आपको लाभ के लिए स्टॉक कब बेचना चाहिए

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शेयर बाजार से हुई कमाई पर कैसे और कितना लगता है टैक्स, समझिए पूरा नफा-नुकसान

अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर लाभ होता है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कहते है.

अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर लाभ होता है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कहते है.

शेयर बाजार में आप भी निवेश करते हैं. अगर हां तो आपको टैक्स का नियम समझना जरूरी है. हम आपको बता रहे हैं कि स्टॉक मार्केट . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : July 09, 2022, 11:07 IST

नई दिल्ली . शेयर बाजार से होने वाली कमाई पर कई तरह के टैक्स लगते हैं. बहुत सारे लोगों को यह जानकारी कम होती है कि कितना टैक्स लगता है. जब कमाई के बाद पैसा कट कर आता है तो निवेशक सोचते हैं कि पैसा कहां कट गया. आज हम आपको बता रहे हैं कि स्टॉक मार्केट से कमाई पर कितना और कैसे टैक्स देना पड़ता है.

मान लीजिए आपको एक साल में शेयर बाजार से 5 लाख की कमाई हुई. लेकिन आपके अकाउंट में सिर्फ 4.50 लाख रुपए ही आएंगे. दरअसल, इस कमाई पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स यानी STT और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स यानी LTCG देना पड़ा. इसके साथ ही कुल कमाई पर इनकम टैक्स भी देना होगा. यानी आपको तीन टैक्स देने पड़ रहे हैं.

टैक्स को ऐसे समझें…

आपके 4 लाख की कमाई वाले शेयर बेचते समय ही STT के 125 रुपए कट गए. एक साल पूरा होने के एक हफ्ते बाद ये 5 लाख रुपए के शेयर बेचे तो उस पर LTCG टैक्स 10% लगा और 50 हजार रुपए कट गए. मान लीजिए अब आपने इसके अलावा 3 लाख रुपए दूसरे जरिए से कमाए. इस तरह उसकी टोटल इनकम 3 लाख+5 लाख = 8 लाख रुपए आपको लाभ के लिए स्टॉक कब बेचना चाहिए हो गई. इसमें से पहले 50 हजार रुपए कट गए थे. इनकम बची 8 लाख-50,000=7.50 आपको लाभ के लिए स्टॉक कब बेचना चाहिए लाख रुपए. अब इस 7.50 लाख पर आपको इनकम टैक्स भी देना है.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (Long term Capital gains tax)

अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 आपको लाभ के लिए स्टॉक कब बेचना चाहिए महीने के बाद बेचने पर लाभ होता है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कहते है. शेयरों की बिक्री करने वाले को इस कमाई पर टैक्स देना पड़ता है. 2018 के बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को फिर से शुरू किया गया था.

इससे पहले इक्विटी शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड ( Equity Mutual funds) की यूनिटों की बिक्री से होने वाले लाभ पर टैक्स नहीं लगता था. इनकम टैक्स रूल्स (Income tax Rules) के सेक्शन 10 (38) के तहत इस पर टैक्स से छूट आपको लाभ के लिए स्टॉक कब बेचना चाहिए मिली हुई थी. लेकिन 2018 के बजट में शामिल किए गए प्रावधान में कहा गया कि अगर एक साल के बाद बेचे गए शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिटों की बिक्री पर एक लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटेल गेन हुआ है तो इस पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा.

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सोना बेचने से पहले रखें इन बातों का ध्यान, बेहतर कीमत के साथ पाएंगे ज्यादा मुनाफा

Gold Price Today: सोना एक ऐसी संपत्ति होती है जिसका उपयोग लोग मुश्किल समय के दौरान करते हैं। महामारी के दौरान बड़ी संख्या में वित्तीय संकट के दौरान लोगों ने सोने को बेचा है। लेकिन सोने को बेचने का.

सोना बेचने से पहले रखें इन बातों का ध्यान, बेहतर कीमत के साथ पाएंगे ज्यादा मुनाफा

Gold Price Today: सोना एक ऐसी संपत्ति होती है जिसका उपयोग लोग मुश्किल समय के दौरान करते हैं। महामारी के दौरान बड़ी संख्या में वित्तीय संकट के दौरान लोगों ने सोने को बेचा है। लेकिन सोने को बेचने का सही समय क्या होता है, कब बेचने पर सबसे ज्यादा लाभ होगा

सोने की शुद्धता जरूर चेक करें

सोना खरीदते समय यह जरूर चेक कर कर लें कि आखिर आपको सोने की शुद्धता का प्रमाण पत्र मिला है या नहीं। उस प्रमाण पत्र में गोल्ड लेकर के कैरेट से लेकर सभी जरूरी जानकारी उपलब्ध रहती है। जब आप सोना बेचने जाते हैं तब इसी रसीद के जरिए आपके सोने की सही कीमत पता चल पाती है। और तब आप बाजार भाव के आधार पर सोना बेच सकते हैं।

बेचते वक्त सही व्यक्ति का करें चयन

सोना बेचते समय हमेशा यह कोशिश करनी चाहिए कि जहां से गोल्ड खरीदा है वहीं, बेचा जाए। इससे असुविधाओं से भी बचा जा सकेगा। साथ ही सही कीमत भी मिलने की उम्मीद रहती है।

अलग-अलग ज्वेलर्स से जरूर करें संपर्क

सोना बेचते वक्त हमेशा अलग-अलग ज्वेलर्स से संपर्क कर लेना चाहिए। इससे हमेशा ही बेहतर दाम मिलने की उम्मीद रहती है। लेकिन इस दौरान ज्वेलर्स का बैकग्राउंड जरूर चेक कर लें।

इंडिया बुल्स ज्वेलर्स एसोशियेशन के राष्ट्रीय सचिव सुरेन्द्र मेहता के अनुसार, 'अगर आप 10 हजार रुपये से अधिक की ज्वेलरी बेचना चाहते हैं तभ यह ध्यान रखना चाहिए कि ज्वेलर्स आपको सिर्फ चेक के जरिए ही पेमेंट कर सकते हैं।' ज्वेलर्स आपसे केवाईसी से जुड़ी जानकारी भी मांग सकता है।

F&O: फ्यूचर्स-ऑप्शंस देते हैं कम लागत में ज्यादा पैसा कमाने का मौका

Futures & Options: आप केवल स्टॉक नहीं, बल्कि कृषि वस्तुओं, पेट्रोलियम, सोना, मुद्रा आदि में भी फ्यूचर्स-ऑप्शंस ट्रेडिंग कर सकते हैं.

  • Vijay Parmar
  • Publish Date - July 27, 2021 / 02:38 PM IST

F&O: फ्यूचर्स-ऑप्शंस देते हैं कम लागत में ज्यादा पैसा कमाने का मौका

Future & Option: कम इन्वेस्टमेंट करके ज्यादा मुनाफा कमाना कौन नहीं चाहेगा? सभी लोग ऐसा चाहते हैं और उसके लिए मार्केट में कई तरह के विकल्प उपलब्ध हैं. आज हम ऐसे ही एक विकल्प, यानी फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) डेरिवेटिव्स के बारे में जानेंगे. यह आपको केवल स्टॉक नहीं, बल्कि कृषि वस्तुओं, पेट्रोलियम, सोना, मुद्रा आदि में भी ट्रेडिंग करके पैसा कमाने का मौका देता है. इससे आपको कीमतों में उतार-चढ़ाव के जोखिम से बचने में मदद मिलती है.

फ्यूचर्स (Futures) क्या होता है?

कई प्रकार के डेरिवेटिव (derivative) में से एक प्रकार है फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट. इस प्रकार के कॉन्ट्रैक्ट में खरीदार (या विक्रेता) किसी विशेष संपत्ति की एक निश्चित मात्रा को भविष्य की तारीख में एक विशिष्ट कीमत पर खरीदने (या बेचने) के लिए सहमत होता है.

उदाहरण से समझते हैंः आपने एक फिक्स्ड तारीख पर XYZ कंपनी के 50 शेयरों को 100 रुपये में खरीदने के लिए एक फ्युचर कोन्ट्राक्ट खरीदा है. जब ये कॉन्ट्रैक्ट की एक्स्पायरी होगी तब आप उसकी मौजूदा कीमत के बावजूद, 100 रुपये पर ही शेयर प्राप्त करेंगे. यहां तक कि अगर कीमत 120 रुपये तक जाती है, तो भी आपको प्रत्येक शेयर 100 रुपये पर मिलेगा, जिसका मतलब है कि आप 1,000 रुपये का शुद्ध लाभ कमाते हैं. यदि शेयर की कीमत 80 रुपये तक गिरती है, तो भी आपको उन्हें 100 रुपये पर खरीदना होगा, ऐसे में आपको 1,000 रुपये का नुकसान होगा.

ऑप्शंस (Options) क्या होते हैं?

डेरिवेटिव्स के अन्य एक प्रकार को ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट कहते हैं. यह फ्युचर कोन्ट्राक्ट से थोड़ा अलग है जिसमें एक खरीदार (या विक्रेता) को एक विशिष्ट पूर्व-निर्धारित तिथि पर एक निश्चित कीमत पर एक विशेष संपत्ति खरीदने (या बेचने) का अधिकार देता है, लेकिन ऐसा करना उसका दायित्व नहीं होता. ऑप्शंस दो तरह के होते हैं, कॉल ऑप्शंस और पुट ऑप्शंस.

कॉल ऑप्शन – मान लें कि आपने एक निश्चित तिथि पर XYZ कंपनी के 50 शेयर 100 रुपये पर खरीदने के लिए कॉल ऑप्शन खरीदा है, लेकिन शेयर की कीमत एक्स्पायरी के वक्त 80 रुपये तक गिर जाती है, और आप 1,000 रुपये के नुकसान में चले जाते हैं. तब आपके पास 100 रुपये में शेयर नहीं खरीदने का अधिकार है, इसलिए सौदे पर 1,000 रुपये खोने के बजाय, आपको केवल कॉन्ट्रैक्ट के लिए चुकाए गए प्रीमियम का नुकसान होगा, जो बहुत कम होता है.

पुट ऑप्शंस – इस प्रकार के ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट में आप भविष्य में एक सहमत मूल्य पर संपत्ति बेच सकते हैं, लेकिन ऐसा करना आपका दायित्व नहीं. यदि आपके पास XYZ कंपनी के शेयरों को भविष्य की तारीख में 100 रुपये पर बेचने का विकल्प है, और समाप्ति तिथि से पहले शेयर की कीमतें 120 रुपये तक बढ़ जाती हैं, तो आपके पास शेयर को 100 रुपये में नहीं बेचने का विकल्प है, ऐसे में आप 1,000 रुपये के नुकसान से बच सकते हैं.

फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस में ट्रेडिंगः

फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) का एक फायदा यह है कि आप इन्हें विभिन्न एक्सचेंजों पर स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकते आपको लाभ के लिए स्टॉक कब बेचना चाहिए हैं. आप स्टॉक एक्सचेंजों पर स्टॉक F&O का व्यापार कर सकते हैं, कमोडिटी एक्सचेंजों पर कमोडिटी आदि. F&O ट्रेडिंग में आपको 1 लाख रुपये के शेयर या कमोडिटी में ट्रेडिंग करने के लिए केवल 10,000 रुपये की जरूरत पड़ती है, क्योंकि आपको उसका पूरा दाम चुकाने के बजाय 10-30% मार्जिन पर सौदा करने का मौका मिलता है. आप किसी वस्तुओं को खरीदे बिना उसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव का लाभ उठा सकते हैं.

F&O ट्रेडिंग में जोखिमः

फ्यूचर्स बाजार में हेजिंग का टूल नहीं है यानी इसमें सौदे को ओपन (खुला) छोड़ते हैं या फिर स्टॉप लॉस लगाते हैं. स्टॉप लॉस न लगाया तो नुकसान ज्यादा होता है, जबकि पुट ऑप्शन में खरीदे हुए सौदे को हेज कर सकते हैं.

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