Sagwan Farming Profit: सागवान की खेती से कर सकते हैं करोड़ों की कमाई, जानें कीमत से लेकर खेती का तरीका

Sagwan Farming Technique: सागवान के पेड़ से किसान चाहें तो करोड़ों में कमाई कर सकते हैं. सागवान की एक एकड़ की खेती से 1 करोड़ रुपये की कमाई आराम से की जा सकती है. आइए जानते हैं इसकी खेती के तरीके के बारे में.

Sagwan Farming Cost and Profit: सागवान की खेती से हो सकती है बंपर कमाई

अजीत तिवारी

  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2021,
  • (अपडेटेड 26 अगस्त 2021, 12:39 PM IST)

Sagwan Farming Cost and Profit: सागवान के लकड़ी की गिनती सबसे मजबूत और महंगी लकड़ियों में होती है. इससे फर्नीचर, प्लाइवुड तैयार किया जाता है. इसके अलावा सागवान का इस्तेमाल दवा बनाने में भी किया जाता है. लंबे समय तक टिकने की क्षमता होने के कारण इसकी मांग हमेशा बाजार में बनी रहती है. सागवान की लकड़ी में बहुत कम सिकुड़न होती है. साथ ही इस पर बहुत जल्दी पॉलिश चढ़ता है. एक आंकड़े के मुताबिक देश में हर वर्ष 180 करोड़ क्यूबिक फीट सागवान की लकड़ी की जरूरत है, लेकिन प्रति वर्ष सिर्फ 9 करोड़ क्यूबिक फीट की पूर्ति की जा रही है. यानी वर्तमान में सिर्फ 5 परसेंट ही पूर्ति हो पा रही है, 95 परसेंट का बाजार अभी भी खाली है. दिलचस्प बात ये है कि सागवान की खेती में रिस्क काफी कम होता है और मुनाफा ज्यादा होता है.

सागवान के लिए खेत में कितनी हो दूरी

सागवान के पौधे को 8 से 10 फीट की दूरी पर लगाया जा सकता है. ऐसे में अगर किसी किसान के पास 1 एकड़ खेत है तो वो उसमें करीब 500 सागवान के पौधे लगा सकता है. सागवान के लिए 15 डिग्री सेल्सियस से लेकर 40 डिग्री सेल्सियस का तापमान अनुकूल माना जाता है. इसके लिए नमी वाले इलाके फादयेमंद होते हैं. जानकारी के मुताबिक सागवान की खेती बर्फीले इलाकों या रेगिस्तानी इलाकों में नहीं हो सकती. इसके लिए जलोढ़ मिट्टी को बेहतर माना जाता है.

सागवान के लिए कैसे तैयार होता है खेत?

सागवान की खेती के लिए सबसे पहले खेत की जुताई करें और उसमें से खर-पतवार और कंकड़-पत्थर निकाल लें. इसके बाद दो बार और जुताई करके खेत की मिट्टी को बराबर कर लें. इसके बाद सागवान के पौधे जहां-जहां लगाने हैं, उन जगहों को चिन्हित कर लें. इसके बाद उन जगहों पर गड्ढा खोद लें. कुछ दिन बाद इसमें खाद मिला दें. इसके बाद इसमें पौधा लगाएं. इसकी मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए.

कौन सा मौसम सागवान की बुवाई के लिए ठीक?

सागवान की बुवाई के लिए मॉनसून से पहले का समय सबसे अनुकूल माना जाता है. इस मौसम में पौधा प्रोफिट लें क्या है? लगाने से वो तेजी से बढ़ता है. शुरुआती सालों में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. पहले साल में तीन बार दूसरो साल में दो बार और तीसरे साल में एक बार अच्छे से खेत की सफाई जरूरी है, सफाई के दौरान खरपतवार को पूरी तरह खेत से बाहर करना होता है. सागवान के पौधे के विकास के लिए सूर्य की रौशनी अत्यंत आवश्यक होता है. ऐसे में पौधा लगाते वक्त इस बात का भी ध्यान रखें कि खेत में पर्याप्त रोशनी पहुंच सके. नियमित समय पर पेड़ के तने की कटाई-छटाई और सिंचाई करने से पेड़ की चौड़ाई तेजी से बढ़ती है.

सागवान के पेड़ को जानवरों से डर नहीं

सागवान के पत्तों में कड़वाहट और चिकनाहट होती है, यही कारण है कि इसे जानवर खाना पसंद नहीं करते. साथ ही अगर पेड़ की देखभाल ठीक से की जाए तो इसमें कोई बीमारी भी नहीं लगती और ये बिना किसी परेशानी के 10 से 12 साल में तैयार हो जाता है.

सागवान के पेड़ से कई सालों तक मिलता है मुनाफा

हालांकि किसान चाहें तो इसे ज्यादा समय तक भी खेत में रख सकते हैं. 12 वर्षों के बाद ये पेड़ समय के हिसाब से मोटा होता जाता है, जिससे पेड़ की कीमत भी बढ़ती चली जाती है. साथ ही किसान एक ही पेड़ से कई सालों तक मुनाफा कमा सकते हैं. सागवान का पेड़ एक बार काटे जाने के बाद फिर से बड़ा होता है और दोबारा इसे काटा जा सकता है. ये पेड़ 100 से 150 फुट ऊंचे होते हैं.

सागवान से करोड़ों में कमाई

सागवान के पेड़ से किसान चाहें तो करोड़ों में कमाई कर सकते हैं. उदाहरण के तौर पर एक एकड़ में किसान अगर 500 सागवान के पेड़ लगाता है तो 12 वर्ष के बाद इससे करीब एक करोड़ रुपये में बेच सकता है. बाजार में 12 साल के सागवान के पेड़ की कीमत 25 से 30 हजार रुपये तक है और समय के साथ इसकी कीमत में बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है. ऐसे में एक एकड़ की खेती से 1 करोड़ रुपये की कमाई आराम से की जा सकती है.

शादीशुदा लोगों के लिए केंद्र की शानदार स्कीम, सरकार देगी 10,000 रुपये महीना पेंशन! जानें- क्या है योजना और कैसे लें लाभ?

Atal Pension Yojana: अगर आप शादीशुदा हैं, तो सरकार आपको मामूली निवेश पर हर महीने 10 हजार रुपए पेंशन देगी. इस योजना के तहत 18 से 40 वर्ष के लोग अटल पेंशन योजना में अपना नामांकन करा सकते हैं.

Updated: May 23, 2022 4:00 PM IST

atal pension yojana

Atal Pension Yojana: अपने रिटायरमेंट को सुरक्षित करने के लिए किसी सुरक्षित जगह पर निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो अटल पेंशन योजना एक बेहतर विकल्प हो सकता है. आज हम आपको सरकार की अटल पेंशन योजना (APY) के बारे में बता रहे हैं, जिसमें पति-पत्नी अलग-अलग खाते खोलकर हर महीने 10,000 रुपये की पेंशन प्राप्त कर सकते हैं. साथ ही, इस योजना के और भी कई फायदे हैं.

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अटल पेंशन योजना क्या है?

अटल पेंशन योजना एक ऐसी सरकारी योजना है, जिसमें आपके द्वारा किया गया निवेश आपकी उम्र पर निर्भर करता है. इस योजना के तहत, आप न्यूनतम मासिक पेंशन 1,000 रुपये, 2000 रुपये, 3000 रुपये, 4000 रुपये और अधिकतम 5,000 रुपये प्राप्त कर सकते हैं. यह एक सुरक्षित निवेश है.

कौन कर सकता है निवेश?

अटल पेंशन योजना की शुरुआत साल 2015 में हुई थी. हालांकि, तब इसे असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों के लिए शुरू किया गया था, लेकिन अब 18 से 40 साल का कोई भी भारतीय नागरिक इस योजना में निवेश कर सकता है. इस योजना में जमाकर्ताओं को 60 साल बाद पेंशन मिलने लगती है.

इस योजना के लाभ क्या हैं?

  • इस योजना के तहत 18 से 40 वर्ष के लोग अटल पेंशन योजना में अपना नामांकन करा सकते हैं.
  • इसके लिए आवेदक का किसी बैंक या डाकघर में बचत खाता होना चाहिए.
  • आपके पास केवल एक ही अटल पेंशन खाता हो सकता है.
  • आप इस योजना के तहत जितनी जल्दी निवेश करेंगे, आपको उतना ही अधिक लाभ मिलेगा.
  • अगर कोई व्यक्ति 18 साल की उम्र में अटल पेंशन योजना में शामिल होता है, तो 60 साल की उम्र के बाद उसे हर महीने 5000 रुपये मासिक पेंशन के लिए सिर्फ 210 रुपये प्रति माह जमा करना होगा.
  • इस तरह यह प्लान एक अच्छा प्रॉफिट प्लान है.प्रोफिट लें क्या है?

10,000 रुपये पेंशन कैसे प्राप्त करें

  • 39 साल से कम उम्र के पति-पत्नी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.
  • अगर पति-पत्नी जिनकी उम्र 30 साल या उससे कम है, तो वे हर महीने APY खाते में 577 रुपये का योगदान कर सकते हैं.
  • अगर पति-पत्नी की उम्र 35 साल है तो उन्हें हर महीने अपने एपीवाई खाते में 902 रुपए डालने होंगे.
  • गारंटीशुदा मासिक पेंशन के अलावा, अगर पति-पत्नी में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है, तो जीवित साथी को हर महीने पूर्ण जीवन पेंशन के साथ 8.5 लाख रुपये मिलेंगे.

टैक्स लाभ

इसमें टैक्स बेनिफिट भी मिलता है. अटल पेंशन योजना में निवेश करने वालों को आयकर अधिनियम 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक का कर लाभ भी मिलता है. एनपीएस ग्राहकों में से 3.77 करोड़ या 89 फीसदी गैर-महानगरीय शहरों से हैं. इस योजना से जुड़े व्यक्ति की असामयिक मृत्यु होने पर उसके परिवार को लाभ जारी रखने का भी प्रावधान है.

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सोने के सिक्के खरीदने से पहले ये 7 बातें जान लें, फायदे में रहेंगे

शुद्धता के अलावा यह भी देख लेना चाहिए कि सोने के सिक्के पर हॉलमार्क है या नहीं.

सोने के सिक्के खरीदने से पहले ये 7 बातें जान लें, फायदे में रहेंगे

फाइननेस शुद्धता नापने का एक और पैमाना है. ज्यादातर 24 कैरेट सोने की जांच के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की वेबसाइट के अनुसार, 24 कैरेट सोने में भी बहुत थोड़ी मिलावट की जा सकती है. सोने जैसी मूल्यवान धातुओं में अशुद्धता को 1,000 से दर्शाया जाता है. 24 कैरेट सोने की फाइननेस को 1,000 में 999.9 माना जाता है.

सोना खरीदने के ऑनलाइन पोर्टल कैरेटलेन डॉट कॉम में सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अतुल सिन्हा कहते हैं, "अमूमन गोल्ड जूलरी 24 कैरेट में नहीं मिलती है. लेकिन, सोने का सिक्का 24 कैरेट में जरूर खरीदा जा सकता है."

2. हॉलमार्किंग
शुद्धता के अलावा यह भी देख लेना चाहिए कि सोने के सिक्के पर हॉलमार्क है या नहीं. भारत सरकार ने भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की स्थापना की है ताकि सोने की खरीदारी में लोगों को ठगा न जा सके. बीआईएस अपनी मुहर के साथ सोने-चांदी के सिक्कों और जूलरी को सर्टिफार्इ करता है.

सोने में चार चीजों को हॉलमार्क किया जाता है. यह नियम 1 जनवरी, 2017 से लागू है.

2. कैरेट और फाइननेस में शुद्धता

3. हॉलमार्किंग सेंटर का लोगो

4. जूलर की पहचान का मार्क और नंबर

बीआईएस ने 22 कैरेट, 18 कैरेट और 14 कैरेट सोने के लिए ही हॉलमार्क अनिवार्य किया है. 1 जनवरी, 2017 से पहले मार्किंग का वर्ष भी बताना होता था.

3. पैकेजिंग
सोने के सिक्के टैम्पर प्रूफ पैकेजिंग में आते हैं. यह फ्रॉड और डैमेज से बचाता है. कई जूलर खरीदारों को सुझाव देते हैं कि अगर सोने के सिक्के को दोबारा बेचना है तो पैकेजिंग के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए. इस पैकेजिंग को भी सोने की शुद्धता का सबूत माना जाता है.

4. सिक्कों का वजन
बाजार में सोने के सिक्के 0.5 ग्राम से लेकर 50 ग्राम तक के वजन में उपलब्ध हैं. 22 अक्टूबर को सोने का भाव 31,902 रुपये प्रति 10 ग्राम था. इस हिसाब से आप 1,600 से 1,700 रुपये में सबसे कम वजन यानी 0.5 ग्राम का सिक्का खरीद सकते हैं.

5. मेकिंग चार्ज
जूलरी के मुकाबले सोने के सिक्के खरीदना ज्यादा आसान है. इसमें आपको सबसे शुद्ध सोना कम से कम वजन में खरीदने का विकल्प मिलता है. साथ ही कान की बाली, अंगूठी, गले की चेन की तुलना में मेकिंग यानी बनाने के चार्ज भी कम होते हैं. सिन्हा कहते हैं कि सोने के सिक्कों में मेकिंग चार्ज अमूमन 8 से 16 फीसदी की रेंज में होते हैं. वहीं जूलरी में ये 8 फीसदी से शुरू होकर कितना भी अधिक जा सकते हैं. यह पूरी तरह से कारीगरी पर निर्भर करता है.

6. कहां से करें खरीदारी?
स्थानीय जूलरों के अलावा सोने के सिक्के बैंक, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, एमएमटीसी और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से भी खरीदे जा सकते हैं.

हालांकि, बेचे जाने वाले सिक्कों का वजन अलग-अलग संस्थान में अलग-अलग हो सकता है. मूथूट जैसी कंपनियां 0.5 ग्राम के 24 कैरेट के सोने के सिक्कों की बिक्री करती हैं. केनरा बैंक जैसे बैंक 5 ग्राम, 8 ग्राम और 10 ग्राम के 24 कैरेट सोने के सिक्कों की बिक्री करते हैं.

7. बिक्री के विकल्प
यदि आप बैंक से सोने के सिक्के खरीद रहे हैं, तो ध्यान रखें कि बैंक वे सिक्के वापस नहीं खरीदेंगे. इस बारे में आरबीआई के साफ निर्देश हैं. इसलिए सोने के सिक्के अमूमन जूलरों से खरीदे जाते हैं. एक जूलर से दूसरे जूलर को बेचने पर इसकी रीसेल वैल्यू घट जाती है.

सिन्हा कहते हैं कि इसकी वजह यह है कि जूलर आपको केवल सोने की कीमत देता है. मेकिंग चार्ज, प्रॉफिट मार्जिन, एडमिनिस्ट्रेटिव चार्ज नहीं दिया जाता है. ये सभी चार्ज सोने की खरीद पर पहले जूलर को आप देते हैं.

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सोने में निवेश से पहले पढ़े इन 8 बातों को, नहीं तो प्रॉफिट के बजाय हो सकता है बड़ा नुकसान

अच्छे रिटर्न के लिए आप शेयर मार्केट, MF, SIP, प्रॉपर्टी समेत कई जगह निवेश कर सकते हैं। इन सभी में सोने के निवेश में लोगों का ज़्यादा फायदा दिखता है- पहला, एक तो सोने की कीमत भी बढ़ती रहती है और.

सोने में निवेश से पहले पढ़े इन 8 बातों को, नहीं तो प्रॉफिट के बजाय हो सकता है बड़ा नुकसान

अच्छे रिटर्न के लिए आप शेयर मार्केट, MF, SIP, प्रॉपर्टी समेत कई जगह निवेश कर सकते हैं। इन सभी में सोने के निवेश में लोगों का ज़्यादा फायदा दिखता है- पहला, एक तो सोने की कीमत भी बढ़ती रहती है और दूसरा इसको जरूरत के समय पहन भी सकते हैं। लेकिन बहुत लोग सोने की खरीददारी करते समय कई चीजे नजरअंदाज करते हैं, इससे उन्हें बाद में फायदे के बजाय नुकसान हो जाता है।


जानकारी पूरी रखें
सही जानकारी न होने के कारण जब आप अपने सोने को बेचने के लिए जाते हैं तो आपको उतना मूल्य नहीं मिल पाता जितना मिलना चाहिए। सोने को आप लम्बे समय और मुसीबत के समय काम में आने के हिसाब से खरीदते हैं, इसलिए सोने की खरीदारी के समय आपको इन प्रमुख बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

शुद्धता- सोने की कीमत कैरट के आधार पर होती है और कैरेट से गोल्ड की शुद्धता का पता चलता है। सोने की सबसे अच्छी क्वालिटी 24 कैरट सोने की होती है जिसका मूल्य अधिक होता है। लेकिन कम कैरट के सोने की कीमत उससे कम होगी, इसलिए सोने की खरीददारी करते समय बाजार से अलग अलग कैरट का भाव जरूर पता कर लें।

डिजिटल गोल्ड में निवेश- डिजिटल गोल्ड में शुद्धत्ता और मेकिंग चार्ज जैसी कोई समस्या नहीं होती, इस कारण इसमें निवेश आके लिए प्रॉफिटेबल हो सकता है। लेकिन ध्यान रखने वाली बात है आप जिससे पेपर गोल्ड लें रहे हैं उस कंपनी के बारे में अच्छी तरह पड़ताल कर लें, नहीं तो धोखाधड़ी का शिकार हो सकते हैं।

आभूषण पर लगे स्टोन- सोने के गहनों में कई बार कीमती स्टोन्स के अलावा नकली चमकदार स्टोन भी लगाए होते हैं, इसलिए खरीदारी के समय सोने और स्टोन दोनों के भाव अलग-अलग लें।

वजन की जांच- सोने की ज्यादातर ज्वेलरी वजन के हिसाब से बेचीं जाती है लेकिन कीमती स्टोन इसे भारी बनाते हैं. इसलिए ज्वेलरी के पूरे वजन के साथ गोल्ड के वजन को जरूर चेक कर लें। गोल्ड कीमती है, वजन थोड़ा भी ऊपर-नीचे हुआ तो आपको भरी नुकसान हो सकता है।

Hallmarking- बाजार में दो तरह के सोने के गहने होते हैं एक तो साधारण होते है जिनकी क्वालिटी की कोई गारंटी नहीं होती और दूसरे हॉलमार्किंग के तहत होते हैं जिनकी सोने की क्वालिटी अच्छी होने का सुबूत होता है। यह अधिकृत होते हैं और सोने की शुद्धता को प्रमाणित करता है।

मेकिंग चार्जेज: यह ऐसे चार्जेज होते हैं जो गहनों को बनाने के लिए चार्ज किये जाते हैं। हर ज्वेलर का मेकिंग चार्ज अलग होता है कोई पर ग्राम के हिसाब से लेता है तो कोई गहने के कुल वजन के हिसाब से। आपको इस बारे में पूरी जानकारी हासिल करनी चाहिए। अगर मेकिंग चार्ज ज़्यादा होगा तो आपको बाद में बेचने पर फायदा नहीं होगा। मेकिंग चार्ज जितना कम होगा, बाद में गहने को बेचते समय मुनाफा उतना ही ज़्यादा होगा।

बिल- सोना खरीदते समय इनवॉइस और रसीद लें, आने वाले समय में यही रसीद आपके काम आएगी। सही इनवॉइस और रसीद न होने पर बेचते समय आपको यह मुश्किल में डाल सकती है।

ज्यादा न खरीदें- सोने की कीमत आमतौर पर बढ़ती है लेकिन निवेश के हिसाब से देखा जाए तो आपके पोर्टफोलियो में यह बहुत ज्यादा नहीं होना चाहिए आपको अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर पोर्टफोलियो को बैलेंस रखना चाहिए।

आपको बताते हैं सोने में आप कैसे निवेश कर सकते हैं-


पेपर गोल्ड- एक निवेशक के पास गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का उपयोग करने का विकल्प होता है।


गोल्ड ETF - गोल्ड के प्रचलित बाज़ार मूल्य पर गोल्ड ETF का स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार होता है। गोल्ड ETF के साथ, निवेशकों को कोई शुल्क या स्टोर चार्ज का भुगतान नहीं करना पड़ता है जो सोने को रखने आदि से जुड़ा होता है।


सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड- यह भारत सरकार और RBI द्वारा ऑफर किया जाता है, यह कागज़ के रूप में सोने खरीदने का एक और तरीका है। इन बॉन्ड में सोने मूल्य को ग्राम में दर्शाया जाता है जिसमें व्यापार शुरू करने के लिए न्यूनतम निवेश 1 ग्राम सोना आवश्यक है। ब्याज़ दर और मूल्य को बॉन्ड जारी करते समय RBI द्वारा तय किया जता है।


डिजिटल गोल्ड- सोने में निवेश का एक और तरीका डिजिटल गोल्ड (Digital Gold) के प्रोफिट लें क्या है? माध्यम से है, जहां कोई भी 1 रुपये से भी निवेश शुरू कर सकता है। कई मोबाइल वॉलेट डिजिटल गोल्ड ऑफर करते हैं लेकिन इनकी शुद्धता अलग अलग होती है।


सोने में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड- Gold MF(फंड्स ऑफ फंड) हैं जो अंतरराष्ट्रीय सोने की माइनिंग कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं। गोल्ड, जिसे गोल्ड फंड ऑन फंड्स भी कहा जाता है, यह एक ओपन एंडेड फंड हैं जो गोल्ड ETF में निवेश करते हैं। निवेशक किसी भी समय किसी भी विशेष राशि का निवेश कर सकते हैं।


गोल्ड सेविंग स्कीम- कई ज्वैलर्स गोल्ड ज्वेलरी सेविंग स्कीम (Gold Saving Schemes) ऑफर करते रहे हैं जो खरीदारों को चुनी हुई अवधि के लिए व्यवस्थित रूप से बचत करने और टर्म खत्म होने पर सोना खरीदने में मदद करती हैं। खरीदार को अवधि के लिए हर महीने एक निश्चित राशि जमा करने की आवश्यकता होती है।

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