जोखिम प्रबंधन

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व्यक्तिगत वित्त के संदर्भ में जोखिम प्रबंधन पर जोर

यूक्रेन में भारतीय छात्रों एवं अन्य कार्यरत लोगों को भारत सरकार द्वारा सकुशल वापस लाया जा चुका है। यह इनके माता-पिता तथा परिजनों के लिए अत्यंत सुखद अनुभूति है किंतु साथ ही साथ अब इन्हें छात्रों के भविष्य की चिंता भी सताने लगी है। यह स्वाभाविक है। व्यक्तिगत वित्त के संदर्भ में इसीलिए जोखिम प्रबंधन पर अधिक बल दिया जाता है। भविष्य की अनिश्चितता एवं मानवीय व्यवहार की अस्थिरता ने ही जोखिम प्रबंधन को तार्किक एवं सुदृढ़ बनाने में प्रोत्साहन दिया है। जीवन के अन्य पहलुओं की भांति वित्तीय जोखिम विभिन्न परिमाणों, विभिन्न संभावनाओं के साथ आ सकता है। ऐसे जोखिम जो हमें कम प्रभावित करते हैं, उन्हें हम अनदेखा कर देते हैं, ऐसे जोखिम जो हमें डराते हैं अधिक नुकसान कर सकते हैं। हम किसी न किसी रूप में जूझने का प्रयास करते हैं।

लेखक : करुणेश देव

ऐसे जोखिम जिन्होंने हमें 2020-22 में प्रभवित किया अथवा भविष्य में कर सकते हैं…

वित्तीय जोखिम:जोखिम प्रबंधन

1. मुद्रास्फीति का जोखिम:
मुद्रा स्फीति जैसे हमने पहले भी समझा है। हमारे पैसे के लिए सबसे बड़ा खतरा है, जो समय के जोखिम प्रबंधन साथ हमारे पैसे के मूल्य को कम करता रहता है। इसकी दर कम या अधिक हो सकती है किंतु यह निरंतर हमारे पैसे की क्रय शक्ति व रिटर्न को कम करता रहता है।

2. ब्याज दर का जोखिम:
कम ब्याज दरें भी इस वास्तविकता का प्रमाण हैं कि अपना नुकसान उठा कर कोई भी संस्था ग्राहकों का भला नहीं कर सकती। ब्याज दरों को समग्र आर्थिक वास्तविकता के साथ जोडऩा एक सच्चाई है। यदि हम यह कहें कि आज से उक्त वर्ष पहले दरें अधिक थीं, तो यह तुलना गलत होगी, क्योंकि हमें कई अन्य कारकों को भी ध्यान में रखना होगा। पिछली पीढ़ी की कमाई की तुलना में आज वेतन कई गुना बढ़ गया है। चाहे सार्वजनिक हो या निजी क्षेत्र।

3. बाजारों का जोखिम:
पहले कोरोना और अब यूक्रेन-रूस युद्ध संबंधित विश्व व्यापी बाजारों की गिरावट, यह ऐसा जोखिम है, जिसे पहले से जानना अथवा अनुमान लगाना कठिन है। बाजारों में निवेश वैसे भी जोखिम के अधीन होते हैं, किंतु इस तरह की पूरी तरह से अप्रत्याशित घटनाएं तेजी से गिरावट का कारण बनती हैं।

व्यक्तिगत जोखिम:
1. वित्तीय क्षति का जोखिम:
व्यापार में हानि, बैंक का बंद होना, गलत निवेश, वित्तीय धांधली, ऑनलाइन फ्रॉड, अवांछनीय वित्तीय उत्पाद में लंबी अवधि के लिए निवेशित रहना। ये सब वित्तीय क्षति पहुंचाने वाले हैं तथा इनसे कोई भी वर्ग आज अछूता नहीं है। मुद्रा स्फीति की अधिक दर भी आपके धन को धीरे-धीरे क्षति पहुंचाती है।

2. आय जोखिम:
यह जोखिम व्यापारियों, अपना व्यवसाय करने वालों अथवा कर्मचारियों, सभी के लिए है किंतु निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को अधिक सताता है। आय का जोखिम दो प्रकार से चिंता बढ़ाता है। पहला है आय का पूर्णतया या आंशिक रूप में रुक जाना तथा दूसरा समय के साथ एवं खर्चों के अनुपात में आय का न बढऩा।

3. खर्च का जोखिम:
जिन परिवारों ने ऋण लेकर अपने बच्चों को पढ़ाई करने यूक्रेन भेजा था, वे बच्चों के भविष्य के साथ-साथ ऋण अदायगी व अपने खर्चे को लेकर भी अत्यधिक चिंतित हैं। इसी प्रकार कुछ खर्चे जो अप्रत्याशित रूप से आते हैं, आपके सुनियोजित एवं सुचारू वित्तीय जीवन में कभी भी जोखिम बढ़ा सकते हैं।

4. शारीरिक क्षति जोखिम:
व्यक्तिगत रूप में देखें तो जीवन जोखिम, स्वास्थ्य जोखिम, सुरक्षा जोखिम ये ऐसे जोखिम हैं, जिनसे हमें हर दिन जूझना पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप बीमारी, शारीरिक नुकसान अथवा जीवन हानि भी हो सकती है। यह केवल हमारी अपनी ही नहीं अपितु दूसरे की गलती से भी हो सकता है। इसके अन्य कारण पर्यावरण, जिस देश में आप रह रहे हैं या जो पेशा आप चुनते हैं, ये भी हो सकते हैं।

चलते चलते

पहले 2020 और आज 2022 हमें सतर्क रहने के साथ मानवीय मूल्यों को समझने तथा भविष्य के प्रति सजग रहने का संदेश दे रहा है। वित्तीय जोखिम व प्रबंधन हमारे जीवन मूल्यों का ही अभिन्न अंग है।

सोचिए, समझिए व जागरूक बनिए।

नोट : यहां दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य से दी गई है। किसी भी निवेश से पहले उसकी पूरी जानकारी अवश्य लें।

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व्यक्तिगत वित्त के संदर्भ में जोखिम प्रबंधन पर जोर

यूक्रेन में भारतीय छात्रों एवं अन्य कार्यरत लोगों को भारत सरकार द्वारा सकुशल वापस लाया जा चुका है। यह इनके माता-पिता तथा परिजनों के लिए अत्यंत सुखद अनुभूति है किंतु साथ ही साथ अब इन्हें छात्रों के भविष्य की चिंता भी सताने लगी है। यह स्वाभाविक है। व्यक्तिगत वित्त के संदर्भ में इसीलिए जोखिम प्रबंधन पर अधिक बल दिया जाता है। भविष्य की अनिश्चितता एवं मानवीय व्यवहार की अस्थिरता ने ही जोखिम प्रबंधन को तार्किक एवं सुदृढ़ बनाने में प्रोत्साहन दिया है। जीवन के अन्य पहलुओं की भांति वित्तीय जोखिम विभिन्न परिमाणों, विभिन्न संभावनाओं के साथ आ सकता है। ऐसे जोखिम जो हमें कम प्रभावित करते हैं, उन्हें हम अनदेखा कर देते हैं, ऐसे जोखिम जो हमें डराते हैं अधिक नुकसान कर सकते हैं। हम किसी न किसी रूप में जूझने का प्रयास करते हैं।

लेखक : करुणेश देव

ऐसे जोखिम जिन्होंने हमें 2020-22 में प्रभवित किया अथवा भविष्य में कर सकते हैं…

वित्तीय जोखिम:

1. मुद्रास्फीति का जोखिम:
मुद्रा स्फीति जैसे हमने पहले भी समझा है। हमारे पैसे के लिए सबसे बड़ा जोखिम प्रबंधन खतरा है, जो समय के साथ हमारे पैसे के मूल्य को कम करता रहता है। इसकी दर कम या अधिक हो सकती है किंतु यह निरंतर हमारे पैसे की क्रय शक्ति व रिटर्न को कम करता रहता है।

2. ब्याज दर का जोखिम:
कम ब्याज दरें भी इस वास्तविकता का प्रमाण हैं कि अपना नुकसान उठा कर कोई भी संस्था ग्राहकों का भला नहीं कर सकती। ब्याज दरों को समग्र आर्थिक वास्तविकता के साथ जोडऩा एक सच्चाई है। यदि हम यह कहें कि आज से उक्त वर्ष पहले दरें अधिक थीं, तो यह तुलना गलत होगी, क्योंकि हमें कई अन्य कारकों को भी ध्यान में रखना होगा। पिछली पीढ़ी की कमाई की तुलना में आज वेतन कई गुना बढ़ गया है। चाहे सार्वजनिक हो या निजी क्षेत्र।

3. बाजारों का जोखिम:
पहले कोरोना और अब यूक्रेन-रूस युद्ध संबंधित विश्व व्यापी बाजारों की गिरावट, यह ऐसा जोखिम है, जिसे पहले से जानना अथवा अनुमान लगाना कठिन है। बाजारों में निवेश वैसे भी जोखिम के अधीन होते हैं, किंतु इस तरह की पूरी तरह से अप्रत्याशित घटनाएं तेजी से गिरावट का कारण बनती हैं।

व्यक्तिगत जोखिम:
1. वित्तीय क्षति का जोखिम:
व्यापार में हानि, बैंक का बंद होना, गलत निवेश, वित्तीय धांधली, ऑनलाइन फ्रॉड, अवांछनीय वित्तीय उत्पाद में लंबी अवधि के लिए निवेशित रहना। ये सब वित्तीय क्षति पहुंचाने वाले हैं तथा इनसे कोई भी वर्ग आज अछूता नहीं है। मुद्रा स्फीति की अधिक दर भी आपके धन को धीरे-धीरे क्षति पहुंचाती है।

2. आय जोखिम:
यह जोखिम व्यापारियों, अपना व्यवसाय करने वालों अथवा कर्मचारियों, सभी के लिए है किंतु जोखिम प्रबंधन निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को अधिक सताता है। आय का जोखिम दो प्रकार से चिंता बढ़ाता है। पहला है आय का पूर्णतया या आंशिक रूप में रुक जाना तथा दूसरा समय के साथ एवं खर्चों के अनुपात में आय का न बढऩा।

3. खर्च का जोखिम:
जिन परिवारों ने ऋण लेकर अपने बच्चों को पढ़ाई करने यूक्रेन भेजा था, वे बच्चों के भविष्य के साथ-साथ ऋण अदायगी व अपने खर्चे को लेकर भी अत्यधिक चिंतित हैं। इसी प्रकार कुछ खर्चे जो अप्रत्याशित रूप से आते हैं, आपके सुनियोजित एवं सुचारू वित्तीय जीवन में कभी भी जोखिम बढ़ा सकते हैं।

4. शारीरिक क्षति जोखिम:
व्यक्तिगत रूप में देखें तो जीवन जोखिम, स्वास्थ्य जोखिम, सुरक्षा जोखिम ये ऐसे जोखिम हैं, जिनसे हमें हर दिन जूझना पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप बीमारी, शारीरिक नुकसान अथवा जीवन हानि भी हो सकती है। यह केवल हमारी अपनी ही नहीं अपितु दूसरे की गलती से भी हो सकता है। इसके अन्य कारण पर्यावरण, जिस देश में आप रह रहे हैं या जो पेशा आप चुनते हैं, ये भी हो सकते हैं।

चलते चलते

पहले 2020 और आज 2022 हमें सतर्क रहने के साथ मानवीय मूल्यों को समझने तथा भविष्य के प्रति सजग रहने का संदेश दे रहा है। वित्तीय जोखिम व प्रबंधन हमारे जीवन मूल्यों का ही अभिन्न अंग है।

सोचिए, समझिए व जागरूक बनिए।

नोट : यहां दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्य से दी गई है। किसी भी निवेश से पहले उसकी पूरी जानकारी अवश्य लें।

व्यावसायिक जोखिम का प्रबंधन कैसे करें- vyavsayik jokhim ka prabandhan kaise kare

एक बार आप अपने संभावित खतरों की पहचान कर ली तो उन्हें कम करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। जोखिम प्रबंधन करने के कुछ तरीके यह हैं:

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Risk management

व्यावसायिक जोखिम की रोकथाम कैसे करें

1) इसी तरह के व्यापार का शोध कीजिए और उनके जोखिम कैसे कम किए गए थे के बारे में पता लगाएं।

2) वर्तमान बाजार के रुझान का मूल्यांकन करें और पता लगाएं कि क्या इसी तरह उसके उत्पाद या सेवाएं जिन्हें कुछ समय पहले शुरू किया गया था कि उनकी जोखिम प्रबंधन अभी भी लोगों में मांग है।

3) इसके बारे में पता लगाएं कि क्या आपके पास वास्तव में अपने उत्पाद या सेवा शुरू करने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता है।

4) अपनी वित्त की जांच करें और देखें कि क्या अपना उद्यम शुरू करने के लिए आपके पास पर्याप्त पूंजी जोखिम प्रबंधन है।

5) अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति के बारे में पता लगाएं, यहां अर्थव्यवस्था समय के साथ कैसे बदल सकती है और आपका उद्यम परिवर्तनों से कैसे प्रभावित होगा।

6) इसके बारे में सोचें एक एक विस्तृत व्यापार योजना बनाएं।

7) सुनिश्चित करें कि सभी महत्वपूर्ण तत्व योजना में शामिल किए गए हैं।

8) संख्या को अच्छी तरह से जांचना।

9) संक्षिप्त और यथार्थवादी।

10) अपने दृष्टिकोण और अपने अनुमानों में रूढ़िवादी होना।

11) चार्ट लेखांकन और छवियों इत्यादि का आवश्यकतानुसार प्रयोग करें।

12) एक वित्तीय योजना बनाएं इनमें लक्ष्यों को पूरा करने के लिए अपने लक्ष्य रणनीतियां और समय सीमा को शामिल जोखिम प्रबंधन करना चाहिए।

13) अपने सभी महत्वपूर्ण वित्तीय दस्तावेजों को व्यवस्थित करें। अपनी निवेश का विवरण, बैंक विवरण, टैक्सेस, कागजात, क्रेडिट कार्ड के बिल, बीमा के कागजात और अन्य वित्तीय रिकॉर्ड रखने के लिए एक फाइल बनाए रखें।

14) अपने निवल मूल्य की गणना करें। इसका मतलब आप जिन के मालिक हैं जैसे अपने घर, बैंक खाता, निवेशक संपत्ति, उनमें से देनदारियां घटाएं जैसे ऋण, क्रेडिट कार्ड आदि की लंबित राशि जैसे देनदारियों और उसके बाद आपके पास जो राशि बच जाती है उसे निवल मूल्य कहा जाता है।

15) खर्च करने की योजना बनाएं इसका मतलब है कि पैसे कहां से आते हैं और कहां जाते हैं उन्हें विस्तार से लिखना।

16) एक आपातकालीन निधि का निर्माण करें एक अच्छी आपातकालीन निधि में कम से कम 6 महीने का खर्च कभर करने के लिए पर्याप्त पैसा होता है।

17) अपना बीमा निकाले। बीमा लंबी अवधि के लिए वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है और जोखिम के खिलाफ रक्षा करता है।

18) व्यापार में सफलता महत्व पूर्ण है दिखावा नहीं अर्थात आधुनिकता के जुनून से बचें।

19) अपने कुशल विचार के प्रति ईमानदार रहें।

20) याद रखे कि अवसर स्थिति के अनुसार होते है इसलिए उनकी पहचान करना सीखें।

Admin thanks - दोस्तों बहुत- बहुत धन्यवाद आपका की आप हमारे इस पेज पर अपना बहुमूल्य समय दिए। मुझे आशा हि आपको यह लेख - " व्यावसायिक जोखिम का प्रबंधन कैसे करें- vyavsayik jokhim ka prabandhan kaise kare" बहुत उपयोगी साबित हुआ हो।

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