Explanation : नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) का मुख्यालय दक्षिण मुंबई में वर्ली में स्थित है। इसकी स्थापना 1992 में देश में पहले डीमैटरियलाइज्ड इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज के रूप में हुई थी। जिसकी संस्तुति 1991 में 'फेरवानी समिति' (P . Read More

मुद्रा के मूल्यह्रास और अवमूल्यन के अर्थ की संक्षेप में चर्चा

मूल्यह्रास एवं अवमूल्यन, दोनों ही एक ऐसी आर्थिक स्थिति को प्रदर्शित करते हैं, जिसमें किसी अन्य मुद्रा की तुलना में घरेलू मुद्रा के मूल्य में कमी होती है जिसके परिणामस्वरूप उस मुद्रा की क्रय शक्ति में गिरावट आती है। हालांकि इनके घटित होने के तरीके भिन्न-भिन्न होते हैं। मूल्यह्रास एवं अवमूल्यन के मध्य निम्नलिखित अंतर हैं:

  • मूल्यह्रास नम्य विनिमय दर (floating exchange rate) प्रणाली में घटित होता है, जिसमें बाजार कारकों के आधार पर देश की मुद्रा का मूल्य निर्धारित होता है। दूसरी ओर, अवमूल्यन स्थिर विनिमय दर (fixed/pegged exchange rate) प्रणाली के साथ संबद्ध है।
  • मांग एवं आपूर्ति जैसे बाजार कारकों के कारण घरेलू मुद्रा के मूल्य में कमी (मूल्यह्रास) होती है जबकि अवमूल्यन, केंद्रीय बैंक द्वारा जानबूझकर किसी अन्य मुद्रा के सापेक्ष घरेलू मुद्रा के मूल्य में की गई कमी को प्रदर्शित करता है। मूल्यह्रास दैनिक आधार पर मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव हो सकता है, जबकि अवमूल्यन सामान्यतया केंद्रीय बैंक द्वारा समय-समय पर किया जाता है।

मुद्रा के अवमूल्यन का प्रभाव क्या होता है?

Explanation : किसी मुद्रा के अवमूल्यन का प्रभाव यह है कि वह अनिवार्य रूप से विदेशी बाजारों में घरेलू निर्यातों की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है। अवमूल्यन का तात्पर्य विदेशी मुद्राओं के सन्दर्भ में अपने देश की मुद्रा के मूल्य में जान-बूझकर कमी करना है। अवमूल्यन तभी सफल होता है, जब कोई दूसरा देश इसके विरोध में अपनी मुद्रा का अवमूल्यन न करे। इसके अतिरिक्त घरेलू बाजार में उन वस्तुओं की कीमत बढ़ जाएगी, जिनके निर्माण में प्रयुक्त सामग्री विदेशों से आयात करनी पड़ती है। अतः अवमूल्यन के कारण घरेलू मूल्य में होने वाली वृद्धि दर अवमूल्यन की तुलना में कम होनी चाहिए।. अगला सवाल पढ़े

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Explanation : फिक्की (FICCI) के नए अध्यक्ष सुभ्रकांत पांडा (Subhrakant Panda) है। फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने 3 नवंबर2022 को उन्हें अपना अगला अध्यक्ष नियुक्त किया। इंडियन मेटल्स एंड फेरो अलॉयज लिमिटेड (आईएमएफए . Read More

मुद्रा का दबाव: डॉलर के मुकाबले रुपये का अवमूल्यन

दुनिया के अन्य प्रमुख मुद्राओं के साथ रुपया एक फिर से एक नए दबाव का सामना कर रहा है। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में भारी - भरकम 75 आधार अंकों की ताजा वृद्धि और अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा अपना ध्यान पूरी तरह से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने पर केंद्रित रखने के स्पष्ट संदेश के मद्देनजर डॉलर में मजबूती मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव जारी है। सप्ताह के अंत में एक नए रिकॉर्ड स्तर पर लुढ़क कर बंद होने मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव से पहले, भारतीय मुद्रा शुक्रवार को दिन – भर के व्यापार (इंट्राडे ट्रेड) के दौरान पहली बार डॉलर के मुकाबले 81 अंक के पार जाकर कमजोर हुई। अस्थिरता को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से रुपये में गिरावट की रफ्तार को नरम किया गया। लेकिन 16 सितंबर से 12 महीनों में इस तरह के हस्तक्षेपों का कुल नतीजा यह हुआ कि भारतीय रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार के आपातकालीन कोष में लगभग 94 बिलियन डॉलर की कमी आई और यह कोष अब घटकर 545.65 बिलियन डॉलर का रह गया है। डॉलर के मुकाबले अकेले रुपये में ही गिरावट नहीं होने का तथ्य अपने कारोबार के सुचारू संचालन के लिए कच्चे माल या सेवाओं के आयात पर निर्भर रहने वाली भारतीय कंपनियों के लिए थोड़ा सा भी सुकून भरा नहीं हो सकता है। ये कंपनियां एक ऐसे समय में बढ़ती लागत की समस्या से जूझ रहीं हैं, जब महामारी के बाद की स्थिति में घरेलू मांग का एक टिकाऊ स्तर पर पहुंचना अभी भी बाकी है। आयात का बढ़ता खर्च भी पहले से ही लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति से घिरी अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति के दबाव में और इजाफा करेगा तथा चढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के मौद्रिक नीति निर्माताओं के प्रयासों को और अधिक जटिल बनाएगा।

मुद्रा अवमूल्यन का प्रभाव

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Q. मुद्रा के अवमूल्यन होने पर अर्थव्यवस्था में निम्न में कौन से प्रभाव संभव है

बिग मैक इंडेक्स के अनुसार, कोलंबिया इस क्षेत्र में सबसे अधिक अवमूल्यन मुद्रा वाला देश है

FOTO DE ARCHIVO. Un trabajador cuenta billetes de peso colombiano en una tienda en Bogotá, Colombia. 28 de diciembre de 2018. REUTERS/Luisa González

FOTO DE ARCHIVO. Un trabajador cuenta billetes de peso colombiano en una tienda en Bogotá, Colombia. 28 de diciembre de 2018. REUTERS/Luisa González

ब्रिटिश मीडिया द इकोनॉमिस्ट द्वारा प्रकाशित बिग मैक इंडेक्स के अनुसार, राष्ट्रीय मुद्रा लैटिन अमेरिका में सबसे अधिक अवमूल्यन वाली स्थानीय मुद्रा है। यह 1986 से अंग्रेजी मीडिया द्वारा निर्मित बिग मैक इंडेक्स नामक एक रिपोर्ट है, जो यह मापने का प्रयास करती है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा उद्धरण एक काल्पनिक रूप से मानक उत्पाद के मूल्य के कितने करीब (ऊपर या नीचे) हैं

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