5. कोष का उचित आबंटन- शेयर बाजार लेनदेन प्रक्रिया के फलस्वरूप कोषों का प्रवाह कम लाभ के उपक्रमों से अधिक लाभ के उपक्रमों की ओर होता है और उन्हें विकास का अधिक अवसर प्राप्त होता है अर्थव्यवस्था के वित्तीय स्त्रोतों का इस प्रकार से श्रेष्ठ आबंटन होता है।

IDBI Bank Special FD Scheme.

उम्मीद है जेट एयरवेज, एतिहाद, ऋणदाता किसी सहमति पर पहुंच जायेंगे: सरकारी अधिकारी

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शेयर बाजार के कार्य, विशेषताएँ, लाभ, सीमाये/दोष

शेयर बाजार से आशय उस बाजार से है जहां नियमित कम्पनीयों के अंशपत्र, ऋणपत्र, प्रतिभूति, बाण्ड्स आदि का क्रय विक्रय होता है। शेयर बाजार एक संघ, संगठन या व्यक्तियों की संस्था है जो प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय या लेनदेन के उद्देश्य हेतु सहायक नियमन व नियंत्रण के लिए स्थापित किया जाता है फिर चाहे वह निर्गमीत हो या न हो।

1. अनवरत बाजार उपलब्ध कराना- शेयर बाजार सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के नियमित एवं सुविधापूर्ण क्रय-विक्रय के लिए एक स्थान है। शेयर बाजार विभिन्न अंशों, ऋणपत्रों, बॉण्ड्स एवं सरकारी प्रतिभूतियों के लिए तात्कालिक एवं अनवरत बाजार उपलब्ध कराता है इसके माध्यम से प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय मे उच्च कोटि की तरलता पाई जाती हैं क्योंकि इसके धारक जब भी चाहें, अपनी प्रतिभूतियों का नकद भुगतान प्राप्त कर सकते हैं।


2. मूल्य एवं विक्रय सम्बन्धी सूचना प्रदान करना-एक शेयर बाजार विभिन्न प्रतिभूतियो के दिन-प्रतिदिन के लेने देन का पूर्ण विवरण रखता है और मूल्य एवं विक्रय की मात्रा की नियमित सूचना प्रेस एवं अन्य संचार माध्यमों को देता रहता है वास्तव मे आजकल आप टी.वी. चैनल जैसे-सी.एन.बी.सी. जी न्यूज, एन.डी.टी.वी. और मुख्य खबरों (हेड लाइन) के माध्यम से विशिष्ट अंशों के विक्रय की मात्रा एवं मूल्यों के सम्बन्ध मे मिनट-मिनट की जानकारी प्राप्तर कर सकते है। यह निवेशकों को उन प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के सम्बन्ध में शीघ्र निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है जिनके लेनदेन में वे इच्छुक है।

बॉण्ड यील्ड में वृद्धि: सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे? आर्थिक संवृद्धि के लिये चुनौती

(प्रारंभिक परीक्षा: विषय- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ, आर्थिक और सामाजिक विकास) (मुख्य परीक्षा: विषय- भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय)

संदर्भ

अमेरिका एवं जापान जैसे विकसित देशों तथा भारत में सरकारी प्रतिभूतियों या बॉण्ड्स पर बढ़ती बॉण्ड यील्ड पर भारतीय रिज़र्व बैंक ने चिंता व्यक्त करते हुए इसे अर्थव्यवस्था की संवृद्धि में बाधक बताया है।

क्या है बॉण्ड यील्ड?

  • बॉण्ड यील्ड, किसी निवेशक को उसके बॉण्ड या सरकारी प्रतिभूति पर मिलने वाला एक प्रतिफल (Return) है।
  • ब्याज दरों में वृद्धि के कारण बॉण्ड की कीमतें गिरने लगती हैं तथा बॉण्ड यील्ड बढ़ जाती है, जबकि ब्याज दर कम होने पर बॉण्ड की कीमतें बढ़ने से बॉण्ड यील्ड में गिरावट आती है।
  • केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति, विशेष रूप से ब्याज दरों के संदर्भ में बॉण्ड यील्ड को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है। इसके अतिरिक्त, सरकार की राजकोषीय स्थिति, सरकारी उधारियाँ, वैश्विक बाज़ार तथा मुद्रास्फीति जैसे कारक भी इसे प्रभावित करते हैं।

अगले वित्त वर्ष में G-Sec में RBI की हिस्सेदारी 2 लाख करोड़ रुपये बढ़ेगी- रिपोर्ट

अगले वित्त वर्ष में G-Sec में RBI की हिस्सेदारी 2 लाख करोड़ रुपये बढ़ेगी- रिपोर्ट

सरकार के अगले वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रिकॉर्ड कर्ज लेने की योजना सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे? के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सरकारी प्रतिभूतियों (G-Sec) में हिस्सेदारी करीब 2 लाख करोड़ रुपये बढ़ सकती है. केंद्रीय बैंक के पास पहले ही 80.8 लाख करोड़ रुपये के बकाया सरकारी बॉन्ड (Government Bonds) में 17 फीसदी हिस्सेदारी है. एक रिपोर्ट में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि बड़े कर्ज कार्यक्रम की वजह से रिजर्व बैंक को कम-से-कम 2 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड के लिए खरीदार ढूंढने होंगे क्योंकि बैंक सामान्य तौर पर 10 साल से कम के लघु अवधि के लोन का विकल्प चुनते हैं.

आउटस्टैंडिंग बॉन्ड में RBI का हिस्सा दूसरे नंबर पर

सरकार के 80.8 लाख करोड़ रुपये के बकाया बॉन्ड में वित्तीय संस्थानों के बाद केंद्रीय बैंक का हिस्सा दूसरे नंबर पर है. बकाया बॉन्ड में सबसे अधिक हिस्सेदार वित्तीय संस्थान हैं.

एसबीआई रिसर्च (SBI Research) की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी के अंत तक 2061 तक परिपक्व होने वाली सरकारी प्रतिभूतियां 80.8 लाख करोड़ रुपये थीं. इनमें से 37.8 फीसदी प्रतिभूतियां बैंकों के पास, 24.2 फीसदी सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे? बीमा कंपनियों के पास थीं. यानी कुल मिलाकर इनके पास सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे? 62 फीसदी प्रतिभूतियां थीं. वहीं केंद्रीय बैंक के पास 17 फीसदी प्रतिभूतियां थीं.

इसके विपरीत, सरकारी प्रतिभूतियों का विदेशी स्वामित्व मात्र 1.9 फीसदी है. यह ब्राजील में अपने साथियों में सबसे कम है, यह उच्च 44.5 फीसदी, मेक्सिको में 41.1 फीसदी, दक्षिण अफ्रीका में 35 फीसदी और चीन में 10.5 फीसदी है. जनवरी 2022 के अंत तक आउटस्टैंडिंग डेटेड सरकारी प्रतिभूतियां 80.76 लाख करोड़ रुपये थीं, जिसे 2061 तक रिडीम किया जा सकता है.

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प्राथमिक डीलर के तौर पर आईडीबीआई बैंक सरकारी प्रतिभूतियों के संदर्भ में भी बाजार गतिविधियां संचालित करता है. बैंक का सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे? कोष सरकारी बॉन्डों की प्राथमिक नीलामी में सक्रियता से शिरकत करता है.

वित्त मंत्रालय के निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) ने आईडीबीआई बैंक की 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी किसी विदेशी बैंक के पास जाने की स्थिति में प्राथमिक डीलर के तौर पर बैंक की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर कहा, “आईडीबीआई बैंक के प्राथमिक डीलर कारोबार पर इसका कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है.”

प्राथमिक डीलर भारतीय रिजर्व बैंक के पास पंजीकृत वे इकाइयां होती हैं जो सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद एवं बिक्री करती हैं. उनके पास सीधे रिजर्व बैंक से सरकारी प्रतिभूतियों की खरीदारी करने और अन्य खरीदारों के बेचने का लाइसेंस होता है.

दीपम विभाग (DIPAM Department) ने यह स्पष्टीकरण आईडीबीआई बैंक के लिए बोली लगाने के इच्छुक बोलीकर्ताओं की तरफ से आ रही आशंकाओं को दूर करने के लिए दिया है. इसके पहले सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि रणनीतिक बिक्री में किसी विदेशी बैंक के सफल होने पर भी आईडीबीआई बैंक ‘निजी क्षेत्र का भारतीय बैंक’ बना रहेगा.

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