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Share Trading Rules: शेयर बाजार के निवेशकों को बड़ी राहत, आज से एक दिन में होगा शेयरों का लेनदेन, शेयर बेचने के अगले दिन खाते में आएंगे पैसे

Stock Exchange Rules: देश के स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई में शेयरों के लेनदेन के लिए भुगतान की टी प्लस वन प्रणाली ( T+1 system) शुक्रवार 25 फरवरी 2022 से लागू हो गई है.

By: ABP Live | Updated at : 25 Feb 2022 02:20 PM (IST)

Stock Market News: शेयर बाजार ( Stock Market) में निवेश करने वाले निवेशकों को शुक्रवार से बाद से बड़ी राहत मिलने वाली है. शेयर बेचने के बाद अकाउंट में पैसे आने में अब दो दिन नहीं लगेंगे. बल्कि एक दिन में ही खाते में पैसा आ जाएगा तो शेयर खरीदने के अगले ही दिन डिमैट खाते में शेयर ट्रांसफर कर दिए जायेंगे. दरअसल देश के स्टॉक एक्सचेंज मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों के लेनदेन के लिए भुगतान की टी प्लस वन प्रणाली ( T+1 System) शुक्रवार 25 फरवरी 2022 से लागू हो गई है. टी प्लस वन का मतलब यह है कि लेनदेन से संबंधित सेटलमेंट वास्तविक लेनदेन के एक दिन के भीतर ही अबसे हो जाएगा. मौजूदा समय में सेंटलमेंट का नियम टी प्लस टू है, यानी शेयरों की खरीद-बिक्री की रकम संबंधित खाते में वास्तविक लेनदेन के दो दिनों के भीतर जमा की जा रही है.

क्या है टी प्लस वन
इसे उदाहरण के दौर पर समझते हैं. अगर आपने कोई शेयर बुधवार को खरीदा तो आपके डिमैट खाते में शेयर दो दिन बाद शुक्रवार को आता था. उसी तरह आपने बुधवार को शेयर बेचे तो शुक्रवार को उसके एवज में आपको भुगतान किया जाता था और आपके खाते में पैसे आते थे. लेकिन अब से बुधवार को आपने शेयर खरीदे से गुरुवार को ही आपके डिमैट खाते में शेयर आ जायेंगे. साथ ही अगर आपने बुधवार को शेयर बेचे तो उसके बदले में पैसे गुरुवार को ही खाते में ट्रांसफर कर दिए जायेंगे.

क्या होगा फायदा
टी प्ल्स वन सेटेलमेंट सिस्टम के लागू होने से डिफॉल्ट का जोखिम कम होगा साथ ही बाजार में नगदी ज्यादा मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकेगा. बाजार के जानकारों का मानना है कि इससे निवेशकों की रुचि बढ़ेगी और शेयर बाजार में वॉल्यूम भी बढ़ेगा.

एक्सचेंजों ने लिया था फैसला
बीएसई और नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) ने पिछले साल नवंबर में इसका ऐलान किया था. तब कहा गया था कि 25 फरवरी 2022 से टी प्लस वन की शुरुआत की जाएगी. सबसे पहले यह व्यवस्था बाजार पूंजीकरण के लिहाज से सबसे छोटी 100 कंपनियों में लागू की जाएगी. उसके बाद मार्च के कम से कम कितने शेयर खरीद सकते हैं? आखिरी शुक्रवार को इसमें बाजार पूंजीकरण के लिहाज से कम से ज्यादा के क्रम में 500 नए स्टॉक्स शामिल किए जाएंगे. उसके बाद हर महीने के आखिरी शुक्रवार को इसी तरह नए 500 स्टॉक्स तब तक शामिल किए जाते रहेंगे, जब तक सभी स्टॉक्स इसके दायरे में नहीं आ जाते.

2003 में घटाकर दो दिन कर दिया गया
शेयरों के लेनदेन से हासिल रकम खाते में आने की अवधि पहले वास्तविक लेनदेन से पांच दिनों तक यानी T+5 थी. शेयर बाजार के रेग्युलेटर सेबी ने इसे साल 2002 में घटाकर T+3 किया, जिसके बाद संबंधित शेयरधारक के खाते में बिक्री की रकम तीन दिनों के भीतर आने लगी. बाजार के रेग्युलेटर ने वर्ष 2003 में इसे घटाकर दो दिन कर दिया था. जानकारों का कहना है कि इस नई व्यवस्था से शेयर बाजारो में रकम का आदान-प्रदान तेजी से होगा.

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Published at : 25 Feb 2022 02:16 PM (IST) Tags: NSE bse demat account Stock Exchange Rules Indian Stock Exchange Adopts T+1 settlement What Is T+1 settlement हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

अमेरिकी शेयर बाजार में कैसे करें निवेश, क्या ये सही समय है?

एक वित्तीय वर्ष में 2,50,000 डॉलर यानी करीब 1 करोड़ 80 लाख रुपये भारतीय सीमा के बाहर निवेश कर सकते हैं.

अमेरिकी शेयर बाजार में कैसे करें निवेश, क्या ये सही समय है?

जबरदस्त रिटर्न के लिए अच्छी और मुनाफा बनाने वाली कंपनी की तलाश हर निवेशक को होती है. हो सकता है ऐसे में आपका मन टेस्ला, अमेजन या नेटफ्लिक्स जैसी कंपनी पर आया हो जो भारतीय बाजार नहीं बल्कि US के बाजार में निवेश के लिए मौजूद है. आइए ऐसे में समझते हैं एक भारतीय निवेशक के लिए अमेरिकी बाजार में निवेश से जुड़े विभिन्न पहलुओं को-

अमेरिका में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पैकेज के ऐलान के बाद S&P 500 इंडेक्स अप्रैल में पहली बार 4,000 का स्तर पार कर गया.

कितना बड़ा है US स्टॉक मार्केट?

अमेरिकी शेयर बाजार दुनिया का सबसे बड़ा इक्विटी मार्केट है. US के दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज, न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज और नैस्डैक में अमेजन, टेस्ला, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, इत्यादि विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों के शेयर लिस्टेड हैं. अमेरिकी बाजार से जुड़े विभिन्न इंडेक्स जैसे S&P 500 इंडेक्स, डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज और नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्सों का इस्तेमाल निवेशकों की दृष्टि से US और विश्व की अर्थव्यस्था को समझने के लिए किया जाता है. साथ ही दुनिया के दूसरे बाजारों पर भी इनकी दिशा का बड़ा असर होता है. दूसरे देशों की कंपनियां भी विभिन्न वजहों से अपनी लिस्टिंग US बाजार में करवाती है.

निवेश के क्या हो सकते हैं फायदे?

निवेशक हमेशा रिस्क को कम करने के लिए अपने पोर्टफोलियो में विभिन्न सेक्टर और अलग अलग तरह के स्टॉक्स रखना चाहते हैं. इस दृष्टि से किसी भी बाहरी बाजार में निवेश नए विकल्पों को खोल देता है. US बाजार में कई दूसरे देशों की कंपनियों भी खुद को लिस्ट करवाती है.

बीते वर्षों में अमेरिकी बाजार में भारतीय बाजार की तुलना में कम वोलैटिलिटी देखी गई है. काफी बार रिटर्न के मामले में भी US के बाजार का प्रदर्शन भारतीय बाजार से बेहतर रहा है. रुपये के डॉलर की तुलना में कमजोर होने का भी निवेशकों को फायदा मिल सकता है.

स्टार्टअप हब होने के कारण US में अच्छी क्षमता वाली कंपनियों में शुरुआत में निवेश का मौका होता है. इसी तरह भारत या अन्य बाजारों में कई बड़ी कंपनियों की सब्सिडियरी लिस्ट होती है जबकि US बाजार में सीधे निवेश से ज्यादातर ऐसी कंपनियों में आसानी से निवेश कर सकते हैं.

कैसे कर सकते हैं निवेश शुरु?

US बाजार में निवेश के दो रास्ते हैं.

पहला तरीका सीधे निवेश का है. इसमें निवेशक भारतीय बाजार की तरह ही ब्रोकर के साथ रजिस्ट्रेशन कर स्टॉक्स में खरीद बिक्री कर सकता है. आजकल भारतीय ब्रोकरेज कंपनियां भी अमेरिकी ब्रोकरेज हाउस के साथ करार कर निवेशकों को आसान निवेश की सुविधा देती हैं. निवेशक जरूरी पैन कार्ड, घर के पते को सत्यापित करने वाले ID के साथ सीधे अमेरिकी ब्रोकरेज कंपनी के साथ भी बाजार में व्यापार के लिए रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.

दूसरा तरीका म्यूचुअल फंड के रास्ते निवेश का हो सकता है. भारत में अनेकों म्यूचुअल फंड US बाजार आधारित फंड चलाते हैं. ऐसे फंड या तो सीधा अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड शेयरों में निवेश करते हैं या ऐसे बाजारों से जुड़े दूसरे म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं. इस प्रक्रिया में किसी अलग तरह के रजिस्ट्रेशन और बाजार के गहरी समझ की जरूरत नहीं है.

एक अगस्त से असर: अब शेयर बेचने से पहले भी 20 प्रतिशत देनी होगी मार्जिन, रिटेल निवेशक पर पड़ेगी ज्यादा मार, शेयर बेचने के दो दिन बाद ही खरीद पाएंगे नया स्टॉक

सेबी के नए नियम के कारण अब आप बेचे गए शेयर के पैसे से तभी दूसरा शेयर खरीद पाएंगे जब वह पैसा आपके खाते में दो दिन बाद आएगा - Dainik Bhaskar

पूंजी बाजार नियामक सेबी का काम एक रेगुलेटर के तौर पर निवेशकों की सुरक्षा करना और बाजार को सही तरीके से चलाने का है। लेकिन उसके एक सर्कुलर ने रिटेल निवेशकों की कमर तोड़ दी है। एक अगस्त से अगर आप शेयर बेचेंगे तो आपको इस पर कम से कम 20 प्रतिशत का कैश या शेयरों के गिरवी के रूप में मार्जिन देना होगा। साथ ही आप शेयर बेचने के दो दिन बाद ही नया शेयर खरीद पाएंगे। क्योंकि आप कोई भी शेयर बेचते हैं तो उसका पैसा दो कारोबारी दिनों के बाद आपके खाते में आता है।

नया नियम क्या है?

दरअसल सेबी ने कुछ समय पहले ही एक सर्कुलर जारी किया था। इसके मुताबिक अब हर निवेशक को शेयर बेचने पर भी मार्जिन देना होगा।पहले केवल शेयर खरीदने पर मार्जिन देना होता था। साथ ही अब आप किसी शेयर की बिक्री करते हैं तो उसके पैसे से शेयर दो दिन बाद ही खरीद सकते हैं।

नए नियम का असर किस पर होगा?

सेबी के इस नियम ने ब्रोकर्स हाउस के साथ-साथ रिटेल निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। रिटेल निवेशक इसलिए ज्यादा प्रभावित होंगे क्योंकि उनके पास मार्जिन के लिए पैसे जुटाना मुश्किल है। इससे बाजार में नए और पुराने निवेशकों पर मार पड़ेगी।

कैसे असर होगा?

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए किसी ने सोमवार को 100 रुपए का शेयर बेचा। अब उसे इसे बेचने से पहले 20 रुपए का कैश मार्जिन एक्सचेंज को देना होगा। जब तक वह इस मार्जिन को नहीं देगा, तब तक शेयर नहीं बेच पाएगा। दूसरा पहले यह था कि आपने आज शेयर बेचा और आज ही दूसरा शेयर खरीद लीजिए। इसमें बिक्री से मिले पैसे को सेटल कर दिया जाता था।

फायदा किसको हो सकता है?

वैसे कुछ सूत्रों का कहना है कि बाजार में जिस तरह से डायरेक्ट निवेशक आ रहे थे, उससे म्यूचुअल फंड को ज्यादा घाटा हो रहा था। हाल में म्यूचुअल फंड से काफी पैसा निवेशकों ने निकाला है। माना जा रहा है कि इस फैसले से म्यूचुअल फंड को ज्यादा फायदा होगा।

ब्रोकर और मार्केट क्या कह रहा है?

इन लोगों का कहना है कि यह पूरी तरह से निवेशकों के विरोध में नियम है। अगर मेरे पास 100 रुपए की पहले से ही कोई चीज है। आप बोलिए कि पहले 20 रुपए दो फिर बेचो। ऐसा कैसे हो सकता है? मेरे पास जब 100 रुपए है तो यह तो खुद ही सुरक्षा के रूप में है। इन लोगों का कहना है कि इसमें ज्यादा बड़े पैसों पर मार्जिन लगाई जा सकती है ताकि रिटेल निवेशकों को दिक्कत न हो।

मेरे पास अगर 20 रुपए नहीं होगा तो मै क्या करूंगा? शेयर ही नहीं बेचूंगा और जब तक शेयर नहीं बेचूंगा दूसरा खरीद नहीं पाऊंगा। इससे निवेशक बाजार में आएंगे ही नहीं।

शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, तो जरूरी है Demat Account होना, जानें कैसे खुलता है, क्या होता है चार्ज

How to open a Demat Account : डीमैट खाता खोलने की प्रक्रिया बहुत आसान होती है. इसके लिए सबसे कम से कम कितने शेयर खरीद सकते हैं? पहले आपको एर फॉर्म ऑनलाइन भरना होता है. जिसके बाद ई वेरिफिकेशन होता है. ये प्रोसेस पूरी होते ही आपका डीमैट खाता खुल जाता है.

शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, तो जरूरी है Demat Account होना, जानें कैसे खुलता है, क्या होता है चार्ज

Demat Account : शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के लिए जरूरी है डीमैट अकाउंट. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

शेयर बाजार में ट्रेडिंग (Share Market Trading) कर पैसा बहुत से लोग बनाना चाहते हैं लेकिन शेयर्स खरीदने और बेचने के लिए जिस डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है, उसके बारे में कम ही जानकारी होती है. डीमैट अकाउंट कैसे काम करता है, इस खाते को खोलने के लिए जरूरी कागजात कौन से होते हैं और कितनी फीस डीमैट खाते को खोलने के लिए खर्च करनी पड़ती है. ऐसे बहुत सारे सवालों के जवाब हम आपको इस खबर की मदद से दे रहे हैं क्योंकि शेयर ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है, इसके बिना ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है.

तो आइए जानते हैं डीमैट खाते से जुड़ी हर जरूरी जानकारी.

क्या होता है डीमैट खाता

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जिस तरह से बैंक अकाउंट होता है. इसी तरह से डीमैट अकाउंट भी बैंक खाते की तरह काम करता है. शेयर बाजार को रेगुलेट करने वाली संस्था SEBI के साफ निर्देश हैं कि बिना डीमैट खाते के शेयरों को किसी भी अन्य तरीके से खरीदा और बेचा नहीं जा सकता है.

डीमैट खाते की सबसे अच्छी बात होती है ये जीरो अकाउंट बैलेंस के साथ भी खोला जा सकता है. इसमें मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होती है. शेयर बाजार में निवेश के लिए निवेशक के पास बैंक अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट और डीमैट खाता होने चाहिए क्योंकि डीमैट खाते में आप शेयरों को डिजिटल रूप से अपने पास रख सकते है. तो वहीं ट्रेडिंग अकाउंट से मदद से शेयर, म्युचुअल फंड और गोल्ड में निवेश किया जा सकता है.

कैसे खोलें डीमैट खाता

- शेयरों में ऑनलाइन निवेश करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी डीमैट खाता होता है. आप इसे HDFC सिक्योरिटीज, ICICI डायरेक्ट, Axis डायरेक्ट जैसे किसी भी ब्रोकरेज के पास खुलवा सकते हैं.

- ब्रोकरेज फर्म का फैसला लेने के बाद आप उसकी वेबसाइट पर जाकर डीमैट अकाउंट ओपन करने का फॉर्म सावधानी से भरने के बाद उसकी KYC प्रोसेस को पूरा करें.

- KYC के लिए फोटो आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ के लिए डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ेगी. जब ये प्रोसेस पूरी हो जाएगा तो उसके बाद इन-पर्सन वेरिफिकेशन होगा. संभव है जिस फर्म से आप डीमैट अकाउंट खुलवा रहे हों, वो अपने सर्विस प्रोवाइडर के दफ्तर आपको बुलवाएं.

- इस प्रोसेस को पूरा होने के बाद आप ब्रोकरेज फर्म के साथ टर्म ऑफ एग्रीमेंट साइन करते है. ऐसा करने के बाद आपका डीमैट अकाउंट खुल जाता है.

- फिर आपको डीमैट नंबर और एक क्लाइंट आईडी दी जाएगी.

कौन खोलेगा डीमैट खाता

इंडिया में डीमैट खाता खोलने का काम दो संस्थाएं करती है. जिसमें पहली है NSDL (National Securities Depository Limited) और दूसरी है CDSL (central securities depository limited). 500 से अधिक एजेंट्स इन depositories के लिए काम करते है, जिनको आम भाषा में डीपी भी कहा जाता है. इनका काम डीमैट अकाउंट खोलना होता है.

जरूरी शर्तें

डीमैट अकाउंट खोलने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी शर्त होती है कि जो व्यक्ति शेयर ट्रेडिंग के लिए डीमैट अकाउंट खुलवा रहा हो उसकी उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए. साथ ही इसके लिए उस व्यक्ति के पास पैन कार्ड, बैंक अकाउंट आइडेंटिटी और एड्रेस प्रूफ होना जरूरी है.

काम की बात! सेकेंड हैंड DSLR Camera खरीदते समय ज़रूर चेक कर लें ये 3 चीजें

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नई दिल्ली: फोटो और वीडियो बनाने के लिए लोग DSLR कैमरा खरीदते हैं. इसकी कीमत काफी ज्यादा होती है इसलिए कुछ लोग नए की जगह पुराना खरीदना चाहते हैं. क्या आप भी एक फोटोग्राफर या वीडियो क्रिएटर हैं और एक बेहतरीन डीएसएलआर कैमरा खरीदने की तलाश में है? अगर बजट कम हो तो कम कीमत में कुछ चीजों पर ध्यान देकर एक बेहतरीन डीएसएलआर कैमरा खरीदा जा सकता है. इसे खरीदते समय जरूर चेक करें ये चीज़ें…

आमतौर पर लोग तस्वीरें क्लिक कर कम से कम कितने शेयर खरीद सकते हैं? इसे जूम करने के बाद क्वालिटी का अंदाजा लगा लेते हैं. इसमें सबसे पहले कैमरा शटर काउंट को चेक करना चाहिए. इससे आप यह पता कर सकते हैं कि अभी तक इस कैमरे से कितनी फोटो खींची गई है.

कैमरा शटर काउंट करें चेक

फोटोग्राफर या वीडियोग्राफी कैमरा शटर स्पीड के बारे में जरूर जानते हैं. शटर काउंट के बारे में भी जानना बहुत जरूरी है. जब भी आप किसी से पुराना डीएसएलआर खरीद रहे हो तो ऐसी स्थिति में एक बार उस से तस्वीरें क्लिक करने के बाद शटर काउंट जरूर चेक करें. अगर यह 10,000 या फिर इससे कम हो तो आप इसे बहुत ही आराम से खरीद सकते हैं. दरअसल शटर काउंट चेक करने के बाद आपको इस बात की जानकारी मिल जाएगी कि अभी तक इस कैमरे से कितनी तस्वीरें खींची कम से कम कितने शेयर खरीद सकते हैं? गई है.

शटर काउंट चेक करने के लिए फॉलो करें ये स्टेप

1. डीएसएलआर कैमरे की शटर काउंट चेक करने के लिए पहले इससे एक तस्वीर क्लिक कर लें.

2. इसे वाईफाई या फिर डेटा केबल के जरिए स्मार्टफोन यह कंप्यूटर में शेयर करें.

3. इसके बाद गूगल क्रोम ब्राउजर में जाकर camerashuttercount.com वेबसाइट पर विजिट करें.

4. यहां आप उस तस्वीर को अपलोड करने के बाद शटर काउंट चेक कर सकते हैं.

5. इसके अलावा इसकी कीमत कितनी होनी चाहिए इसकी भी जानकारी मिल जाती है.

बिल्ड क्वालिटी और कैमरा सेंसर

किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सामान को खरीदने से पहले इसकी बिल्ड क्वालिटी जरूर चेक करें. अगर इसमें कहीं कम से कम कितने शेयर खरीद सकते हैं? टूट-फूट हो या फिर किसी और तरह की दिक्कतें हो तो इसे पैसे देने से पहले ही चेक कर लेना चाहिए. इसके अलावा सेकेंड हैंड डीएसएलआर कैमरा लेने से पहले इसमें से लेंस खोलने के बाद सेंसर के ऊपर एक नजर जरूर डालें. अगर इसमें धूल जमी हुई हो या फिर इसके ऊपर स्क्रैच हो तो इसे लेने से बचना चाहिए. अगर स्क्रैच नहीं हो और शटर काउंट भी कम हो तो ये एक फायदे का सौदा साबित हो सकता है.

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