Explainer: क्या है RBI की 'एडिशनल' मीटिंग का मतलब? 5 अहम सवाल और जवाब

नई दिल्ली. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 27 अक्टूबर को घोषणा की कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) 3 नवंबर को एक अतिरिक्त बैठक करेगी. हालांकि मूल कार्यक्रम के अनुसार, MPC की अगली बैठक 5-7 दिसंबर को होनी तय है. अब तरह-तरह की चर्चाएं हैं कि आखिर इस मीटिंग को करने का उद्देश्य क्या है.

शेयर बाजार में निवेश करने वालों की नजर हमेशा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के फैसलों पर रहती है. ऐसे में हर निवेशक के मन में यह कन्फ्यूजन है कि आखिर इस मीटिंग का मकसद क्या है. मनीकंट्रोल ने इसी विषय को आसान से 5 जवाबों के माध्यम से समझाने की कोशिश की है. तो चलिए जानते हैं 5 मुख्य प्रश्न और उनके उत्तर-

1. यह मीटिंग क्यों?

12 अक्टूबर को जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आंकड़ों के बाद एमपीसी की अनिर्धारित बैठक जरूरी हो गई है. इन आंकड़ों से पता चलता है कि आरबीआई पहली बार मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में विफल रहा है.

आंकड़ों के अनुसार, खुदरा मुद्रास्फीति (महंगाई दर) सितंबर में बढ़कर 7.41 प्रतिशत हो गई. यह आंकड़ा इस बात की पुष्टि करता है कि औसत मुद्रास्फीति लगातार तीन तिमाहियों से 2-6 प्रतिशत के दायरे से बाहर रही है. जनवरी-मार्च में महंगाई दर औसतन 6.3 फीसदी, अप्रैल-जून में 7.3 फीसदी और जुलाई-सितंबर में 7 फीसदी रही.

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च में कोर एनालिटिकल ग्रुप के निदेशक सौम्यजीत नियोगी ने कहा, “मैंडेट के अनुसार, आरबीआई को सुधारात्मक कार्रवाई और मुद्रास्फीति को मैंडेट के भीतर लाने के लिए संभावित समय सीमा देनी होगी. चूंकि नीति दर एमपीसी द्वारा तय की जाती है, इसलिए सेक्शन 45ZN के अनुसार पैनल के साथ इसके ब्यौरे पर चर्चा करना आवश्यक है.”

2. क्या है सेक्शन 45ZN?

केंद्रीय बैंक को RBI अधिनियम की धारा 45ZN के तहत MPC की एक अनिर्धारित बैठक (Unscheduled meeting) की घोषणा करने की शक्ति प्राप्त है. ‘मुद्रास्फीति लक्ष्य को बनाए रखने में विफलता’ शीर्षक बताता है कि विफलता के बाद आरबीआई को सरकार को अपनी रिपोर्ट में क्या विवरण देना चाहिए.

इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति और मौद्रिक नीति प्रक्रिया रेगुलेशन, 2016 के रेगुलेशन 7 कहता है कि अधिनियम की धारा 45ZN के प्रावधानों के तहत केंद्र सरकार को भेजी जाने वाली रिपोर्ट पर चर्चा और मसौदा तैयार करने के लिए एमपीसी के सचिव को कमेटी की एक अलग बैठक का समय निर्धारित करना चाहिए.

यह रेगुलेशन यह भी कहता है कि विफलता के बाद की रिपोर्ट उस तारीख से एक महीने के भीतर सरकार को भेजी जानी चाहिए, जिस दिन RBI मुद्रास्फीति लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहा है. चूंकि सितंबर के लिए सीपीआई डेटा 12 अक्टूबर को जारी किया गया था, इसलिए रिपोर्ट 12 नवंबर तक प्रस्तुत की जानी चाहिए.

3. विफलता के क्या कारण देगा RBI?

यह रिपोर्ट संभवत: आरबीआई के विफल होने के कई कारणों की ओर इशारा करेगी. मुख्य कारण होंगे कि आप रूस-यूक्रेन युद्ध को नहीं रोक सकते. यह रिपोर्ट सप्लाई में व्यवधान और चीन में शून्य-कोविड​नीति के बारे में बात करेगी.

याद रहे कि फरवरी के अंत में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से पहले ही मुद्रास्फीति बढ़ गई थी, जिसके परिणाम स्वरूप आपूर्ति बाधित हुई. विशेष रूप से अनाज और ऊर्जा से संबंधित वस्तुओं से जुड़ी समस्याओं में मुंह बा लिया था.

4. क्या उपाय सुझा सकता है RBI?

समस्या के बारे में तो सब जानते हैं, लेकिन इसका सटीक समाधान खोज पाना आरबीआई के लिए भी मुश्किल हो रहा है. आरबीआई और एमपीसी पिछले आधे साल से अधिक समय से मौद्रिक नीति को सख्त कर रहे हैं और रिपोर्ट में उन कदमों को उजागर करने की संभावना है, जो उसने पहले ही उठाए हैं.

8 अप्रैल को, केंद्रीय बैंक ने अतिरिक्त बैंकिंग प्रणाली लिक्विडिटी को कम करने के लिए स्थायी जमा सुविधा (SDF) की शुरुआत की घोषणा की. अचानक घोषणा के चलते रातों-रात ब्याज दरों में इजाफा हो गया. पॉलिसी रेपो दर (जिस दर पर आरबीआई बैंकों को पैसा उधार देता है) को भी एमपीसी ने अब तक 190 आधार अंकों से बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत कर दिया है.

क्या आरबीआई अपनी रिपोर्ट में संकेत दे सकता है कि मुद्रास्फीति को लक्ष्य तक लाने आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर के लिए उसे रेपो दर को और बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है? इस बारे में तो कहा नहीं जा सकता और शायद बिल्कुल भी पता नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर दास ने 30 सितंबर को कहा था कि रिपोर्ट “प्रीविलेज्ड कम्युनिकेशन” थी और कम से कम केंद्रीय बैंक द्वारा इसे सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.

हालांकि, अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि एमपीसी 5-7 दिसंबर की बैठक में रेपो दर में कम से कम 35 बीपीएस की बढ़ोतरी करेगी, जिसमें लगभग 6.5 प्रतिशत की संभावित टर्मिनल रेपो दर मार्च तक हासिल होने की संभावना है.

एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, “यह संभव है कि अनिर्धारित बैठक मुद्रास्फीति लक्ष्य से चूकने के लिए सरकार को जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार हो.” उन्होंने आगे कहा, “हालांकि, तथ्य यह आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर है कि इसे यूएस फेडरल रिजर्व की 2 नवंबर की बैठक के ठीक बाद रखा गया है, यह अनुमान लगाना थोड़ा मुश्किल है कि क्या यह सिर्फ सरकार के लिए एक मसौदा प्रतिक्रिया बैठक होने जा रही है या कुछ ‘कार्रवाई’ भी हो सकती है.”

5. क्या मुद्रास्फीति अपने लक्ष्य के भीतर आएगी?

सबसे अहम सवाल यही है कि क्या महंगाई पर लगाम लगेगी? पिछले कुछ समय से, आरबीआई के अधिकारियों ने उल्लेख किया है कि मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत तक कम करने के लिए 2 साल का समय उपयुक्त है. 30 सितंबर को पोस्ट-पॉलिसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी, गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि आरबीआई को उम्मीद है कि मुद्रास्फीति “2 साल में लक्ष्य के करीब आ जाएगी; पहले भी हमारी यही उम्मीद थी और अब भी है.”

जैसे, रिपोर्ट प्रस्तुत करने से 2 साल का मतलब होगा कि मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही तक 4 प्रतिशत के लक्ष्य के आसपास होनी चाहिए. आरबीआई के ताजा मुद्रास्फीति पूर्वानुमान के अनुसार, वित्त वर्ष 24 में सीपीआई मुद्रास्फीति औसतन 5.2 प्रतिशत हो सकती है.

भारत में विश्व बैंक

1.2 अरब से अधिक जनसंख्या वाला देश भारत, विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। पिछले दशक में, भारत विश्व की अर्थव्यवस्था से जुड़ा है और साथ ही उसका आर्थिक विकास भी हुआ है | भारत अब एक विश्व खिलाड़ी के रूप में उभरा है।

हाइलाइट

The World Bank

इंडिया डेवलपमेंट अपडेट - नेविगेटिंग द स्टॉर्म

विश्व बैंक ने अपने प्रमुख प्रकाशन में कहा है कि चुनौतीपूर्ण वाह्य वातावरण के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने लचीलेपन का प्रदर्शन किया है।

भारत के शीतलन क्षेत्र में जलवायु निवेश

विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट जलवायु-उत्तरदायी शीतलन प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए एक हरित मार्ग प्रदान करती है।

भारत की शहरी अवसंरचना आवश्यकताओं का वित्तपोषण

विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत को अगले 15 वर्षों में शहरी बुनियादी ढांचे में 840 अरब डॉलर का निवेश करने की आवश्यकता होगी।

भारत At-A-Glance

1.2 अरब की जनसंख्या और विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले भारत की हाल की संवृद्धि तथा इसका विकास हमारे समय की अत्यंत उल्लेखनीय सफलताओं में से है। स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद से बीते 65 वर्षों से भी अधिक समय के दौरान भारत के कृषि-क्षेत्र में अभूतपूर्व क्रांति आई है, जिसकी वजह से काफी समय से अनाज के निर्यात पर निर्भर यह देश कृषि के वैश्विक पॉवर हाउस में बदल गया है और आज अनाज का शुद्ध निर्यातकर्ता .

डिजिटल करेंसी क्या हैं ? भारत की डिजिटल करेंसी ,डिजिटल प्रणाली और भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा ?

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपके अपने वेबसाइट इंडिया टुडे लाइव पर आज के इस आर्टिकल में हम लोग इस बात पर चर्चा करेंगे कि डिजिटल करेंसी क्या है ? भारत को अपनाने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा ? तथा डिजिटल करेंसी को अब तक कितने देशों ने अपने देश में लागू कर चुका है? इन सब बातों को आज इस आर्टिकल में पढ़ेंगे।तो कृपया इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक अवश्य पढ़ें। Digital Currency

डिजिटल करेंसी क्या है ?

आरबीआई के अनुसार CBDC यानी की डिजिटल रूपी एक वैध मुद्रा है।जिसे केंद्रीय बैंक ने डिजिटल रूप में जारी किया।यह कागजी मुद्रा या भौतिक मुद्रा का ही एक रूप है। इसका कागजी मुद्रा के साथ आदान प्रदान किया जा सकता है। डिजिटल करेंसी का सिर्फ स्वरूप अलग है, डिजिटल मुद्रा का मूल्य मुद्रा मूल्य के बराबर ही होगा।

इस रुपयों ट्रांजैक्शन के लिए उपयोग आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर किया जा सकता है यह मुद्रा QR कोड SMS पर आधारित होगी। जो कि E-VOUCHER के रूप में काम करती है,इसको उपयोग करने के लिए उपयोगकर्ता डिजिटल पेमेंट एप या इंटरनेट बैंकिंग के आवश्यकता नहीं होगा। E-RUPYA का उपयोग अधिक लोगों द्वारा किए जाने की संभावना RBI की तरफ से करी जा रही है। Digital Currency

दो तरह की होगी डिजिटल करेंसी :- आरबीआई ने रुपया को दो श्रेणी में बांट दिया है, जिसमें से पहला सीबीडीसी डब्लू (CBDC -W )यानी होलसेल CBDC और दूसरा सीबीडीसी आर(CBDC -R ) रिटेल सीबीडीसी। सीबीडीसी डब्लू का उपयोग होलसेल की मुद्रा के तौर पर किया जाएगा और रिटेल सीबीडीसी का उपयोग सभी के लिए उपलब्ध होगा। इसकी सीबीडीसी रिटेल का उपयोग सभी निजी गैर वित्तीय उपयोगिता इत्यादि करते कर सकेंगे। जबकि होलसेल सीबीडीसी का उपयोग चुने हुए वित्तीय संस्थानों पर ही किया जा सकता है।

भारत में कब लागू किया गया :- भारत बहुत तेजी के साथ ही डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में भारत की ओर से सबसे पहले डिजिटल करेंसी सेंट्रल बैंक के द्वारा जारी किया गया था। इस पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर 2022 को लांच किया गया था। रिजर्व बैंक भारत में डिजिटल करेंसी का परीक्षण कर रहा है हालांकि आरबीआई ने होलसेल सेगमेंट को ध्यान में रखते हुए डिजिटल रूपी पायलट प्रोजेक्ट को किया है।इसे 1 महीने के भीतर लांच किया जाना है वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा फरवरी के आम बजट में डिजिटल करेंसी लाने की घोषणा कर दी थी।

इसमें 9 बैंकों की होगी भागीदारी :- आरबीआई के अनुसार, डिजिटल करेंसी के लिए पायलट प्रोजेक्ट में 9 बैंकों की भागीदारी होगी। जिसके लिए आरबीआई ने 9 बैंकों की पहचान कर दी है।

  1. भारतीय स्टेट बैंक
  2. HDFC बैंक
  3. बैंक ऑफ बड़ौदा
  4. यूनियन बैंक
  5. ICICI बैंक
  6. कोटक महिंद्रा बैंक
  7. IDFC फर्स्ट बैंक
  8. HSBC बैंक
  9. YASH बैंक

भारत की तरह बहुत ऐसे देश है जो अपने देश में डिजिटल करेंसी को लाना चाहते हैं जबकि कई देश इसे अपने देश में शुरुआती चरण से आगे बढ़ने में सफल भी रहे हैं।

अब तक कितने देश में लागू :- अब तक दुनिया से हमारा देश सीबीडीसी नाइजीरिया और जमैका देश और देश के 8 देश सम्मिलित हैं भारत भी पायलट प्रोजेक्ट के जरिए डिजिटल करेंसी में धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है। डिजिटल करेंसी को लागू करने वाला सबसे पहला देश वेस्टइंडीज ने अक्टूबर 2020 में देश में लांच किया था। Digital Currency

बहामास डिजिटल करेंसी के 1 वर्ष बाद अक्टूबर 2021 में सहारा मरुस्थल नाइजीरिया ने भी डिजिटल करेंसी को अपने देश में लागू किया जाएगा। इसी वर्ष जमैका भी रिटेल सेगमेंट के लिए अपने डिजिटल करेंसी जैम-डेक्स लॉन्च किया है।

दक्षिण कोरिया,सऊदी अरब, यूक्रेन, पाकिस्तान,रूस, हांगकांग, मलेशिया, सिंगापुर, घाना, दक्षिण अफ्रीका, आदि देश अपना पायलट प्रोग्राम को लॉन्च कर चुके हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, भूटान, कनाडा समेत अनेक देश डिजिटल मुद्रा के विकास के अपने चरम पर हैं।

डिजिटल करेंसी के द्वारा भारत में पहले दिन कितने करोड़ का रहा कारोबार :- डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट के माध्यम से पहले दिन परीक्षण के दौरान करीब 48 लेन देन हुए थे और इनकी कुल राशि ₹275 करोड़ थी। E-रूपी के पहले पायलट परीक्षण में बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, कोटक महिंद्रा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा,ICICI बैंक सरकारी प्रतिभूतियों के लेन देन में शामिल हुए थे।जो कि सफल भी रहा।ICICI बैंक ने CBDC का उपयोग करते हुए IDFC फर्स्ट बैंक को जीएस 2027 प्रतिभूतियां भी बेचीं दी हैं।

डिजिटल रुपया प्रणाली और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव

सीबीडीसी लाने का मुख्य उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा स्वरूप को बदलना नहीं है बल्कि उसका पूरक तैयार करना है और उपयोगकर्ता को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त रास्ता प्रदान करना है। RBI का मानना है कि डिजिटल रुपया प्रणाली से भारत की आर्थिक अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी। मौद्रिक तथा भुगतान प्रणाली और कुशल बनेगी। इन्हीं सब कारणों से RBI को डिजिटल मुद्रा लाने के लिए प्रेरित किया है। Digital Currency

  • RBI देश के अंदर कागजी मुद्रा के प्रबंधन में होने वाले भारी-भरकम खर्च में कमी लाना चाहती है।
  • नोटों को छापने उसके प्रसार और वितरित करने में जो RBI को खर्च आता है उसमें कमी लाना चाहती है जो कि डिजिटल करेंसी के माध्यम से ही हो सकता है।
  • डिजिटल करेंसी के माध्यम से RBI डिजिटलीकरण को बढ़ावा दे रही है, कम नगदी वाली अर्थव्यवस्था प्राप्त करना चाहती है।
  • सीबीडीटी के माध्यम से RBI सीमा पर भुगतान के लिए नई तरीके भी आजमाना चाह रही है।
  • इस मुद्रा को लागू हो जाने से सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि लोगों के पास नगदी पैसे रखने की आवश्यकता कम पड़ेगी।
  • इस करेंसी के आने से सरकार के साथ आम लोग के लेन-देन की लागत भी कम हो जाएगीन।
  • नकली करेंसी की समस्या से भी काफी हद तक छुटकारा मिलेगा।

कितना सुरक्षित होगा डिजिटल करेंसी

डिजिटल लेनदेन की तुलना में सीबीडीसी अधिक सुरक्षित होगा, क्योंकि इसमें ब्लैकचेन तकनीक पर आधारित है। ब्लॉकचेन तकनीक के माध्यम से भुगतान तेज गति से होता है। सीबीडीसी के उपयोग से कैशलेस भुगतान को बढ़ावा मिलेगा तथा बैंकिंग परिदृश्य में सकारात्मक बदलाव आएगा। RBI का भी मानना है कि डिजिटल रुपया प्रणाली देश की डिजिटल अवस्था को बहुत अधिक मजबूत करेगा एवं मौद्रिक तथा भुगतान प्रणाली को बहुत कुशल बनाएगा।

ITBP Constable बंपर भर्ती 2022 आवेदन की तिथि, जाने यहां से

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका अपने वेबसाइट इंडिया टुडे लाइव पर आज के इस आर्टिकल में हम लोग इस बात पर चर्चा करेंगे कि क्या आईटीबीपी कॉन्स्टेबल / ट्रेडमैन की VACANCY होने वाली है। तो आप इस पोस्ट को आर्टिकल शुरू से अंत तक अवश्य पढ़ें। ITBP

ITBP Constable भर्ती 2023 :- आइटीबीपी यानी कि भारत तिब्बत सीमा पुलिस। आइटीबीपी कांस्टेबल की भर्ती के लिए अभ्यार्थी के लिये बड़ी खुशखबरी आई है। वैसे अभ्यार्थी जो कि आइटीबीपी कांस्टेबल या ट्रेडमैन की वैकेंसी का इंतजार कर रहे थे उनके लिए बता दें कि आइटीबीपी की तरफ से 287 पदों पर भर्ती निकाली गई है। जो भी अभ्यार्थी भारत तिब्बत सीमा बल पर, मैं नौकरी करना चाहते हैं उन सभी उम्मीदवारों के लिए यह एक बड़ा सुनहरा मौका है। वैसे अभ्यर्थी जो की आइटीबीपी में आवेदन करना चाहते हैं उनके लिए अंतिम तिथि 22 दिसंबर 2022 तक अपना आवेदन कर ले।

ITBP Constable भर्ती 2023 कौन-कौन कर सकते हैं आवेदन :- अभ्यार्थियों को आइटीबीपी में आवेदन करने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से दसवीं पास होना आवश्यक है और साथ में आईटीआई भी होना आवश्यक है तभी आप आइटीबीपी में आवेदन कर पाएंगे।

उम्र सीमा:- आपको बता दें कि आईटीबीपी में आवेदन करने के लिए जो न्यूनतम उम्र है वह 18 वर्ष है एवं अधिकतम उम्र 23 वर्ष होनी चाहिए। लेकिन धोबी, सफाई कर्मी एवं नाई के लिए न्यूनतम उम्र 18 वर्ष से लेकर 25 वर्ष तक की आयु होनी चाहिए। अगर आप दिए हुए आयु से अधिक है तो आप आइटीबीपी में आवेदन नहीं कर पाएंगे।

आइटीबीपी में कैसे कर पाएंगे आवेदन:- आइटीबीपी में अभ्यर्थियों को आवेदन करने के लिए सबसे पहले अभ्यर्थियों को आईटीबीपी के अधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा और वहां से अभ्यार्थियों को ऑनलाइन कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आइटीबीपी में आवेदन करने की जो अंतिम तिथि है वह 22 दिसंबर 2022 तक है।

आइटीबीपी कांस्टेबल पदों का मात्रता दंड :- आइटीबीपी कांस्टेबल के कुल 287 पदों पर भर्ती होनी है।

दर्जी 18
माली 16
मोची 31
सफाई कर्मचारी 78
धोबी 89
नाई 55
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ITBP कांस्टेबल चयन प्रक्रिया :- आइटीबीपी कांस्टेबल एवं ट्रेडमैन के चयन प्रक्रिया शारीरिक परीक्षा , शारीरिक मानक परीक्षा मानक, लिखित परीक्षा ट्रेड टेस्ट एवं चिकित्सक परीक्षा के आधार कार्ड जेम आधार पर चयन किया जाएगा।

देश की खबरें | जलवायु वित्त और स्थायी विकास लक्ष्य में सामंजस्य स्थापित हो : भारत ने जी-20 शेरपा की बैठक में कहा

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देश की खबरें | जलवायु वित्त और स्थायी विकास लक्ष्य में सामंजस्य स्थापित हो : भारत ने जी-20 शेरपा की बैठक में कहा

उदयपुर, पांच दिसंबर जी-20 के शेरपा की पहली बैठक में भारत ने सोमवार को स्थायी विकास और जलवायु वित्त से समन्वय पर जोर दिया। इसके साथ ही भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह उभरती अर्थव्यवस्थाओं की चुनौतियों और दक्षिणी गोलार्ध के मुद्दों को विश्व मंच पर लाएगी।

जी-20 के शेरपा की सोमवार को हुई बैठक में चर्चा डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रौद्योगिकी परिवर्तन, स्वास्थ्य और शिक्षा, हरित विकास और भारत की पर्यावरण के लिए जीवनशैली (लाइफ) पहल पर केंद्रित रही।

जी-20 में भारत के ‘शेरपा’ अमिताभ कांत ने सोमवार को चर्चा की शुरुआत करते हुए विश्व चुनौतियों से निपटने के लिए उम्मीद, सौहार्द्र और मरहम लगाने की भावना के साथ एकजुट होकर काम करने पर जोर दिया, जिसमें विकासशील देशों और ‘वैश्विक दक्षिण’ (लातिन अमेरिकी, एशियाई, अफ्रीकी और ओशिनियाई क्षेत्र) के देशों पर ध्यान हो जिनकी आवाज अकसर अनसुनी रह जाती है।

कम से कम दो अधिकारियों ने बताया कि बैठक सौहार्द्र पूर्ण महौल में हुई और यूक्रेन में जारी संघर्ष का कोई प्रत्यक्ष संदर्भ नहीं आया।

वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘यूक्रेन का संदर्भ मुख्यत: वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर, उच्च ऊर्जा मूल्य और खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में दिया गया।

कांत ने रविवार को वैश्चिक कर्ज, महंगाई आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर और विकासदर में गिरावट, यूक्रेन संघर्ष को लेकर मतभेद को दुनिया के समक्ष अहम चुनौतियों को रूप में रेखांकित किया था।

भारत के जी-20 समन्वयक हर्षवर्ध श्रृंगला ने चर्चा के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘शेरपाओं ने भारत की अध्यक्षता और उसके द्वारा रेखांकित प्राथमिकताओं के लिए मजबूती से समर्थन किया। उनका मानना था कि ये प्राथमिकताएं केवल हमारी नहीं बल्कि सभी की हैं। उनका मानना है कि इस अहम प्राथमिकताओं पर कुछ कदम उठाने की जरूरत है।’’

इससे पहले दिन में कांत ने जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत की अध्यक्षता समावेशी, महत्वकांक्षी, कार्य उन्मुख और निर्णायक होगी।

कांत ने प्रौद्योगिक बदलाव के पहले सत्र में कहा कहा, ‘‘हम यह करेंगे लेकिन यह आपके के बिना क्रियान्वित नहीं हो सकता। इसलिए हम आपका समर्थन चाहते हैं, सकारात्मक और आगे की सोच के साथ आप सभी का आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर समर्थन चाहते हैं ताकि जी-20 आकर्षक, बहुत गतिशील, वैश्विक विकास एवं वैश्विक स्थायी एवं डिजिटल बदलाव के प्रति बहुत ही सकारात्मक समूह के तौर पर उभरे।’’

बैठक में हिस्सा लेने आए प्रतिनिधियों का राजस्थानी अंदाज में आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर आधिकारिक डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर रंग बिरंगे पारंपरिक साफा पहनाकर स्वागत किया गया। मानेक चौक स्थित सिटी पैलेस में उन्हें जैकेट और चादर ओढ़ा कर स्वागत किया गया। शाम को शेरपाओ के लिए पिछोला झील के बीच में बने जग मंदिर पैलेस में ‘चाय पर चर्चा’ अयोजित की गई थी और इस दौरान राजस्थान की पांरपरिक लोक नृत्य की प्रस्तुति दी गई।

श्रृंगला ने कहा कि भारत का उद्देश्य उसके कथानक को वैश्विक एजेंडे में शामिल कराना और साथ ही देश की उपलब्धियों, पर्यटन संभावनाओं और सांस्कृतिक विरासत को पेश करना है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी प्राथमिकताएं वैश्विक प्राथमिकताएं बननी चाहिए। यह इसका मूल अंग है।’’

जलवायु वित्त, खाद्य आपूर्ति सुरक्षा और ऊर्जा कीमतों के बारे में श्रृंगला ने कहा कि यह सभी देशों का लक्ष्य है और जी-20 इस बारे में कुछ करने के लिए एकसाथ आ सकते हैं।

पूर्व विदेश सचिव श्रृंगला ने कहा, ‘‘हम उन मुद्दों पर वित्त, शेरपा और यहां तक विदेश मंत्रियों स्तर पर चर्चा कर रहे हैं। हमारा मानना है कि कुछ नतीजे आएंगे और दुनिया उससे खुश होगी।’’

डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रौद्योगिक बदलाव पर केंद्रित चर्चा के प्रारंभिक सत्र को संबोधित करते हुए कांत ने कहा, ‘‘जिन चुनौतियों का सामना आज हम कर रहे हैं उनका समाधान केवल उम्मीदों, सौहार्द और मरहम लगाने विचार के साथ ही एकजुट होकर हो सकता है। हमारी चिंता पहले उनके प्रति होनी चाहिए जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है।’’

उन्होंने कहा कि भारत जी-20 की अध्यक्षता के दौरान विकासशील देशों की प्राथमिकताओं और जी-20 सदस्यों के अलावा ‘वैश्विक दक्षिण’ की आवाज को प्राथमिकता देना चाहता है। कांत ने कहा, ‘‘हमारा विचार है कि साझेदारी हम सभी के लिए लाभकारी होनी चाहिए फिर चाहे विकासशील देश हो, दक्षिणी गोलार्ध के देश हो या विकसित अर्थव्यवस्था वाले देश हों।

गौरतलब है कि एक दिसंबर को जी-20 की अध्यक्षता भारत ने औपचारिक रूप से ग्रहण की। जी-20 विकसित और विकासशील देशों की अंतर सरकारी मंच है। अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ संगठन के सदस्य है। जी-20 सदस्यों का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 80 प्रतिशत, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 75 प्रतिशत और वैश्विक आबादी में दो तिहाई योगदान है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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