Silk Farming: कम समय में मालामाल होंगे किसान, शहतूत की खेती के साथ करें रेशम कीट पालन, यहां लें पूरी जानकारी
Integrated farming: जो किसान शहतूत की खेती के साथ रेशम की कीट पालन का काम करते हैं, उन्हें रेशम की खेती का सही मायनों में ज्यादा फायदा मिलता है.
By: ABP Live | Updated at : 29 Jun 2022 10:07 PM (IST)
रेशम की खेती (फाइल तस्वीर)
Silkworm farming in Mulberry Garden: भारत में रेशम की खेती (Silk Farming) यानी रेशम कीट पालन को काफी प्रोत्साहित किया जा रहा है. ये किसानों के साथ ग्रामीण महिलाओं को भी आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करता है. केंद्र सरकार भी किसानों को रेशम कीट पालन और रेशम उद्योग (Silk Industry) लगाने के लिये किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. यही कारण है कि आज भारत में 60 लाख से ज्यादा किसान, महिलायें और ग्रामीण लोग रेशम कीट पालन (Silkworm Farming) के जरिये अपनी आजीविका कमा रहे हैं. रेशम से जुड़े काम इसलिये भी खास हैं, क्योंकि इनसे कम समय और कम मेहनत में ही अच्छी आमदनी मिल जाती है. खासकर जो किसान शहतूत की खेती(Mulberry Farming) के साथ रेशम कीट पालन करते हैं, उन्हें इसका ज्यादा फायदा मिलता है.
इन राज्यों में है रेशम की खेती का क्रेज
दक्षिण भारत में रेशम कीट पालन और इससे जुड़े उद्योग काफी लोकप्रिय हैं. खासतौर पर कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल के किसानों के लिये रेशम की खेती अतिरिक्त आमदनी का जरिया है. वहीं झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर राज्यों में भी बड़े पैमाने पर रेशम कीट पालन किया जा रहा है.
कैसे करें रेशम की खेती
अच्छा उत्पादन लेने के लिये तीन तरीके से रेशम कीट पालन किया जाता है, जिसमें शहतूत के बाग में रेशम कीट पालन, जिसे मलबरी सिल्क कहते हैं. दूसरा टसर खेती और तीसरा एरी खेती.
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- मलबरी सिल्क खेती के तहत शहतूत और अर्जुन के पत्तों पर रेशम के कीड़ों को पाला जाता है, जो शहतूत और अर्जुन के पत्ते खाकर जीवित रहते हैं.
- रेशम के कीड़ों की उम्र सिर्फ 2-3 दिन की होती है, जिनसे कोकून लेने के लिये इन्हें पत्तियों पर डाला जाता है.
- रेशम के मादा कीड़े अपने जीवन काल में 200-300 अंडे देती है, जिसमें से अगले 10 दिनों लार्वा निकलता है.
- ये लार्वा अपने मुंह से लार निकालता है, जिसमें तरल प्रोटीन मौजूद होता है.
- हवा लगने पर ये लार्वा धीरे-धीरे सूखकर धागे का रूप ले लेता है और रेशम के कीड़े (Silkworm) इस धागे को अपने चारे ओर लपेट लेते हैं.
- रेशम के कीड़ों के ऊपर लिपटे हुये इस धागेनुमा पदार्थ को कोकून (Cocoon) कहते हैं, जो रेशम बनाने में काम आता है.
- बता दें कि एक एकड़ जमीन पर रेशम की खेती(Silk Farming) करने पर करीब 500 किग्रा रेशम के कीड़ों का उत्पादन मिलता है.
सिल्क प्रोसेसिंग
रेशम के कीड़े से कोकून लेने के बाद कीड़े को गर्म पानी में डालकर नष्ट कर दिया है. इसके बाद कोकून का 20 डिग्री या इससे कम तापमान पर स्टोर किया जाता है. बाद में इससे धागा बनाकर कपड़ा और रेशम के उद्योगियों को बेच दिया जाता है. आज भी रेशम कीट पालन कई गाँवों की खुशहाली का जरिया है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. ABPLive.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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Published at : 29 Jun 2022 10:29 PM (IST) Tags: Silk farming Agriculture news mulberry cultivation हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Agriculture News in Hindi
Kaynes Technology ने निवेशकों की भर दी जेब, लिस्टिंग पर मिला 32% रिटर्न, क्या कर लें मुनाफा वसूली?
KTIL डिफेंस सेक्टर में काम करती है. हाल फिलहाल के आईपीओ मार्केट पर नजर डालें तो डिफेंस शेयरों की लिस्टिंग पर अच्छा रिटर्न मिला है.
Kaynes Technology India Limited-KTIL के शेयरों की आज 22 नवंबर 2022 को स्टॉक मार्केट में मजबूत लिस्टिंग हुई है.
Kaynes Technology Share List on BSE, NSE: इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के कारोबार वाली कंपनी Kaynes Technology India Limited-KTIL के शेयरों की आज 22 नवंबर 2022 को स्टॉक मार्केट में मजबूत लिस्टिंग हुई है. कंपनी के शेयर की बीएसई पर 775 रुपये के भाव पर शुरूआत हुई, जबकि IPO के तहत अपर प्राइस 587 रुपये था. यानी लिस्टिंग पर ही निवेशकों को 32 फीसदी रिटर्न मिल गया. हर शेयर पर 188 रुपये का मुनाफा हुआ है. फिलहाल सवाल उठता है कि लिस्टिंग के बाद निवेशकों को क्या करना चाहिए. शेयर बेचकर मुनाफा कमा लें या और मुनाफे के लिए बने रहें.
मुनाफा वसूली करें या नहीं?
Swastika Investmart के हेड ऑफ इक्विटी मार्केट गिरीश सोडानी का कहना है कि जिन निवेशकों को शेयर मिला है, उन्हें कुछ हिस्सा बेचकर प्रॉफिट बना लेने की सलाह है. शेयर में और तेजी आए तो आगे भी कुछ मुनाफा वसूली कर सकते हैं. अगर नए निवेशक हैं तो अभी इंतजार करें. शेयर में जब गिरावट आए तो लंबी अवधि के नजरिए से पोर्टफोलियो में शामिल कर सकते हैं.
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डिफेंस कंपनियों का बेहतर है ट्रैक रिकॉर्ड
KTIL डिफेंस सेक्टर में काम करती है. हाल फिलहाल के आईपीओ मार्केट पर नजर डालें तो डिफेंस शेयरों की लिस्टिंग पर अच्छा रिटर्न मिला है. शेयर ने लंबी अवधि में भी बेहतर प्रदर्शन किया है. लिस्टिंग पर डिफेंस शेयरों ने 185% तक रिटर्न दिए हैं.
Paras Defence की लिस्टिंग 1 अक्टूबर 2021 को हुई थी. शेयर की लिस्टिंग इश्यू प्राइस से 185 फीसदी प्रीमियम पर हुई. जबकि अबतक शेयर ने 243 फीसदी रिटर्न दिया है.
MTAR Tech की लिस्टिंग 15 मार्च 2021 को 88 फीसदी प्रीमियम पर हुई. अबतक रिटर्न 167 फीसदी रहा है.
Data Patterns की लिस्टिंग 24 दिसंबर 2021 को 29 फीसदी प्रीमियम पर हुई. शेयर ने अबतक 135 फीसदी रिटर्न दिया है.
DCX Systems की लिस्टिंग 11 नवंबर 2022 को 49 फीसदी प्रीमियम पर हुई. शेयर ने अबतक 29 फीसदी रिटर्न दिया है.
Dreamfolks Serv की लिस्टिंग 6 सियतंबर 2022 को 42 फीसदी प्रीमियम पर हुई. अबतक रिटर्न 17.24 फीसदी रहा.
निवेशकों का मिला था अच्छा रिस्पांस
Kaynes Technology के आईपीओ को निवेशकों का शानदार रिस्पांस मिला था. कंपनी का इश्यू को कुल 34.16 गुना सब्सक्रिप्शन मिला. आईपीओ को 1.04 करोड़ शेयरों के मुकाबले 35.76 करोड़ शेयरों के लिए बोलियां मिलीं. इस आईपीओ के तहत, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के हिस्से को 98.47 गुना, नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स की कैटेगरी को 21.21 गुना और रिटेल इंडिविजुअल इन्वेस्टर्स (RII) को 4.09 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है.
लंबी अवधि में मिल सकता है बेहतर रिटर्न
ब्रोकरेज हाउस आनंद राठी के मुताबिक Kaynes Technology एक तेजी से ग्रोथ कर रही ESDM सर्विसेज कंपनी है, जिसका पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाइड है. कंपनी का बिजनेस मॉडल मजबूत है और यह ऑटोमोटिव, इंडस्ट्रियल, एयरोस्पेस एंड डिफेंस, मेडिकल डिवाइसेज, रेलवे और इंटरनेट ऑफ थिंग्स सेग्मेंट में है. इन सेक्टर में डिमांड बढ़ रही है. कंज्यूमर और इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स में बढ़ रही डिमांड, ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग एन्वायरमेंट में बदलाव का भी कंपनी लाभ लेने की स्थिति में है. कंपनी का वैल्युएशन फेयर दिख रहा है. रेवेन्यू आउटलुक मजबूत है. ऐसे में लंबी अवधि में इसमें पैसा बन सकता है.
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Sagwan Farming Profit: सागवान की खेती से कर सकते हैं करोड़ों की कमाई, जानें कीमत से लेकर खेती का तरीका
Sagwan Farming Technique: सागवान के पेड़ से किसान चाहें तो करोड़ों में कमाई कर सकते हैं. सागवान की एक एकड़ की खेती से 1 करोड़ रुपये की कमाई आराम से की जा सकती है. आइए जानते हैं इसकी खेती के तरीके के बारे में.
अजीत तिवारी
- नई दिल्ली,
- 26 अगस्त 2021,
- (अपडेटेड 26 अगस्त 2021, 12:39 PM IST)
Sagwan Farming Cost and Profit: सागवान के लकड़ी की गिनती सबसे मजबूत और महंगी लकड़ियों में होती है. इससे फर्नीचर, प्लाइवुड तैयार किया जाता है. इसके अलावा सागवान का इस्तेमाल दवा बनाने में भी किया जाता है. लंबे समय तक टिकने की क्षमता होने के कारण इसकी मांग हमेशा बाजार में बनी रहती है. सागवान की लकड़ी में बहुत कम सिकुड़न होती है. साथ ही इस पर बहुत जल्दी पॉलिश चढ़ता है. एक आंकड़े के मुताबिक देश में हर वर्ष 180 करोड़ क्यूबिक फीट सागवान की लकड़ी की जरूरत है, लेकिन प्रति वर्ष सिर्फ 9 करोड़ क्यूबिक फीट की पूर्ति की जा रही है. यानी वर्तमान में सिर्फ 5 परसेंट ही पूर्ति हो पा रही है, 95 परसेंट का बाजार अभी भी खाली है. दिलचस्प बात ये है कि सागवान की खेती में रिस्क काफी कम होता है और मुनाफा ज्यादा होता है.
सागवान के लिए खेत में कितनी हो दूरी
सागवान के पौधे को 8 से 10 फीट की दूरी पर लगाया जा सकता है. ऐसे में अगर किसी किसान के पास 1 एकड़ खेत है तो वो उसमें करीब 500 सागवान के पौधे लगा सकता है. सागवान के लिए 15 डिग्री सेल्सियस से लेकर 40 डिग्री सेल्सियस का तापमान अनुकूल माना जाता है. इसके लिए नमी वाले इलाके फादयेमंद होते हैं. जानकारी के मुताबिक सागवान की खेती बर्फीले इलाकों या रेगिस्तानी इलाकों में नहीं हो सकती. इसके लिए जलोढ़ मिट्टी को बेहतर माना जाता है.
सागवान के लिए कैसे तैयार होता है खेत?
सागवान की खेती के लिए सबसे पहले खेत की जुताई करें और उसमें से खर-पतवार और कंकड़-पत्थर निकाल लें. इसके बाद दो बार और जुताई करके खेत की मिट्टी को बराबर कर लें. इसके बाद सागवान के पौधे जहां-जहां लगाने हैं, उन जगहों को चिन्हित कर लें. इसके बाद उन जगहों पर गड्ढा खोद लें. कुछ दिन बाद इसमें खाद मिला दें. इसके बाद इसमें पौधा लगाएं. इसकी मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.
कौन सा मौसम सागवान की बुवाई के लिए ठीक?
सागवान की बुवाई के लिए मॉनसून से पहले का समय सबसे अनुकूल माना जाता है. इस मौसम में पौधा लगाने से वो तेजी से बढ़ता है. शुरुआती सालों में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. पहले साल में तीन बार दूसरो साल में दो बार और तीसरे साल में एक बार अच्छे से खेत की सफाई जरूरी है, सफाई के दौरान खरपतवार को पूरी तरह खेत से बाहर करना होता है. सागवान के पौधे के विकास के लिए सूर्य की रौशनी अत्यंत आवश्यक होता है. ऐसे में पौधा लगाते वक्त इस बात का भी ध्यान रखें कि खेत में पर्याप्त रोशनी पहुंच सके. नियमित समय पर पेड़ के तने की कटाई-छटाई और सिंचाई करने से पेड़ की चौड़ाई तेजी से बढ़ती है.
सागवान के पेड़ को जानवरों से डर नहीं
सागवान के पत्तों में कड़वाहट और चिकनाहट होती है, यही कारण है कि इसे जानवर खाना पसंद नहीं करते. साथ ही अगर पेड़ की देखभाल ठीक से की जाए तो इसमें कोई बीमारी भी नहीं लगती और ये बिना किसी परेशानी के 10 से 12 साल में तैयार हो जाता है.
सागवान के पेड़ से कई सालों तक मिलता है मुनाफा
हालांकि किसान चाहें तो इसे ज्यादा समय तक भी खेत में रख सकते हैं. 12 वर्षों के बाद ये पेड़ समय के हिसाब से मोटा होता जाता है, जिससे पेड़ की कीमत भी बढ़ती चली जाती है. साथ ही किसान एक ही पेड़ से कई सालों तक मुनाफा कमा सकते हैं. सागवान का पेड़ एक बार काटे प्रोफिट लें क्या है जाने के बाद फिर से बड़ा होता है और दोबारा इसे काटा जा सकता है. ये पेड़ 100 से 150 फुट ऊंचे होते हैं.
सागवान से करोड़ों में कमाई
सागवान के पेड़ से किसान चाहें तो करोड़ों में कमाई कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर एक एकड़ में किसान अगर 500 सागवान के पेड़ लगाता है तो 12 वर्ष के बाद इससे करीब एक करोड़ रुपये में बेच सकता है. बाजार प्रोफिट लें क्या है में 12 साल के सागवान के पेड़ की कीमत 25 से 30 हजार रुपये तक है और समय के साथ इसकी कीमत में बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है. ऐसे में एक एकड़ की खेती से 1 करोड़ रुपये की कमाई आराम से की जा सकती है.
सोने में निवेश से पहले पढ़े इन 8 बातों को, नहीं तो प्रॉफिट के बजाय हो सकता है बड़ा नुकसान
अच्छे रिटर्न के लिए आप शेयर मार्केट, MF, SIP, प्रॉपर्टी समेत कई जगह निवेश कर सकते हैं। इन सभी में सोने के निवेश में लोगों का ज़्यादा फायदा दिखता है- पहला, एक तो सोने की कीमत भी बढ़ती रहती है और.
अच्छे रिटर्न के लिए आप शेयर मार्केट, MF, SIP, प्रॉपर्टी समेत कई जगह निवेश कर सकते हैं। इन सभी में सोने के निवेश में लोगों का ज़्यादा फायदा दिखता है- पहला, एक तो सोने की कीमत भी बढ़ती रहती है और दूसरा इसको जरूरत के समय पहन भी सकते हैं। लेकिन बहुत लोग सोने की खरीददारी करते समय कई चीजे नजरअंदाज करते हैं, इससे उन्हें बाद में फायदे के बजाय नुकसान हो जाता है।
जानकारी पूरी रखें
सही जानकारी न होने के कारण जब आप अपने सोने को बेचने के लिए जाते हैं तो आपको उतना मूल्य नहीं मिल पाता जितना मिलना चाहिए। सोने को आप लम्बे समय और मुसीबत के समय काम में आने के हिसाब से खरीदते हैं, इसलिए सोने की खरीदारी के समय आपको इन प्रमुख बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
शुद्धता- सोने की कीमत कैरट के आधार पर होती है और कैरेट से गोल्ड की शुद्धता का पता चलता है। सोने की सबसे अच्छी क्वालिटी 24 कैरट सोने की होती है जिसका मूल्य अधिक होता है। लेकिन कम कैरट के सोने की कीमत उससे कम होगी, इसलिए सोने की खरीददारी करते समय बाजार से अलग अलग कैरट का भाव जरूर पता कर लें।
डिजिटल गोल्ड में निवेश- डिजिटल गोल्ड में शुद्धत्ता और मेकिंग चार्ज जैसी कोई समस्या नहीं होती, इस कारण इसमें निवेश आके लिए प्रॉफिटेबल हो सकता है। लेकिन ध्यान रखने वाली बात है आप जिससे पेपर गोल्ड लें रहे हैं उस कंपनी के बारे में अच्छी तरह पड़ताल कर लें, नहीं तो धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं।
आभूषण पर लगे स्टोन- सोने के गहनों में कई बार कीमती स्टोन्स के अलावा नकली चमकदार स्टोन भी लगाए होते हैं, इसलिए खरीदारी के समय सोने और स्टोन दोनों के भाव अलग-अलग लें।
वजन की जांच- सोने की ज्यादातर ज्वेलरी वजन के हिसाब से बेचीं जाती है लेकिन कीमती स्टोन इसे भारी बनाते हैं. इसलिए ज्वेलरी के पूरे वजन के साथ गोल्ड के वजन को जरूर चेक कर लें। गोल्ड कीमती है, वजन थोड़ा भी ऊपर-नीचे हुआ तो आपको भरी नुकसान हो सकता है।
Hallmarking- बाजार में दो तरह के सोने के गहने होते हैं एक तो साधारण होते है जिनकी क्वालिटी की कोई गारंटी नहीं होती और दूसरे हॉलमार्किंग के तहत होते हैं जिनकी सोने की क्वालिटी अच्छी होने का सुबूत होता है। यह अधिकृत होते हैं और सोने की शुद्धता को प्रमाणित करता है।
मेकिंग चार्जेज: यह ऐसे चार्जेज होते हैं जो गहनों को बनाने के लिए चार्ज किये जाते हैं। हर ज्वेलर का मेकिंग चार्ज अलग होता है कोई पर ग्राम के हिसाब से लेता है तो कोई गहने के कुल वजन के हिसाब से। आपको इस बारे में पूरी जानकारी हासिल करनी चाहिए। अगर मेकिंग चार्ज ज़्यादा होगा तो आपको बाद में बेचने पर फायदा नहीं होगा। मेकिंग चार्ज जितना कम होगा, बाद में गहने को बेचते समय मुनाफा उतना ही ज़्यादा होगा।
बिल- सोना खरीदते समय इनवॉइस और रसीद लें, आने वाले समय में यही रसीद आपके काम आएगी। सही इनवॉइस और रसीद न होने पर बेचते समय आपको यह मुश्किल में डाल सकती है।
ज्यादा न खरीदें- सोने की कीमत आमतौर पर बढ़ती है लेकिन निवेश के हिसाब से देखा जाए तो आपके पोर्टफोलियो में यह बहुत ज्यादा नहीं होना चाहिए आपको अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर पोर्टफोलियो को बैलेंस रखना चाहिए।
आपको बताते हैं सोने में आप कैसे निवेश कर सकते हैं-
पेपर गोल्ड- एक निवेशक के पास गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का उपयोग करने का विकल्प होता है।
गोल्ड ETF - गोल्ड के प्रचलित बाज़ार मूल्य पर गोल्ड ETF का स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार होता है। गोल्ड ETF के साथ, निवेशकों को कोई शुल्क या स्टोर चार्ज का भुगतान नहीं करना पड़ता है जो सोने को रखने आदि से जुड़ा होता है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड- यह भारत सरकार और RBI द्वारा ऑफर किया जाता है, यह कागज़ के रूप में सोने खरीदने का एक और तरीका है। इन बॉन्ड में सोने मूल्य को ग्राम में दर्शाया जाता है जिसमें व्यापार शुरू करने के लिए न्यूनतम निवेश 1 ग्राम सोना आवश्यक है। ब्याज़ दर और मूल्य को बॉन्ड जारी करते समय RBI द्वारा तय किया जता है।
डिजिटल गोल्ड- सोने में निवेश का एक और तरीका डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) के माध्यम से है, जहां कोई भी 1 रुपये से भी निवेश शुरू कर सकता है। कई मोबाइल वॉलेट डिजिटल गोल्ड ऑफर करते हैं लेकिन इनकी शुद्धता अलग अलग होती है।
सोने में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड- Gold MF(फंड्स ऑफ फंड) हैं जो अंतरराष्ट्रीय सोने की माइनिंग कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। गोल्ड, जिसे गोल्ड फंड ऑन फंड्स भी कहा जाता है, यह एक ओपन एंडेड फंड हैं जो गोल्ड ETF में निवेश करते हैं। निवेशक किसी भी समय किसी भी विशेष राशि का निवेश कर सकते हैं।
गोल्ड सेविंग स्कीम- कई ज्वैलर्स गोल्ड ज्वेलरी सेविंग स्कीम (Gold Saving Schemes) ऑफर करते रहे हैं जो खरीदारों को चुनी हुई अवधि के लिए व्यवस्थित रूप से बचत करने और टर्म खत्म होने पर सोना खरीदने में मदद करती हैं। खरीदार को अवधि के लिए हर महीने एक निश्चित राशि जमा करने की आवश्यकता होती है।
शादीशुदा लोगों के लिए केंद्र की शानदार स्कीम, सरकार देगी 10,000 रुपये महीना पेंशन! जानें- क्या है योजना और कैसे लें लाभ?
Atal Pension Yojana: अगर आप शादीशुदा हैं, तो सरकार आपको मामूली निवेश पर हर महीने 10 हजार रुपए पेंशन देगी. इस योजना के तहत 18 से 40 वर्ष के लोग अटल पेंशन योजना में अपना नामांकन करा सकते हैं.
Updated: May 23, 2022 4:00 PM IST
Atal Pension Yojana: अपने रिटायरमेंट को सुरक्षित करने के लिए किसी सुरक्षित जगह पर निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो अटल पेंशन योजना एक बेहतर विकल्प हो सकता है. आज हम आपको सरकार की अटल पेंशन योजना (APY) के बारे में बता रहे हैं, जिसमें पति-पत्नी अलग-अलग खाते खोलकर हर महीने 10,000 रुपये की पेंशन प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही, इस योजना के और भी कई फायदे हैं.
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अटल पेंशन योजना क्या है?
अटल पेंशन योजना एक ऐसी सरकारी योजना है, जिसमें आपके द्वारा किया गया निवेश आपकी उम्र पर निर्भर करता है. इस योजना के तहत, आप न्यूनतम मासिक पेंशन 1,000 रुपये, 2000 रुपये, 3000 रुपये, प्रोफिट लें क्या है 4000 रुपये और अधिकतम 5,000 रुपये प्राप्त कर सकते हैं. यह एक सुरक्षित निवेश है.
कौन कर सकता है निवेश?
अटल पेंशन योजना की शुरुआत साल 2015 में हुई थी. हालांकि, तब इसे असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के लिए शुरू किया गया था, लेकिन अब 18 से 40 साल का कोई भी भारतीय नागरिक इस योजना में निवेश कर सकता है. इस योजना में जमाकर्ताओं को 60 साल बाद पेंशन मिलने लगती है.
इस योजना के लाभ क्या हैं?
- इस योजना के तहत 18 से 40 वर्ष के लोग अटल पेंशन योजना में अपना नामांकन करा सकते हैं.
- इसके लिए आवेदक का किसी बैंक या डाकघर में बचत खाता होना चाहिए.
- आपके पास केवल एक ही अटल पेंशन खाता हो सकता है.
- आप इस योजना के तहत जितनी जल्दी निवेश करेंगे, आपको उतना ही अधिक लाभ मिलेगा.
- अगर कोई व्यक्ति 18 साल की उम्र में अटल पेंशन योजना में शामिल होता है, तो 60 साल की उम्र के बाद उसे हर महीने 5000 रुपये मासिक पेंशन के लिए सिर्फ 210 रुपये प्रति माह जमा करना होगा.
- इस तरह यह प्लान एक अच्छा प्रॉफिट प्लान है.
10,000 रुपये पेंशन कैसे प्राप्त करें
- 39 साल से कम उम्र के पति-पत्नी इस योजना प्रोफिट लें क्या है का लाभ उठा सकते हैं.
- अगर पति-पत्नी जिनकी उम्र 30 साल या उससे कम है, तो वे हर महीने APY खाते में 577 रुपये का योगदान कर सकते हैं.
- अगर पति-पत्नी की उम्र 35 साल है तो उन्हें हर महीने अपने एपीवाई खाते में 902 रुपए डालने होंगे.
- गारंटीशुदा मासिक पेंशन के अलावा, अगर पति-पत्नी में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है, तो जीवित साथी को हर महीने पूर्ण जीवन पेंशन के साथ 8.5 लाख रुपये मिलेंगे.
टैक्स लाभ
इसमें टैक्स बेनिफिट भी मिलता है. अटल पेंशन योजना में निवेश करने वालों को आयकर अधिनियम 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक का कर लाभ भी मिलता है. एनपीएस ग्राहकों में से 3.77 करोड़ या 89 फीसदी गैर-महानगरीय शहरों से हैं. इस योजना से जुड़े व्यक्ति की असामयिक मृत्यु होने पर उसके परिवार को लाभ जारी रखने का भी प्रावधान है.
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