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आपभी शेयर बाजार के बन सकते हैं माहिर खिलाड़ी; ट्रेडिंग के अपनाएं ये 5 नियम, होगी मोटी कमाई
How To Become A Successful Traders Of Stock Market: शेयर बाजार में अगर ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो इसमें एंट्री का रास्ता आसान है. वहीं अगर सोच-समझकर और समझदारी से योजना बनाई जाए तो शेयर बाजार में बिना किसी बाधा के एक सुसंगत और स्वतंत्र बिजनेस किया जा सकता है. हालांकि बाजार में ट्रेड वाले सफल ट्रेडरों का अनुसरण करें सभी के लिए जरूरी है कि उन्हें ट्रेडर और प्रोफेशनल ट्रेडर के बीच के गैप को कम करना चाहिए. अगर आप भी बाजार में प्रभावी रूप से कारोबार करना चाहते हैं तो तीन मुख्य बिंदुओं मसलन एंट्री, एग्जिट और स्टॉप लॉस का बेहद महत्व है. इसके साथ ही आपकी पोजिशन का साइज क्या है, यह भी बेहद अहम है. आपने जो ट्रेड की योजना बनाई है, उसका पालन करने में आप कितने सक्षम हैं और आपके अंतर-संचालन की क्षमता आपको बाजार में प्रभावी तरीके से ट्रेड करने में मदद कर सकती है. जिससे आप अपने पोर्टफोलियो का मैनेजमेंट सफलता से कर सकते हैं. जानते हैं शेयर बाजार के सफल ट्रेडर बनने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है.
Editor's Take: नए ट्रेडर्स के लिए रिस्क मैनेजमेंट क्यों जरूरी, अनिल सिंघवी ने बताया कैसे बने सफल ट्रेडर
Editor's Take: अनिल सिंघवी ने बताया कि नए ट्रेडर्स के लिए रिस्क मैनेजमेंट लेना क्यों जरूरी है और शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाला कोई भी शख्स सफल ट्रेडर कैसे बन सकता है.
Editor's Take: मंगलवार के ट्रेडिंग सेशन के दौरान शेयर बाजार में तीन दिनों से हो रही लगातार गिरावट पर ब्रेक लगा था. ये बड़ी बात इसलिए है क्योंकि कल के ट्रेडिंग सेशन में ग्लोबल बाजारों में अच्छी खासी गिरावट देखने को मिली थी. ग्लोबल बाजार एक से डेढ़ फीसदी तक फिसले थे लेकिन उसके बाद भी भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) में अच्छी क्लोजिंग देखने को मिली. इस मामले पर ज़ी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने कहा कि कल के ट्रेडिंग सेशन में भारतीय बाजारों की चाल और ग्लोबल बाजारों में गिरावट की वजह से कंफ्यूजन पैदा हो रहा था कि ट्रेडर्स को आखिर क्या करना चाहिए. अनिल सिंघवी ने कहा कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय कई बार इस पर कॉल लेनी पड़ती है कि आप कितना रिस्क ले सकते हो. ऐसे में अनिल सिंघवी ने बताया कि शेयर बाजार में नए ट्रेडर्स को किन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.
R2R फैक्टर पर जोर दें
अनिल सिंघवी ने बताया कि शेयर बाजार में R2R फैक्टर काफी अहम है और ट्रेडर्स के लिए इसकी अलग-अलग परिभाषा है. R2R यानी कि रिस्क टू रिवॉर्ड या रिवॉर्ड टू रिस्क, ये दोनों तरीकों से ही इस्तेमाल किया जा सकता है.
किन बातों का ख्याल रखने से आप बनेंगे सफल #Trader ?🔥
🎯नए ट्रेडर्स को क्यों जरूर सीखना चाहिए रिस्क मैनेजमेंट?
ओवर नाइट पोजीशन में रिस्क मैनेजमेंट करना कितना अहम?
रिस्क मैनेजमेंट है जरूरी
अनिल सिंघवी ने कहा कि नए निवेशकों को रिस्क और रिवॉर्ड पर खास ध्यान देना चाहिए. अनिल सिंघवी ने कहा कि मान लीजिए कि बाजार में तेजी को देखते हुए ट्रेडर ने मुनाफा वसूल कर लिया है लेकिन अगले दिन मार्केट फिर तेजी के साथ खुला तो इस पर दुख होता है लेकिन कॉल यहां ये लेनी है कि अगर बाजार में तेजी के साथ ना खुलकर गिरावट के साथ खुलता तो इस स्थिति में ओवरनाइट पोजीशन कितनी रखनी है और रिस्क को मैनेज करना सफल ट्रेडरों का अनुसरण करें है तो कितना करना है.
अनिल सिंघवी ने कहा कि पिछले 2 दिनों बाजार में तेजी देखने को मिली तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों के बीच हाहाकार मच गया. लेकिन बाजार में ट्रेडिंग की है तो सफल ट्रेडरों का अनुसरण करें 30 दिनों में से एक या दो दिन ऐसे आएंगे, जहां ट्रेडिंग आपके विपरीत होगी.
अनिल सिंघवी ने कहा कि पिछले 1-1.5 साल में जितने लोगों ने ट्रेडिंग शुरू की है और जो ओवरनाइट पोजीशन ले रहे हैं, उन्हें पहले रिस्क मैनेजमेंट सीखना चाहिए. रिस्क मैनेजमेंट सीखने का एक ही तरीका है कि अगर मेरे मार्केटिंग स्ट्रैटेजी के विपरीत बाजार में काम करता है तो आपको क्या करना है. ट्रेडर के तौर पर कितनी पोजीशन होनी चाहिए.
ऑप्शन ट्रेडिंग के बेसिक्स को अच्छी तरह से समझें
- ऑप्शन क्या होते है?
- ऑप्शन कितने तरह के होते है?
- ऑप्शन कैसे काम करते है?
बिना ऑप्शन के बेसिक्स को समझे आप ऑप्शन ट्रेडर नहीं बन सकते है क्योंकि ऑप्शन बेसिक्स हमारे नींव की तरह काम करते है. जब आप कोई स्टॉक खरीदते हैं, तो आप केवल यह तय करते हैं कि आपको कितने शेयर चाहिए और आपका ब्रोकर मौजूदा बाजार मूल्य या आपके द्वारा निर्धारित सीमा मूल्य पर ऑर्डर भरता है लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए ज़रूरी होती है सिर्फ सफल ट्रेडरों का अनुसरण करें एक सही स्ट्रेटेजी की समझे. इसके लिए नीचे आपको समझाया जायेगा कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं.
ऑप्शन खरीददार और ऑप्शन सेलर
- ऑप्शन खरीददार :- ऑप्शन खरीददार बहुत कम पैसो के साथ ट्रेडिंग शुरुआत कर सकते है क्योंकि ऑप्शन खरीददार को सिर्फ ऑप्शन प्रीमियम देना होता है लेकिन ऑप्शन खरीददार की लाभ कमाने की प्रवृति ऑप्शन सैलर के मुकाबले बहुत कम होती है.
- ऑप्शन सेलर :- ऑप्शन सेलर बनने के लिए आपको अपने अकाउंट में मार्जिन रखना होता है और इसी कारण एक ऑप्शन सेलर को ज़्यादा पैसो की जरुरत होती है. जबसे सेबी ने नया मार्जिन नियम लागू किया है तब से ऑप्शन सेलिंग के लिए मार्जिन की ज़रुरत कई गुना तक बढ़ गई है लेकिन फिर भी एक ऑप्शन सेलर के लाभ कमाने की प्रवृति ऑप्शन खरीददार से ज्यादा होती है. आपने जो भी ऑप्शन ट्रेडिग के केपिटल रखा है उस हिसाब से आप देख सकते है कि आप ऑप्शन खरीददार बनना चाहते है या ऑप्शन सेलर
- कॉल ऑप्शन :- यह एक अनुबंध है जो आपको एक निश्चित समय के अंदर ही एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर स्टॉक खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व सफल ट्रेडरों का अनुसरण करें नहीं.
- पुट ऑप्शन :- एक पुट ऑप्शन आपको अनुबंध समाप्त होने से पहले एक निश्चित कीमत पर शेयर बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं.
आप किस दिशा में क्या ऑप्शन खरीदेंगे या बेचेंगे?
अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगी: कॉल ऑप्शन खरीदें या पुट ऑप्शन बेचें.
अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत स्थिर रहेगी: कॉल ऑप्शन बेचें और पुट ऑप्शन भी बेचें.
अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत नीचे जाएगी: पुट ऑप्शन खरीदें या कॉल ऑप्शन बेचें.
एक्स्चेंज द्वारा तय सही स्ट्राइक प्राइस का चयन करें
ऑप्शन में ट्रेडिंग करते समय हमें बहुत सावधानी के साथ स्ट्राइक प्राइस का चयन करना होता है क्योंकि किसी भी स्टॉक या इंडेक्स की स्ट्राइक प्राइस एक्स्चेंज द्वारा तय की जाती है और एक ऑप्शन ट्रेडर सिर्फ उन्ही स्ट्राइक प्राइस पर ट्रेड कर सकता है जो एक्स्चेंज द्वारा तय की गई है.
उदाहरण के लिए, यदि आप मानते हैं कि किसी कंपनी का शेयर मूल्य वर्तमान में ₹2000 पर ट्रेड कर रहा है, और भविष्य की किसी तारीख तक ₹2050 तक बढ़ जाएगा, आप ₹2050 से कम स्ट्राइक मूल्य के साथ एक कॉल ऑप्शन खरीद सकते है. फिर जैसे-जैसे कंपनी का शेयर मूल्य ₹2050 के नजदीक जाता जाएगा, आपका लाभ बढ़ता जायेगा. इसी तरह अगर कंपनी का शेयर मूल्य उस भविष्य की तारीख तक ₹2000 से जैसे-जैसे कम होगा, आपका मुनफा कम होता चला जायेगा लेकिन ऑप्शन खरीदते हुए आपका अधिकतम नुकसान आपने जो प्रीमियम दिया है सिर्फ वही होगा.
ऑप्शन ट्रेडिंग की समय सीमा निर्धारित करें
- ऑप्शन में सबसे अहम रोल एक्सपायरी का होता है. ऑप्शन एक्सपायरी एक तिथि होती है जहां पर ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट एक भविष्य की तारिख पर शून्य हो जाते है. प्रत्येक ऑप्शन की समाप्ति अवधि तक उस भविष्य तारीख के अंतिम दिन तक उस ट्रेड में बने रह सकते है. ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के लिए तीन एक्सपायरी होती है-
- नियर मंथ (1महीना)
- मिडिल मंथ (2महीना)
- फार मंथ (3 महीना)
- उदाहरण के लिए, अभी निफ्टी 15000 पर ट्रेड कर रहा है और आप निफ्टी में ट्रेड करना चाहते है तो आप साप्ताहिक एक्सपायरी या महीने की एक्सपायरी को लेकर ट्रेड कर सकते है.यदि आपको लगता है निफ्टी इस महीने के अंत तक 15500 तक या उससे ज्यादा तक पहुंच जायेगा, तब 15500 कॉल ऑप्शन महीने की जो आखिरी एक्सपायरी है उस पर खरीदते है.
समाप्ति तिथियां साप्ताहिक से लेकर महीनों तक हो सकती हैं. लेकिन साप्ताहिक ऑप्शन सबसे अधिक जोखिम वाले होते हैं और अनुभवी ऑप्शन ट्रेडर्स ज्यादातर इन्ही में ट्रेड करते हैं.
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सिंपलीसिटी
प्रोसेस को ज्यादा कॉम्प्लिकेट बनाना सफल ट्रेडरों का अनुसरण करें समय की बर्बादी है, जिससे सीखना और सुधार करना मुश्किल हो जाता है. दूसरी ओर, चीजों को सरल बनाने से आप अधिक तेजी से सुधार कर सकेंगे और सीखने के अनुभव को काफी आसान बना सकेंगे.
एक सफल सफल ट्रेडरों का अनुसरण करें ट्रेडर वो है जो ठंडे दिमाग से ट्रेड करता है और एक स्ट्रेटजी से दूसरी स्ट्रेटजी नहीं बदलता. एक प्रोफेशनल ट्रेडर अपने लिए नियम बनाता है और यह सुनिश्चित करता है कि वो उनका पालन करे. इसलिए, केवल इस आधार पर कोई निष्कर्ष न निकालें कि आपने शॉर्ट टर्म में कोई प्रॉफिट नहीं कमाया है. लॉन्ग टर्म प्रॉफिट पर ध्यान देना ज्यादा बेहतर होता है.
कभी-कभी गलत होने में कोई बुराई नहीं है
चूंकि स्टॉक ट्रेडिंग पासा फेकने की तरह है, इसलिए गलतियां करना काफी सामान्य है. और एक ट्रेडर सालों के अनुभव
और दर्जनों ट्रेड करने के बाद ही किसी भी परिस्थिति में शांत रहना सीख सकता है. यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है सफल ट्रेडरों का अनुसरण करें
कि आप अपना सारा ध्यान नुकसान पर केंद्रित नहीं कर रहे हैं. एक कदम आगे बढ़कर अपनी असफलताओं को स्वीकार
करके उनसे सीखना चाहिए. सालों की मेहनत और अपनी गलतियों से सीखने का हुनर ही ट्रेडर को मार्केट की गहरी
समझ प्रदान करता है, जो उन्हें चुनौतियों से उबरने और बेहतर योजना बनाने में मदद कर सकती है.जैसा कि पहले बताया गया है, ट्रेडिंग कोई ऐसी चीज नहीं है जो स्वाभाविक रूप से आती है. किसी भी प्रतिस्पर्धी खेल की
तरह, इसके लिए भी बहुत मेहनत करने की जरूरत होती है. एक ट्रेडिंग प्लान एक ट्रेडिंग मैनुअल के रूप में काम करती
है और ये डायरेक्शन और एक सफल ट्रेडर बनने के लिए बहुत जरूरी है.इम्प्रूवमेंट एक लाइफ लॉन्ग प्रोसेस है
एक कहावत है ‘प्रैक्टिस एक व्यक्ति को परफेक्ट बनाती है’. इस कहावत का बहुत इस्तेमाल किया जाता है. ट्रेडिंग स्किल
रातों रात नहीं पैदा हो सकती. यहां तक कि सबसे सफल ट्रेडर को भी कई बार भारी प्रॉफिट होता तो कई बार उसे
नुकसान का सामना भी करना पड़ता है. जरूरी बात यह है कि लगातार कोशिश करते रहें और अपने प्रदर्शन में सुधार
करके सफलता की संभावनाओं को बढ़ाएं. अपने आप से कंपटीशन करने और अपनी प्रोग्रेस पर नजर रखने से आपको
गलतियों से बचने और अपने ट्रेडिंग और निवेश परिणामों को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है. याद रखें कि एक
सफल स्टॉक ट्रेडर हमेशा मार्केट का स्टूडेंट होता है. मार्केट से सीखने पर ध्यान केंद्रित करें, रिसर्च के लिए समय निकालें,
शेयर मार्केट की जटिलताओं को समझें, क्योंकि यह एक लाइफ लॉन्ग प्रोसेस है.ट्रेडिंग सरल है, लेकिन आसान नहीं है, और शेयर मार्केट में सफलता तुरंत नहीं मिलती. एक जानकार स्टॉक ट्रेडर होने
के नाते अपने इस सफर को रोमांचक बनाएं और अपना ध्यान इस सफर के दौरान मिलने वाले मीठे फलों पर केंद्रित करें.
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