फ्रैंकलिन टेंपलटन संकट के बाद MF में निवेश कितना सुक्षित, जानें Experts की राय

फ्रैंकलिन संकट से घिरे म्यूचुअल फंड उद्योग को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से सोमवार को बड़ी राहत मिली। आरबीआई ने निवेशकों में घबराहट और नकदी संकट दूर करने के लिए म्यूचुअल फंड उद्योग को 50 हजार करोड़.

फ्रैंकलिन टेंपलटन संकट के बाद MF में निवेश कितना सुक्षित, जानें Experts की राय

फ्रैंकलिन संकट से घिरे म्यूचुअल फंड उद्योग को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से सोमवार को बड़ी राहत मिली। आरबीआई ने निवेशकों में घबराहट और नकदी संकट दूर करने के लिए म्यूचुअल फंड उद्योग को 50 हजार करोड़ रुपये के विशेष नकदी सुविधा देने का ऐलान किया। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई के इस फैसले से म्यूचुअल फंड उद्योग में नकदी संकट को कम करने के साथ निवेशकों का भरोसा बहाल करने में मदद मिलेगी। आइए जानें MF में निवेश करना कितना सुरक्षित है.

विश्वास बहाली की ओर एक महत्वपूर्ण कदम

एमके वेल्थ मैनेजमेंट के रिसर्च हेड जोसेफ थॉमस के मुताबिक आरबीआई ने निवेशकों और म्यूचुअल फंड उद्योग में विश्वास बहाली के लिए नकदी समर्थन देने की घोषणा की है। यह निवेशकों के मन में आशंकाओं को दूर करने का काम करेगा। इससे निवेशक जल्दबाजी में रिडेम्पशन मोड (यूनिट बेचने) में नहीं जाएंगे। आने वाले समय में लो रेटेड क्रेडिट फंड म्यूचुअल फंड उद्योग के सामने परेशानी खड़ा कर सकता है क्योंकि कोरोना से अर्थिक गतिविधियां सुस्त है। इससे आने वाले समय में संकट बढ़ सकता है।

फ्रैंकलिन जैसी घटना रोकने में मदद मिलेगी

सेबी रजिस्टर्ड फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी का कहना है कि कोरोना संकट से दुनियाभर के वित्तीय बाजार की स्थिति नाजुक है। इसका असर भारतीय बाजार और म्यूचुअल फंड उद्योग पर हुआ है। इसी का परिणाम फ्रैंकलिंन टेम्पलटन जैसी घटना रोकने में मदद मिलेगी। आरबीआई की ओर से राहत मिलने के बाद इस तरह की दूसरी नहीं होगी क्योंकि इससे नकदी संकट का समाधान होगा। फ्रैंकलिंन को भी छह फंड नकदी की कमी के चलते ही बंद करना पड़ा है।

एमएफ कंपनियों को दबाव झेलना आसान होगा

गुडमनिंग.कॉम में वित्तीय योजनाकार मणिकरण सिंगल कहते हैं कि कोरोना संकट से अर्थव्यवस्था में नकदी का दवाब बढ़ गया है। म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार भी उछूता नहीं है। फ्रैंकलिन टेम्पलटन का मामला आ जाने से निवेशकों में घबराहट का माहौल पैदा हो गया है। निवेशकों द्वारा रिडेम्पशन प्रेशर (बिकवाली) बढ़ने की आशंका बढ़ी है। खरीदार न होने से म्यूचुअल फंड कंपनियां निवेश नहीं बेच पा रही हैं। आरबीआई द्वारा राहत मिलने से म्यूचुअल फंड कंपनियों को रिडेम्पशन प्रेशर कम करने में मदद मिलेगी।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड दीपक जसानी का कहना है कि आरबीआई का यह कदम डेट और इक्विटी मार्केट को स्थिर बनाएगा आरबीआई की ओर से म्यूचुअल फंड उद्योग को 50 हजार की नकदी उपलब्ध कराने से निवेशकों की ओर से बिकवाली को रोकेगा। साथ ही यह डेट और इक्विटी मार्केट को स्थिर करने का भी काम करेगा। इससे कारोना संकट और आर्थिक मंदी के कारण एनएवी में हो रही गिरावट रोकने में भी मदद मिलेगी।

हालांकि, जिस तरह से कोरोना संकट के कारण उद्योग जगत की वित्तीय स्थिति खराब हो रही है वैसे में आने वाले हफ्तों में आरबीआई को फिर से कदम उठाने होंगे। अधिक जोखिम वाले डेट फंड को लेकर निवेशकों को सावधान हो जाने की जरूरत है।

निवेशकों का पैसा सुरक्षित उन्हें डरने की जरूरत नहीं

सेबी प्रमाणित वित्तीय योजनाकार हर्षवर्धन रूंगटा का कहना है, "आरबीआई द्वारा म्यूचुअल फंड को राहत देने से निवेशकों के बीच भरोसा बहाली में मदद मिलेगी। मेरा कहना है कि किसी भी म्यूचुअल फंड निवेशक को यह नहीं सोचना चाहिए कि उसका पैसा डूब जाएगा। फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने छह फंड बंद किए हैं। यह नहीं कहा कि निवेशकों का पैसा नहीं लौटाएगा। कोरोना से बाजार में नकदी संकट है। जैसे ही सुधार होगा फ्रैंकलिन पैसा लौटाना शुरू करेगा। हां, आरबीआई के कदम से म्यूचुअल फंड उद्योग, निवेशकों में जरूर भरोसा बहाल होगा।"

बाजार में आई गिरावट में आम निवेशक को भारी पड़ेगी ये गलतियां, उठा लेंगे तगड़ा नुकसान

महंगाई और केंद्रीय बैंकों के सख्त रूख से शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिल रही है. बाजार में दबाव के बीच छोटे निवेशक ऐसी गलतियां कर देते हैं जिनका उन्हे हमेशा पछतावा रहता है. जानिये बाजार में गिरावट के समय किन गलतियों से दूर रहें

बाजार में आई गिरावट में आम निवेशक को भारी पड़ेगी ये गलतियां, उठा लेंगे तगड़ा नुकसान

विदेशी बाजारों से मिले नकारात्मक संकेतों की वजह से घरेलू शेयर बाजार में तेज गिरावट देखने को मिल रही है. शुक्रवार को ही बाजार में निवेशकों ने 6 लाख करोड़ रुपये गंवा दिये है. वहीं बाजार के जानकार आगे भी अनिश्चितता के बीच बाजार में दबाव बने रहने की बात कर रहे हैं. ऐसे में आम लोगों के बीच डर और लालच दोनों ही बढ़ने की आशंका बन गई है. बाजार के अधिकांश जानकार आम निवेशकों से हर स्थिति में सोचसमझ कर फैसला लेने की बात करते हैं. लेकिन डर या लालच हावी होने पर आम निवेशक अक्सर ऐसा फैसला ले लेतें हैं जिससे उनका नुकसान होना तय हो जाता है. जानिए अगर बाजार में गिरावट हावी हो रही हो तो आपको किन गलतियों से दूर रहने की जरूरत है.

घबराहट में बिकवाली करना

शेयर बाजार में गिरावट आने पर बिना सोचे समझे शेयर बेचने से बड़ी गलती कोई नहीं है. हालांकि ये भी सही नहीं है कि हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें. अगर आपने सिर्फ स्टॉक के प्रदर्शन को देखकर जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में कहीं निवेश किया है तो तुरंत निवेश की समीक्षा करें और तेजी के साथ फैसला लें . हालांकि अगर आपने किसी कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर सोच समझकर निवेश किया है तो शांत रहें, मजबूत कंपनियों में संभावना होती है कि वो रिकवरी के संकेत दिखते ही न केवल अपने नुकसान की भरपाई करती हैं वहीं इस गति के साथ वो और बढ़त भी दर्ज करती हैं. सलाह दी जाती है कि निवेश सोचसमझ कर करें फिर अपने इस फैसले पर भरोसा बनाए रखें..

बाजार में निवेश बंद करना

छोटे निवेशकों की सबसे बड़ी समस्या ये है कि वो बाजार में गिरावट आते ही उसको लेकर नकारात्मक छवि गढ़ लेते हैं. ध्यान रखें की बाजार एक ऐसी जगह है जहां कई लोग तब भी कमा रहे होते हैं जब बाजार गिर रहा होता है…हालांकि इसके लिए बाजार की काफी अच्छी जानकारी होनी चाहिए. छोटे निवेशकों को चाहिए कि वो किसी भरोसे के मार्केट एक्सपर्ट के संपर्क में बने रहें. और गिरावट के बीच उनसे निवेशक के विकल्प के बारे में सलाह ले सकते हैं. सलाह है कि बाजार को लेकर सकारात्मक या नकारात्मक कोई राय न बनाएं. बेहतर है कि बाजार को समझने की कोशिश करें, जानकारों से बात करें उनसे सलाह लें और निवेश के विकल्प हमेशा खुले रखें

एसआईपी को बंद करना

बाजार में गिरावट के बीच ये एक और बड़ी गलती है जिसे छोटे निवेशक करते है. बाजार अगर गिरता है तो कई स्कीम के रिटर्न निगेटिव दिखने लगते हैं. ऐसे में कई लोग एसआईपी बंद करा देते हैं. हालांकि वो नहीं समझ पाते कि उन्होने दोगुना नुकसान उठाया है. पहला वो निवेश का चक्र तोड़ देते हैं वहीं निचले स्तरों पर पहुंचे स्टॉक्स की खरीद का फायदा गंवा देते हैं. साल 2008 में आए क्रैश के दौरान कई लोगों ने अपनी एसआईपी बंद कर दी थी. हालांकि जिन लोगो ने निवेश जारी रखा उन्हें बाजार में रिकवरी के साथ तगड़ा मुनाफा मिला. बाजार में एसआईपी के जरिए निवेश किसी भी छोटे निवेशक के लिए सबसे कारगर तरीका होता है हर महीने छोटी रकम के साथ निवेशक बाजार के निवेशक घबराहट की स्थिति में क्या कर सकते हैं एक्सपर्ट्स की रणनीतियों का फायदा उठाते हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि आप स्कीम पर नजर रखना ही छोड़ दें. आपको अपने निवेश की जानकारी होनी जरूरी है. ध्यान रखें कि एसआईपी समय से पहले बंद करने के नुकसान होते हैं इसलिए सोचसमझ कर ही इस पर निर्णय लिया जाना जरूरी है.

बड़ी मात्रा में निवेश करना

शेयर बाजार के लुढ़कने के दौरान एक शब्द काफी चलन में आ जाता है. वो है buying at dip यानि गिरावट पर खरीदारी. अधिकांश छोटे निवेशक भी इसके फेर में आ जाते हैं क्योंकि उन्हें भी ये गणित काफी सीधा लगता है जिसमें कम कीमत पर खरीदना और ज्यादा कीमत पर बेचने की सोच होती है. लेकिन ये उतना सीधा नहीं है जितना ये लगता है.निवेशक घबराहट की स्थिति में क्या कर सकते हैं

पहला छोटे निवेशक नहीं जानते कि किसी स्टॉक में आई गिरावट के मायने क्या हैं. क्या वो अपने सही कीमत से गिर कर नीचे आया है या फिर वो गिरावट के बाद अपनी सही कीमत पर पहुंचा है. दूसरा छोटे निवेशकों को पता नहीं होता कि स्टॉक कितना गिरेगा और इसमें रिकवरी कब तक आएगी. इन सभी सवालों के बीच बाजार में बड़ी मात्रा में निवेश करना गलत कदम साबित हो सकता है.

वित्तीय सेहत का रखें ध्यान: फंड्स को सही तरह से प्रबंधित करना जरूरी, ये हैं पांच सहायक कदम

अपनी वित्तीय सेहत का ध्यान रखना और वर्तमान व आने वाले समय को ध्यान में रखते हुए फंड्स को सही तरह से प्रबंधित करना जरूरी है।

वित्तीय सेहत का रखें ध्यान

पिछले कुछ सप्ताह सभी के लिए मुश्किल भरे रहे हैं और कई तरह से लोगों को वित्तीय तनाव का सामना करना पड़ा है। घबराहट से लेकर अनिश्चितता के डर समेत कई तरह की भावनाओं के कारण इस समय कोई भी योजना बनाना मुश्किल है। इस समय अपनी वित्तीय सेहत का ध्यान रखना और वर्तमान व आने निवेशक घबराहट की स्थिति में क्या कर सकते हैं वाले समय को ध्यान में रखते हुए फंड्स को सही तरह से प्रबंधित करना जरूरी है। होम क्रेडिट इंडिया (सीएसआर एंड कम्युनिकेशंस) की वाइस प्रेसिडेंट निधि मलिक ने फंड्स को सही तरह से प्रबंधित करने में पांच सहायक कदम बताए हैं, जो निम्नलिखित हैं।

बजट बनाएं यानी आय और खर्च का प्रबंधन करें
अपनी आय और खर्च का स्पष्ट खाता रखें। मौजूदा समय में अचानक और बिना योजना वाले खर्च सामने आ सकते हैं, इसलिए अपने फंड का अनुमान रखना जरूरी है। अपने खर्च को समायोजित करें और केवल आवश्यक खर्च ही करें। ग्रॉसरी, दवा, भोजन, शिक्षा आदि जैसे आवश्यक खर्च को लेकर नए सिरे से बजट तैयार करें। स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण घटक है, इसलिए अपनी सेहत से कोई समझौता नहीं करें। अच्छा खाएं, पूरी नींद लें और सकारात्मक बने रहें। किसी मुश्किल वक्त में इस्तेमाल के लिए या परिवार एवं दोस्तों की मदद के लिए हमेशा कुछ पैसा बचाकर रखें।

अपने निवेश को न छुएं
अपने निवेश को न छुएं और योजना के अनुरूप निवेश करते रहें, जिससे आपका भविष्य सुरक्षित रहेगा एवं आपकी वित्तीय स्थिति सही रहेगी। अपने निवेश पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करें, जिससे रिस्क कम हो। ऐसी किसी स्कीम के झांसे में न आएं जिसमें कम समय में ज्यादा रिटर्न का वादा किया जाए।

नए लोन का बोझ लेने से पहले अपने मौजूदा लोन चुकाएं
किसी अनिश्चित समय में लिए हुए लोन कई बार एक अतिरिक्त बोझ बन जाते हैं। इसलिए यही सलाह दी जाती है कि किसी महामारी की स्थिति में बहुत जरूरी न हो, तो लोन लेने से बचें। जहां तक संभव हो दोस्तों एवं परिवार के लोगों से ही उधार लेकर काम चलाएं। अगर फंड सही तरह से प्रबंधित हो रहे हों, तो अपनी ईएमआई समय पर चुकाते रहें, जिससे किसी तरह के डिफॉल्ट या वित्तीय बोझ से बचे रहें।

सहयोग एवं वित्तीय मार्गदर्शन लें
किसी वित्तीय सलाहकार या विशेषज्ञ से बातचीत वित्तीय दबाव को कम करने और इस महामारी के दौर में बेहतर प्रबंधन में मददगार हो सकती है। अच्छा मार्गदर्शन इस बात को लेकर स्पष्टता एवं भरोसा देता है कि हम कैसे अपने फंड को बढ़ा सकते हैं और इस वित्तीय तनाव का सामना करने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं। इससे सुरक्षित भविष्य की दिशा मिलती है।

अपने पास इमरजेंसी फंड की व्यवस्था रखें
अपनी आय और मासिक खर्च के आधार पर आप अपने परिवार की जरूरतों और खर्चों के बारे में जानते हैं। एक अलग आपात फंड बनाएं। यह फंड किसी आपात स्थिति में काम आता है। वित्तीय विशेषज्ञ मानते हैं कि इमरजेंसी फंड में तीन से छह महीने तक का खर्च चलाने जितनी राशि होनी चाहिए। यात्राओं, बाहर खाने, विलासिता की गतिविधियों आदि पर होने वाले पैसे इमरजेंसी फंड के रूप में बचाएं। स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे आवश्यक खर्चों से समझौता नहीं करें।

विस्तार

पिछले कुछ सप्ताह सभी के लिए मुश्किल भरे रहे हैं और कई तरह से लोगों को वित्तीय तनाव का सामना करना पड़ा है। घबराहट से लेकर अनिश्चितता के डर समेत कई तरह की भावनाओं के कारण इस समय कोई भी योजना बनाना मुश्किल है। इस समय अपनी वित्तीय सेहत का ध्यान रखना और वर्तमान व आने वाले समय को ध्यान में रखते हुए फंड्स को सही तरह से प्रबंधित करना जरूरी है। होम क्रेडिट इंडिया (सीएसआर एंड कम्युनिकेशंस) की वाइस प्रेसिडेंट निधि मलिक ने फंड्स को सही तरह से प्रबंधित करने में पांच सहायक कदम बताए हैं, जो निम्नलिखित हैं।

बजट बनाएं यानी आय और खर्च का प्रबंधन करें
अपनी आय और खर्च का स्पष्ट खाता रखें। मौजूदा समय में अचानक और बिना योजना वाले खर्च सामने आ सकते हैं, इसलिए अपने फंड का अनुमान रखना जरूरी है। अपने खर्च को समायोजित करें और केवल आवश्यक खर्च ही करें। ग्रॉसरी, दवा, भोजन, शिक्षा आदि जैसे आवश्यक खर्च को लेकर नए सिरे से बजट तैयार करें। स्वास्थ्य सबसे महत्वपूर्ण घटक है, इसलिए अपनी सेहत से कोई समझौता नहीं करें। अच्छा खाएं, पूरी नींद लें और सकारात्मक बने रहें। किसी मुश्किल वक्त में इस्तेमाल के लिए या परिवार एवं दोस्तों की मदद के लिए हमेशा कुछ पैसा बचाकर रखें।

अपने निवेश को न छुएं
अपने निवेश को न छुएं और योजना के अनुरूप निवेश करते रहें, जिससे आपका भविष्य सुरक्षित रहेगा एवं आपकी वित्तीय स्थिति सही रहेगी। अपने निवेश पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई करें, जिससे रिस्क कम हो। ऐसी किसी स्कीम के झांसे में न आएं जिसमें कम समय में ज्यादा रिटर्न का वादा किया जाए।

नए निवेशक घबराहट की स्थिति में क्या कर सकते हैं लोन का बोझ लेने से पहले अपने मौजूदा लोन चुकाएं
किसी अनिश्चित समय में लिए हुए लोन कई बार एक अतिरिक्त बोझ बन जाते हैं। इसलिए यही सलाह दी जाती है कि किसी महामारी की स्थिति में बहुत जरूरी न हो, तो लोन लेने से बचें। जहां तक संभव हो दोस्तों एवं परिवार के लोगों से ही उधार लेकर काम चलाएं। अगर फंड सही तरह से प्रबंधित हो रहे हों, तो अपनी ईएमआई समय पर चुकाते रहें, जिससे किसी तरह के डिफॉल्ट या वित्तीय बोझ से बचे रहें।

सहयोग एवं वित्तीय मार्गदर्शन लें
किसी वित्तीय सलाहकार या विशेषज्ञ से बातचीत वित्तीय दबाव को कम करने और इस महामारी के दौर में बेहतर प्रबंधन में मददगार हो सकती है। अच्छा मार्गदर्शन इस बात को लेकर स्पष्टता एवं भरोसा देता है कि हम कैसे अपने फंड को बढ़ा सकते हैं और इस वित्तीय तनाव का सामना करने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं। इससे सुरक्षित भविष्य की दिशा मिलती है।

अपने पास इमरजेंसी फंड की व्यवस्था रखें
अपनी आय और मासिक खर्च के आधार पर आप अपने परिवार की जरूरतों और खर्चों के बारे में जानते हैं। एक अलग आपात फंड बनाएं। यह फंड किसी आपात स्थिति में काम आता है। वित्तीय विशेषज्ञ मानते हैं कि इमरजेंसी फंड में तीन से छह महीने तक का खर्च चलाने जितनी राशि होनी चाहिए। यात्राओं, बाहर खाने, विलासिता की गतिविधियों आदि पर होने वाले पैसे इमरजेंसी फंड के रूप में बचाएं। स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे आवश्यक खर्चों से समझौता नहीं करें।

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