कमोडिटी वायदा ट्रेडिंग पर रोक के बाद भी कीमतें बढ़ी, वायदा ट्रेडिंग पर रोक लगाना कितना सही!
जोखिम कम करने ट्रैडिंग का इतिहास में मददगार होती है। वायदा से पुट ऑप्शन का भी फायदा मिलता है। पुट ऑप्शन भी जोखिम कम करने में मददगार होती है।
कमोडिटी वायदा पर अब किस कमोडिटी पर रोक लगी इसके इतिहास पर नजर डालें तो सबसे पहले 2005 में रॉ-जूट पर रोक लगाई गई थी।
इस साल जनवरी में सेबी ने 7 कमोडिटी वायदा की ट्रे़डिंग पर रोक लगा दी थी तब कहा गया था कि इससे कीमतों में आई तेजी पर रोक लगेगी लेकिन अब तक कई रिपोर्ट आ चुके हैं। जिन्हें देखने से साफ पता चलता है ट्रैडिंग का इतिहास कि वायदा ट्रेडिंग पर रोक के बाद कीमतें बढ़ीं है। ऐसे में वायदा ट्रेडिंग पर रोक लगाना सही है । स्पॉट और वायदा कैसे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और सबसे बड़ा सवाल कि वायदा ट्रेडिंग पर रोक लगाना कहां तक सही है?
देश में वायदा कारोबार का इतिहास
देश में वायदा कारोबार का इतिहास पर नजर डालें तो 1875 में बॉम्बे कॉटन ट्रेड एसोसिएशन बना। वहीं 1952 में FCRA, 1953 में FMC का गठन हुआ। जबकि 2000 में नेशनल एग्रीकल्चर पॉलिसी की स्थापना हुई। साल 2003 में नई कमोडिटी शामिल ट्रैडिंग का इतिहास हुईं। जबकि 2015 SEBI मार्केट रेगुलेट बनाया गया।
सीएम जयराम बोले: बीजेपी नहीं करती हॉर्स ट्रेडिंग, अपने दम पर बनाएंगे सरकार
कहा कांग्रेस के नेता सीएम की कुर्सी के लिए लगा रहे दिल्ली की दौड़
Update: Saturday, November 26, 2022 @ 10:47 PM
शिमला। दिल्ली से लौटे सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला है। हॉर्स ट्रेडिंग (Horse Trading) पर उन्होंने कहा कि बीजेपी (BJP) हॉर्स ट्रैडिंग नहीं करती। जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस को अपनों से ही खतरा है। इसलिए वह हॉर्स ट्रेडिंग की बात कर रही है। उन्होंने दावा किया कि हिमाचल में बीजेपी अपने बूते हिमाचल में सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार बनाने के लिए बागियों की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। कांग्रेस (Congress) के हिमाचल में जीत के दावे पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस में कई लोग अपने आपको सीएम का दावेदार बता रहे हैं, लेकिन जो ये दावे कर रहे हैं उनकी अपनी सीट ही खतरे में हैं।
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जयराम ठाकुर ने कहा है कि कांग्रेस के कई नेताओं को यही मालूम नहीं है कि वह खुद जीत भी रहे हैं या नहीं। बावजूद इसके सभी नेता सीएम की कुर्सी का सपना लिये दिल्ली (Delhi) की दौड़ लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी की ही सरकार बनेगी। कांग्रेस नेता झूठ के सपने देख रहे हैं। इस बार कांग्रेस के कई दिग्गज अपनी कुर्सी भी नहीं बचा पाएंगे।
वेंटिलेटर पर पहुंचा सूरत का कपड़ा उद्योग!
केन्द्र सरकार बेमिसाल-चार साल का जश्न मनाने में व्यस्त है। देश के आर्थिक ढांचे को ऊंचाई पर ले जाने के बड़े-बड़े दावे आंकड़ों के तौर पर पेश किए जा रहे हैं। औद्योगिक विकास की गति बेहतर बताकर पीठ थपथपाने में जुटी सरकार को सिल्कसिटी सूरत के बदतर हालात नहीं दिख रहे। सरकार की वित्तीय नीतियों का सबसे ज्यादा नुकसान यदि किसी उद्योग को उठाना पड़ रहा है तो सूरत के कपड़ा उद्योग को। उद्यमियों की मानें तो कपड़ा उद्योग वेंटिलेटर पर है और कारगर उपचार के अभाव में तिल-तिल कर दम तोड़ रहा है। ट्रैडिंग का इतिहास देश में कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले कपड़ा उद्योग के हाल इस कदर खराब हो गए हैं कि सिर्फ सूरत में ही २२ लाख लोग अधरझूल में हैं। नोटबंदी के बाद जीएसटी के कड़े प्रावधानों ने इस उद्योग की कमर को तोड़ कर रख दिया है। सूरत में लगातार कारखाने बंद हो रहे हैं और श्रमिक पलायन कर रहे हैं। कपड़ा उद्योग के सभी घटक स्पिनिंग, वीविंग, प्रोसेसिंग, वेल्यू एडिशन, ट्रैडिंग आदि बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। सभी घटक एक-दूसरे से जुड़े होने के कारण यदि एक सेक्टर गड़बड़ाता है तो इसका असर सब पर पड़ता है। उद्योग की परिस्थितियां विपरीत होने से मांग घट रही है। इससे स्थानीय बाजारों में कारखाने बंद हो रहे हैं तो उद्यमी निर्यात में भी पिछड़े रहे हैं।
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शेयर बाजार में क्या है कमोडिटी ट्रेडिंग, जानिए कैसे करते हैं खरीद-बेच, कितना फायदेमंद
जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैस . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : May 06, 2021, 09:25 IST
मुंबई. जिस तरह से हम अपनी रोजमर्रा की जरुरतों के लिए कोई वस्तु यानी कमोडिटी (commodity) जैसे अनाज, मसाले, सोना खरीदते हैं वैसे ही शेयर बााजार (share market) में भी इन कमोडिटी की खरीद बेच होती है. शेयर बााजार के कमोडिटी सेक्शन में इनकी ही खरीद बेच को कमोडिटी ट्रेडिंग (commodity trading) कहते हैं. यह कंपनियों के शेयरों यानी इक्विटी मार्केट की ट्रेडिंग से थोड़ी अलग होती है. कमोडिटी की ट्रेडिंग ज्यादातर फ्यूचर मार्केट में होती है. भारत में 40 साल बाद 2003 में कमोडिटी ट्रेडिंग पर लगा प्रतिबंध हटा लिया गया था.
सामान्य तौर पर, कमोडिटी को चार प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है.
कीमती धातु - सोना, चांदी और प्लेटिनम
बेस मेटल - कॉपर, जिंक, निकल, लेड, टीन और एन्युमिनियम
एनर्जी - क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस, एटीएफ, गैसोलाइन
मसाले - काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च.
अन्य - सोया बीज, मेंथा ऑयल, गेहूं, चना
कमोडिटी ट्रेडिंग में क्या अलग है
- कमोडिटी ट्रेडिंग और शेयर बाज़ार ट्रेडिंग करने में बुनियादी फर्क है. शेयर बाजार में आप शेयरों को एक बार खरीद कर कई साल बाद भी बेच सकते हैं लेकिन कमोडिटी मार्केट में दो-तीन नियर मंथ में ही कारोबार होता है. इसलिए सौदे खरीदते या बेचने में एक निश्चित अवधि का पालन करना जरूरी होता है. यह इक्विटी फ्यूचर ट्रेडिंग (equity future trading) की तरह होता है.
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट क्या है -
दो पार्टियों के बीच यह खरीदने बेचने का ऐसा सौदा होता है जो आज के दाम पर फ्यूचर की डेट में एक्सचेंज होता है. कमोडिटी राष्ट्रीय स्तर ऑनलाइन मॉनिटरिंग और सर्विलांस मैकेनिज्म के साथ ट्रेड होता है. एमसीएक्स और एनसीडीएक्स में कमोडिटी फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट एक महीने, दो महीने और तीन महीने के लिए एक्सापाइरी सायकल के आधार पर खरीदे जाते हैं.
पोर्टफोलियो में विविधता के लिए कमोडिटी में निवेश फायदेमंद -
विशेषज्ञों के मुताबिक पोर्टफोलियों में विविधता के लिए निवेशक को इक्विटी के साथ साथ कमोडिटी में भी निवेश करना चाहिए. इससे कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा लिया जा सकता है. हालांकि, रिटेल और छोटे निवेशकों को कमोडिटी में निवेश में विशेष सावधान होना चाहिए. बाजार की अस्थिरता और कम जानकारी पूरा पैसा डूबा सकती है. निवेशकों को इसमें डिमांड सायकल और कौन से कारक कमोडिटी बाजार को प्रभावित करते हैं यह जानना जरूरी होता है.
कमोडिटी ट्रेडिंग से फायदा -
भारत में 25 लाख ट्रैडिंग का इतिहास करोड़ रुपए सालाना का कमोडिटी मार्केट तेजी से बढ़ रहा है. यह मुख्यत लिवरेज मार्केट होता है. मतलब छोटे और मध्यम निवेशक भी छोटी सी राशि से मार्जिन मनी के जरिये कमोडिटी ट्रेडिंग कर सकते हैं.
हेजिंग -
किसानों, मैन्युफैक्चरर और वास्तविक उपयोगकर्ताओं के लिए कमोडिटी के दाम में उतार चढ़ाव का रिस्क कम हो जाता है.
पोर्टफोलियों में विविधता -
कमोडिटी एक नए एसेट क्लास के रुप में विकसित हो रही है. यह पोर्टपोलियों में प्रभावी विविधता लाती है.
ट्रेडिंग अपॉरच्यूनिटी -
कमोडिटी का डेली टर्नओवर लगभग 22,000 - 25,000 करोड़ रुपए है, जो एक बेहतर ट्रेडिंग अपॉर्च्यूनिटी उपलब्ध कराती है.
हाई लिवरेज -
इसमें बहुत कम पैसे में आप मार्जिन मनी के सहारे बड़े सौदे कर सकते हैं.
समझने में आसानी-
कमोडिटी के बेसिक नेचर और सिंपल इकोनॉमिक फंडामेंटल की वजह ट्रैडिंग का इतिहास से इसे समझना भी आसान होता है
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज का क्या है रोल -
इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज वह संस्था है जो कमोडिटी फ्यूचर में ट्रेडिंग के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराती है. जैसे ट्रैडिंग का इतिहास स्टॉक मार्केट इक्विटी में ट्रेडिंग के लिए स्पेस उपलब्ध कराता है. वर्तमान में फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए 95 कमोडिटी उपलब्ध है जो रेगुलेटर फॉर्वर्ड मार्केट कमिशन ( एफएमसी) द्वारा जारी गाइडलाइन और फ्रेमवर्क के अंदर हैं. भारत में 3 नेशनल और 22 क्षेत्रिय एक्सचेंज अभी काम कर रहे हैं.
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) क्या है -
एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) द्वारा सुगम कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी का कारोबार अक्सर एमसीएक्स ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है. जिस प्रकार बीएसई और एनएसई स्टॉक में कारोबार के लिए मंच प्रदान करते हैं, वैसे ट्रैडिंग का इतिहास ही एमसीएक्स कमोडिटी में कारोबार के लिए एक मंच प्रदान करता है. इसमें कारोबार मेजर ट्रेडिंग मेटल और एनर्जी में होती है. इसमें रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम 17,000-20,000 करोड़ है.
एनसीडीएक्स-
यह दिसंबर 2003 में अस्त्तिव मे आया. इसमें मुख्यत एग्री ट्रेडिंग होती है. रोजाना एक्सचेंज वैल्यूम लगभग 2000 - 3000 करोड़.
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