बिटकॉइन व्यापारियों को ‘डिप खरीदने’ को पता होना चाहिए कि खतरा है …
सेंटिमेंट, एक प्रमुख क्रिप्टो एनालिटिक्स फर्म, ट्वीट किए 10 नवंबर को व्यापारी बिटकॉइन में गिरावट के लिए आक्रामक रूप से तरस रहे थे। जैसा कि नीचे दी गई छवि से देखा जा सकता है, बीटीसी की स्थायी अनुबंध निधि दर में बहुत लंबा पूर्वाग्रह देखा गया है बीटीसी के कीमत गिर गई। इसके साथ ही, लघु पूर्वाग्रह के साथ स्थायी अनुबंध दरों में गिरावट आई है।
इस विकास के साथ, के लिए समग्र माध्य लेन-देन की मात्रा Bitcoin में भी तेजी देखी गई। नीचे दी गई छवि से, यह देखा जा सकता है कि पिछले एक सप्ताह में औसत लेनदेन की मात्रा में काफी वृद्धि हुई है। लेखन के समय, बिटकॉइन के लिए औसत लेनदेन की मात्रा a . तक पहुंच गई थी $ 249k का एक महीने का उच्च स्तर।
हालांकि, इन सकारात्मक घटनाक्रमों के बावजूद, बड़े निवेशकों की रुचि में गिरावट जारी रही। ग्लासनोड के अनुसार, एक हजार से अधिक सिक्कों वाले पतों की संख्या 2 साल के निचले स्तर 2,101 पर पहुंच गई।
इसके अलावा, पिछले कुछ दिनों में बिटकॉइन की गति में गिरावट आई है, यह दर्शाता है कि जिस आवृत्ति के साथ पतों के बीच बिटकॉइन का आदान-प्रदान किया जा रहा था वह डूब गया था।
यहां तक कि लेन-देन की संख्या भी प्रभावित हुई। इसके अलावा, टी इसी अवधि के दौरान MVRV अनुपात गिर गया। इस प्रकार, यह दर्शाता है कि अधिकांश लोगों को नुकसान का एहसास होगा यदि वे सभी अपना बेचते हैं Bitcoin मौजूदा कीमत पर होल्डिंग।
आंकड़ों के अनुसार, खनन के मामले में, पिछले सात दिनों में बिटकॉइन की हैश दर 9.33% गिर गई है द्वारा उपलब्ध कराया गया मेसारी . हालांकि, इसी अवधि के दौरान, बिटकॉइन खनिकों द्वारा एकत्र की गई फीस की राशि में वृद्धि जारी रही।
एकत्र शुल्क के मामले में वृद्धि के बावजूद, खनिक राजस्व डोलती . बिटकॉइन खनन से कितना राजस्व एकत्र किया जा सकता है, इस बारे में अनिश्चितता बिटकॉइन धारकों पर बिक्री दबाव को प्रेरित कर सकती है।
उसने कहा, प्रेस के समय, Bitcoin 16,674 डॉलर पर कारोबार कर रहा था। के अनुसार पिछले 24 घंटों में इसकी कीमत में 6.96% की गिरावट आई है CoinMarketCap .
इसकी मात्रा में भी 5.38% की कमी आई है। हालाँकि, पिछले एक सप्ताह में इसका मार्केट कैप बढ़ा है, और लेखन के समय, बिटकॉइन पर कब्जा कर लिया गया है कुल क्रिप्टो बाजार का 37.62% .
पांच वजह से लग सकते हैं भारत के आर्थिक विकास पर ब्रेक
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने दुनिया की आर्थिक परिदृश्य की एक आशावादी तस्वीर पेश की है. इसमें हालांकि उसने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक तरक्की की रफ्तार घटने की आशंका जाहिर की है. देश में खपत बढ़ने के बाद संस्था को उम्मीद है कि अगले वित्त वर्ष में ग्रोथ रेट सात फीसदी को पार कर सकता है.इसी वक्त नए साल में देश में इकनॉमी की रिकवरी की हालात सुधरने के संकेत मिले हैं जो नोटबंदी के बाद धीमी क्या बिटकॉइन अपने सकारात्मक विकास को जारी रख सकता है? पड़ गयी थी. एक सकारात्मक शुरुआत के बाद हालांकि अब भी माइक्रो रिस्क हैं जो अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकते हैं. क्या हैं ये जोखिम, आइये इस पर नजर डालते हैं
संरक्षणवादी कारोबारी नीतियां
विकसित देशों में विकास की रफ्तार धीमी पड़ने पर सरकारें अपने बाजार और लेबर को बचाने की कोशिशों में जुट जाती है. साल 2016 में जी-20 देशों में कारोबार पर प्रतिबन्ध लगाने वाले कई उपाय किये गए. इस तरह की ट्रेड पॉलिसी से अनिश्चितता पैदा हुई. यहां राहत पैकेज जारी किये गए जिससे दुसरी दिक्कतें पैदा हुई. जब संरक्षण वादी रवैया अपनाया जाता है तो उभरते बाजारों की इकनॉमी पर असर पड़ता है, क्योंकि क्या बिटकॉइन अपने सकारात्मक विकास को जारी रख सकता है? वहां से आने वाले सामान को रोक दिया जाता है. भारत के लिए इसमें दोहरे खतरे हैं क्योंकि हमारे आयात में बड़ा हिस्सा कच्चे तेल का है, और तेल उत्पादक देश उत्पादन घटाकर इसकी कीमतें बढ़ाने पर विचार करने लगते हैं.
अंतरराष्ट्रीय ग्रोथ
बहुत सी एजेंसियों का मानना है कि इस साल अंतरराष्ट्रीय ग्रोथ तेजी पकड़ सकता है. अमेरिका में तेज वृद्धि दर दर्ज की जा सकती है, चीन का ग्रोथ स्थिर रह सकता है और कुछ उभरते देशों में विकास शुरू हो सकता है. अमेरिका में विकास दर बढ़ने के पीछे अधिक राजकोषीय खर्च है, जबकि ब्राजील और रूस में कमोडिटी की कीमतें बढ़ने की वजह से विकास दर बेहतर रहने की उम्मीद है.
चीन में कर्ज आधारित ग्रोथ के पुराने फॉर्मूले पर सरकार के लौटने के बाद इसकी वजह से कुछ सालों तक तेज विकास दर्ज किया गया. अब यह फार्मूला हालांकि कमजोर पड़ा है और साल 2016 में उसकी विकास दर 6 .7 फीसदी रही, जिसके 2017 में थोड़ा कमजोर होकर6 .5 फीसदी पर रहने की आशंका है. ग्रोथ की स्पीड जारी रखने की कोशिश में उम्मीद है कि सरकार इस बार राजकोषीय और मौद्रिक राहत पैकेज जारी रखेगी. यहां यह ध्यान रखना जरुरी है कि चीन अपनी मुद्रा की कीमत गिराने का भी दांव खेल सकता है जिससे भारत को भी प्रतियोगी क्षमता बनाये रखने के लिए घरेलू मुद्रा पर दवाब बनाना पड़ेगा.
ब्रेक्सिट और इसका असर
ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से अलग हो गया और इसकी वजह से शेयर सूचकांक टूट गए, ब्रिटिश पौंड के साथ यूरो की भी वैल्यू कमजोर हुई.इन स्थितियों को देखते हुए अब हार्ड ब्रेक्सिट केस देखने में आ सकता है, जहां वह अकेला यूरोपीय बाजार है जहां फ्री ट्रेड डील्स हो सकते हैं. उस तरह की कंपनियां जिनके इंटरेस्ट ब्रिटेन और यूरोपीय संघ दोनों में हैं, उनके निवेश और ग्रोथ प्लान पर इसका असर देखने को मिलेगा. इटली के बैंकों के संकट की वजह से एक बार क्या बिटकॉइन अपने सकारात्मक विकास को जारी रख सकता है? फिर खतरे सामने आ सकते हैं. रोम की सरकार इटली के तीसरे सबसे बड़े बैंक को बेल आउट करने के मौके तलाश रही है. रिपोर्ट बताते हैं कि इटली के बैंकों के 350अरब डॉलर फंसे हैं. सरकार अर्थव्यवस्था में ज्यादा रकम डालकर स्थिति को संभालना चाहती है. इस हिसाब से भारत पर भी इसका असर पड़ेगा क्योंकि यहां से भी फंड की निकासी हो सकती है.
नोटबंदी का असर
सरकारी अनुमानों के हिसाब से ग्रोथ रेट घटकर वित्त वर्ष 2017 में 7.1 फीसदी पर आ सकती है. अगर नोटबंदी का असर जोड़ लिया जाय तो इस साल ग्राहकों की मज़बूरी और हिचक की वजह से यह और नीचे आ सकती है. इससे छोटी अवधि में कम खपत, कम निवेश और खरीदारी टालने जैसी घटनाएं हो सकती हैं. कमोडिटी की बढ़ती कीमतों को देखते हुए, घरेलू और निर्यात बाजार की अनिश्चित स्थिति को देखते हुए निजी निवेश और खर्च को पटरी पर लाने में समय लग सकता है. साल 2017-18 में ग्रोथ का अनुमान सरकार के उस कदम पर निर्भर करेगा जिसमें सरकार अपने खर्च को किस तरह आवंटित करती है. वह छोटी अवधि के लिए राहत पैकेज के रूप में धन खर्च करती है या लंबी अवधि के लिए पूंजी खड़ी कर रही है.
जीएसटी पर अवरोध
पिछले साल के आर्थिक सर्वे के मुताबिक उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में टैक्स टू जीडीपी रेश्यो 21 .4 फीसदी पर था, जबकि भारत में यह साल 2014 में 16.4 फीसदी पर था. यही वजह है कि जीएसटी के आने के बाद कई मसलों पर दिक्कतें आ सकती है.इन अवरोधों की वजह से छोटे कारोबारियों को न सिर्फ एक नया सिस्टम अपनाने में दिक्कतें आएंगी, बल्कि नए सिस्टम में कंप्लायंस में डिजिटल फ्रेमवर्क पर खर्च बढ़ेगा. समग्र रूप में जीएसटी सामान के लिए अच्छा असर डालने में सक्षम है अगर वह सर्विस कॉस्ट के रूप में कारोबार पर ज्यादा असर न डाले तो अर्थव्यवस्था को तेज रफ्तार दे सकता है.
(गुप्ता एक सीनियर इकनॉमिस्ट हैं और शाह डेलॉयट में इकनॉमिस्ट हैं.)
18000 डॉलर के नीचे आ सकता है Bitcoin, 8% लुढ़क गई Shiba Inu
इस महीने जब Bitcoin की कीमतें 20,000 डॉलर के पार गईं तो एक बार निवेशकों को तेजी की उम्मीद दिखाई दी थी। लेकिन Bitcoin के मार्केट प्राइस में तेजी ज्यादा दिनों तक टिकी नहीं रही।
इस साल की शुरुआत से ही क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के कारोबार में तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। इस महीने जब Bitcoin की कीमतें 20,000 डॉलर के पार गईं तो एक बार निवेशकों को तेजी की उम्मीद दिखाई दी थी। लेकिन Bitcoin के मार्केट प्राइस में तेजी ज्यादा दिनों तक टिकी नहीं रही। दुनिया की सबसे ज्यादा पसंदीदा और बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin के मार्केट प्राइस में मंगलवार को गिरावट देखी गई। Bitcoin मंगलवार को 2 पर्सेंट की गिरावट के साथ 19,061 डॉलर पर ट्रेड कर रही है।
3 पर्सेंट लुढ़ककर 1,300 डॉलर के नीचे आई Ether
Bitcoin के अलावा दुनिया की दूसरी बड़ी क्रिप्टोकरेंसी एथेरियम ब्लॉकचेन की ईथर (Ether) में भी मंगलवार को गिरावट देखी गई। ईथर मंगलवार को 3 पर्सेंट की गिरावट के साथ 1,280 डॉलर पर ट्रेड कर रही है। हालांकि ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट कैप मंगलवार को मामूली तेजी के साथ कारोबार कर रहा है। पिछले 24 घंटों में ग्लोबल क्रिप्टो मार्केट कैप आंशिक तेजी के साथ 983 बिलियन डॉलर पर कारोबार कर रहा है।
Bitcoin गिरकर आ सकता है 18,000 डॉलर के नीचे
बिटकॉइन (Bitcoin) के मार्केट प्राइस में पिछले 24 घंटों में 2 पर्सेंट की आई है। इस गिरावट को देखते हुए ग्लोबल क्रिप्टो इनवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म Mudrex के सीईओ और को-फाउंडर इदुल पटेल कहते हैं कि सेलर्स बिटकॉइन (Bitcoin) को अपट्रेंड लाइन से नीचे लाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर सेलर्स बिटकॉइन को कमजोर करने में कामयाब हो जाते हैं तो हम बिटकॉइन को पहले 18,125 डॉलर और बाद में 17,622 डॉलर के सपोर्ट लेवल पर गिरते हुए देखेंगे। वहीं दूसरी ओर एथेरियम ब्लॉकचेन की Ether भी अभी 4 पर्सेंट की गिरावट के बाद 1,200 डॉलर लेवल के आसपास है। वहीं पिछले 1 साल में Ether के मार्केट प्राइस में 65 पर्सेंट की कमी आई है।
Shiba Inu में 8 पर्सेंट की भारी गिरावट
दूसरी ओर अगर हम डॉगकॉइन (dogecoin) के मार्केट प्राइस की बात करें तो यह मंगलवार को 5 पर्सेंट की गिरावट के साथ 0.05 डॉलर पर ट्रेड कर रही है। जबकि शीबा इनु (shiba inu) के मार्केट प्राइस में मंगलवार को भारी गिरावट देखी गई। शीबा इनु मंगलवार को 8 पर्सेंट गिरकर 0.000010 डॉलर पर ट्रेड कर रही है। पिछले 24 घंटों में कई और क्रिप्टोकरेंसी जैसे पोल्काडॉट, कर्डानो, चेनलिंक, टीथर, एपीकॉइन, सोलोना, लिटकॉइन और स्टेलर के मार्केट प्राइस में कमी देखी गई।
RBI ने लॉन्च किया ‘डिजिटल रुपया’ (e₹), समझिए क्या होंगे इसके फायदे
RBI Digital Rupee: भारतीय रिजर्व बैंक ने आज 1 नवंबर को अपनी डिजिटल करेंसी ‘डिजिटल रुपया’ को लॉन्च कर दिया है। केंद्रीय बैंक (RBI) ने अभी होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (E-Rupee) जारी किया है। यह फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है। शुरुआती दौर में डिजिटल रुपया सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेन-देन निपटाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
Key Points
– भारत सरकार ने 01 फरवरी, 2022 को वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में डिजिटल रुपया लाने की घोषणा की
– 30 मार्च, 2022 को सीबीडीसी जारी करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधनों को सरकार ने राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से अधिसूचित की
– 01 नवंबर, 2022 को होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए डिजिटल रुपया (e₹) लांच
पायलट प्रोजेक्ट
इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा। आरबीआई ने ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है।
आरबीआई ने केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के बारे में पेश अपनी संकल्पना रिपोर्ट में कहा था कि यह डिजिटल मुद्रा लाने का मकसद मुद्रा के मौजूदा स्वरूपों का पूरक तैयार करना है। इससे यूजर्स को मौजूदा भुगतान प्रणालियों के साथ अतिरिक्त भुगतान विकल्प मिल पाएंगे।
डिजिटल करेंसी में 9 बैंक शामिल
थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले डिजिटल करेंसी के पायलट प्रोजेक्ट में नौ बैंक होंगे। इनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी बैंक शामिल हैं। ये बैंक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेनदेन के लिए इस डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करेंगे. इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी यानी CBDC क्या बिटकॉइन अपने सकारात्मक विकास को जारी रख सकता है? का नाम दिया गया है और भारत की ये पहली डिजिटल करेंसी आपके लिए बहुत कुछ बदलने वाली है।
क्या है CBDC
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है। इसमें केंद्रीय बैंक पैसे छापने के बजाय सरकार के पूर्ण विश्वास और क्रेडिट द्वारा समर्थित इलेक्ट्रॉनिक टोकन या खाते जारी करता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी डिजिटल एक करेंसी कानूनी टेंडर है। यह फिएट मुद्रा के समान है और फिएट करेंसी के साथ इसे वन-ऑन-वन एक्सचेंज किया जा सकता है। सीबीडीसी, दुनिया भर में, वैचारिक, विकास या प्रायोगिक चरणों में है।
दो तरह की होगी CBDC
– Retail (CBDC-R): Retail CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी
– Wholesale (CBDC-W) : इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है
पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और उपयोगकर्ताओं को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है। इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.। यानी आपके लेन-देन पर इसका कोई असर नहीं होने वाला है।
RBI को सीबीडीसी की शुरूआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी। यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और तरलता के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है।
डिजिटल करेंसी के फायदे
देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। ये फायदे भी होंगे
बिजनेस में पैसों के लेनदेन का काम हो जाएगा आसान।
CBDC द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन होगा
चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का झंझट नहीं रहेगा।
नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा।
पेपर नोट की प्रिंटिंग का खर्च बचेगा
एक डिजिटल मुद्रा की जीवन रेखा भौतिक नोटों की तुलना में अनिश्चित होगी
CBDC मुद्रा को फिजिकल तौर पर नष्ट करना, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है
अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में डिजिटल रुपये का एक अन्य प्रमुख लाभ यह है कि इसे एक इकाई द्वारा विनियमित किया जाएगा, जिससे बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े अस्थिरता जोखिम को कम किया जा सकेगा।
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर
क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से प्राइवेट है। इसे कोई मॉनिटर नहीं करता और इस पर किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता। ऐसी करेंसी गैरकानूनी होती हैं। लेकिन, RBI की डिजिटल करेंसी पूरी तरह से रेगुलेटेड है, जिसके सरकार की मंजूरी होगी। डिजिटल रुपी में क्वांटिटी की भी कोई सीमा नहीं होगी। फिजिकल नोट वाले सारे फीचर डिजिटल रुपी में भी होंगे। लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी। क्रिप्टोकरेंसी का भाव घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होगा।
अर्थव्यवस्था को होगा फायदा
भारत में मुद्रा का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में अगला मील का पत्थर है। ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की आशंका नहीं होगी। इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो जाएगी। सरकार का बेहतर नियंत्रण होगा कि पैसा कैसे देश में प्रवेश करता है और प्रवेश करता है, जो उन्हें भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाओं के लिए जगह बनाने और कुल मिलाकर अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने की अनुमति देगा।
डिजिटल रुपया (e ₹) प्रणाली भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को और मजबूत करेगी, जिसका बड़ा सकारात्मक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा।
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