Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: November 06, 2022 14:43 IST

प्रधान मंत्री मुद्रा योजना

बैंक ऑफ महाराष्‍ट्र कभी भी फोन कॉल/ई-मेल/एसएमएस के माध्‍यम से किसी भी उद्देश्‍य हेतु बैंक खाते के ब्‍यौरे नहीं मांगता।
बैंक सभी ग्राहकों से अपील करता है कि ऐसे किसी भी फोन कॉल/ई-मेल/एसएमएस का उत्‍तर न दें, और किसी से भी, किसी भी उद्देश्‍य हेतु अपने बैंक खाते के ब्‍यौरे साझा न करें। किसी से भी अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड का सीवीवी/पिन साझा न करें।

RBI Digital Rupee: डिजिटल रुपया कौन मैनेज करेगा और कैसे होगा इस्तेमाल, यहां जानिए सभी सवालों के जवाब

RBI Digital Currency Price : रिटेल डिजिटल रुपया मुख्य रूप से रिटेल लेनदेन के लिए नकदी का एक इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है.

RBI releases concept note on Central Bank Digital Currency, to commence pilot launch of e-rupee soon

Digital Rupee All Details : भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया जारी करेगा और रिडीम करेगा. जबकि, वितरण और भुगतान सेवाएं बैंकों को सौंपी डिजिटल मुद्रा ऋण जाएंगी.

PNB ATM Cash Withdrawal: पीएनबी ग्राहकों के लिए आज से बदल गया कैश विद्ड्रॉल का नियम, जानिए
कैसा दिखेगा रिटेल डिजिटल रुपया
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 7 अक्टूबर 2022 को जारी नोट के अनुसार केंद्रीय बैंक ने रिटेल डिजिटल रुपये के लिए एक टोकन आधारित टियर आर्किटेक्चर मॉडल का प्रस्ताव दिया है. टोकन आधारित CBDC बैंकनोट्स के समान है, जिसका अर्थ है कि जो कोई भी इसे रखता है उसे इसका स्वामी माना जाता है. टोकन आधारित CBDC में टोकन प्राप्त करने वाला व्यक्ति यह वेरीफाई करेगा कि टोकन का उसका स्वामित्व वास्तविक है.

ई-रुपये को कौन जारी और मैनेज करेगा
भारतीय रिजर्व बैंक के कॉन्सेप्ट नोट के मुताबिक रिटेल डिजिटल रुपये को टू-टियर मॉडल के जरिए बांटने का प्रस्ताव है. भारतीय रिजर्व बैंक e₹-R जारी करेगा और रिडीम करेगा. जबकि, वितरण और भुगतान सेवाएं बैंकों को सौंपी जाएंगी. यह मॉडल वर्तमान भौतिक मुद्रा प्रबंधन प्रणाली के समान है, जिसमें बैंक जनता को नोटों के वितरण, खाता-रखरखाव, संबंधित आवश्यकताओं के पालन जैसी गतिविधियों का प्रबंधन करते हैं.

Train Cancellation: आज रेलवे ने रद्द कर दीं 214 रेलगाड़ियां, यात्रा से पहले चेक जरूर करें ट्रेन का रनिंग स्टेटस
पायलट कार्यक्रम में यह बैंक और शहर शामिल
देशभर के चार शहरों में डिजिटल रुपये के रिटेल पायलट में चरणबद्ध भागीदारी के लिए आठ बैंकों को चुना गया है. पहले चरण में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक सहित चार बैंक पायलट लॉन्च में हिस्सा ले रहे हैं. चार अन्य बैंक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक बाद में इस पायलट में शामिल होंगे.
पायलट कार्यक्रम शुरू में चार शहरों मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर को कवर करेगा. बाद में इसका विस्तार अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला तक होगा.

डिजिटल रुपये का उपयोग कौन करेगा
आरबीआई के अनुसार रिटेल डिजिटल रुयपा का पायलट कार्यक्रम बंद उपयोगकर्ता समूहों (CUG) में चुनिंदा स्थानों को कवर करेगा, जिसमें ग्राहक और व्यापारी शामिल होंगे. रिटेल डिजिटल रुपया संभावित रूप से सभी निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों के उपयोग के लिए उपलब्ध है.

ITR News: करदाताओं के पास दिसंबर में यह काम करने के लिए आखिरी मौका, जानिए कितना देना होगा फाइन
रिटेल डिजिटल का इस्तेमाल कैसे होगा
रिटेल डिजिटल रुपया उसी मूल्यवर्ग में जारी किया जाएगा जिसमें वर्तमान में कागजी मुद्रा और सिक्के जारी किए जाते हैं. उपयोगकर्ता पायलट कार्यक्रम में शामिल बैंकों द्वारा पेश किए गए और मोबाइल फोन या उपकरणों पर स्टोर डिजिटल वॉलेट के माध्यम से रिटेल डिजिटल रुपये के साथ लेनदेन कर सकेंगे. लेनदेन पर्सन टू पर्सन (P2P) और पर्सन टू मर्चेंट (P2M) दोनों तरह से हो सकते हैं. व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर क्यूआर कोड का उपयोग करके व्यापारियों को भुगतान किया जा सकता है.

सुरक्षित और आसान भुगतान हो सकेगा
रेगटेक कंपनी बीसीटी डिजिटल के सीईओ जया वैद्यनाथन ने कहा कि आरबीआई सीबीडीसी का लक्ष्य सभी के लिए सस्ता, सुरक्षित और आसान भुगतान के वादे को पूरा करना है. रिटेल डिजिटल रुपया बाजार में क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक विनियमित विकल्प प्रदान करता है. इसलिए सीबीडीसी अधिक मजबूत और विश्वसनीय भुगतान की ओर अग्रसर है ताकि नकदी पर निर्भरता कम हो सके. अंडरपिनिंग तकनीक लेनदेन की लागत को कम कर देगी. अन्य भुगतान प्रणालियों के साथ इंटरऑपरेबल होने के कारण यह यूपीआई जैसी मौजूदा तकनीकों का पूरक होगा. इस प्रकार मोबाइल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को पूरा करेगा.

RBI Digital Currency: इन 4 शहरों में आज से ई-रुपी से करिए खरीदारी, जानिए Digital Rupee कैसे करेगा काम

खुदरा डिजिटल रुपए के पहले पायलट प्रोजेक्ट में सरकारी और निजी क्षेत्र के चार बैंकों को शामिल किया गया है. इसमें एसबीआई, आईसीआईसीआई, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के नाम शामिल हैं.

CBDC Digital Currency: आज यानी 1 दिसंबर से ई-रुपी की शुरुआत आम आदमी के लिए भी हो जाएगी. ई-रुपी 1 दिसंबर डिजिटल मुद्रा ऋण को चार शहरों मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में लॉन्च होगी यानी अब इन चार शहरों में अब आम आदमी को न ही कैश जेब में रखकर चलने की जरूरत नहीं पड़ेगी और न ही किसी थर्ड पार्टी ऐप द्वारा ऑनलाइन पेमेंट की कोई मजबूरी होगी. खुदरा डिजिटल रुपए से ग्राहक आपस में लेन-देन के साथ किसी भी दुकान से खरीदारी कर सकेंगे.

अगले चरण में इसमें 9 शहरों अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला में लॉन्‍च किया जाएगा. खुदरा डिजिटल रुपए के पहले पायलट प्रोजेक्ट में सरकारी और निजी क्षेत्र के चार बैंकों को शामिल किया गया है. इसमें एसबीआई, आईसीआईसीआई, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के नाम शामिल हैं. बता दें कि आरबीआई ने इससे पहले 1 नवंबर 2022 को थोक सेगमेंट में डिजिटल रुपए का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था.

डिजिटल रुपी में फिजिकल नोट वाले फीचर होंगे

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के जाल से बचाने के लिए सेंट्रल बैंक (RBI) ने अपनी डिजिटल करेंसी इंट्रोड्यूस की है. इसका नाम CBDC- सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी है जो एक डिजिटल टोकन के रूप में जारी होगा और इसे कानूनी मुद्रा माना जाएगा. क्रिप्टोकरेंसी के उलट इसके मूल्य में कोई उतार-चढ़ाव नहीं आएगा. ई-रूपी को उसी मूल्य पर जारी किया जाएगा, जिस पर वर्तमान में करेंसी नोट और सिक्के जारी होते हैं. डिजिटल करेंसी का फायदा ये होगा कि अब नकदी का सर्कुलेशन कम होगा और वर्चुअली ट्रांजैक्शन पूरे होंगे. इससे ट्रांजैक्शन कॉस्ट में कमी आएगी. डिजिटल रुपी में फिजिकल नोट वाले सारे फीचर होंगे. लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी. अभी तक की योजना के मुताबिक, डिजिटल करेंसी के लिए अलग से बैंक खाता खुलवाने की जरूरत नहीं होगी.


कैसे काम करेगा

डिजिटल रूप में जैसे हम अपने बैंक अकाउंट में कैश देखते हैं, वॉलेट में अपना बैलेंस चेक करते हैं. कुछ ऐसे ही इसे भी देख और रख सकेंगे. भारतीय करेंसी का डिजिटल स्वरूप E-Rupee को फिलहाल चार बैंकों के माध्यम से वितरित किया जाएगा. ये करेंसी इन बैंकों की ओर से उपलब्ध एप्स में सुरक्षित होगा. यूजर्स बैंकों की ओर से उपलब्ध एप्स, मोबाइल फोन और डिवाइस में स्टोर्ड डिजिटल वॉलेट के माध्यम से ई-रुपए के साथ लेनदेन कर सकेंगे और इसे आसानी से एक-दूसरे को भेजकर सामान खरीदा जा सकेगा. नकदी की तरह ही धारक को डिजिटल मुद्रा पर कोई ब्याज नहीं मिलेगा. इसे बैंकों के पास जमा के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. डिजिटल करेंसी के सर्कुलेशन की गोपनीयता रखी जाएगी. इसके सर्कुलेशन पर RBI का कंट्रोल होगा.

RBI ने खुदरा उपयोग के लिए लॉन्च किया डिजिटल रुपया, कैट ने किया स्वागत

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) (Reserve Bank of India (RBI)) ने गुरुवार को खुदरा स्तर पर उपयोग के लिए रिटेल डिजिटल रुपया लॉन्च (retail digital rupee launch) किया। आरबीआई के इस कदम का कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) ने स्वागत किया है।

रिजर्व बैंक के रिटेल डिजिटल रुपया की खरीदारी फिलहाल चार प्रमुख बैंकों, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई), आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक से की सकेगी। खुदरा स्तर पर डिजिटल मुद्रा की शुरुआत का कैट ने स्वागत करते हुए कहा कि जल्द ही कारोबार में भुगतान के लिए इसको अपनाने और स्वीकार करने के लिए देशभर के व्यापारिक समुदाय के बीच एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करेगा।

यह भी पढ़ें | भारत को विकसित देश बनने में कितना समय लगेगा, RBI के पूर्व गवर्नर ने लगाया ये अनुमान

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की डिजिटल रुपया भारत में व्यापार और वाणिज्य में भुगतान के परिदृश्य को बदल देगा। खंडेलवाल ने कहा कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को जमीनी स्तर से बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था उपभोग पर आधारित है, जिसमे खुदरा विक्रेता और उपभोक्ता राजा हैं। खंडेलवाल ने कहा कि डिजिटल मु्द्रा डिजिटल इंडिया की स्वीकार्यता के प्रसार में मदद करेगी।

खंडेलवाल ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी है, लेकिन खुदरा स्तर पर नकद मुद्रा के उपयोग के कारण व्यापार में कैश करेंसी का एक बड़ा हिस्सा है जो बेहिसाब रह जाता है। डिजिटल मुद्रा की शुरुआत होने से प्रत्येक लेन-देन आरबीआई की पुस्तकों और भारत सरकार के रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। हम दुनिया की सबसे बड़ी घरेलू अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में सक्षम होंगे। हमारे देश में खुदरा बाजार का सटीक आकार रिकॉर्ड किए गए लेन-देन से प्रमाणित होगा।

कैट महामंत्री ने कहा कि खुदरा कारोबार की वास्तविक गणना करने से रिजर्व बैंक, भारत सरकार और व्यापारी तथा उपभोक्ता अनुकूल नीतियां बनाने की स्थिति में होगी। खंडेलवाल ने कहा कि प्रमाणित बिक्री कारोबार डेटा के अभाव में खुदरा व्यापारी बैंकों से लोन प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं। डिजिटल मुद्रा की शुरूआत के साथ खुदरा विक्रेता के वास्तविक कारोबार को बैंकों से बेहतर ऋण प्राप्त करने के लिए डिजिटल लेन-देन के जरिए प्रमाणित किया जाएगा।

खंडेलवाल ने आगे कहा कि रिजर्व बैंक को मुद्रा की छपाई और वितरण में करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं, लेकिन डिजिटल करेंसी से आरबीआई को भारी बचत होगी। डिजिटल करेंसी इको फ्रेंडली भी है। कागजी मुद्रा की छपाई के लिए इस्तेमाल होने वाले कागज की बचत होगी। डिजिटल करेंसी से सॉफ्टवेयर उद्योग विकसित करने में मदद मिलेगी। इससे लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा। जल्द ही हम डिजिटल इंडिया डिजिटल मुद्रा ऋण को व्यावहारिक रूप से लागू और स्वीकार करते हुए देखेंगे। इससे प्रधानमंत्री का सपना साकार होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश के लोगों को डिजिटल तकनीक की ओर ले जा रही है। डिजिटल उत्पादों के लिए विशाल बाजार निकट है। हम बाजारों में आने वाले स्टार्ट अप में अत्यधिक वृद्धि देखेंगे। जिसके फल स्वरुप रोजगार चाहने वाले अब रोजगार देने वाले बनेंगे। (एजेंसी, हि.स.)

डिजिटल मुद्रा से आरबीआई की कैश मैनेजमेंट की लागत होगी कम, वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना आसान होगा

वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल रुपया भी एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है।

Alok Kumar

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: November 06, 2022 14:43 IST

डिजिटल रुपया - India TV Hindi

Photo:FILE डिजिटल रुपया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 1 नवंबर से होलसेल सेगमेंट में डिजिटल रुपया लॉन्च करने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है और बाद में एक महीने के भीतर रिटेल सेगमेंट में एक और प्रोजेक्ट लाने की योजना है। केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) को अपनाने के पीछे कई कारण हैं, जैसे वित्तीय समावेशन को बढ़ाना और कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ना। माना जाता है कि डिजिटल रुपये की ओर बढ़ने का एक प्रमुख कारण भौतिक नकदी प्रबंधन से जुड़ी लागत को कम करना है। आरबीआई के एक कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया है कि भारत में कैश मैनेजमेंट की लागत महत्वपूर्ण बनी हुई है। 1 अप्रैल, 2021 से 31 मार्च, 2022 के दौरान सुरक्षा मुद्रण पर किया गया कुल खर्च 4,984.80 करोड़ रुपये था, जो पिछले वर्ष (1 जुलाई, 2020 से 31 मार्च, 2021) 4,012.10 करोड़ रुपये के मुकाबले अधिक है।

ऑपरेशनल लागत कम करने में मिलेगी मदद

यह लागत, जिसमें पैसे की छपाई की पर्यावरणीय, सामाजिक और शासन (ईएसजी) लागत शामिल नहीं है, मुख्य रूप से चार स्टेकहॉल्डर्स आम जनता, व्यवसायों, बैंकों और आरबीआई द्वारा वहन किया जाता है। सीबीडीसी रुपए जारी करने वाले कार्य के समग्र मूल्य को प्रभावित करते हैं। यह मुद्रण, भंडारण, परिवहन, बैंक नोटों के प्रतिस्थापन आदि से जुड़ी लागतों से संबंधित ऑपरेशनल लागत को कम करता है। आरबीआई के कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया है, शुरूआत में, सीबीडीसी निर्माण या जारी करने की स्थिरता में महत्वपूर्ण निश्चित बुनियादी ढांचे की लागत हो सकती है, लेकिन बाद में मार्जिनल ऑपरेटिंग लागत बहुत कम होगी। फिजिकल करेंसी की तुलना में सीबीडीसी का उपयोग करते हुए कैश मैनेजमेंट की लागत-प्रभावशीलता एक सकारात्मक संकेत देती है, जिसे पर्यावरण के डिजिटल मुद्रा ऋण अनुकूल भी माना जा सकता है।

डिजिटलीकरण के उपयोग को आगे बढ़ाना

सीबीडीसी की शुरूआत के पीछे एक और महत्वपूर्ण कारण कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था डिजिटल मुद्रा ऋण को प्राप्त करने के लिए डिजिटलीकरण के उपयोग को आगे बढ़ाना है। सीबीडीसी महामारी कोविड-19 जैसी किसी भी अनिश्चित स्थिति में नकदी के डिजिटल मुद्रा ऋण बजाय केंद्रीय बैंक के पैसे रखने का एक पसंदीदा तरीका हो सकता है। इससे देश में डिजिटलीकरण की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। सीबीडीसी सीमा पार से भुगतान में इनोवेशन को बढ़ावा दे सकता है, लेनदेन को तात्कालिक बना सकता है और टाइम जोन, एक्सचेंज रेट के अंतर के साथ-साथ सभी न्यायालयों में कानूनी और नियामक आवश्यकताओं से संबंधित प्रमुख चुनौतियों को दूर करने में मदद कर सकता है। सीबीडीसी की इंटरऑपरेबिलिटी का मतलब है कि भुगतान प्रणाली के लिए एक एंकर के रूप में केंद्रीय बैंक के पैसे की भूमिका को मजबूत करते हुए क्रॉस-बॉर्डर और क्रॉस-करेंसी के खतरे को कम करना। इसलिए, सीमा पार से भुगतान में चुनौतियों को कम करने में सीबीडीसी का संभावित उपयोग एक बेहतर तकनीक है।

वित्तीय समावेशन में भी मदद

वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए डिजिटल रुपया भी एक महत्वपूर्ण उपकरण हो सकता है। उपयुक्त डिजाइन विकल्पों के साथ, सीबीडीसी विभिन्न लेनदेन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जनता को डिजिटल मनी प्रदान कर सकता है। एक विकल्प के रूप में ऑफलाइन कार्यक्षमता सीबीडीसी को इंटरनेट के बिना लेन-देन करने की अनुमति देगी और इस प्रकार, खराब या बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में पहुंच को सक्षम करेगी। साथ ही, उन लोगों तक पहुंच को सरल बनाएगी, जिन्हें ऋण की आवश्यकता है। आरबीआई नोट में कहा गया है कि सीबीडीसी की यूनिवर्सल एक्सेस विशेषताएं, जिसमें ऑफलाइन कार्यक्षमता, यूनिवर्सल एक्सेस डिवाइस का प्रावधान और कई डिवाइसों में संगतता शामिल है। यह लचीलापन, पहुंच और वित्तीय समावेशन के कारणों के लिए समग्र सीबीडीसी प्रणाली में सुधार करके गेम चेंजर साबित होगी।

रेटिंग: 4.98
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 392