मूल्य सूची बनाना (Project Service)
Dynamics 365 Project Service Automation Dynamics 365 Project Operations बन गया है. अधिक जानकारी के लिए Project Service Automation संक्रमण देखें.
Project Service Automation अनुप्रयोग संस्करण 2.x और 1.x पर लागू होता है
मूल्य सूचियाँ एक ऐसा टेम्पलेट बनाती हैं, जिनका उपयोग आपके खाता प्रबंधक, कोट और परियोजनाएँ बनाने, और परियोजना की लागत स्थापित करने के लिए कर सकते हैं. वे भूमिकाओं और व्यय, और प्रत्येक के लिए आपके द्वारा लिए जाने वाले मूल्य की एक पंक्ति आइटम सूची प्रदान करते हैं. आप एकाधिक मूल्य सूचियाँ बना सकते हैं, ताकि आप भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के लिए, जहाँ आप विक्रय करते हैं या भिन्न-भिन्न विक्रय चैनल के लिए, अलग-अलग मूल्य संरचनाओं को बनाए रख सकें. आप अपने ग्राहकों से जिन मुद्राओं में बिल करने की योजना बनाते हैं, उनमें प्रत्येक मुद्रा के लिए कम से कम एक मूल्य सूची बनाना एक अच्छा विचार है.
डिलीवर किए जाने वाले कार्यों के लिए वित्तीय अनुमान बनाने के लिए, सुनिश्चित करें कि प्रत्येक परियोजना के पास एक बैकिंग लागत और विक्रय मूल्य सूची मौजूद है. एक डिफ़ॉल्ट लागत और विक्रय मूल्य सूची सेट अप करें, जो आपके संगठन में मुद्रा का मूल्य कैसे कम होता है? बनाई गई सभी परियोजनाओं पर लागू होती है.
मूल्य सूचियाँ, भूमिकाओं और व्यय श्रेणियों पर निर्भर करती हैं, अतः आप एक मूल्य सूची बनाने से पहले, सुनिश्चित कर लें कि आपने पहले ही भूमिकाएँ और व्यय श्रेणियाँ कॉन्फ़िगर कर ली हैं जिनका उपयोग आप मूल्य सूची बनाते समय करना चाहते हैं.
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संदर्भ में, यह चयन करें कि यह मूल्य सूची लागत, क्रय या विक्रय के लिए है.
नाम में, मूल्य सूची के लिए एक नाम दर्ज करें.
मुद्रा में, वह मुद्रा चुनें, जिसका उपयोग आप लागत या बिलिंग के लिए करने जा रहे हैं.
समय इकाई में, वह समय अवधि निर्दिष्ट करें, जिस पर मूल्य लागू होते हैं, जैसे दिन या घंटा.
आवश्यकतानुसार प्रारंभ दिनांक, समाप्ति दिनांक और वर्णन भरें.
रिकॉर्ड बनाने के लिए, सहेजें पर क्लिक करें ताकि आप उसको संपादित करना जारी रख सकें.
मूल्य सूची पर एक भूमिका मूल्य जोड़ने के लिए, भूमिका मूल्यों के अंतर्गत + पर क्लिक करें.
भूमिका मूल्य फलक में, विवरण भरें और उसके बाद सहेजें पर क्लिक करें. आवश्यकतानुसार भूमिका मूल्य जोड़ना जारी रखें. काम पूरा होने पर, स्क्रीन के निचले दाएँ कोने में स्थित सहेजें पर क्लिक करें.
मूल्य सूची पर एक व्यय श्रेणी मूल्य जोड़ने के लिए, श्रेणी मूल्य के अंतर्गत + पर क्लिक करें.
हस्तांतरण श्रेणी मूल्य फलक में, विवरण भरें और उसके बाद सहेजें पर क्लिक करें. आवश्यकतानुसार श्रेणी मूल्य जोड़ना जारी रखें. काम पूरा होने पर, स्क्रीन के निचले दाएँ कोने में स्थित सहेजें पर क्लिक करें.
मूल्य सूची में मूल्य सूची आइटम जोड़ने के लिए, मूल्य सूची आइटम के अंतर्गत + पर क्लिक करें.
मूल्य सूची आइटम फलक में, विवरण भरें और उसके बाद सहेजें पर क्लिक करें. आवश्यकतानुसार मूल्य सूची आइटम जोड़ना जारी रखें. काम पूरा होने पर, स्क्रीन के निचले दाएँ कोने में स्थित सहेजें पर क्लिक करें.
मूल्य सूची में क्षेत्र संबंध जोड़ने के लिए, क्षेत्र संबंध के अंतर्गत + पर क्लिक करें.
नए कनेक्शन विंडो में, विवरण भरें और उसके बाद सहेजें पर क्लिक करें. आवश्यकतानुसार क्षेत्र संबंध जोड़ना जारी रखें. काम पूरा होने पर, स्क्रीन के निचले दाएँ कोने में स्थित सहेजें पर क्लिक करें.
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गिरते रुपये को बचाने में कैसे हो सकता है विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल, जानिए इसका कारण
विदेशी मुद्रा भंडार एक केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित संपत्ति (assets) है, जिसमें बाॉन्ड, ट्रेजरी बिल और अन्य सरकारी सिक्योरिटीज शामिल हो सकती हैं. विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभाता है. जब किसी भी देश की राष्ट्रीय मुद्रा तेजी से नीचे आती है तब फॉरेक्स रिजर्व उसे स्थिरता प्रदान करने में मदद करता है. यदि किसी देश के पास फॉरेक्स रिजर्व कम होता है या नहीं होता है तो वह दिवालिया हो जाता है. भारत के पास भी अच्छा विदेशी मुद्रा भंडार है. भारत मुद्रा का मूल्य कैसे कम होता है? के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा संपत्ति (Foreign Currency Assets), गोल्ड रिजर्व, स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR), अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ रिजर्व स्थिति शामिल है. आइये एक नजर डालते हैं कि कैसे रुपये को संभालने में विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उससे पहले जानते है इसके महत्व के बारे में - बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार का महत्व बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार भारत के बाहरी और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में सरकार और आरबीआई को आराम देते हैं. यह आर्थिक मोर्चे पर भुगतान संतुलन (बीओपी) संकट की स्थिति में एक सहारे के रूप में कार्य करता है. भंडार बढ़ने से डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूत होने में मदद मिलती है. जब किसी देश की मौद्रिक प्राधिकरण (monetery authority) अपनी बाहरी देनदारियों का दायित्व अच्छे से निभाती है तो इससे बाजारों और निवेशकों में विश्वास बढ़ता है. रुपये को संभालने में विदेशी मुद्रा भंडार का कैसे इस्तेमाल होता है सिक्योरिटीज के रूप में होल्ड किया गया विदेशी मुद्रा भंडार एक देश के कई फाइनेंशियल उद्देश्यों को पूरा करता हैं, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण है किसी भी देश की करेंसी को स्थिरता प्रदान करना. जिसके लिए सरकारें 'बैकअप फंड' तैयार रखती हैं. बैकअप फंड का इस्तेमाल किसी भी देश में उसके केंद्रीय बैंक या रेगुलेटरी संस्था द्वारा आर्थिक इमरजेंसी के समय किया जाता है. भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) है. यदि विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धि के कारण रुपये का मूल्य घटता है तो आरबीआई भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर बेचता है ताकि भारतीय मुद्रा की गिरावट के कारण की जांच कर उसकी गिरती हुई वैल्यू को रोका जा सके.
विदेशी मुद्रा भंडार एक केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित संपत्ति (assets) है, जिसमें बाॉन्ड, ट्रेजरी बिल और अन्य सरकारी सिक्योरिटीज शामिल हो सकती हैं. विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभाता है. जब किसी भी देश की राष्ट्रीय मुद्रा तेजी से नीचे आती है तब फॉरेक्स रिजर्व उसे स्थिरता प्रदान करने में मदद करता है.
यदि किसी देश के पास फॉरेक्स रिजर्व कम होता है या नहीं होता है तो वह दिवालिया हो जाता है. भारत के पास भी अच्छा विदेशी मुद्रा भंडार है. भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा संपत्ति (Foreign Currency Assets), गोल्ड रिजर्व, स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR), अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ रिजर्व स्थिति शामिल है.
आइये एक नजर डालते हैं कि कैसे रुपये को संभालने में विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उससे पहले जानते है इसके महत्व के बारे में -
बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार भारत के बाहरी और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में सरकार और आरबीआई को आराम देते हैं. यह आर्थिक मोर्चे पर भुगतान संतुलन (बीओपी) संकट की स्थिति में एक सहारे के रूप में कार्य करता है. भंडार बढ़ने से डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूत होने में मदद मिलती है. जब किसी देश की मौद्रिक प्राधिकरण (monetery authority) अपनी बाहरी देनदारियों का दायित्व अच्छे से निभाती है तो इससे बाजारों और निवेशकों में विश्वास बढ़ता है.
सिक्योरिटीज के रूप में होल्ड किया गया विदेशी मुद्रा भंडार एक देश के कई फाइनेंशियल उद्देश्यों को पूरा करता हैं, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण है किसी भी देश की करेंसी को स्थिरता प्रदान करना. जिसके लिए सरकारें 'बैकअप फंड' तैयार रखती हैं.
बैकअप फंड का इस्तेमाल किसी भी देश में उसके केंद्रीय बैंक या रेगुलेटरी संस्था द्वारा आर्थिक इमरजेंसी के समय किया जाता है. भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) है. यदि विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धि के कारण रुपये का मूल्य घटता है तो आरबीआई भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर बेचता है ताकि भारतीय मुद्रा की गिरावट के कारण की जांच कर उसकी गिरती हुई वैल्यू को रोका जा सके.
गिरते रुपये को बचाने में कैसे हो सकता है विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल, जानिए इसका कारण
विदेशी मुद्रा भंडार एक केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित संपत्ति (assets) है, जिसमें बाॉन्ड, ट्रेजरी बिल और अन्य सरकारी सिक्योरिटीज शामिल हो सकती हैं. विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभाता है. जब किसी भी देश की राष्ट्रीय मुद्रा तेजी से नीचे आती है तब फॉरेक्स रिजर्व उसे स्थिरता प्रदान करने में मदद करता है. यदि किसी देश के पास फॉरेक्स रिजर्व कम होता है या नहीं होता है तो वह दिवालिया हो जाता है. भारत के पास भी अच्छा विदेशी मुद्रा भंडार है. भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा संपत्ति (Foreign Currency Assets), गोल्ड रिजर्व, स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR), अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ रिजर्व स्थिति शामिल है. आइये एक नजर डालते हैं कि कैसे रुपये को संभालने में विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उससे पहले जानते है इसके महत्व के बारे में - बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार का महत्व बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार भारत के बाहरी और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में सरकार और आरबीआई को आराम देते हैं. यह आर्थिक मोर्चे पर भुगतान संतुलन (बीओपी) संकट की स्थिति में एक सहारे के रूप में कार्य करता है. भंडार बढ़ने से डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूत होने में मदद मिलती है. जब किसी देश की मौद्रिक प्राधिकरण (monetery authority) अपनी बाहरी देनदारियों का दायित्व अच्छे से निभाती है तो इससे बाजारों और निवेशकों में विश्वास बढ़ता है. रुपये को संभालने में विदेशी मुद्रा भंडार का कैसे इस्तेमाल होता है सिक्योरिटीज के रूप में होल्ड किया गया विदेशी मुद्रा भंडार एक देश के कई फाइनेंशियल उद्देश्यों को पूरा करता हैं, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण है किसी भी देश की करेंसी को स्थिरता प्रदान करना. जिसके लिए सरकारें 'बैकअप फंड' तैयार रखती हैं. बैकअप फंड का इस्तेमाल किसी भी देश में उसके केंद्रीय बैंक या रेगुलेटरी संस्था द्वारा आर्थिक इमरजेंसी के समय किया जाता है. भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) है. यदि विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धि के कारण रुपये का मूल्य घटता है तो आरबीआई भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर बेचता है ताकि भारतीय मुद्रा की गिरावट के कारण की जांच कर उसकी गिरती हुई वैल्यू को रोका जा सके.
विदेशी मुद्रा भंडार एक केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्राओं में आरक्षित संपत्ति (assets) है, जिसमें बाॉन्ड, ट्रेजरी बिल और अन्य सरकारी सिक्योरिटीज शामिल हो सकती हैं. विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश की अर्थव्यवस्था में एक अहम भूमिका निभाता है. जब किसी भी देश की राष्ट्रीय मुद्रा तेजी से नीचे आती है तब फॉरेक्स रिजर्व उसे स्थिरता प्रदान करने में मदद करता है.
यदि किसी देश के पास फॉरेक्स रिजर्व कम होता है या नहीं होता है तो वह दिवालिया हो जाता है. भारत के पास भी अच्छा विदेशी मुद्रा भंडार है. भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में विदेशी मुद्रा संपत्ति (Foreign Currency Assets), गोल्ड रिजर्व, स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR), अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ रिजर्व स्थिति शामिल है.
आइये एक नजर डालते हैं कि कैसे रुपये को संभालने में विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन उससे पहले जानते है इसके महत्व के बारे में -
बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार भारत के बाहरी और आंतरिक वित्तीय मुद्दों के प्रबंधन में सरकार और आरबीआई को आराम देते हैं. यह आर्थिक मोर्चे पर भुगतान संतुलन (बीओपी) संकट की स्थिति में एक सहारे के रूप में कार्य करता है. भंडार बढ़ने से डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूत होने में मदद मिलती है. जब किसी देश की मौद्रिक प्राधिकरण (monetery authority) अपनी बाहरी देनदारियों का दायित्व अच्छे से निभाती है तो इससे बाजारों और निवेशकों में विश्वास बढ़ता है.
सिक्योरिटीज के रूप में होल्ड किया गया विदेशी मुद्रा भंडार एक देश के कई फाइनेंशियल उद्देश्यों को पूरा करता हैं, लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण है किसी भी देश की करेंसी को स्थिरता प्रदान करना. जिसके लिए सरकारें 'बैकअप फंड' तैयार रखती हैं.
बैकअप फंड का इस्तेमाल किसी भी देश में उसके केंद्रीय बैंक या रेगुलेटरी संस्था द्वारा आर्थिक इमरजेंसी के समय किया जाता है. भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) है. यदि विदेशी मुद्रा की मांग में वृद्धि के कारण रुपये का मूल्य घटता है तो आरबीआई भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर बेचता है ताकि भारतीय मुद्रा की गिरावट के कारण की जांच कर उसकी गिरती हुई वैल्यू को रोका जा सके.
विदेशी मुद्रा भंडार 14 महीनों के सबसे कम स्तर पर
पिछले कुछ महीनों से विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है। अगस्त 2021 के अंत में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के पास 640.70 अरब डालर विदेशी मुद्रा भंडार था जो कि जून 2022 के अंत में घटकर कर 588.31 अरब डॉलर हो गया है।
देश के पास विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है। रुपये की कीमत में गिरावट आ रही है। साथ ही देश का व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। यह सभी बातें आपस में कैसे जुडी हुई हैं? इनमें परिवर्तन होने पर हमारी अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है? चलिए इस पूरे मुद्दे को समझते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार
दरअसल विदेशी मुद्रा भंडार में केंद्रीय बैंक, रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं। इनमें विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियाँ(FCA), स्वर्ण भंडार, विशेष आहरण अधिकार (SDR) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ रिज़र्व ट्रेंच शामिल होती हैं। जरूरत पड़ने पर विदेशी मुद्रा भंडार से विदेशी ऋण का भुगतान आसानी से किया जा सकता है।
पिछले कुछ महीनों से विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है। विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट पिछले 10 महीनों से आ रही है। अगस्त 2021 के अंत में हमारे केंद्रीय बैंक के पास 640.70 अरब डालर विदेशी मुद्रा भंडार था, जोकि जून 2022 के अंत में गिर कर 588.31 अरब डॉलर हो गया है। विदेशी मुद्रा भंडार पिछले 14 महीनों के निम्न स्तर पर है। जैसा कि निचे चित्र दिखया गया है।
देश के पास ज्यादातर विदेशी मुद्रा भंडार, विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति(FCA) के रूप में ही होता है। यह परिसंपत्तियां एक या एक से अधिक मुद्रा के रूप में भी हो सकती है। लेकिन इन विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों का मूल्यांकन डॉलर में ही किया जाता है। अगस्त 2021 के अंत में देश के पास 578.41 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां थी जोकि मौजूदा समय में घटकर 524.74 अरब डॉलर हो गयी है।
विदेशी मुद्रा भंडार के घटने का असर रुपये की कीमत पर पड़ता है। विदेशी मुद्रा भंडार कम होने पर डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में भी कमी आएगी जैसा कि मौजूदा समय में देखा जा रह है। कल सोमवार को रुपये की कीमत गिर कर 79.43 रुपये प्रति डॉलर के निम्न स्तर पर आ गयी है। रुपये के गिरने पर भारत द्वारा किये जाने वाले वस्तुओं के आयात मूल्य में वृद्धि हो जाएगी और निर्यात मूल्य में कमी आएगी क्योंकि रुपये की कीमत डॉलर के मुकाबले कम हो रही है। जिसके कारण व्यापार घाटा बढ़ेगा जैसा कि मौजूदा समय में देखा गया है। जून के महीने में व्यापार घाटा बढ़कर अब तक के रिकार्ड स्तर 25.6 अरब डॉलर हो गया है।
हालांकि रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने सोमवार को रुपये की कीमत को स्थिर रखने के लिए कुछ देशों जैसे रूस और श्रीलंका के साथ व्यापार रुपये में करने की अनुमति दे दी है, जिससे काफी हद तक रुपये की कीमत पर असर पड़ेगा। क्योंकि भारत सबसे ज्यादा कच्चे तेल का आयात करता है। रूस तेल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
भारत तेल की कुल आपूर्ति का बड़ा हिस्सा रूस से आयात करता है। ऐसा संभव हो सकता है कि रूस के साथ रुपये में व्यापार करने पर रुपये की कीमत में और गिरावट न आए और विदेशी मुद्रा भंडार पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़े। लेकिन भारत को अब भी यूरोप और एशिया के कई देशों के साथ डॉलर में ही व्यापार करना होगा।
विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने पर रुपये की कीमत में मजबूती आती है। जिसके परिणामस्वरूप मुद्रा का मूल्य कैसे कम होता है? देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और रुपये की कीमत में स्थिरता बनी रहती है। साथ ही विदेश में निवेश करने वाले लोगों को भी बहुत ज्यादा फायदा पहुँचता है।
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Foreign Exchange Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार में फिर से आई गिरावट, जानिए RBI के खजाने में अब कितना बचा है
Foreign Exchange Reserves: एकबार फिर से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई है. 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह 4.50 करोड़ डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर पर आ गया. रुपए को संभालने के लिए डॉलर रिजर्व को लगातार बेचा जा रहा है.
Foreign Exchange Reserves: देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 4.50 करोड़ डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर पर आ गया. भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से शुक्रवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली. इससे पहले, सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 20.4 करोड़ डॉलर मुद्रा का मूल्य कैसे कम होता है? बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पहुंच गया था. इसमें इस साल अगस्त के बाद से पहली बार किसी साप्ताह में वृद्धि हुई थी. एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था.
गिरते रुपए को संभालने के लिए डॉलर रिजर्व का इस्तेमाल
देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कई हफ्तों से लगातार कम हो रही है. दरअसल तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपए को संभालने के लिए आरबीआई ने इस विदेशी मुद्रा भंडार के एक हिस्से का इस्तेमाल किया है. आंकड़ों के अनुसार, 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 2.828 अरब डॉलर घटकर 468.668 अरब डॉलर रह गयीं. एफसीए असल में समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है.
गोल्ड रिजर्व में 1.35 अरब डॉलर का इजाफा
डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्य वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल होता है. स्वर्ण भंडार के मूल्य में सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 1.35 अरब डॉलर की वृद्धि हुई मुद्रा का मूल्य कैसे कम होता है? थी. जबकि 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह 1.502 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 37.453 अरब डॉलर रह गया. केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 14.9 करोड़ डॉलर घटकर 17.433 अरब डॉलर रह गया है. वहीं, अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष के पास रखी भारत की आरक्षित निधि समीक्षाधीन सप्ताह में 2.3 करोड़ डॉलर घटकर 4.813 अरब अमेरिकी डॉलर पर आ गई.
रुपया 82.75 के स्तर पर बंद हुआ
इधर अमेरिकी मुद्रा की तुलना में रुपया शुक्रवार को चार पैसे की तेजी के साथ 82.75 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ. रुपए में शुरू में गिरावट आई थी लेकिन घरेलू शेयर बाजार में तेजी के साथ यह बढ़त में बंद हुआ. अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.89 पर खुला और बाद में 82.59 के उच्च स्तर तथा 82.91 के निचले स्तर को छूने के बाद अंत में गुरुवार के बंद भाव के मुकाबले चार पैसे मजबूत होकर 82.75 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. गुरुवार को रुपया अपने सर्वकालिक निम्न स्तर से उबरकर 21 पैसे की तेजी के साथ 82.79 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.
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