डॉलर की तुलना में यूरो में मजबूती आने और पूंजी प्रवाह बढ़ने के बीच आज अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया छह पैसे मजबूत होकर 55.55 के स्तर पर खुला।
' अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार'
अंतर बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 77.02 प्रति डॉलर पर खुला. कारोबार के दौरान यह 76.विदेशी मुद्रा की कीमतें 71 प्रति डॉलर के उच्चस्तर तक गया और 77.05 के निचले स्तर को छूने के बाद अंत में यह 77.00 प्रति डॉलर के स्तर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले सात पैसे की गिरावट को दर्शाता है.
अमेरिकी मुद्रा की मजबूती और कच्चे तेल के दाम बढ़ने से सोमवार को शुरुआती कारोबार में डालर के मुकाबले रुपया 14 पैसे गिरकर 73.16 रुपये प्रति डालर पर रहा. अंतर बैंक विदेशी मूद्रा विनिमय बाजार में डालर के मुकाबले रुपये में कारोबार की शुरुआत 73.13 रुपये प्रति डालर पर हुई। उसके कुछ देर बाद ही यह और गिरकर 73.16 रुपये प्रति डालर पर पहुंच गया. यह दर पिछले कारोबारी सत्र के बंद भाव के मुकाबले 14 पैसे नीचे रही. गत सप्ताहांत शुक्रवार को रुपया 73.02 पर बंद हुआ था.
अमेरिकी मुद्रा के कमजोर पड़ने और घरेलू शेयर बाजारों से सकारात्मक संकेत मिलने से बुधवार को अंतर बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 10 पैसे बढ़कर 74.94 रुपये प्रति डॉलर (अस्थाई) पर बंद हुआ. अंतर बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में घरेलू मुद्रा में कारोबार की शुरुआत 74.93 रुपये प्रति डॉलर के भाव पर मजबूती के साथ हुई. इसके बाद यह कारोबार के दौरान 74.83 से लेकर 74.95 रुपये प्रति डॉलर के दायरे में रही. कारोबार की समाप्ति पर यह अंतत: पिछले दिने के बंद भाव के मुकाबले रुपया 10 पैसे की मजबूती विदेशी मुद्रा की कीमतें के साथ 74.94 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ. मंगलवार को रुपया 75.04 रुपये प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था.
Dollar Vs Rupee: देश के पास विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार, चिंता करने की जरूरत नहींः आर्थिक मामलों के सचिव
Edited By: India TV Paisa Desk
Published on: September 27, 2022 18:01 IST
Photo:FILE Dollar Vs Rupee
Highlights
- मंगलवार को रुपया कुछ सुधरकर 81.58 पर बंद हुआ
- विदेशी मुद्रा भंडार 16 सितंबर को कम होकर 545.65 अरब डॉलर पर आ गया
- मार्च, 2022 में यह 607.31 अरब डॉलर था
Dollar Vs Rupee: आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने मंगलवार को विदेशी मुद्रा भंडार में कमी को लेकर चिंता को खारिज करते हुए कहा कि इसे जरूरत से अधिक तूल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति से पार पाने के लिये देश के पास विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार है। उल्लेखनीय है कि विदेशी मुद्रा भंडार लगातार सातवें सप्ताह घटा है और यह 16 सितंबर को समाप्त सप्ताह में कम होकर 545.65 अरब डॉलर पर आ गया, जबकि मार्च, 2022 में यह 607.31 अरब डॉलर था।
वैश्विक कारण से टूटा रुपया
मुद्रा भंडार में कमी का एक प्रमुख कारण वैश्विक गतिविधियों की वजह से रुपये की विनिमय दर में गिरावट को थामने के लिये रिजर्व बैंक की तरफ से किया गया डॉलर का उपयोग है। सेठ ने कहा, ‘‘विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का कारण विदेशी मुद्रा प्रवाह में कमी और व्यापार घाटा बढ़ना है। मुझे नहीं लगता कि यह कोई चिंता वाली बात है। भारत के पास मौजूदा स्थिति से निपटने के लिये विदेशी मुद्रा का बड़ा भंडार है।’’ डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को 81.67 के अबतक के सबसे निचले स्तर पर आ गया था। हालांकि, मंगलवार को यह कुछ सुधरकर 81.58 पर बंद हुआ।
Forex Reserve: विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 550 बिलियन डॉलर पहुंचा; जानें गिरावट के पीछे का कारण
Forex Reserve News भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट एफसीए में कमी के कारण आई है। एफसीए को विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक माना जाता है। ताजा आंकड़ों में यह 2.519 बिलियन डॉलर गिरकर 489.58 बिलियन डॉलर रह गया है।
नई दिल्ली, एजेंसी। देश के विदेशी मुद्रा भंडार (India Forex Reserves) में विदेशी मुद्रा आस्तियों (Foreign Currency Assets - FCA) में गिरावट के कारण इस हफ्ते भी कमी देखी गई है। इसके कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार गिरकर 9 सितंबर 2022 तक 550 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार में आईएमएफ के पास रिजर्व और सोने को छोड़कर लगभग सभी घटकों में गिरावट आई हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (Reserve Bank of India) की ओर से शुक्रवार को जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले हफ्ते देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.234 बिलियन डॉलर गिरकर विदेशी मुद्रा की कीमतें 550.871 बिलियन डॉलर रह गया है। इससे पहले 2 सितंबर को जारी आंकड़ों में यह 553.105 बिलियन डॉलर था।
गिरावट का कारण
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा आस्तियों को सबसे बड़ा घटक माना जाता है। ताजा आंकड़ों में यह 2.519 बिलियन डॉलर गिरकर 489.58 बिलियन डॉलर रह गया है। इससे पहले के हफ्ते में यह 492 बिलियन डॉलर था। जानकार विदेशी मुद्रा आस्तियों में गिरावट की बड़ी वजह डॉलर की मजबूत स्थिति को मान रहे हैं, जिसके चलते रुपये में गिरावट विदेशी मुद्रा की कीमतें को संभालने के लिए आरबीआई को बड़ी संख्या में डॉलर को बेचना पड़ रहा है।
सोने और आईएमएफ रिजर्व में बढ़ोतरी
देश का सोने का भंडार 340 मिलियन डॉलर बढ़कर 38.644 बिलियन डॉलर पहुंच गया है। इससे पहले के हफ्ते में सोने के भंडार की कीमत में 1.339 बिलियन डॉलर की कमी आई थी। वहीं, देश का आईएमएफ रिजर्व 8 मिलियन डॉलर बढ़कर 4.910 बिलियन डॉलर पहुंच गया है।
कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती से रुपया सात पैसे टूटकर 81.33 प्रति डॉलर पर
बाजार सूत्रों ने विदेशी मुद्रा की कीमतें कहा कि विदेशी पूंजी की बाजार से निकासी बढ़ने के कारण भी निवेशकों की कारोबारी धारणा प्रभावित हुई।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.11 पर खुला। कारोबार के दौरान रुपये का लाभ लुप्त हो गया और अंत में यह सात पैसे की गिरावट दर्शाता 81.33 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान रुपये ने 81.08 के उच्चस्तर और 81.35 के निचले स्तर को छुआ। पिछले सत्र में विदेशी मुद्रा की कीमतें रुपया चार पैसे की तेजी के साथ 81.26 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
बीएनपी पारिबा बाय शेयरखान में अनुसंधान विश्लेषक, अनुज चौधरी ने कहा, ‘‘कमजोर अमेरिकी डॉलर इंडेक्स ने रुपये का समर्थन किया। हालांकि, कमजोर घरेलू बाजार, कच्चे तेल में उछाल और एफआईआई की धन निकासी से रुपया नुकसान में बंद हुआ।’’
गिरावट की मुद्रा
सांकेतिक फोटो।
रुपया लगातार नीचे की तरफ रुख किए हुए है, इसलिए इसे लेकर अर्थव्यवस्था में सुधार की संभावनाएं धुंधली होने लगी हैं। जब भी किसी मुद्रा में लगातार गिरावट का रुख बना रहता है, तो वहां मंदी की संभावना प्रबल होने लगती है। एक डालर की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में तिरासी रुपए एक पैसा आंकी गई।
हालांकि सरकार को उम्मीद है कि यह दौर जल्दी ही खत्म हो जाएगा और भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में पहुंच जाएगी। शायद इसी विश्वास के चलते वित्त मंत्री ने भी कह दिया कि रुपए की कीमत नहीं गिर रही, डालर मजबूत हो रहा है। रुपए की कमजोरी की बड़ी वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को बताया जा रहा है। मगर केवल इन्हीं दो स्थितियों को रुपए के कमजोर होने का कारण नहीं माना जा सकता। किसी भी मुद्रा में गिरावट तब आनी शुरू होती है जब घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सिकुड़न आने लगती है यानी खरीदारी कम होने लगती है। लोगों की क्रयशक्ति घटने लगती है और लोग निवेश को लेकर हाथ रोक देते हैं।
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