परिपत्र में बॉन्ड के मूल्यांकन के लिए सभी तरह के पर्पेचुअल बॉन्ड की परिपक्वता अवधि जारी होने की तारीख से 100 तक साल माने जाने पर ही विवाद है। फिलहाल म्युचुअल फंड पर्पेचुअल बॉन्ड की कीमत उसकी कॉल डेट के आधार पर आंकते हैं। कॉल डेट वह तारीख होती है, जब जारीकर्ता बॉन्ड वापस ले सकता है और निवेशकों को रकम चुका

बॉन्ड पर नियम वापस ले सेबी

वित्त मंत्रालय ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि सभी पर्पेचुअल बॉन्ड की परिपक्वता अवधि 100 साल रखने का नियम वापस ले लिया जाए। पत्र में कहा गया है कि मूल्यांकन से संबंधित प्रावधान नुकसान करेगा और इसके कारण कंपनियों की उधारी की लागत उस समय बढ़ सकती है, जब अर्थव्यवस्था सुधार के शुरुआती दौर में है।

पत्र में कहा गया है, 'बैंकों की पूंजी की आवश्यकता और पूंजी बाजार से उसे जुटाने की जरूरत को ध्यान में रखते हुए अनुरोध किया जाता है कि सभी पर्पेचुअल बॉन्ड की अवधि 100 साल मानने के संशोधित मूल्यांकन नियमों को वापस लिया जाए।'

बाजार नियामक ने इसी बुधवार को विशेष फीचरों वाले ऋण साधनों जैसे अतिरिक्त टीयर 1 (एटी1) बॉन्ड में म्युचुअल फंडों के निवेश पर अंकुश लगाया था। सेबी ने एक परिपत्र में कहा था कि कोई भी म्युचुअल फंड किसी एक ही जारीकर्ता के एटी1 बॉन्ड में 10 फीसदी से अधिक निवेश नहीं कर सकता है। 10 फीसदी की यह हद फंड की सभी योजनाओं को मिलाकर तय की गई है। इतना ही नहीं किसी एक योजना के तहत ऐसे साधन में निवेश कुल संपत्ति के 10 फीसदी से कम होना चाहिए और किसी एक जारीकर्ता के बॉन्ड में कोई एक योजना 5 फीसदी से अधिक निवेश नहीं कर सकती है।

डॉलर की मजबूती का क्या मतलब है?

एक डॉलर से पहले की तुलना में अब दूसरी मुद्राएं ज्यादा खरीदी जा सकती हैं. जापान के येन को ही लीजिये. एक साल पहले एक डॉलर के बदले 110 येन से थोड़ा कम मिलता था वह आज 143 येन मिल रहा है यानी 30 फीसदी से ज्यादा. अमेरिकी डॉलर की मजबूती का सबसे ज्यादा असर यहीं दिख रहा है.

विदेशी मुद्रा का भाव एक दूसरे की तुलना में लगातार बदलता रहता है क्योंकि बैंक, कारोबार और व्यापारी उन्हें पूरी दुनिया में टाइमजोन के हिसाब सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे से खरीदते और बेचते रहते हैं. यूएस डॉलर इंडेक्स यूरो, येन और दूसरी प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कीमत आंकता है. यह सूचकांक इस साल 14 फीसदी से ज्यादा बड़ गया. निवेश के दूसरे माध्यमों की तुलना में यह ज्यादा आकर्षक दिख रहा है क्योंकि बाकियों के लिये तो यह साल अच्छा नहीं रहा. अमेरिकी शेयर बाजार 19 फीसदी नीचे है, बिटकॉइन ने अपनी आधी कीमत खो दी है और सोना 7 फीसदी सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे नीचे गया है.

डॉलर मजबूत क्यों हो रहा है?

अमेरिकी अर्थव्यवस्था दूसरी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में अच्छा प्रदर्शन कर रही है और यही डॉलर की मजबूती का कारण है. महंगाई की दर ऊंची है, रोजगार की स्थिति मजबूत है और सेवा क्षेत्र जैसे अर्थव्यवस्था के दूसरे सेक्टरों का भी हाल अच्छा है. इन सब ने धीमे पड़ते निर्माण क्षेत्र और कम ब्याज दर में अच्छा करने वाले सेक्टरों से उपजी चिंताएं दूर की हैं. इसके नतीजे में व्यापारी उम्मीद कर रहे हैं कि फेडरल रिजर्व ब्याज बढ़ाते रहने का अपना वादा निभाता रहेगा और कुछ समय के लिये यह व्यवस्था लागू रहेगी. इसके सहारे ऊंची महंगाई दर का सामना करने की तैयारी है जो 40 सालों में फिलहाल सबसे ऊंचे स्तर पर है.

इन सब उम्मीदों ने सरकार के 10 सालों के सरकारी प्रतिभूतियों के राजस्व में एक साल पहले के 1.33 फीसदी की तुलना में 3.44 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है.

सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे?

जो निवेशक अपने पैसे से ज्यादा सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे कमाई करना चाहते हैं उनका ध्यान लुभावने अमेरिकी बॉन्ड की तरफ गया है. दुनिया भर के निवेशक उनकी ओर जा रहे हैं. फेडरल बैंक की तुलना में दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक इस समय निवेश आकर्षित करने में ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे हैं क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्थाओं का हाल अच्छा नहीं है. यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने अपने प्रमुख दर में अब तक की सबसे ज्यादा 0.75 फीसदी की बढ़ोत्तरी की है. दूसरी तरफ फेडरल रिजर्व अपनी दर इस साल इसी मात्रा में दो बार बढ़ा चुका है और अगले हफ्ते इसे एक बार और बढ़ाने की उम्मीद की जा रही है. कुछ लोगों को तो उम्मीद है कि मंगलवार को महंगाई के बारे में जो रिपोर्ट आई है उसे देखने के बाद पूरे एक प्रतिशत की भी बढ़ोत्तरी हो सकती है.

यूरोप और दुनिया के दूसरे हिस्सों में 10 सालों के सरकारी प्रतिभूतियों पर अमेरिका की तुलना में कम राजस्व सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे हासिल हुआ है. मसल जर्मनी में 1.75 फीसदी तो जापान में केवल 0.25 फीसदी.

मजबूत मुद्रा से अमेरिकी सैलानियों को फायदा

टोक्यो में रात के खाने पर आज अगर कोई अमेरिकी सैलानी 10,000 येन खर्च करता है तो वह उसी खाने के लिये एक साल पहले की तुलना में 23 फीसदी कम डॉलर दे रहा है. मिस्र के पाउंड से लेकर अर्जेंटीना के पेसो और दक्षिण कोरिया के वॉन तक के मुकाबले इस सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे साल डॉलर की कीमत जिस तेजी से बढ़ रही है वह कई और देशों में अमेरिकी सैलानियों का फायदा करायेगी.

तो क्या मजबूत डॉलर से सिर्फ उन अमीर अमेरिकी लोगों का ही फायदा होगा जो दूसरे देशों की सैर करने जाते हैं? नहीं ऐसा नहीं है मजबूत डॉलर अमेरिका के आम लोगों को भी फायदा पहुंचायेगा क्योंकि इससे आयात की जाने वाली चीजों की कीमतें घटेंगी और महंगाई की दर नीचे जायेगी. उदाहरण के लिये सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे जब यूरो के मुकाबले डॉलर की कीमत बढ़ती है तो यूरोपीय कंपनियों को हर डॉलर की बिक्री से ज्यादा यूरो मिलते हैं. ऐसे में वो अपने सामान की डॉलर में कीमत घटा कर भी उसी मात्रा में यूरो हासिल कर सकते हैं. वो चाहें तो डॉलर में कीमत वही रख कर ज्यादा यूरो अपनी जेब में डाल सकते हैं या फिर वो इन दोनों के बीच में एक संतुलन बनाने की भी कोशिश कर सकते हैं.

अब RBI से सीधे खरीदा जा सकता है सॉवरेन गोल्ड बांड, ये है तरीका

सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: December 02, 2021 16:12 IST

अब RBI से सीधे खरीदा जा. - India TV Hindi

अब RBI से सीधे खरीदा जा सकता है सॉवरेन गोल्ड बांड, ये है तरीका

Highlights

  • rbiretaildirect.org.in पर जाकर खरीदा जा सकता है गोल्ड बांड
  • खरीदारों के लिए आरबीआई का पोर्टल भी एक नया विकल्प बन गया है
  • नई योजना के तहत खुदरा निवेशकों को ऑनलाइन आरडीजी खाता खोलने की सुविधा होगी

मुंबई। सॉवरेन गोल्ड बांड की खरीद अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे के हाल में शुरू हुए पोर्टल भी की जा सकती है। आरबीआई ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा कि सॉवरेन गोल्ड बांड योजना 2021-22- श्रृंखला-8 की बिक्री की पेशकश अभी बरकरार है और इसे उसके नए पोर्टल 'आरबीआई रिटेल डाइरेक्ट डॉट ऑर्ग डॉट इन' (https://rbiretaildirect.org.in) पर जाकर खरीदा जा सकता है।

अभी तक गोल्ड बांड को तमाम वाणिज्यिक बैंकों, स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड(एसएचसीआईएल), निर्धारित डाकघरों और मान्य शेयर बाजारों के जरिये ही बेचा जाता था। लेकिन खरीदारों के लिए आरबीआई का पोर्टल भी एक सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे नया विकल्प बन गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने इस नए पोर्टल का उद्घाटन किया था। इस पोर्टल पर जाकर कोई व्यक्ति सीधे ही ट्रेजरी बिलों, प्रतिभूतियों, सॉवरेन गोल्ड बांड और राज्य विकास ऋणों की खरीदारी कर सकता है।

इस सरकारी स्कीम में पैसे लगाएं तो हो जाएंगे मालामाल, टैक्स में बचत के साथ अच्छा रिटर्न भी

इस सरकारी स्कीम में पैसे लगाएं तो हो जाएंगे मालामाल

भविष्य को लेकर हर कोई चिंतित होता है। चिंता इस बात की भी होती है कि हम जहां निवेश कर रहा हैं वहां हमारा पैसा सुरक्षित है या नहीं। आज हम आपको यही बताएंगे कि कहां निवेश करने का न सिर्फ अच्छा रिटर्न मिलेगा बल्कि आपका निवेश भी सुरक्षित रहेगा।

जमशेदपुर : अगर आप निवेश करना चाहते हैं तो सरकार एक से बढ़कर एक योजना आपके लिए लेकर आई है। आपको सिर्फ थोड़ा समझने की जरूरत है। यह योजनाएं अच्छा रिटर्न के साथ टैक्स फ्री है। साथ ही किसी तरह का जोखिम भी नहीं है तो ऐसे में आप निश्चिंत होकर निवेश कर सकते हैं। आज के समय में सबसे भरोसेमंद है सरकारी योजनाएं। सिर्फ लाभ ही लाभ है। जोखिम बिल्कुल नहीं है। इन योजनाओं में किए गए निवेश पर आपको गारंटी भी मिलती है।

Mutual Fund: गिरते बाजार में किस तरह के फंड में करें निवेश कि मिले तगड़ा रिटर्न!

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ऐसे माहौल में किस तरह के म्यूचुअल फंड में करें निवेश

  • इस समय शेयर बाजार में उठा-पटक का माहौल सरकारी प्रतिभूतियों की चिंता किसे है
  • पिछले कई महीने से महंगाई की दर भी चिंता का विषय बनी हुई है
  • ऐसे में निवेशक फैसला नहीं कर पा रहे हैं कि कहां निवेश करें तो मिलेगा तगड़ा रिटर्न

निवेश की स्वतंत्रता
गांधी कहते हैं कि अगर ऐसी उम्मीदें हैं कि ब्याज दरें कम हो जाएंगी, तो फंड मैनेजरों को अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए लंबी अवधि के बॉन्ड में निवेश करने की स्वतंत्रता है। इसके विपरीत, यदि ब्याज दरें बढ़ने की उम्मीद है, तो कम लाभ प्राप्त करने के लिए छोटी अवधि के बांडों में निवेश किया जाता है, इस प्रकार डायनेमिक बॉन्ड फंड श्रेणी को दर चक्रों में विजेता बना दिया जाता है।

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