इन लोगों का कहना है कि यह पूरी तरह से निवेशकों के विरोध में क्या स्टॉक एक खरीद है नियम है। अगर मेरे पास 100 रुपए की पहले से ही कोई चीज है। आप बोलिए कि पहले 20 रुपए दो फिर बेचो। ऐसा कैसे हो सकता है? मेरे पास जब 100 रुपए है तो यह तो खुद ही सुरक्षा के रूप में है। इन लोगों का कहना है कि इसमें ज्यादा बड़े पैसों पर मार्जिन लगाई जा सकती है ताकि रिटेल निवेशकों को दिक्कत न हो।

क्या स्टॉक एक खरीद है

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स्टॉक एक्सचेंज पर इनमें से क्य .

थोक दर पर वस्तुएँ खरीदी और बेची जाती है खुदरा दर पर वस्तुएँ खरीदी और बेची जाती है प्रतिभूतियाँ खरीदी और बेची जाती है। इनमें से कोई नहीं

Solution : शेयर बाजार या सराफा एक विनिमय बाजार है जहाँ शेयर ब्रोकर्स और 2 व्यापारी स्टॉक्स (क्या स्टॉक एक खरीद है जिसे शेयर भी कहते हैं), बॉन्ड्स और अन्य प्रतिभूतियों को खरीद/बेच सकते हैं। शेयर बाजार प्रतिभूतियों, अन्य वित्तीय विलेखों और पूंजीगत विषयों, जिसमें आय और लाभांश का भुगतान शामिल है, को जारी करने के साथ-साथ पुनर्लाभ की सुविधा भी प्रदान कर सकता है।

राकेश झुनझुनवाला के इस स्‍टॉक ने एक साल के भीतर 1 लाख को बनाया 5 लाख रुपये, क्‍या आपने भी खरीदा है इसे

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: February 19, 2021 17:57 IST

This Rakesh Jhunjhunwala stock turned Rs 1 lakh into Rs 5 lakh in less than a year- India TV Hindi

Photo:INDIA TV

This Rakesh Jhunjhunwala stock turned Rs 1 lakh into Rs 5 lakh in less than a year

नई दिल्‍ली। दिग्‍गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) के पोर्टफोलियो में शामिल टाटा मोटर्स (Tata Motors) का शेयर पिछले साल मार्च में 52 हफ्ते के निचले स्‍तर से अब क्या स्टॉक एक खरीद है पांच गुना ऊपर आ चुका है। पिछले साल 24 मार्च को टाटा मोटर्स का शेयर गिकर 63.60 रुपये पर आ गया था। शुक्रवार को दिन के कारोबार में इसने 322 का रिकॉर्ड उच्‍च स्‍तर छुआ। इस शेयर ने एक साल से भी कम समय में अपने निवेशकों को 406 प्रतिशत का रिटर्न दिया है। 23 मार्च को टाटा मोटर्स के शेयर में निवेश किए गए 1 लाख रुपये आज 5.06 लाख रुपये बन गए हैं।

राकेश झुनझुनवाला ने 87 करोड़ रुपए में खरीदी येस बैंक में हिस्‍सेदारी, बैंक का शेयर 9% उछला

पिछले एक साल में इस शेयर में 100 प्रतिशत का उछाल आया है। 19 फरवरी को कंपनी का शेयर बीएसई पर 158.05 रुपये पर बंद हुआ। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस मामलों की संख्‍या में गिरावट आने, विभिन्‍न कोविड-19 वैक्‍सीन लॉन्‍च होने, निचले स्‍तर पर जमकर खरीदारी होने और कंपनी की आय में निरंतर सुधार के चलते स्‍टॉक में तेजी बनी हुई है।

राकेश झुनझुनवाला ने पहली बार टाटा मोटर्स के शेयरों को पिछले साल सितंबर में खरीदा था। झुनझुनवाला ने चालू वित्‍त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी के 4,00,00,000 शेयर खरीदे थे। सितंबर तिमाही के शेयरहोल्डिंग डाटा के मुताबिक झुनझुनवाला ने टाटा मोटर्स में 1.29 प्रतिशत हिस्‍सेदारी या 4 करोड़ शेयर खरीदे हैं।

झुनझुनवाला ने टाटा मोटर्स के शेयर उस समय खरीदे थे, जब टाटा मोटर्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने घोषणा की थी कि कंपनी अगले तीन सालों में अपने कर्ज को शून्‍य करेगी। उसी तिमाही में कंपनी का घाटा तिमाही आधार पर कम हुआ था।

Stock Market: स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर कैसे लगता है इनकम टैक्स, जानिए क्या हैं इससे जुड़े नियम

Stock Market: स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर कैसे लगता है इनकम टैक्स, जानिए क्या हैं इससे जुड़े नियम

यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है क्या स्टॉक एक खरीद है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है.

Stock Market: हम सभी जानते हैं कि सैलरी, रेंटल इनकम और बिजनेस से होने वाली कमाई पर हमें टैक्स देना होता है. इसके अलावा, आप शेयरों की बिक्री या खरीद से भी मोटी कमाई कर सकते हैं. ऐसे में यह जानना आपके लिए बेहद जरूरी है कि स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई पर टैक्स की देनदारी कैसे बनती है. कई गृहिणी और रिटायर्ड लोग स्टॉक मार्केट में निवेश के ज़रिए मुनाफा कमाते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता कि इस मुनाफे पर टैक्स कैसे लगाया जाता है. इक्विटी शेयरों की बिक्री से होने वाली इनकम या लॉस ‘कैपिटल गेन्स’ के तहत कवर होता है.

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (LTCG)

अगर शेयर मार्केट में लिस्टेड शेयरों को खरीदने से 12 महीने के बाद क्या स्टॉक एक खरीद है बेचने पर मुनाफा होता है तो इस पर LTCG के तहत टैक्स देना पड़ता है. 2018 क्या स्टॉक एक खरीद है के बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को फिर से शुरू किया गया था. इससे पहले इक्विटी शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड ( Equity Mutual funds) की यूनिटों की बिक्री क्या स्टॉक एक खरीद है से होने वाले मुनाफे पर टैक्स नहीं लगता था. इनकम टैक्स रूल्स (Income tax Rules) के सेक्शन 10 (38) के तहत इस पर टैक्स से छूट मिली हुई थी.

2018 के बजट में शामिल किए गए प्रावधान में कहा गया कि अगर एक साल के बाद बेचे गए शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिटों की बिक्री पर एक लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटेल गेन हुआ है तो इस पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा.

शॉर्ट टर्म कैपिटेल गेन्स टैक्स (STCG)

अगर आप शेयर मार्केट में लिस्टेड किसी शेयर को खरीदने के 12 महीनों के अंदर बेचते हैं, तो इस पर आपको 15 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा. भले ही आप इनकम टैक्स देनदारी के 10 फीसदी के स्लैब में आते हों या 20 या 30 फीसदी के स्लैब के तहत, आपने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन किया है तो इस पर 15 फीसदी का ही टैक्स लगेगा.

अगर आपकी टैक्सेबल इनकम ढाई लाख रुपये से कम है तो शेयर बेचने से हासिल लाभ को इससे एडजस्ट किया जाएगा और फिर टैक्स कैलकुलेट होगा. इस पर 15 फीसदी टैक्स के साथ 4 फीसदी सेस लगेगा.

सिक्योरिटी क्या स्टॉक एक खरीद है ट्रांजेक्शन टैक्स (STT)

स्टॉक एक्सचेंज में बेचे और खरीदे जाने वाले शेयरों पर सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स यानी STT लगता है. जब भी शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री होती है, इस पर यह टैक्स देना पड़ता है. शेयरों की बिक्री पर सेलर को 0.025 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. यह टैक्स शेयरों के बिक्री मूल्य पर देना पड़ता है. डिलीवरी बेस्ड शेयरों या इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिट्स की बिक्री पर 0.001 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.

अगर आप इंट्रा-डे ट्रेडिंग या फ्यूचर-ऑप्शन के ज़रिए ट्रेडिंग करते हैं तो इस पर होने वाली कमाई पर भी टैक्स देनदारी बनती है. इंट्रा-डे ट्रेडिंग से होने वाली कमाई को स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहते हैं. इसके अलावा, फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग से हुई कमाई को नॉन-स्पेक्युलेटिव बिजनस इनकम कहा जाता है. इनसे होने वाली कमाई पर आपको टैक्स स्लैब क्या स्टॉक एक खरीद है के हिसाब से टैक्स देना पड़ता है. इसका मतलब है कि स्लैब के अनुसार, 2.5 लाख रुपये तक की कमाई पर टैक्स नहीं लगेगा. इसके ऊपर की कमाई पर टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगेगा.

क्या होता है बफर स्टॉक, सरकार कैसे करती है क्या स्टॉक एक खरीद है इसके जरिए कीमत को कंट्रोल? जानिए सब बात

Credit- PTI

वर्तमान में महंगाई चरम है। खाद्य तेलों से लेकर दाल, सब्जी और अन्य जरूरत की चीजें आसमान छू रही हैं। इन बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार (central government) की ओर से बफर स्टॉक जारी किया जाता है। बफर स्टॉक (Buffer stock) का इस्तेमाल लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरण के साथ साथ सूखे या फसल बर्बादी अथवा ऐसी ही किसी और आपात स्थिति से निपटने, मूल्य वृद्धि के समय हस्तक्षेप करने के लिए किया जाता है। लेकिन ये बफर स्टॉक क्या होता है और सरकार कैसे इसके जरिए कीमत को कंट्रोल करती है, इस बारे में जानने की कोशिश करते हैं।

क्या होता है बफर स्टॉक?

दरअसल, एक बफर स्टॉक एक प्रणाली या योजना है, जो एक निर्धारित सीमा (या मूल्य स्तर) से नीचे गिरने वाली कीमतों को रोकने के लिए अच्छी फसल के समय स्टॉक खरीदता है और स्टोर करता है। इसके बाद फसल खराबी के दौरान स्टॉक को निर्धारित सीमा (या मूल्य स्तर) से ऊपर बढ़ने से रोकने के लिए जारी करता है।

सरकार कैसे करती है कीमत कंट्रोल

भारतीय खाद्य निगम अपने उद्देश्यों क्या स्टॉक एक खरीद है की पूर्ति के लिए सरकार के लिए खाद्यान्नों की खरीद करता है और खाद्यान्न का बफर स्टॉक बनाए रखता है। इस खाद्यान्न को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत उचित मूल्य की दुकानों पर बेचने के लिए उपलब्ध कराया जाता है। यदि केंद्रीय पूल (बफर स्टॉक) में खाद्यान्‍नों का स्टॉक संशोधित बफर मानकों से अधिक होता है तो खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग अतिरिक्‍त स्टॉक को खुली बिक्री के जरिए घरेलू बाजार में बेच सकता है अथवा उसका निर्यात भी कर सकता है।

सीधे तौर पर समझा जाए तो सरकार किसी वस्तु की कीमत कम होने पर उसका भंडारण कर लेती है, लेकिन जब कीमतें उछाल पर होती हैं तो बफर स्टॉक को जारी किया जाता है। इससे उस वस्तु की कीमत बढ़ने से रोकी जाती है यानी सरकार बफर स्टॉक जारी करके वस्तु की कीमत को कंट्रोल करती है।

एक अगस्त से असर: अब शेयर बेचने से पहले भी 20 प्रतिशत देनी होगी मार्जिन, रिटेल निवेशक पर पड़ेगी ज्यादा मार, शेयर बेचने के दो दिन बाद ही खरीद पाएंगे नया स्टॉक

सेबी के नए नियम के कारण अब आप बेचे गए शेयर के पैसे से तभी दूसरा शेयर खरीद पाएंगे जब वह पैसा आपके खाते में दो दिन बाद आएगा - Dainik Bhaskar

पूंजी बाजार नियामक सेबी का काम एक रेगुलेटर के तौर पर निवेशकों की सुरक्षा करना और बाजार को सही तरीके से चलाने का है। लेकिन उसके एक सर्कुलर ने रिटेल निवेशकों की कमर तोड़ क्या स्टॉक एक खरीद है दी है। एक अगस्त से अगर आप शेयर बेचेंगे तो आपको इस पर कम से कम 20 प्रतिशत का कैश या शेयरों के गिरवी के रूप में मार्जिन देना होगा। साथ ही आप शेयर बेचने के दो दिन बाद ही नया शेयर खरीद पाएंगे। क्योंकि आप कोई भी शेयर बेचते हैं तो उसका पैसा दो कारोबारी दिनों के बाद आपके खाते में आता है।

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