बदला समय,बदला निवेशक!
कैसे-कैसे बदला निवेश का तरीका?
गिरावट में भी बढ़ी खरीदारी
अनिश्चित समय की पूरी तैयारी
आज के जमाने का स्मार्ट इन्वेस्टर#MoneyGuru में आज देखिए
कहीं भी करें अपना पैसा निवेश, बस इन 5 प्वाइंट को हमेशा रखें याद, फायदे में रहेंगे
आमतौर पर सुरक्षित निवेश माने जाने वाले रियल एस्टेट में भी बीते दिनों गिरावट का रुख देखने को मिला और यहां भी अब रिटर्न उम्मीद के मुताबिक नहीं रह गया है.
आज बाजार में इनवेस्टमेंट के पहले के मुकाबले कहीं अधिक विकल्प मौजूद हैं.
आज बाजार में इनवेस्टमेंट के पहले के मुकाबले कहीं अधिक विकल्प मौजूद हैं. बैंक और दूसरी वित्तीय कंपनियों के मार्केटिंग एक्जिक्यूटिव अपने प्रोडक्ट बेचने के लिए आप पर तरह तरह से डोरे डालते हैं. आमतौर पर सुरक्षित निवेश माने जाने वाले रियल एस्टेट में भी बीते दिनों गिरावट का रुख देखने को मिला और यहां भी अब रिटर्न उम्मीद के मुताबिक नहीं रह गया है. ऐसे में सही जगह निवेश करना किसी चुनौती से कम नहीं है. फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अगर आप इन्वेस्टमेंट से पहले 5 बातों का ख्याल रखें तो हमेशा फायदा होगा.
1. आप किन जरूरतों को पूरा करने के लिए निवेश कर रहे हैं?
अगर आप पहले अपनी जरूरतों को नोट करें और फिर निवेश की योजना बनाएं, तो आप अपने लक्ष्य को कहीं आसानी से पा सकते हैं. कुछ बड़ी जरूरतें जैसे घर खरीदना, बच्चों की पढ़ाई और शादी और रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए आपको कब और कितना पैसा चाहिए, इस बारे में प्लान बनाकर निवेश करना चाहिए.
2. आप कितने समय के लिए पैसे लगाना चाहते हैं
सबसे जरूर बात ये है कि आप कितने समय के लिए निवेश करना चाहते हैं. यानी उन पैसों की जरूरत आपको कब पड़ेगी. निवेश की समयसीमा के अनुसार इसे लॉन्ग टर्म, मिड टर्म या शॉर्ट टर्म के रूप में बांटा गया है. अगर आपने जरूरत के हिसाब निवेश किया है तो इससे एक सही प्लान बनाने और एक सही टाइमफ्रेम में वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी.
3. आप कितना जोखिम ले सकते हैं?
जोखिम लेने की अपनी क्षमता का अनुमान लगाए बिना निवेश करने पर आपको नुकसान हो सकता है. इसलिए निवेश करने से पहले ये सोचिए कि आप कितना जोखिम ले सकते हैं.
4. कीजिए अलग-अलग जगह निवेश
ये भी जरूरी है कि आप अपना सारा इनवेस्टमेंट एक ही जगह न कर दें. इनवेस्टमेंट को इक्विटी, डेट और निवेश के दूसरे साधानों जैसे सोना, एफडी में अपनी जरूरत के हिसाब से बांटिए. इन जरियों में आपको कितना निवेश करना है, ये जानकर आप जोखिम कम कर सकते हैं.
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5. किन प्रोडक्ट में निवेश करना है अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें
अपने इनवेस्टमेंट की जरूरतों को ध्यान में रखकर प्रोडक्ट का चुनाव कीजिए. ऐसे प्रोडक्ट लीजिए जो आपके टाइम होराइजन और जोखिम लेने की क्षमता से मेल खाते हों.
बदलते समय में बदल गया निवेश का तरीका, एक्सपर्ट्स से जानें अनिश्चित समय की तैयारी करते हैं स्मार्ट निवेशक
Invest in market: कोरोना महामारी के बाद निवेशकों के निवेश करने के तरीके में बहुत बदलाव आया है. आइए जानते हैं कि कैसे आप अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग को बढ़ा सकते हैं.
Invest in market: कोरोना महामारी आने के बाद पिछले तीन साल में जैसे बाजार का माहौल, अर्थव्यस्था और हमारे आस-पास की पूरी दुनिया बदली है, उसने हम सबको बहुत कुछ सिखाया है. इतना कुछ हमने शायद पिछले एक दशक में नहीं सीखा था. कोरोना महामारी के बाद से बाजार में निवेश करने वाले इन्वेस्टर्स को बहुत कुछ सीखने को मिला है. Covid 19 के समय जिस तरह से बाकी सभी गतिविधियां थम सी गई थीं, निवेशकों ने बाजार में निवेश अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें करने और टीके रहने के कई सारे नए गुर सीख लिए हैं. इसे ऐसे भी देख सकते हैं कि 2020 के मुकाबले 2022 में मार्केट में रिकॉर्ड इन्वेस्टमेंट हो रही है. लोग SIP की तरफ भी काफी आकर्षित हो रहे हैं. फुल सर्किल फाइनेंशियल प्लानर के फाउंडर कल्पेश आशर और क्रिडेन्स वेल्थ एडवायजर्स के सीईओ कीर्तन शाह से जानते हैं कि कैसे अब आगे आप अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग को बढ़ा सकते हैं.
बदला समय, बदला निवेशक
- कोविड ने निवेशक को और जागरुक बनाया
- पिछले 3 साल में बाजार में कई सीख मिली
- मार्च 2020- अक्टूबर 2022-उतार-चढ़ाव के कई दौर
- बढ़ती महंगाई,वैश्विक मंदी की आशंका नई चुनौतियां
- SIP में बढ़ता निवेश, जागरुक निवेशक की ताकत दिखाता
- अप्रैल-अक्टूबर 2022 में SIP निवेश ₹87 करोड़ रहा
- पिछले 3 साल में डीमैट खाते दोगुना से ज्यादा हुए
- डीमैट खाते बढ़कर 10 करोड़ के पार
बदला समय,बदला निवेशक!
कैसे-कैसे बदला निवेश का तरीका?
गिरावट में भी बढ़ी खरीदारी
अनिश्चित समय की पूरी तैयारी
आज के जमाने का स्मार्ट इन्वेस्टर#MoneyGuru में आज देखिए
ग्लोबल बाजार में निवेश
- अमेरिका में महंगाई रिकॉर्ड स्तर पर
- महंगाई से बचने के लिए,ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी
- रूस-यूक्रेन अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें के बीच जारी युद्ध चिंता का कारण
- अमेरिका, यूरोप, यूके में मंदी की आशंका
घरेलू बाजार, मौके अपार
- भारत तेजी से बढ़ती पांचवी अर्थव्यवस्था
- भारत महंगाई को काबू में करने की बेहतर स्थिति में
- भारतीय बाजारों पर FIIs का भरोसा लौटा
- दुनिया की चीन पर घटती आत्मनिर्भरता
विदेश निवेश-अभी सही?
- विदेशी निवेश डायवर्सिफिकेशन के लिए सही
- पोर्टफोलियो में 10-15% ही एक्सपोजर रखें
- निवेशक जोखिम क्षमता अनुसार निवेश करें
- लंबी अवधि के निवेश के लिए फायदेमंद
- कम से कम 5 साल का नजरिया रखें
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स्टेप-अप SIP
- आय के साथ SIP अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें रकम बढ़ाने का विकल्प
- सालाना 10-20% स्टेप-अप SIP कर सकते हैं
- म्यूचुअल फंड में स्टेप-अप SIP का विकल्प
- नई SIP की जगह,मौजूदा SIP को स्टेप-अप विकल्प
- घर,बच्चे की शिक्षा,रिटायरमेंट जैसे लक्ष्यों के लिए कारगर
₹20 हजार की SIP
इन्वेस्टर्स को 20 हजार रुपये की SIP पर 20 साल की अवधि के 11 फीसदी की रिटर्न के साथ कुल 1.73 करोड़ का कॉर्पस मिलता है. जबकि स्टेप-अप @10% के साथ आपको 20 हजार रुपये की SIP पर 20 साल बाद 3.72 करोड़ रुपये मिलते हैं.
Mutual Funds: म्यूचुअल फंड में निवेश से होगी जबरदस्त कमाई, बस इन 5 टिप्स का रखें ध्यान
म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय सही निर्णय लेने में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. आपकी मदद के लिए यहां हमने कुछ अहम सुझाव दिए हैं.
म्यूचुअल फंड हमेशा निवेशकों के लिए पसंदीदा विकल्प रहे हैं.
Mutual Funds: म्यूचुअल फंड हमेशा निवेशकों के लिए पसंदीदा विकल्प रहे हैं. कई निवेशक अपने फाइनेंशियल गोल्स को हासिल करने के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश करते हैं. अक्सर पहली बार निवेश करने वाले निवेशक यह नहीं समझ पाते कि उन्हें कहां निवेश करना चाहिए और गलती कर बैठते हैं. ऐसे फर्स्ट टाइम इन्वेस्टर्स के लिए म्यूचुअल फंड एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. इसके तहत, सही स्कीम चुनना जरूरी है ताकि आपको अधिकतम रिटर्न मिल सके. म्यूचुअल फंड में निवेश करते समय सही निर्णय लेने में आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. आपकी मदद करने के लिए यहां हमने कुछ अहम सुझाव दिए हैं.
रिस्क लेने की क्षमता का आकलन जरूरी
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश रिटर्न की उम्मीद का आकलन करना चाहिए. उसके बाद आप सही म्यूचुअल फंड स्कीम का चयन करें जिसके ज़रिए आपको आपको बेहतर रिटर्न मिल सके. उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप अगले दस सालों में एक निश्चित अमाउंट बनाना चाहते हैं और आपकी जोखिम उठाने की क्षमता अधिक है. आप एक ऐसी म्यूचुअल फंड स्कीम चुन सकते हैं जो आपको आपकी जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार हाई रिटर्न दे सके और 10 सालों के बाद आपके वित्तीय लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सके. आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर यह समझना होगा कि किसी फाइनेंशियल गोल को हासिल करने के लिए म्यूचुअल फंड स्कीम में कितना निवेश करने की जरूरत है.
निवेश का डायवर्सिफिकेशन जरूरी
एक या दो म्यूचुअल फंड स्कीम्स में पूरे फंड का निवेश करने से आपको अधिक जोखिम उठाना पड़ सकता है. आपको अपने निवेश पोर्टफोलियो को अलग-अलग म्यूचुअल फंड स्कीम्स और अलग-अलग म्यूचुअल फंड कंपनियों में डायवर्सिफाई करना चाहिए. एक निवेशक के तौर पर आपके लिए यह अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें जानना बेहद जरूरी है कि अपने पोर्टफोलियो में एसेट एलोकेशन कैसे किया जाए. निवेशक को अपनी पर्सनल इन्वेस्टमेंट गोल्स और जोखिम लेने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए एसेट एलोकेट करना चाहिए. एसेट एलोकेशन निवेश की रणनीति बनाने में मदद करता है. एसेट एलोकेशन का एक फायदा यह है कि अगर किसी एक एसेट क्लास में उतार-चढ़ाव होता है तो जरूरी नहीं है कि दूसरे में भी हो.
स्कीम चुनने में बरतें सावधानी
यहां कई म्यूचुअल फंड कंपनियां हैं. इनके द्वारा कई तरह की स्कीम पेश की जाती हैं. आपको इनमें से अपनी जरूरत के अनुसार सही स्कीम का चुनाव करना होगा. अब सवाल यह है कि निवेश के लिए सबसे अच्छी स्कीम का चुनाव कैसे करें? किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश से पहले आपको उनके पिछले प्रदर्शन, मैनेजमेंट एफिशिएंसी और एक्सपेंस रेश्यो की जांच करनी चाहिए. इसके साथ ही, अलग-अलग स्कीम की तुलना ऑनलाइन माध्यम से करनी चाहिए. रेगुलर प्लान्स की तुलना में डायरेक्ट प्लान्स को प्राथमिकता दें क्योंकि इनका एक्सपेंस रेश्यो कम होता है.
एकमुश्त निवेश या SIP इन्वेस्टमेंट
यदि आप एकमुश्त राशि निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आप अधिक जोखिम नहीं लेना चाहेंगे. इसलिए, डेट फंड एक अच्छा विकल्प हो सकता है. अगर आप बेहतर रिटर्न के लिए मध्यम जोखिम लेने को तैयार हैं, तो आप बैलेंस्ड फंड में निवेश कर सकते हैं. ज्यादा रिटर्न के लिए आपको ज्यादा जोखिम उठाने होंगे. इसलिए, आप लार्ज-कैप इक्विटी फंड में निवेश के लिए जा सकते हैं. अलग-अलग स्कीम और म्यूचुअल फंड कंपनियों में अपने फंड को डायवर्सिफाई करें. अगर आप जोखिम को और कम करना चाहते हैं, तो आप एकमुश्त फंड को लिक्विड फंड में रख सकते हैं और एसटीपी विकल्प का उपयोग करके एक उपयुक्त म्यूचुअल फंड योजना में निवेश कर सकते हैं.
अगर आप लंबी अवधि में किस्तों में निवेश करते हुए फंड तैयार करना चाहते हैं, तो आप इक्विटी फंड में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से निवेश कर सकते हैं. एसआईपी आपको आकर्षक रिटर्न पाने में मदद कर सकता है, खासकर जब आप उतार-चढ़ाव भरे बाजार के बीच लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं.
पोर्टफोलियो की समीक्षा और री-बैलेंस जरूरी
म्यूचुअल फंड स्कीम्स में निवेश के दौरान समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो की समीक्षा करना जरूरी है. हमेशा यह चेक करते रहें कि आपका निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहा है. हो सकता है कि कभी-कभी यह आपके उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन न करे. वहीं, कभी-कभी यह आपकी उम्मीदों से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है. अगर यह आपकी उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन न करे तो खराब प्रदर्शन वाले निवेश को बेहतर फंड में बदलना पड़ सकता है.
दूसरी ओर, अगर आपके पोर्टफोलियो ने आपकी उम्मीद से काफी बेहतर प्रदर्शन किया है, तो आप हाई रिस्क वाली स्कीम से कम रिस्क वाली म्यूचुअल फंड स्कीम में स्विच कर सकते हैं और अर्जित रिटर्न को सुरक्षित करते हुए अपने पोर्टफोलियो को रि-बैलेंस कर सकते हैं. म्युचुअल फंड में कम उम्र से ही निवेश करना शुरू कर दें. लंबी अवधि के लिए निवेशित रहकर आपको निवेश पर लाभ को अधिकतम करने में मदद मिलेगी.
क्या आप निवेश में जोखिम का सही मतलब जानते हैं?
निवेशकों को अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार ही निवेश करना चाहिए, मगर बड़ा सवाल यह है कि क्या निवेशक जोखिम की अवधारणा को समझते हैं?
उनका कहना है कि इस तरह के ज्यादातर निवेशक खुद पर बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं. बाजार में अस्थिरता के दौरान यह भरोसा गायब हो जाता है. गिरावट के दौरान ये अति-आत्मविश्वासी निवेशक काफी बेचैन हो जाते हैं.
सर्कल वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक पार्टनर सौरभ मित्तल ने कहा, "निवेशक जोखिम के अर्थ को अपने अनुसार समझ रहे हैं. उन्हें लगता है कि जोखिम का अर्थ ज्यादा रिटर्न से है है. उन्हें यह नहीं पता कि अधिक जोखिम उठाना घाटे का भी सौदा साबित हो सकता है."
सलाहकारों का कहना है कि ज्यादातर निवेशक जोखिम अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें को पूंजी की बर्बादी के साथ जोड़कर नहीं देखते हैं. उनका मानना है कि निवेशकों को दांव लगाने से पहले खुद से कुछ सवाल जरूर करने चाहिए और फिर किसी निर्णय तक पहुंचना चाहिए.
प्रकला वेल्थ मैनेजमेंट की संस्थापक चोक्कालिंगम पी ने कहा, "अपनी जोखिम क्षमता जानने के लिए खुद से पूछें कि आप पूंजी में कितनी गिरावट बर्दाश्त कर सकते हैं? यह भी पूछें कि 2008 जैसी स्थिति शेयर बाजार में दोबारा आने पर आप निवेश जारी रख सकेंगे या नहीं."
उदाहरण के लिए, आपने कुछ साल पहले 1 लाख रुपये का निवेश किया. कुछ समय में यह रकम दोगुनी हो गई. बाजार की अस्थिरता में यह रकम 1.5 लाख रुपये तक फिसल गई. इसका अर्थ हुआ की आपका मुनाफा आधा हो गया. क्या आप इस तरह का जोखिम उठा सकते हैं?
कई निवेश यह जोखिम भी नहीं उठा सकते. उनके लिए तो अपनी मूलधन की राशि में कमी आने के बारे में सोचना भी अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें कठिन है. वे इस बात को नहीं समझते कि निवेश के दौरान उनके 1 लाख रुपये की वैल्यू 90,000 भी हो सकती है. इसकी वैल्यू इससे ज्यादा भी नीचे जा सकती है.
2017 की शुरुआत में निवेशकों को लगा कि यह डेट फंड्स के लिए अच्छा समय है. उन्हें ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद थी. हालांकि, ब्याज दरें कम नहीं हुईं और बॉन्ड यील्ड भी बढ़ गई. डायनेमिक बॉन्ड फंड्स ने 2 से 3 फीसदी तक का नुकसान उठाया.
इसी तरह साल 2007 में शानदार रिटर्न देने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड्स ने भी अगले छह से सात सालों तक निवेशकों को निराश ही किया. चोक्कालिंगम ने कहा, "निवेशकों को समझना चाहिए कि वे कहां पैसा लगा रहे हैं. रक्षात्मक निवेशक के लिए मिडकैप और स्मॉलकैप स्कीम नहीं हैं."
मित्तल के अनुसार, "निवेशकों को जोखिम क्षमता के अनुसार ही निवेश करें. हर श्रेणी और स्कीम का जोखिम अलग होता है." मौजूदा समय में ज्यादातर म्यूचुअल फंड कंपनियां सेबी के निर्देशानुसार के स्कीम की कैटेगरी में बदलाव करने में व्यस्त हैं. निवेशकों को इनको ध्यान में रखकर ही पोर्टफोलियो में सुधार करने चाहिए.
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Mutual Funds SIP: एसआईपी में पहली बार करने जा रहे हैं निवेश? बेहतर रिटर्न के लिए इन 5 बातों का जरूर रखें ध्यान
SIP Mutual Fund: Article Body- Systematic Investment Plan (SIP) Investment: SIP के तहत, आप अपनी इनकम और फाइनेंशियल गोल्स के आधार पर निश्चित अवधि जैसे हर हफ्ते, महीने, तिमाही या छमाही में एक निश्चित राशि निवेश कर सकते हैं.
इन्वेस्टमेंट जर्नी शुरू करने के लिए म्यूचुअल फंड सबसे अच्छे निवेश विकल्पों में से एक है.
Systematic Investment Plan (SIP): इन्वेस्टमेंट जर्नी शुरू करने के लिए म्यूचुअल फंड सबसे अच्छे निवेश विकल्पों में से एक है. इसमें आप या तो एकमुश्त निवेश अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें कर सकते हैं या सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) चुन सकते हैं. SIP में आप नियमित अंतराल में एक निश्चित राशि निवेश कर सकते हैं. पहली बार निवेश करने वालों के लिए SIP सबसे अच्छा विकल्प है. इसमें आप कम जोखिम के साथ ज्यादा रिटर्न हासिल कर सकते हैं. आप अपनी इनकम और फाइनेंशियल गोल्स के आधार पर निश्चित अवधि जैसे हर हफ्ते, महीने, तिमाही या छमाही में एक निश्चित राशि का निवेश कर सकते हैं.
पहली बार निवेश करने वाले निवेशक अक्सर म्यूचुअल फंड में बड़ी रकम जमा करने से हिचकिचाते हैं, लेकिन SIP में निवेश के लिए बड़ी राशि की जरूरत नहीं होती है, आप 500 रुपये से कम से एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू कर सकते हैं. अपने वित्तीय लक्ष्यों को निर्धारित करके अपने निवेश की सावधानीपूर्वक योजना बनाएं. पहली बार SIP में निवेश करते समय इन पांच बातों का ध्यान जरूर रखें.
अपने इन्वेस्टमेंट गोल्स को पहचानें
अपना निवेश शुरू करने के लिए आपके पास शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों तरह का लक्ष्य होना चाहिए. एसआईपी शुरू करने से पहले इस निवेश के जरिए हासिल किए जाने वाले लक्ष्य को समझना जरूरी है. यह आसान कदम आपको यह तय करने में मदद करेगा कि आप कितनी राशि कितने समय तक के लिए निवेश करना चाहते हैं. आपके पास अलग-अलग वित्तीय लक्ष्य हो सकते हैं जैसे कि कार खरीदना, घर खरीदना, बच्चे की शिक्षा, शादी आदि. इसलिए एक SIP आपके सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता है. फाइनेंशियल गोल्स की संख्या अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें के आधार पर आप इनमें से प्रत्येक लक्ष्य को पूरा करने के लिए कई एसआईपी में निवेश कर सकते हैं.
महंगाई के आधार पर करें निवेश
निवेश के जरूरी नियमों में से एक निवेश करते समय महंगाई को ध्यान में रखना है. एसआईपी चुनते समय आपको मौजूदा और भविष्य की मुद्रास्फीति को ध्यान में रखना चाहिए. हो सकता है कि आप अभी निवेश कर रहे हों, लेकिन आपके भविष्य के लक्ष्य बदल सकते हैं और आपकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अधिक राशि की जरूरत पड़ सकती है. यह अक्सर देखा जाता है कि लोगों को कई निवेशों के बावजूद पैसे कम पड़ जाते हैं क्योंकि वे मुद्रास्फीति को ध्यान में नहीं रखते. यह सलाह दी जाती है कि निवेश अवधि में अनुमानित मुद्रास्फीति को देखते हुए आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों के लिए फंड तय करना चाहिए और उसी के अनुसार एसआईपी राशि तय करनी चाहिए.
सावधानी से चुनें इन्वेस्टमेंट स्कीम
म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए बाजार विकल्पों से भरा है. आप इक्विटी फंड, डेट फंड या हाइब्रिड फंड में निवेश कर सकते हैं. जोखिम लेने की क्षमता, रिटर्न की उम्मीदों और आपके वित्तीय लक्ष्य के आधार पर म्यूचुअल फंड स्कीम चुन सकते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपकी जोखिम उठाने की क्षमता अधिक है और आप उच्च रिटर्न की उम्मीद करते हैं और लंबी अवधि के निवेश करना अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें चाहते हैं, तो आप इक्विटी एसेट क्लास का विकल्प चुन सकते हैं. कम जोखिम वाले निवेशक डेट फंड में निवेश कर सकते हैं. औसत रिटर्न की तलाश में मध्यम जोखिम लेने वाले निवेशक हाइब्रिड फंड का विकल्प चुन सकते हैं.
डायवर्सिफिकेशन जरूरी
अपने निवेश में विविधता लाना एक अच्छी निवेश रणनीति है. जैसा कि पहले भी कहा गया है कि आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता और रिटर्न की उम्मीदों के अनुसार निवेश करना चाहिए. उम्र, वित्तीय जिम्मेदारियां, निवेश की अवधि, आय, देनदारी जैसी चीजें निवेशक की जोखिम उठाने की क्षमता को प्रभावित करते हैं. डायवर्सिफिकेशन जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है. डायवर्सिफिकेशन के लिए, आपको अलग-अलग एसेट क्लास, स्कीम और म्यूचुअल फंड कंपनियों में निवेश करना चाहिए.
SIP इन्वेस्टमेंट को चेक करते रहें
निवेश का मतलब यह नहीं है कि आप अपना पैसा कुछ प्रोडक्ट्स में लगा दें और इसे भूल जाएं. आपको नियमित अंतराल पर अपने निवेश प्रदर्शन पर नज़र रखनी चाहिए. कई बार आपका निवेश उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करता है. यह गलत स्कीम या मार्केट में नेगेटिव सेंटीमेंट के कारण हो सकता है. अगर आप नियमित रूप से अपने फंड के प्रदर्शन को चेक कर रहे हैं, तो उम्मीद के मुताबिक रिटर्न हासिल करने के लिए आप जरूरी कदम उठा सकते हैं. आप खराब प्रदर्शन करने वाली स्कीम को हटा सकते हैं और निवेश अपनी क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें को किसी अन्य फंड में स्विच कर सकते हैं. जितना अधिक समय तक आप एसआईपी के माध्यम से निवेश करते हैं, उतना ही अधिक रिटर्न अर्जित करने की संभावना बेहतर होती है.
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