ग्राहक से ग्राहक या C2C मॉडल

ई-कॉमर्स (E-commerce)

फ़ेर्मनघ में ईकॉमर्स विकास

आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में प्रत्येक व्यवसाय को वक्र से आगे रहने की जरूरत है। यह अनुकूलित, पेशेवर और एंटरप्राइज़-ग्रेड ईकामर्स वेब और मोबाइल ऐप के विकास की आवश्यकता है। ब्रिडकोड्स में, हम दुनिया भर के उद्योगों में ग्राहकों की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को उजागर करने के लिए अपनी ईकॉमर्स विकास विशेषज्ञता को उन्नत और अत्याधुनिक तकनीकों के साथ जोड़ते हैं।

Bridcodes, फ़ेर्मनघ में एक प्रमुख ईकामर्स विकास कंपनी, सर्वोत्तम ईकामर्स विकास सेवाएं प्रदान करती है, साथ ही उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए आवश्यक तकनीकी परामर्श और विकास योजनाएं भी प्रदान करती है। हम ईकामर्स वेब डिज़ाइन और विकास में व्यापक अनुभव के साथ फ़ेर्मनघ में एक प्रसिद्ध ईकामर्स डेवलपमेंट फर्म हैं। हमारे पास अनुभवी ईकामर्स डेवलपर्स की एक टीम है जो आपको सफल ईकामर्स प्लेटफॉर्म बनाने में मदद करने के लिए फ़ेर्मनघ में सर्वश्रेष्ठ ईकामर्स डेवलपमेंट सेवाएं प्रदान करती है। हमारा लक्ष्य सर्वोत्तम ईकामर्स वेबसाइट बनाना है जो वांछित परिणाम प्रदान कर सकें।

प्लेटफार्म और फ्रेमवर्क जिन्हें हम ब्रिजकोड में विशेषज्ञता प्राप्त करते हैं

चाहे वह कस्टम ईकॉमर्स डेवलपमेंट हो, Adobe कॉमर्स, Shopify, WooCommerce, या कुछ और, हमारी ईकामर्स डेवलपमेंट टीम के पास बहुत सारे विकल्प हैं, जब बात करने के लिए सही प्लेटफॉर्म और फ्रेमवर्क चुनने की बात आती है। आपका प्रोजेक्ट। चूँकि प्रत्येक प्लेटफ़ॉर्म के अपने लाभ और कमियाँ हैं, आप अपनी व्यावसायिक आवश्यकताओं के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प चुन सकते हैं। हम एक एकीकृत डिज़ाइन और विकास प्रदान करते हैं जो आपके लिए अपनी व्यावसायिक आवश्यकताओं के अनुरूप कोई भी सुविधा चुनना आसान बनाता है।

विक्रेता और खरीदार के प्रकार के आधार पर पांच अलग-अलग ईकामर्स बिजनेस मॉडल हैं। यह हमें विभिन्न व्यावसायिक मॉडल के तहत संचालित व्यवसायों की आवश्यकताओं की व्यापक समझ हासिल करने में सक्षम बनाता है। हम इस क्षेत्र में सही समाधान प्रदान करते हैं, भले ही आपकी कंपनी किस प्रकार के व्यवसाय मॉडल का उपयोग करती है। फ़ेर्मनघ में हमारी ईकामर्स विकास टीम के पास निम्नलिखित व्यवसाय मॉडल के लिए समाधान विकसित करने का व्यापक अनुभव है।

भारत में ईकॉमर्स स्टोर बनाने की हमारी प्रक्रिया

एक ईकामर्स वेबसाइट विकसित करते समय, हमारे प्रोजेक्ट मैनेजर क्लाइंट की आवश्यकताओं पर चर्चा करेंगे।

तकनीकी टीम आवश्यकताओं का आकलन करेगी और ईकामर्स स्टोर विकास के लिए सबसे उपयुक्त प्लेटफॉर्म का चयन करेगी, जैसे कि मैगेंटो, शॉपिफाई, या अन्य कस्टम ईकामर्स डेवलपमेंट फ्रेमवर्क या प्लेटफॉर्म।

क्लाइंट की जरूरतों के अनुसार, हमारे अनुभवी फ्रंट-एंड डेवलपर्स एक कस्टमाइज्ड फ्रंटएंड स्टोर बनाएंगे।

हम सभी ईकामर्स सुविधाओं को क्लाइंट की आवश्यकताओं के आधार पर मॉड्यूल में विभाजित करते हैं।

लेआउट स्वीकृत होने के बाद, हमारे बैकएंड डेवलपर्स कोड विकास और डेटाबेस विकास सहित ईकामर्स वेबसाइट विकसित करना शुरू कर देंगे।

एसक्यूएल इंजेक्शन और मैलवेयर हमलों से बचने के लिए, ईकामर्स वेबसाइटों के विकास का परीक्षण विभिन्न तरीकों से किया जाएगा।

आपके ईकॉमर्स स्टोर के विकास के लिए फ़ेर्मनघ में ब्रिजकोड क्यों?

हमारे वर्षों के अनुभव और प्रतिष्ठा के कारण, हम फ़ेर्मनघ में सबसे भरोसेमंद ईकॉमर्स डिज़ाइन एजेंसी हैं। हमने अपने ग्राहकों को सर्वश्रेष्ठ के अलावा कुछ नहीं दिया है, और वे हमारी नैतिकता और पारदर्शिता के कारण हमारे प्रति वफादार रहे हैं। हमारे विशेषज्ञ नवीनतम रुझानों और प्रौद्योगिकी में अत्यधिक जानकार और अच्छी तरह से वाकिफ हैं, और हम वैश्विक दर्शकों को पूरा करते हैं। हमारे पास एक मजबूत शोध टीम है जो चुनौतियों पर काम करती है। दुनिया भर के ग्राहक हमारी कस्टम वेब डिज़ाइन रणनीतियों को पसंद करते हैं, और हम बैंगलोर के सर्वश्रेष्ठ ईकॉमर्स कॉमर्स प्रणाली का विकास डेवलपर्स में से हैं। हमारे पास उचित और किफायती मूल्य और ऑफ़र हैं, जो आपको यह समझने में मदद करेंगे कि हम काफी लचीले हैं और हम अपने ग्राहकों की सेवा करने और उनके साथ एक उपयोगी संबंध स्थापित करने का आनंद लेते हैं।

ई-कॉमर्स क्या है ई-कॉमर्स कितने प्रकार के होते हैं?

क्या कभी आपने इंटरनेट के माध्यम से कुछ सामान खरीदा है? या कुछ बेचा हो? अगर हाँ तो इसका मतलब आपने ई-कामर्स क्या इलेक्ट्रानिक वाणिज्य में भाग लिया है। ई-कामर्स एक ऐसी कार्यप्रणाली है जिसके द्वारा इंटरनेट का प्रयोग करते हुए सामान खरीदते तथा बेचते हैं। वाणिज्य का प्रयोग सदियों से वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीददारी के लिए जाना जाता है परन्तु आज के युग में इसका स्वरूप पूर्णतया बदल चुका है। इसे अब आन लाइन सुविधा के साथ अच्छी तरह से किया जा रहा है। इस तरह के ऑनलाइन वाणिज्य को ई-काॅमर्स या ‘‘इलेक्ट्रानिक कामर्स’’ कहा जाता है। इसके द्वारा हम घर बैठे ही राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय वस्तुओं का आसानी से खरीद और बेच कर सकते हैं। आज यह सभी देशों के बाजारों का महत्वपूर्ण अंग है।

ई-कामर्स का प्रारम्भ 1990 का दशक माना जाता है और आज इसका प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है। इस समय लगभग हर कम्पनी की अपनी अलग ऑनलाइन उपस्थिति हैं तथा वह अपनी दमदार पहचान बनाने में जुटी है, देखा जाए तो ई-कामर्स एक आवश्यकता भी बन गई है। आज घरेलू सामान से लेकर, कपड़ा, किताबें, फर्नीचर, बिल्स, फोन चार्ज यात्रा टिकट मनोरंजन, सब कुछ ऑनलाइन है। आज बड़ी-बड़ी कम्पनियां जैसे पेटीएम अमेजाॅन, फ्लिपकार्ट इस प्रकार की सुविधाएं दे कर रही है। जिसमें आप जहां चाहे वहां सामान मंगवा सकते हैं। इस तरह से ई-कामर्स के जरिये धन का आदान प्रदान भी किया जा सकता है।

ई-कॉमर्स क्या है

इलेक्ट्रानिक कामर्स एक प्रकार की बिक्री-खरीददारी का माडल है जिसमें इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। इसके दो आधारभूत प्रकार है: व्यवसाय से व्यवसाय (B.2.B) और व्यवसाय से उपभोक्ता (B.2.C), B.2.B में कम्पनियाँ अपने आपूर्तिकर्ताओं, वितरकों एवं दूसरे सहयोगियों के साथ इलैक्ट्रानिक नेटवर्क के माध्यम से व्यापार करती है एवं B.2. में कम्पनियाँ अपने उत्पादों एवं सेवाओं को अपने उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रानिक नेटवर्क के माध्यम से उपलब्ध कराती है या बेचती है। हालांकि इसके बाद कई दूसरे तरह के ई-कामर्स माॅडल भी चर्चा में है जैसे कि C.2. C (उपभोक्ता-से-उपभोक्ता), C.2.B (उपभोक्ता-से-व्यवसाय), सी .2.A (बिजनेस-टू-एडमिनिस्ट्रेशन) एवं C.2.A (उपभोक्ता-से-एडमिनिस्ट्रेशन) आदि।

ई-कामर्स की अवधारणा का आशय इंटरनेट अर्थव्यवस्था एवं डिजिटल अर्थव्यवस्था से है। इंटरनेट अर्थव्यवस्था का आशय ऐसी अर्थव्यवस्था से है जिसमें राजस्व उत्पन्न करने के लिए इंटरनेट का उपयोग किया जाता है। जबकि डिजिटल अर्थव्यवस्था कम्प्यूटर, साफ्टवेयर और डिजिटल नेटवर्क जैसी डिजिटल तकनीकों पर आधारित है। ई-कामर्स का विकास इलेक्ट्रानिक डाटा इंटरचेज के बाद हुआ। पहले कंपनियां इसका उपयोग व्यावसायिक दस्तावेजों के आदान-प्रदान के लिए करती थी। धीरे-धीरे इसका प्रारूप बदला और कम्पनियों में इसका उपयोग सामान खरीदने एवं बेचने के लिए करना आरम्भ कर दिया। अब यह हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया।

ई-कॉमर्स के प्रकार

जब हम ई-कामर्स की बात करते हैं, तो हमारे मन में जो छवि उभरती है वह उत्पादक व उपभोक्ता के मध्य आनलाइन व्यापारिक लेन-देन की ही होती है जो कि कुछ हद तक सही भी है, ई-कामर्स को छह प्रमुख प्रकारों में विभाजित किया गया है जिनकी अपनी-अपनी कुछ विशेषताएं हैं-

  1. व्यवसाय से व्यवसाय (B 2 B) बिजनेस-टू-बिजनेस
  2. व्यापार-टू-उपभोक्ता (B 2 C) या बिजनेस-टू-कस्टूमर
  3. उपभोक्ता-टू-उपभोक्ता (C 2 C) या कस्टूमर-टू-कस्टूमर
  4. उपभोक्ता-टू-व्यवसाय (C 2 B) या कस्टूमर-टू-बिजनेस
  5. व्यापार-टू-प्रशासन (B 2 A) या बिजनेस-टू-एडमिनिस्ट्रेशन
  6. उपभोक्ता-टू-प्रशासन (C 2 A) या कस्टूमर-टू-एडमिनिस्ट्रेशन

1. व्यवसाय से व्यवसाय (B 2 B) बिजनेस-टू-बिजनेस

जब दो या दो से अधिक कम्पनियाँ आपस में सामान अथवा सेवाओं का लेन-देन इलेक्ट्रानिक तरीके से करते हैं तो इस तरह के ई-कामर्स को व्यवसाय से व्यवसाय (B 2 B) बिजनेस-टू-बिजनेस कहते हैं।

इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली विकास

इंटरनेट के लोकप्रिय होने से कई ऑनलाइन स्टोर और आभासी सेवाओं का उदय हुआ है। हम में से प्रत्येक किसी उत्पाद को ऑनलाइन ऑर्डर कर सकता है या एक विशेष सेवा प्राप्त कर सकता है। खरीद या सेवा के लिए भुगतान एक अलग मुद्दा बन गया है जिस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। भुगतान संसाधित करने के लिए सभी के पास बैंक शाखा में जाने का समय नहीं है। इसके अलावा, बैंक में भुगतान करना कई सुखद क्षणों से जुड़ा होता है, जैसे कि लंबी कतारें और अक्सर भुगतान करने की एक लंबी प्रक्रिया। इलेक्ट्रॉनिक मनी इस प्रक्रिया को बहुत आसान कॉमर्स प्रणाली का विकास बनाती है और इससे जुड़ी सभी कठिनाइयों को कम करती है, ऑनलाइन भुगतान करने की क्षमता प्रदान करती है।

ई-कॉमर्स के विकास के साथ, इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के लिए विभिन्न प्रणालियाँ दिखाई देने लगीं, जिनमें से कार्यों का सेट नियमित रूप से विस्तारित और पूरक होता है। इस तरह की प्रणालियां लंबे समय से हमारे जीवन में भरोसेमंद और गहराई से एकीकृत हैं, जो इंटरनेट स्पेस में लेनदेन का एक सुसंगत हिस्सा बन गई हैं।

आपको अपनी इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली की आवश्यकता क्यों है?

किसी भी भुगतान प्रणाली का मुख्य कार्य धन के साथ लेन-देन करना है। ऑनलाइन वित्तीय लेनदेन करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली की आवश्यकता होती है। ऐसी प्रणालियाँ तकनीकी प्रक्रियाओं पर निर्भर करती हैं जिसके माध्यम से उपयोगकर्ता संगठनों को भुगतान भेज सकते हैं और एक दूसरे के खातों में धन हस्तांतरित कर सकते हैं।

आपकी खुद की भुगतान प्रणाली विशिष्ट कार्यों और गतिविधियों के अनुसार तैयार की जाएगी। ऐसा उत्पाद कार्यों की एक विस्तृत श्रृंखला को हल करने में मदद करेगा, क्योंकि अब दुनिया में लगभग सभी लेनदेन वैश्विक नेटवर्क के माध्यम से होते हैं। कैशलेस भुगतान को संभव बनाने के लिए, यह विकल्प सबसे सीधा है, क्योंकि यह अधिकांश नौकरशाही उथल-पुथल को दूर करता है। यह विधि बहु-कार्यात्मक भी है, अर्थात, इसे प्रसंस्करण भुगतान, संचालन पर नियंत्रण और अन्य प्रक्रियाओं के लिए शर्तों में जोड़ा जाता है। इसके लिए तीसरे पक्ष की भागीदारी की आवश्यकता नहीं है।

कॉमर्स प्रणाली का विकास

Q.86: इंटरनेट के शैक्षिक उपयोग पर विस्तार से चर्चा कीजिए। अथवा इंटरनेट की शिक्षा में उपयोगिता तथा लाभों का वर्णन कीजिए।

उत्तर : आधुनिक युग में कंप्यूटर ने शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा है । इसके योगदान ने शैक्षिक क्रांति का श्रीगणेश किया है। शिक्षण संस्थाओं में परंपरागत कक्षाओं के छात्रों को नवीन शैक्षिक विधियों/प्रविधियों से शिक्षा दी जा रही है। शिक्षा का स्तर सुधारने हेतु सूचना तकनीकी यंत्रों का शिक्षण संस्थाओं में उपयोग छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए संपर्क जाल/नेटवर्क बहत ही जरूरी है । इंटरनेट के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में कई सुविधायें प्राप्त हो रही हैं।

भारत में इंटरनेट की सुविधा 15 अगस्त, सन् 1995 में प्रारंभ हुई। वर्ष 1991 में आर्थिक उदारीकरण की नीति की शुरुआत के साथ–साथ भारत को सूचना के एक राष्ट्रीय राजमार्ग की जरूरत महसूस होने लगी थी।

E-commerce कंपनियों की काम करने की शैली से उपभोक्ता हुए परेशान, हेल्पलाइन पर पर लगा शिकायतों का अंबार

Alok Kumar

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Updated on: September कॉमर्स प्रणाली का विकास 08, 2022 11:13 IST

E-Commerce - India TV Hindi

Photo:PTI E-Commerce

Highlights

  • जनवरी-अगस्त, 2022 के दौरान आईं कुल शिकायतों में 48 प्रतिशत ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ थीं
  • ई-कॉमर्स कंपनियां उपभोक्ताओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रही
  • 2019 में कुल शिकायतों में ई-कॉमर्स क्षेत्र की हिस्सेदारी आठ प्रतिशत थी

E-commerce: राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर जनवरी-अगस्त, 2022 के दौरान आईं कुल शिकायतों में 48 प्रतिशत ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ थीं। गौरतलब है कि यह आंकड़ा 2019 में महज आठ प्रतिशत था। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने यहां संवाददाताओं को बताया, ‘‘ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ बड़ी संख्या में शिकायतें हैं।’’ राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर पंजीकृत कुल शिकायतों में ई-कॉमर्स क्षेत्र की 48 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। उन्होंने कहा, ‘‘इससे पता चलता है कि ई-कॉमर्स कंपनियां उपभोक्ताओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं कर रही हैं।’’

अलग से शिकायत प्रणाली बनाने का निर्देश

सिंह ने कहा कि विभाग ने ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ कई दौर की चर्चा की है और उन्हें एक मानकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली बनाने के लिए कहा है। केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की मुख्य आयुक्त निधि खरे ने कहा कि 2019 में कुल शिकायतों में ई-कॉमर्स क्षेत्र की हिस्सेदारी आठ प्रतिशत थी। खरे ने कहा कि ऐसे में पिछले तीन वर्षों में शिकायतें छह गुना बढ़ गई हैं।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा है कि ओएनडीसी को उपभोक्ताओं का भरोसा कायम करने के लिए शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) की प्रगति की समीक्षा को लेकर कॉमर्स प्रणाली का विकास एक बैठक के दौरान यह बात कही। देश में तेजी से बढ़ते ई-कॉमर्स क्षेत्र के लोकतंत्रीकरण, छोटे खुदरा विक्रेताओं की मदद और ऑनलाइन खुदरा दिग्गजों के प्रभुत्व को कम करने के उद्देश्य से अप्रैल में पांच शहरों में ओएनडीसी ने एक पायलट चरण शुरू किया था। गोयल ने कहा, ‘‘ओएनडीसी को शिकायतों का निवारण सुनिश्चित करने और रिटर्न, रिफंड और रद्द करने के लिए मजबूत तंत्र के माध्यम से उपभोक्ताओं का विश्वास बनाना चाहिए।’’ उन्होंने जोर देकर कहा कि ओएनडीसी को अपने नेटवर्क को जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए व्यापारियों और उद्योग संघों के साथ सक्रिय रूप से काम करना चाहिए। गौरतलब है कि बीमा लोकपाल के देशभर में स्थित कार्यालयों ने 2021-22 के दौरान पॉलिसी धारकों की समस्याओं से जुड़ी कुल 40,527 शिकायतों का निपटारा किया। इससे पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में बीमा लोकपाल कार्यालयों ने 30,596 शिकायतों का निपटारा किया था।

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