रेजिस्टेंस 2 = पिवट पॉइंट + (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)

ट्रेडों की संख्या

जानिए क्या है Zerodha का 'Kill Switch' फीचर और कैसे यह लॉस होने से बचाएगा

देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म Zerodha ने अपनी Kite ऐप पर "Kill Switch" का नया फीचर दिया है। इससे यूजर्स को ओवर ट्रेडिंग से बचने में मदद मिलेगी। इसके साथ Zerodha ने Kite पर चेतावनियां और सुझाव भी शामिल किए हैं जो यूजर्स के लिए ट्रेडिंग के दौरान प्रॉफिट की संभावना को बढ़ा सकते हैं।

Zerodha के फाउंडर और CEO, नितिन कामत ने ट्वीट के जरिए कहा, "जब आप ट्रेडिंग के दौरान अधिक लॉस में होते हैं तो कुछ देर के लिए रुकना बेहतर होता है। ऐसा नहीं करने पर गलत और बड़े दांव लगाने की आशंका होती है।"

कामत ने Zerodha की वेबसाइट पर एक पोस्ट में कहा कि मार्केट क्या स्विंग ट्रेडिंग डे ट्रेडिंग से बेहतर होती है में गिरावट या लॉस होने पर ट्रेड की औसत संख्या प्रॉफिट होने के दौरान के ट्रेड से बहुत अधिक होती है। समझदार ट्रेडर्स अधिक लॉस होने पर अपने ट्रेडिंग साइज को घटाते हैं या ट्रेडिंग को रोक देते हैं। यह लंबी अवधि तक मार्केट में बने रहने का एकमात्र तरीका हो सकता है।

Types of क्या स्विंग ट्रेडिंग डे ट्रेडिंग से बेहतर होती है Stock Trading in Hindi: शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कितने प्रकार से की जाती है? जानिए

Types of Trading in क्या स्विंग ट्रेडिंग डे ट्रेडिंग से बेहतर होती है India: अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते है, तो पहले आपको यह जान लेना आवश्यक है कि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के कितने प्रकार होते है?(Types of Trading in Stock Market) इस लेख क्या स्विंग ट्रेडिंग डे ट्रेडिंग से बेहतर होती है के माध्यम से हम जानेंगे कि ट्रेडिंग कितने प्रकार से होती है। (Types of Trading in Hindi)

Types of Stock Trading in Hindi: शेयर मार्केट ट्रेडिंग में रुचि रखने वालों के लिए अवसरों का सागर है। यह बहुत ही आकर्षक है अगर ट्रेडिंग में सही रणनीति का पालन किया जाए तो आप खूब सारा पैसा बना सकते है। लेकिन एक बात आपको समझना चाहिए कि आप किस प्रकार की रणनीति से स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहते है। दरअसल शेयर market में ट्रेडिंग करने के बहुत सारे तरीके मौजूद है। तो अगर शेयर मार्केट में आप भी निवेश करना चाहते है, तो पहले आपको यह जान लेना आवश्यक है कि शेयर मार्केट में ट्रेडिंग के कितने प्रकार होते है?(Types of Trading in Stock Market) इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि ट्रेडिंग कितने प्रकार से होती है। (Types of Trading in Hindi)

डिलीवरी ट्रेडिंग कैसे करें?

कोई भी निवेशक डिलीवरी ट्रेडिंग को प्रक्रिया का चयन तभी करता है जब उसको long term के लिए निवेश करना है। डिलीवरी ट्रेडिंग में अपने कंपनियों के शेयर कोई खरीदते है और अपने डीमैट खाता में होल्ड करते है। आप अपने शेयर को जब अपने डीमैट खाता में रखना चाहे तो रख सकते है और जब आपको अपने शेयर कर अच्छा रिटर्न्स मिल रहा है तो आप उसको बेच सकते है। शेयर बेचने का निर्णय आप पर निर्भर है। अन्य इंट्राडे ट्रेडिंग के तरह आप बाध्य नहीं है।

डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपके पास पर्याप्त धनराशि होनी चाहिए तभी आप शेयर को खरीद सकते है और बेचने के लिए भी आपके पास उतने शेयर होने चाहिए। डिलीवरी ट्रेडिंग में यदि आपका रणनीत अच्छी है तो आपको एक निश्चित अंतराल के बाद अच्छा रिटर्न्स प्राप्त होगा।

यदि आप शेयर बाजार में नए और आप सही शेयर खरीदने का निर्णय नहीं सकते है तो आपको सेबी रजिस्टर्ड निवेशक सलाहकार के परामर्श से आपको शेयर को खरीदने चाहिए। इससे शेयर बाजार के जोखिम काम हो सकता है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के फायदे

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग सरल और सुरक्षित निवेश है इसके साथ -2 अन्य सुविधाएं है।

लॉन्ग टर्म निवेश

डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फ़ायदा है की आप शेयर को होल्ड कर सकते है, आप किसी समय अंतराल में बाध्य नहीं है।

उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और इसे होल्ड रखते हैं। कुछ समय बाद वह कंपनी या व्यवसाय आपको पॉजिटिव रिटर्न्स देता है, तो आप उस इन्वेस्ट में बने रह सकते हैं। लेकिन आपको कोई लाभ दिखाई नहीं देता है, तो आप उस शेयर को कभी भी बेचकर क्या स्विंग ट्रेडिंग डे ट्रेडिंग से बेहतर होती है अपने पोजीशन से बाहर हो सकते हैं।

सुरक्षित

जब डिलीवरी आधारित ट्रेडिंग के माध्यम से शेयर खरीदते है तो आप वह शेयर बेचने के लिए समय के बाध्य नहीं है। यह आपके जोखिम की संभावना को काम करता है और आपके निवेश को सुरक्षित रखता है।

उदाहरण : मान लीजिए कि अपने किसी कंपनी के शेयर में निवेश किया है और किसी भी कारन से शेयर का दाम अगले दिन गिर जाता है। आप वह शेयर होल्ड रख कर सही समय का इंतज़ार कर सकते हैं। जब शेयर के दाम आपके निवेश किये राशि से ज्यादा है तो आप शेयर बेचकर मुनाफा अर्जित कर सकते है। इसलिए यह शेयर सुरक्षित है।

डिलीवरी ट्रेडिंग के नुकसान

शेयर बाजार में ट्रेडिंग या निवेश पूर्णतः परिपक्व नहीं होता है डिलीवरी ट्रेडिंग में कुछ नुकसान भी है। आपको निवेश करने से पहले अन्य संभावना का विश्लेषण करना आवश्यक है। यहां डिलीवरी ट्रेडिंग के कुछ नुकसान निम्नलिखित हैं:

पहले से भुगतान

डिलीवरी ट्रेडिंग में, आपको शेयर खरीदने से पहले आपके पास शेयर के दाम का पर्याप्त धनराशि होना चाहिए। निवेशक के लिए कई बार उतना धनराशि रखना मुश्किल हो जाता है और आप अच्छे शेयर खरीदने से वंचित हो जाते है।

अधिक ब्रोकरेज शुल्क

डिलीवरी ट्रेडिंग में आपको ब्रोकरेज शुल्क देना होता है। हालांकि कुछ ब्रोकर कंपनियां ब्रोकरेज शुल्क नहीं लेती है।

दोस्तों, डिलीवरी ट्रेडिंग एक लॉन्ग टर्म निवेश का विकल्प है। निवेशक शेयर को खरीदकर अपने डीमैट खाता में बिना समय अवधि के होल्ड करके रख सकता है और कभी भी बेच सकता है।

डे ट्रेडिंग बनाम स्विंग ट्रेडिंग। आपको कौन सी शैली सबसे अच्छी लगती है?

डे ट्रेडिंग बनाम स्विंग ट्रेडिंग

विभिन्न ट्रेडिंग शैलियों मौजूद। आप उन सभी को जानना चाह सकते हैं। यह आपको यह निर्णय लेने में मदद करेगा कि आपको कौन सा पसंद है, कौन सा आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप है और कौन सा आपको सबसे अधिक लाभ लाता है। आज, मैं दो शैलियों और उनके बीच के अंतरों के बारे में बात करूंगा। वे डे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग होंगे।

ट्रेडिंग के दोनों तरीके एक तरह से समान हैं, लेकिन कुछ आवश्यक अंतर हैं। आइए ट्रेडिंग फ्रीक्वेंसी, किए गए ट्रेडों की संख्या, समय सीमा, आपको इसे समर्पित करने के लिए आवश्यक समय और आप उनके साथ कैसे ट्रेड कर सकते हैं, इस पर चर्चा करते हैं।

अपनी ट्रेडिंग शैली चुनेंआपको किस प्रकार का व्यापार चुनना चाहिए

दिन और स्विंग ट्रेडिंग के बीच निर्णय लेते समय आपको कई कारकों पर ध्यान देना चाहिए।

पहली आपकी उपलब्धता है। दिन के कारोबार में अधिक समय लगता है। स्विंग ट्रेडिंग आपको अधिक स्वतंत्रता देती है।

दिन के कारोबार की गति बहुत तेज है। आप दिन भर में विभिन्न लेन-देन खोलेंगे और इसके लिए हर समय आपका ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है। स्विंग ट्रेडिंग के दौरान खोले गए पोजीशन लंबे समय तक चलते हैं और इसलिए उन्हें इतना ध्यान देने की जरूरत नहीं है।

इसके अलावा, अनुमान लगाएं कि आप कितना तनाव ले सकते हैं। आमतौर पर, तेजी से बदलाव और निरंतर फोकस के साथ, दिन के कारोबार को अधिक तनावपूर्ण माना जाता है।

डेमो ट्रेडिंग खातेनिष्कर्ष

अंत में, यह हमेशा एक व्यक्तिगत निर्णय होता है कि किसे चुनना है। कोई यह नहीं कह सकता कि यह दूसरे से बेहतर है। हालांकि, यह इस खास ट्रेडर के लिए बेहतर हो सकता है।

विभिन्न प्रकार की ट्रेडिंग के बारे में जानें, उन्हें डेमो अकाउंट पर क्या स्विंग ट्रेडिंग डे ट्रेडिंग से बेहतर होती है आज़माएं और पता करें कि आपको सबसे अच्छा क्या लगता है।

आम तौर पर, दिन के कारोबार में अधिक लाभ की संभावना होती है क्योंकि व्यापार अधिक बार होता है। यह स्विंग ट्रेडिंग की तुलना में अधिक सक्रिय, समय लेने वाली और तनावपूर्ण भी है, जिसमें अभी भी बहुत अधिक लाभ की संभावना है।

पूंजी की आवश्यकताएं विभिन्न बाजारों और व्यापारिक शैलियों पर निर्भर करती हैं। शुरू करने के लिए न्यूनतम राशि है या नहीं, आपको अपने ब्रोकर से जांच करनी चाहिए।

पिवट पॉइंट्स क्या होते हैं?

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पिवट पॉइंट का पता तकनीकी विश्लेषण के जरिए लगाया जाता है और इससे बाजार के ओवरऑल ट्रेंड का पता चलता है. सीधे शब्दों में बताएं तो यह पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस का एवरेज यानी औसत आंकड़ा होता है. अगर अगले दिन के ट्रेडिंग सेशन बाजार इस पिवट पॉइंट के ऊपर जाता है, तो कहा जाता है कि बाजार बुलिश सेंटीमेंट यानी तेजी दिखा रहा है, वहीं, अगर बाजार इस पॉइंट से नीचे ही रह जाता है तो इसे बेयरिश यानी गिरावट वाला मार्केट माना जाता है. ऐसे मार्केट में निवेशकों को अपनी रणनीति बदलने की सलाह दी जाती है.

जब पिवट पॉइंट्स के साथ क्या स्विंग ट्रेडिंग डे ट्रेडिंग से बेहतर होती है दूसरे टेक्निकल टूल्स को मिलाकर गणना की जाती है, तो इससे उस असेट के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ-साथ किसी शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग सेशन में सपोर्ट और रेजिस्टेंट लेवल का पता भी लगता है.

पिवट पॉइंट्स कैसे कैलकुलेट किए जाते हैं?

पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे आम तरीका फाइव-पॉइंट सिस्टम है. इस सिस्टम में पिछले ट्रेडिंग सेशन के ऊंचे, सबसे निचले स्तर, और क्लोजिंग प्राइस के साथ दो सपोर्ट लेवल और दो रेजिस्टेंस लेवल को लेकर कैलकुलेशन किया जाता है.

पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने का समीकरण ये है :

पिवट पॉइंट = (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर + पिछले सत्र का निचला स्तर + पिछला क्लोजिंग प्राइस) 3 से विभाजन (/)

सपोर्ट लेवल कैलकुलेट करने का समीकरण :

सपोर्ट 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का ऊंचा स्तर

सपोर्ट 2 = पिवट पॉइंट − (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)

रेजिस्टेंस लेवल कैलकुलेट करने के लिए समीकरण :

रेजिस्टेंस 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का निचला स्तर

टाइम फ्रेम

ट्रेडर्स आमतौर पर पिवट पॉइंट्स का इस्तेमाल छोटे टाइम फ्रेम का चार्ट बनाने के लिए करते हैं. या तो ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे या फिर कम से कम 15 मिनट का चार्ट बनाया जा सकता है.

पिवट पॉइंट पांच तरह के होते हैं. फाइव-पॉइंट सिस्टम में स्टैंडर्ड पिवट पॉइंट (Standard Pivot Point) का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा बाकी चार पिवट पॉइंट्स को- Camarilla Pivot Point, Denmark Pivot Point, Fibonacci Pivot Point और Woodies Pivot Point कहते हैं.

पिवट पॉइंट्स दूसरे इंडिकेटर्स या संकेतकों से अलग कैसे है?

पिवट पॉइंट सिस्टम मौजूदा प्राइस में मूवमेंट पर निर्भक रहने के बजाय, पिछले सत्र के डेटा का इस्तेमाल करता है. इस अप्रोच से ट्रेडर्स को आगे की संभावनाओं का जल्दी पता चलता है और वो इसके हिसाब से स्ट्रेटजी तैयार कर सकते हैं. ये पिवट पॉइंट अगले ट्रेडिंद सेशन तक स्टैटिक यानी स्थिर रहते हैं.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिवट पॉइंट्स ज्यादा क्या स्विंग ट्रेडिंग डे ट्रेडिंग से बेहतर होती है बेहतर मदद बस इंट्रा-डे ट्रेडिंग में ही करते हैं क्योंकि ये बहुत ही सीधी गणना पर आधारित होते हैं और इस वजग से स्विंग ट्रेडिंग में काम नहीं आ सकते. साथ ही, अगर करेंसी में प्राइस मूवमेंट बहुत ज्यादा होने लगी तो इससे पिवट पॉइंट्स के अनुमान व्यर्थ हो सकते हैं. ऐसे में जब बाजार में ज्यादा वॉलेटिलिटी हो यानी कि ज्यादा उतार-चढ़ाव हो तो निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वो पिवट पॉइंट्स पर भरोसा न करें क्योंकि प्राइस मूवमेंट किसी भी कैलकुलेशन स्ट्रेटजी को धता बता सकता है.

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