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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रणाली को और सक्षम बना सकता है नया कृत्रिम न्यूरॉन

नई दिल्ली, 16 जुलाई (इंडिया साइंस वायर): आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में दुनियाभर में नित नये आयाम गढ़े जा रहे हैं। इस दिशा में कार्य करते हुए भारतीय शोधकर्ताओं को एक नयी उपलब्धि हाथ लगी है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के शोधकर्ताओं ने अपने ताजा अध्ययन में मस्तिष्क से प्रेरित एक ऐसा कृत्रिम न्यूरॉन विकसित किया है, जो एक सटीक और कुशल न्यूरोमॉर्फिक आर्टिशियल इंटेलिजेंस (एआई) प्रणाली के निर्माण में उपयोगी हो सकता है।

न्यूरोमॉर्फिक कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकी के उस क्षेत्र को संदर्भित करता है, जहाँ इंजीनियर मानव मस्तिष्क के काम से प्रेरित बुद्धिमान मशीनों के निर्माण की कोशिश करते हैं। यह माना जाता है कि मस्तिष्क के भीतर बुद्धि को बढ़ाने वाले सबसे महत्वपूर्ण बिल्डिंग ब्लॉक्स न्यूरॉन और सिनेप्स होते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस अध्ययन की अंतर्विषयक प्रकृति होने के कारण यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता), न्यूरोमॉर्फिक हार्डवेयर और नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों को जोड़ता है।

आईआईटी, दिल्ली के विद्युत इंजीनियरी विभाग के प्रोफेसर मनन सूरी के नेतृत्व में विकसित किए गए इस नये ‘स्पाइकिंग’ न्यूरॉन मॉडल का नाम DEXAT (Double EXponential Adaptive Threshold neuron) रखा गया है। यह शोध महत्वपूर्ण है क्योंकि यह स्पीच रेकोग्निशन जैसे वास्तविक अनुप्रयोगों के लिए सटीक, तेज और ऊर्जा-कुशल न्यूरोमॉर्फिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सिस्टम बनाने में प्रयुक्त हो सकता है।

नये विकसित किए गए कृत्रिम न्यूरॉन की विशेषताओं में न्यूरोमॉर्फिक प्रोसेसिंग के लिए DEXAT नामक नया मल्टी टाइम स्केल स्पाइकिंग न्यूरॉन मॉडल शामिल है। इस अध्ययन में, उभरते नैनो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर आधारित नये न्यूरॉन मॉडल का कुशल हार्डवेयर प्रदर्शन एवं रीयल-टाइम Spatio-Temporal न्यूरोमॉर्फिक प्रोसेसिंग का सफल हार्डवेयर प्रदर्शन किया गया है।

प्रोफेसर मनन सूरी ने बताया है कि “हम सेमीकंडक्टर मेमोरी प्रौद्योगिकी के सभी पहलुओं और अकादमिक एवं औद्योगिक भगीदारी के साथ इसके उभरते अनुप्रयोगों पर व्यापक शोध कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में हमने सरल भंडारण से परे मेमोरी टेक्नोलॉजी के अनेक नये-नये उपयोगो को सफलतापूर्वक प्रदर्शित किया है। इन-मेमोरी-कंप्यूटिंग, न्यूरोमॉर्फिक-कंप्यूटिंग, एज-एआई (edge AI), सेंसिंग और हार्डवेयर-सुरक्षा जैसे अनुप्रयोगों के लिए सेमीकंडक्टर मेमोरी का कुशलतापूर्वक उपयोग किया गया है। यह शोध विशेष रूप से एडेप्टिव स्पाइकिंग न्यूरॉन्स के निर्माण के लिए नैनो स्केल ऑक्साइड-आधारित मेमोरी डिवाइस एनालॉग गुणों का उपयोग करता है।”

इस शोध के माध्यम से मौजूदा आधुनिक एडॉप्टिव थ्रेसोल्ड स्पाइकिंग न्यूरॉन्स की तुलना में अधिक सटीक, तेज अभिसरण और कुशल हार्डवेयर कार्यान्वयन में लचीला स्पाइकिंग न्यूरॉन मॉडल प्रदर्शित किया गया है। नया समाधान कम न्यूरॉन्स के साथ उच्च प्रदर्शन प्राप्त करता है। इससे संबंधित लाभ कई डेटा सेट पर दिखाए गए हैं। गूगल स्पोकन कमांड डेटासेट पर 91% की वर्गीकरण सटीकता हासिल की गई है । इस शोध कार्य पर एक पेटेंट भी दायर किया गया है ।

शोधकर्ताओं ने एक हाइब्रिड नैनो डिवाइस आधारित हार्डवेयर का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है। अत्याधिक डिवाइस परिवर्तनशीलता के साथ भी प्रस्तावित नैनो-डिवाइस न्यूरोमॉर्फिक नेटवर्क ने 94% सटीकता प्राप्त की, जिससे इसकी मजबूती का संकेत मिलता है।

यह अध्ययन शोध पत्रिका नेचर कम्युनिकेशन्स में प्रकाशित किया गया है। इस शोध कार्य में प्रोफेसर मनन सूरी के अलावा दो अन्य शोधार्थी अहमद शाबान और साई सुक्रुथ बेजुगम शामिल हैं।

एमएसीडी अभिसरण क्या है

इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग में तय होगी 21वीं सदी की समुद्री रणनीति

भारतीय नौसेना का शीर्ष अंतरराष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (आईपीआरडी) बुधवार से शुरू होगा।

इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग में तय होगी 21वीं सदी की समुद्री रणनीति

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना का शीर्ष अंतरराष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (आईपीआरडी) बुधवार से शुरू होगा। तीन दिवसीय ऑनलाइन होने वाले इस सम्मेलन में समुद्री चुनौतियों पर चर्चा करके उनका समाधान करने पर मंथन किया जाना है। पहली बार 2018 में आयोजित इस रीजनल डायलॉग का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक के भीतर उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की समीक्षा करना है। सत्र शुरू होने से पहले रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री संबोधित करेंगे।

इस वार्षिक आयोजन के प्रत्येक संस्करण का भागीदार और मुख्य आयोजक नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन है, जिसमें सामरिक स्तर पर भारतीय नौसेना की भागीदारी प्रमुख है। आईपीआरडी के प्रत्येक क्रमिक संस्करण का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक के भीतर उत्पन्न होने वाले अवसरों और चुनौतियों दोनों की समीक्षा करना है। 2018 में हुए इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग में समुद्री चुनौतियों के रूप में समुद्री व्यापार, क्षेत्रीय संपर्क, लगातार समुद्री निगरानी, समुद्री का बढ़ता डिजिटलीकरण और समग्र समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने में उद्योग की भूमिका पर चर्चा की गई एमएसीडी अभिसरण क्या है थी।

आईपीआरडी के 2019 में हुए संस्करण में समुद्री संपर्क के माध्यम से क्षेत्र में सामंजस्य प्राप्त करने के लिए व्यावहारिक समाधान, स्वतंत्र और खुला इंडो-पैसिफिक एमएसीडी अभिसरण क्या है प्राप्त करने और बनाए रखने के उपाय, नीली अर्थव्यवस्था के लिए एक क्षेत्रीय दृष्टिकोण की जांच करना, समुद्री-उद्योग 4.0 से अवसर और सागर और एमएसीडी अभिसरण क्या है सागरमाला से उत्पन्न होने वाले क्षेत्रीय अवसर के मुद्दों पर चर्चा हुई थी। अब 27, 28 और 29 अक्टूबर को तीन दिवसीय ऑनलाइन होने एमएसीडी अभिसरण क्या है वाले शीर्ष अंतरराष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन में 21वीं सदी के दौरान समुद्री रणनीति में विकास: अनिवार्यता' के व्यापक विषय पर चर्चा की जानी है।

नौसेना प्रवक्ता के अनुसार इसमें आठ विशिष्ट उप-विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिससे चुनौतियों का मुकाबला करके आगे का रास्ता तय किया जा सके। इन मुद्दों पर लगातार तीन दिनों में आठ सत्रों में पैनल-चर्चा होगी, जिससे विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार करने की पर्याप्त गुंजाइश होगी। इसका उद्देश्य विचारों और विचारों के मुक्त प्रवाह को प्रोत्साहित करना है। इनमें आठ बिंदु प्रमुख हैं:-

1. इंडो-पैसिफिक के भीतर विकसित समुद्री रणनीतियां: अभिसरण, विचलन, अपेक्षाएं और आशंकाएं

2. समुद्री सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए अनुकूल रणनीति

3. बंदरगाह के नेतृत्व वाली क्षेत्रीय समुद्री संपर्क और विकास रणनीति

4. सहकारी समुद्री डोमेन में जागरुकता और रणनीति

5. नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम ऑर्डर पर कानून के बढ़ते सहारा का प्रभाव

6. क्षेत्रीय सार्वजनिक-निजी समुद्री भागीदारी को बढ़ावा देने की रणनीति

7. ऊर्जा-असुरक्षा और शमन रणनीति

8. समुद्र में मानव-मानव रहित गोरखधंधा रोकने की रणनीति

सत्र शुरू होने से पहले रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री संबोधित करेंगे। इस वार्षिक संवाद के माध्यम से भारतीय नौसेना और राष्ट्रीय समुद्री फाउंडेशन भारत-प्रशांत के समुद्री क्षेत्र को प्रभावित करने वाले भू-राजनीतिक विकास से संबंधित मुद्दों पर एक मंच पर आकर गहन चर्चा करते हैं।

जयपुर मे JDA approved प्लाट: सीतापुरा पुलिया के पास, टोंक रोड़, मात्र 23.40 लाख में 9314188188

सुमित यादव को UK की पार्लियामेंट मे मिला पोलिटिकल एनालिस्त ऑफ़ ईयर 2022 अवार्ड

टीम डिजिटल। कैप्टन सुमित यादव ने फिर एक बार भारत का नाम रोशन किया | कैप्टन सुमित यादव को लंदन स्थित UK की पार्लियामेंट में पोलिटिकल एनालिस्त ऑफ़ ईयर 2022 अवार्ड से सम्मानित किया गया | पिछले साल सितंबर 2021 में रूस मे हुए चुनाव मे रुसी गवर्नमेंट ने कैप्टन सुमित यादव को चुनाव निरीक्षक के तौर पर भारत से बुलाया था।

चुनाव सलाहकार के रूप में अपनी विशेषज्ञता और राजनीतिक मामलों के अपने आंतरिक ज्ञान के कारण, कप्तान सुमित यादव को लंदन, यूके में भारत सम्मेलन के लिए विचारों में एक प्रमुख प्रतिनिधि के रूप में आमंत्रित किया गया, उन्हें एशियाई में "वर्ष के राजनीतिक विश्लेषक" का पुरस्कार भी मिला।

यूके एक्सीलेंस अवार्ड्स 2022 का आयोजन डब्ल्यूबीआर कॉर्प द्वारा हाउस ऑफ कॉमन्स यूके पार्लियामेंट में किया गया। 'आइडियाज फॉर इंडिया' सम्मेलन ब्रिटेन, भारत, यूरोप और अन्य क्षेत्रों के व्यापार, नीति और एनआरआई नेताओं को एक साथ लाने का एक मंच है, ताकि एक अर्थव्यवस्था और एक राष्ट्र के रूप में भारत के विकास की अगली लहर पर चर्चा की जा सके। विदेशों में 'इंडिया स्टोरी' को अक्सर एक संकीर्ण लेंस के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है, चाहे वह केवल व्यापार और अर्थव्यवस्था, समाज या नीति परिदृश्य पर केंद्रित हो। इसकी विविधता को देखते हुए, भारत के बारे में सब कुछ, और इसके ध्रुवीय विपरीत, एकसमान में सत्य है।

ब्रिज इंडिया और डब्ल्यूबीआर कॉर्प भारत को बेहतर ढंग से समझने में मदद करने के लिए इस बारीकियों को उजागर करने और मनाने की कोशिश करते हैं। कुछ समय पहले तक, व्यापार, विदेश नीति और सामाजिक मुद्दों ने अलग-अलग स्थानों पर कब्जा कर लिया था। व्यापार, सरकार, नागरिक समाज और भारतीय प्रवासियों के बीच संवाद, जुड़ाव और सहयोग के अभिसरण ने एमएसीडी अभिसरण क्या है प्रत्येक के बीच की रेखाओं को धुंधला कर दिया है। Ideas For India ने बातचीत के मूल्यवान चैनल बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। एजेंडा में शामिल हैं: भारत में स्टार्टअप नवाचार | क्या भारत अभी भी एक अच्छा निवेश गंतव्य है? निकट यूरोप-भारत सहयोग z ऊर्जा सुरक्षा,भारत के लिए आपका बड़ा आईडिया क्या है फायरसाइड चैट, भारत के क्षेत्रों को समझना, स्थिरता और जलवायु परिवर्तन,'फर्जी समाचार' का उदय, नागरिक समाज पर दबाव एमएसीडी अभिसरण क्या है फेक न्यूज पर खास फोकस रहा। गलत और दुष्प्रचार की घटना जड़ लेती है, विकसित होती है और बढ़ती है और वास्तविक दुनिया को नुकसान पहुंचा सकती है।

पूरे समाज में इस समस्या से भारत कैसे प्रभावित हुआ है, कथा स्थानीयकरण के माध्यम से साजिश के सिद्धांत कैसे वायरल हो जाते हैं, इसका पता लगाया जाएगा? फेक न्यूज के प्रसार को रोकने के लिए कानून प्रवर्तन क्या उपाय कर सकता है? साझेदारों में भारत सर्वदलीय एमएसीडी अभिसरण क्या है एमएसीडी अभिसरण क्या है संसदीय समूह शामिल था। घटना तीन दिनों में विभाजित थी, जिसमें शामिल हैं: मुख्य वक्ता और उपस्थित लोग - विंबलडन के लॉर्ड अहमद, राज्य मंत्री, विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय, राजेश अग्रवाल, नवेंदु मिश्रा, सांसद, वीरेंद्र शर्मा, सांसद लॉर्ड राज लूंबा, उप महापौर, लंदन, एंजेला रेनेर, उप नेता, श्रम, लॉर्ड जॉन ब्राउन, अध्यक्ष, बियॉन्ड नेटज़ीरो, राहुल गांधी, संसद सदस्य, तेजस्वी यादव, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष, सलमान खुर्शीद, पूर्व विदेश मंत्री, भारत सरकार, महुआ मोइत्रा, संसद सदस्य, तृणमूल कांग्रेस, निखिल अरोड़ा, वीपी इंटरनेशनल और एमडी, गोडैडी इंडिया, पंकज मुंजाल, एमडी और चेयरमैन, हीरो साइकिल्स, अनुराग बिहार, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन आदि।

इससे पहले भी सुमित यादव कई बार अंतरराष्ट्रीय मौकों पर भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उन्होंने स्विट्जरलैंड के संयुक्त राष्ट्र जिनेवा में युवा सभा को संबोधित किया है। और संयुक्त राष्ट्र न्यूयॉर्क, यूएसए मुख्यालय 4 बार। 2018 में, सुमित यादव को मालदीव के राष्ट्रपति द्वारा मालदीव में ग्लोबल यूथ पीस एंबेसडर अवार्ड भी मिला है।

Modern Farming मेहनती किसानों के क्षमतावर्धन की तैयारी शुरू, बेहतर होगा उत्पादन, आधुनिक खेती की ओर बढ़ेंगे किसान

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-ओमप्रकाश मिश्र

रांची: राज्य योजनान्तर्गत चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए कृषि क्षेत्र (Agricultural Sector) में फसल उत्पादन (Crop Production) और उत्पादकता को बढ़ाने एवं उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी को प्रदर्शित करने के लिए राजकीय कृषि प्रक्षेत्रों में समेकित बिरसा विकास योजना अन्तर्गत कृषक पाठशाला और बिरसा ग्राम विकसित करने की योजना पर राज्य सरकार ने कार्य शुरू कर दिया है।

पाठशाला (School) की आवश्यकता इसलिए कृषि एवं संबद्ध गतिविधियां झारखण्ड (Jharkhand) के लोगों की जीविका का मुख्य आधार है। राज्य की लगभग 75 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और अपनी जीविका के लिए खेती पर निर्भर है। कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में फसल उत्पादन, पशुधन और मत्स्य पालन आदि शामिल हैं। इसमें 54.20 प्रतिशत के साथ फसल उत्पादन में प्रमुख उपक्षेत्र बना हुआ है। राज्य की अर्थव्यवस्था में रोजगार और आजीविका सृजन करने में कृषि की काफी अधिक हिस्सेदारी है। इसको और गति देने की एमएसीडी अभिसरण क्या है प्राथमिकता के साथ सरकार किसानों को उन्नत खेती के लिए प्रोत्साहित करेगी।

यह है उद्देश्य

कृषक पाठशाला के माध्यम से कृषि, पशुपालन और मत्स्य विभाग द्वारा कृषकों को क्षमता विकास एवं प्रत्यक्षण पर वैज्ञानिक विधि से प्रशिक्षित किया जाएगा। कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग तथा सरकार के अन्य विभागों के बीच एमएसीडी अभिसरण क्या है योजनाओं का लक्षित अभिसरण तय किया गया है। उसमें क्लस्टर आधारित बिरसा गांव में मलचिंग तकनीक द्वारा सिंचाई सुविधा विकसित करना, फॉरवर्ड लिंकेज सेवा के माध्यम से लाभुक कृषकों को आर्थिक सुदृढीकरण प्रदान करना है। साथ ही फसल की कटनी के उपरांत आधारभूत संरचना उपलब्ध कराना है, ताकि उत्पाद को सुरक्षित रखा जा सके। वहीं कृषकों को कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग एवं अन्य दूसरे सरकारी विभागों की योजनाओं के बारे में जागरूक करना भी उसमें शामिल है।

ये है सरकार की योजना

समेकित बिरसा विकास योजना के मॉडल के पहले चरण में 17 कृषक पाठशाला राज्य के विभिन्न कृषि प्रक्षेत्रों में विकसित की जाएगी। फिर अगले तीन वर्षों में चरणबद्ध तरीके से 100 कृषक पाठशाला विकसित की जाएगी। प्रत्येक कृषक पाठशाला में 3 से 5 बिरसा गांव को क्लस्टर एप्रोच के अन्तर्गत आच्छादित किया जाएगा। कृषक पाठशाला में बिरसा गांव के किसानों को 50 -100 किसान प्रति गांव क्षमता विकास कर प्रशिक्षण एवं टिकाऊ खेती के बारे में वैज्ञानिक तरीके से प्रशिक्षित किया जाएगा। उत्पादित वस्तुओं को कृषक पाठशाला के माध्यम से सप्लाई चेन, कस्टम हयरिंग सेंटर एवं मार्केट लिंकेज की सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी। सरकार द्वारा संचालित सभी योजनाओं का अभिषरण किया जाएगा। क्लस्टर आधारित मलचिंग सुविधा, ड्रीप एरिगेशन, बॉवेल, रोड, डिलिवरी पाईप, समरसेबुल पम्प, कैरेट एवं अन्य स्टोरेज सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएंगी।

इस कार्य में ये निभाएंगे भूमिका

कृषि निदेशालय द्वारा तीन वर्षों के लिए कृषि, उद्यान, पशुपालन एवं मत्स्य से संबंधित विशेषज्ञ एजेन्सी को सूचीबद्ध किया जाएगा। साथ ही कृषि निदेशालय द्वारा तीन वर्षों के लिए 3-4 सदस्यीय राज्य स्तर पर पीएमयू का गठन किया जाएगा। कार्यकारी एजेन्सी एवं गठित पीएमयू को कार्य एवं दायित्व दिया जाएगा। सफलता पूर्वक कृषक पाठशाला की स्थापना के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य एवं प्रत्यक्षण जो कृषि, पशुधन एवं मत्स्य इत्यादि से संबंधित होगा, उसे एजेन्सियों के द्वारा सम्पादित किया एमएसीडी अभिसरण क्या है जाएगा। उसके माध्यम से कृषकों का प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास कर बिरसा गांव के कृषक एवं मजदूरों को परिश्रमिक पर लेना एवं उनके द्वारा किए गए कार्य का भुगतान किया जाएगा। कृषक पाठशाला की देखरेख एवं उसे सुव्यवस्थित रखना, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में प्रशिक्षक को परिभ्रमिक मानदेय पर लेना शामिल होगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण सामग्री हेतु सहयोग प्रदान करना और मार्केट लिंकेज हेतु योजना तैयार करना भी समाहित होगा।

पीएमयू के ये होंगे कार्य

कृषि निदेशालय तीन वर्षों के लिए 3-4 सदस्यीय राज्य स्तर पर पीएमयू का गठन करेगा, जो सभी योजनाओं का प्रबंधन एवं अनुश्रवण में सहयोग,कार्यकारी संस्थाओं की पहचान एवं उनके कार्य में सहयोग, कार्यकारी संस्थाओं के साथ सहयोग कर प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण सामग्री, कृषि उत्पाद हेतु मार्केट लिंकेज की व्यवस्था, सभी योजनाओं हेतु रोड मैप, कार्य योजना एवं रणनीति, सभी निदेशालयों एवं विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर ससमय क्रियान्वयन, ग्रामीण हाट से समन्वय स्थापित कर मलचिंग एवं सिंचाई सुविधाओं से बिरसा ग्राम का विकास, कार्यकारी एजेन्सी एवं जिला के पदाधिकारी के साथ नियमित रूप से फ़ॉलोअप, आधारभूत संरचना हेतु स्थल की पहचान एवं चयन, कार्यकारी एजेन्सी के साथ समन्वय स्थापित कर परियोजना क्षेत्र में बेसलाईन कृषक पाठशाला के चयन के लिए सर्वे करेगा।

ऐसी होगी पाठशाला

कृषि, पशुधन एवं मत्स्य उत्पादन के लिए प्रत्यक्षण 10 एकड़ क्षेत्र में उच्च मूल्य वाले कृषि फसलों का कृषि कार्य किया जाएगा। 7.5 एकड़ क्षेत्र में फलदार पौधों का रोपन किया जाएगा। 50 बकरी, 500 वॉयलर चिक्स, 400 लेयर चिक्स, 500 बत्तख एवं 10 गाय का पालन किया जाएगा, जिसके लिए शेज, फ्लोर, यूरिन टैंक एवं फॉडर का निर्माण किया जाएगा। मलचिंग की तकनीक अपनाते हुए मैक्रॉएरिगेशन की व्यवस्था भी होगी। सिंचाई के लिए कृषक पाठशाला में जेनरेटर के साथ बॉवेल शेड डिलिवरी एवं समरसेबुल की व्यवस्था, 10000 वर्ग फीट का पॉली हाऊस का निर्माण, मधुमक्खी पालन हेतु 100 बॉक्स का निर्माण, 10 किलो प्रतिदिन मसरूम उत्पादन की क्षमता का विकास, 2 एकड़ क्षेत्र में मत्स्य उत्पादन का कार्य किया जाएगा। अधिकांश किसान पारंपरिक पद्धति से खेती करते हैं । कृषि उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने हेतु , किसानों का क्षमता विकास करना अवश्यक है, जिसके तहत वे आधुनिक कृषि तकनीक से खेती करें । कृषक पाठशाला इस नयी खेती संस्कृति के संचार केंद्र बनेंगे ।

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