा देश है जिसने सरकारी तौर पर क्रिप्टो करेंसी जारी है। इजरायल भी कुछ माह पहले bitcoin को लेकर चेतावनी जारी कर चुका है।
भारत में खरीदने पर सात साल तक जेल
केंद्र सरकार आभासी मुद्रा के खिलाफ धनशोधन कानून के तहत कार्रवाई की तैयारी कर रही है, जिसमें तीन से सात साल तक जेल का प्रावधान होगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आम बजट में आभासी मुद्राओं को गैरकानूनी बताए जाने के बाद वित्त मंत्रलय ने यह सक्रियता दिखाई है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक इदीरियम, रिपल, बिटक्वाइन जैसी आभासी मुद्रा को लेकर पहले यह स्पष्ट नहीं था कि किस कानून के तहत कार्रवाई हो। लेकिन इसे गैरकानूनी घोषित करने के साथ सरकार ने इसे धनशोधन कानून के दायरे में लाने की सैद्धांतिक सहमति दे दी है।
सख्ती से दाम धड़ाम
बिटक्वाइन की कीमत पिछले साल 20 हजार डॉलर के करीब चली गई थी। लेकिन भारत में वित्त मंत्री द्वारा बजट में इसपर सख्ती के उपायों की घोषणा से इसके दाम सात हजार डॉलर तक आ गए थे। पिछले साल आयकर विभाग और ईडी की टीम ने कई बिटक्वाइन एक्सचेंज पर छापा भी मारा था। आयकर विभाग संदिग्ध निवेशकों से यह पूछताछ भी करा रहा है कि इसमें निवेश के लिए पैसे कहां से आए।
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